<p style=”text-align: justify;”><a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> महाराष्ट्र के सीएम पद से मंगलवार (26 नवंबर) को इस्तीफा देंगे. उनके इस्तीफे के बाद ही नई सरकार बनने की कवायद शुरू होगी. नियमों के तहत पहले उन्हें इस्तीफा देना होगा. इसके बाद ही कोई सरकार बनाने का दावा पेश करेगा. नया सीएम कौन होगा इस पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी के नेता चाहते हैं कि इस बार देवेंद्र फडणवीस को राज्य के सीएम की कुर्सी पर बिठाया जाए. पार्टी नेताओं और समर्थकों की दलील है कि राज्य में सबसे ज्यादा सीटों पर बीजेपी ही विजयी हुई है और ऐसे में सीएम की कुर्सी पर उनका हक बनता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> महाराष्ट्र के सीएम पद से मंगलवार (26 नवंबर) को इस्तीफा देंगे. उनके इस्तीफे के बाद ही नई सरकार बनने की कवायद शुरू होगी. नियमों के तहत पहले उन्हें इस्तीफा देना होगा. इसके बाद ही कोई सरकार बनाने का दावा पेश करेगा. नया सीएम कौन होगा इस पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी के नेता चाहते हैं कि इस बार देवेंद्र फडणवीस को राज्य के सीएम की कुर्सी पर बिठाया जाए. पार्टी नेताओं और समर्थकों की दलील है कि राज्य में सबसे ज्यादा सीटों पर बीजेपी ही विजयी हुई है और ऐसे में सीएम की कुर्सी पर उनका हक बनता है.</p> महाराष्ट्र DUSU चुनाव में अध्यक्ष पद पर NSUI ने मारी बाजी, उपाध्यक्ष और सचिव पर ABVP का परचम
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यूपी में पेडों की अवैध कटाई से एनजीटी नाराज:जांच के लिए चार सदस्यीय संयुक्त समिति गठित, मुख्य सचिव को पेड़ों की अवैध कटाई रोकने के निर्देश
यूपी में पेडों की अवैध कटाई से एनजीटी नाराज:जांच के लिए चार सदस्यीय संयुक्त समिति गठित, मुख्य सचिव को पेड़ों की अवैध कटाई रोकने के निर्देश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गाजियाबाद के मुरादनगर से पुरकाजी तक कांवड़ मार्ग के निर्माण के लिए हजारों पेड़ों की अवैध कटाई पर नाराजगी जताई है। एनजीटी ने पेड़ों की अवैध कटाई की जांच के लिए चार सदस्यीय पैनल गठित किया है। साथ ही यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पेड़ों की अवैध कटाई रोकने के निर्देश दिए हैं। मुरादनगर से पुरकाजी तक 111 किलोमीटर लंबे कांवड़ मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। कांवड़ रोड के निर्माण के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों में संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई की जा रही है। इस मामले में दायर याचिका पर एनजीटी में सुनवाई चल रही है। मामले में 9 अगस्त को जारी आदेश में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जेसीबी मशीनों से उखाड़े गए पेड़ों की तस्वीरें और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के लखनऊ क्षेत्र कार्यालय की 2010 की निरीक्षण रिपोर्ट दायर की थी। जिसमें पहले इसी खंड पर आठ लेन एक्सप्रेसवे बनाने के यूपी सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। पिछली रिपोर्ट में रेखांकित किया गया था कि एक्सप्रेसवे ऊपरी गंगा नहर के किनारे वनस्पति को बहुत नुकसान पहुंचेगा और वन्य जीवों के आवास को परेशान करेगा। रिपोर्ट में एक्सप्रेसवे की व्यावहारिकता पर भी सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि एनएच-58 के माध्यम से गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर को उत्तराखंड से जोड़ने वाली पहले से ही दो सड़कें हैं। ऊपरी गंगा नहर के बाएं किनारे पर एक कांवड़ रोड है। ट्रिब्यूनल ने कहा, यह स्पष्ट नहीं है कि नया निर्णय लेते समय 2010 की पिछली रिपोर्ट और उसमें दर्ज निष्कर्ष पर विचार किया गया था या नहीं। याचिकाकर्ताओं के वकील आकाश वशिष्ठ ने कहा, यह ऊपरी गंगा नहर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जीवन रेखा है। इसे देश के भोजन का कटोरा भी कहा जाता है। यहां सड़क बनाने से हाइड्रोलॉजिकल संबंध खो जाएगा। अगले पांच-छह साल में नहर ही सूख जाएंगी। उन्होंने कहा कांवड़ मार्ग के लिए 1.12 लाख पेड़ों की कटाई की जानी है। जबकि हर पेड़ कीमती है और उसे बचाने की जरूरत है। सहायक सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कांवड़ मार्ग के लिए निर्माण के लिए लगभग 33,000 पेड़ काटे जाने हैं। जिनमें से 17,450 पेड़ पहले ही काटे जा चुके थे। ट्रिब्यूनल ने कहा बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने का प्रस्ताव है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पेड़ों की अवैध या अधिक कटाई न हो। पेड़ों की अनावश्यक कटाई के संबंध में वर्तमान स्थिति का भी पता लगाना आवश्यक है। वन सर्वेक्षण निदेशक की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जांच के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण के निदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त समिति गठित होगी। समिति में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, यूपी के मुख्य सचिव के एक प्रतिनिधि और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। समिति साइट का दौरा करेगी। पेड़ों की अवैध कटाई के संबंध में आरोपों का पता लगाएगी। यह भी पता लगाएगी कि ट्रिब्यूनल के समक्ष अब तक बताए गए पेड़ों की कटाई से संबंधित आंकड़े सही हैं या उनसे अधिक पेड़ काटे गए हैं। समिति को सड़क की व्यावहारिकता का भी पता लगाएगी। समिति को चार सप्ताह में जांच पूरी करनी है। सितंबर के दूसरे सप्ताह में समिति को ट्रिब्यूनल के समक्ष रिपोर्ट पेश करनी है। पेड़ों की अवैध कटाई रोकें मुख्य सचिव एनजीटी ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पेड़ों की अवैध कटाई रोकने के निर्देश दिए हैं। महासर्वेक्षक को कारण बताओ नोटिस एनजीटी ने भारत के महासर्वेक्षक को भी मामले में कारण बताओ नोटस जारी किया है। एनजीटी ने उन्हें काटे गए पेड़ों की मात्रा का पता लगाने के लिए ऊपरी गंगा नहर की उपग्रह फोटो को दर्ज करने का आदेश दिया था। लेकिन महासर्वेक्षक ने आदेश का पालन नहीं किया। एनजीटी ने उन्हें वस्तुतः उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख को संबंधित क्षेत्र की उपग्रह फोटो के साथ ट्रिब्यूनल को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
बरेली-सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण में करोड़ों का घोटाला, NHAI के दो अधिकारी सस्पेंड
बरेली-सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण में करोड़ों का घोटाला, NHAI के दो अधिकारी सस्पेंड <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> पीलीभीत में इन दिनों बरेली सितारगंज नेशनल हाइवे काफी चर्चा में है. दरअसल बरेली से पीलीभीत सितारगंज होते हुए हाइवे के निर्माण में आने वाले दर्जनों गांव में किसानों की अधिग्रहण की गई भूमि पर लखनऊ दिल्ली, रुद्रपुर जैसी जगहों से जमीनों के सौदागरों ने जमीन खरीद कर दोगुना मुआवजा पाने के लालच में अस्थाई निर्माण दिखाकर नेशनल हाइवे अथॉरिटी और pwd राजस्व के मिलीभगत के चलते करोडों का खेल किया है. मामला उजागर होने के बाद अब NHAI की टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर जांच टीम गठित की है, जिसको लेकर दो बड़े विभागीय जिम्मेदारों को निलंबित कर मामले की जांच की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल बरेली से पीलीभीत होते सितारगंज हाइवे के निर्माण के लिए सन 2022 को एन एच की टीम ने स्थानीय राजस्व विभाग की टीम और pwd के साथ मिलकर हाइवे का सर्वे किया. उसके बाद राजस्व टीम pwd के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण को लेकर 70 किलोमीटर लंबे 2600 करोड़ की लागत से बने हाइवे पर पड़ने वाले ग्रामीण इलाकों का सर्वे रिपोर्ट कर मूल्यांकन कर दिया. नियमानुसार भूमि अधिग्रहण का फायदा सीधे तौर पर उन किसानों को होना चाहिए था, जिनकी कृषि की भूमि इस हाइवे पर अधिग्रहण में आ रही थी, लेकिन ऐसा नही हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भू माफियाओं ने किसानें से कम दाम में खरीदे जमीन </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एन एच हाइवे के कुछ अधिकारियों और राजस्व टीम की मिलीभगत से जमीन के बड़े सौदागरों या यूं कहें बड़े भू माफियाओ को इसकी भनक पहले ही लग गई और उन्होंने नेशनल हाइवे बरेली पीलीभीत सितारगंज NH30 पर 3A की नियमावली कार्रवाई पूरी होने से पहले ही किसानों से औने पौने दामो में खरीद ली गई, और बाद में हाइवे निर्माण को लेकर भूमि सौदागरों के अधिग्रहण की गई भूमि पर अस्थाई भवन निर्माण कंस्ट्रक्शन कर करोड़ों का मुआवजा कमा लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लापारवाही बरतने वाले दो अधिकारी निलंबित </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बताया जा रहा है कि बनाये गए आधा दर्जन कंस्ट्रक्शन अवैध निर्माण होने की खबर लगते ही हुए करोड़ों के जमीन मुआजवे में खेल को लेकर एन एच आई ने अपनी सर्वे टीम लगाकर मामले की जांच स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर की. एन एचआई ने गोपनीयता एवं नियमावली के विरूद्ध लापरवाही बरतने वाले दो विभागीय अधिकारियों को निलंबित कर दिया. मामले की जांच अभी जारी है. कयास लगाया जा रहा है कि निष्पक्ष जांच पूरी होने के बाद लखनऊ, रुद्रपुर, दिल्ली जैसे बड़े जमीन के सौदागरों पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बाईट नगर मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर ने पूरे मामले को लेकर बताया कि एन एचआई की टीम की तरफ से भूमि अधिग्रहण को लेकर मौके पर हुए अवैध निर्माण को लेकर आर्टिफिशियल स्ट्रक्चर पाए जाना पाया गया, जिसको लेकर जांच अभी जारी है, और दो एन एच के विभागीय अफसरों के निलंबन की कार्रवाई की गई है. जांच भी जारी है, जिस पर कार्रवाई होना तय है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोटा मुआवजा कमाने वाले नामों से इक शख्स का नाम आगे </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के मुताबिक सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि खंड भगवान दास के नाम पर है. पूर्व में नहीं की ओर से जारी मुआवजा लेने वालों की सूची में भगवानदास का नाम नहीं था. इलाहाबाद मौके पर स्थित अमरिया भौनी माधवपुर सहित उदनपुर जैसे गांव से गुजरने वाले हाईवे पर दिल्ली लखनऊ और रुद्रपुर के भूमि सौदागरों ने किसानों से उनकी जमीन कम दामों में अधिग्रहण कर खरीद कर अधिग्रहण की जमीन पर मोटा मुआवजा कमा लिया, जिनमें से बड़े नाम हिमांशु संगल धर्मवीर मित्तल जैसे लोगों के सामने आ रहे हैं. फिलहाल मामले की कार्रवाई अभी जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”तांडव वेब सीरीज के मेकर्स को बड़ी राहत, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये अहम जानकारी” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/tandav-all-fir-against-producers-of-its-web-series-closed-up-govt-tells-supreme-court-2772742″ target=”_self”>तांडव वेब सीरीज के मेकर्स को बड़ी राहत, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये अहम जानकारी</a></strong></p>
‘देवेंद्र फडणवीस से कोई दुश्मनी नहीं’, शपथ ग्रहण के बाद बदले एकनाथ खडसे के सुर, जानें क्या कहा
‘देवेंद्र फडणवीस से कोई दुश्मनी नहीं’, शपथ ग्रहण के बाद बदले एकनाथ खडसे के सुर, जानें क्या कहा <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra News:</strong> महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और खानदेश क्षेत्र के कद्दावर नेता एकनाथ खडसे के महायुति गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण के बाद सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस से हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी, बल्कि हमने विपक्षी दल होने के नाते विरोधी रुख दिखाया था. खडसे ने संकेत दिए कि वे फडणवीस सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करेंगे क्योंकि उनके व्यक्तिगत रूप से उनके (फडणवीस) साथ अच्छे संबंध हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एबीपी माझा से बातचीत के दौरान एकनाथ खडसे ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार द्वारा लाई गई मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के कारण उन्हें उम्मीद से ज्यादा वोट मिले हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘EVM को हटाया जाना चाहिए’</strong><br />एकनाथ खडसे ने कहा कि हम ईवीएम के खिलाफ नहीं है लेकिन चुनावी नतीजों की वजह से हमें ईवीएम पर संदेह हो रहा है. ईवीएम को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल की भूमिका को बखूबी निभाना हमारी जिम्मेदारी है. मेरे संघर्ष करके राजनीति में यहां तक पहुंचा हूं 1990 में मैं विधायक चुना गया था किसी सरकार में नहीं था, मैंने संघर्ष किया सरकार के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं अपनी हार को लेकर खड़से ने कहा कि हार तो हार होती है इसलिए मैंने पहले ही दिन रोहिणी खडसे से हार स्वीकार कर ली थी. हम अपने अधिकार बूथों को जानते हैं वहां हमारी बढ़त कम हो जाती है तो संदेह पैदा होने लगता है. उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी विपक्षी दल की भूमिका निभाएगी इसमें कोई संदेह नहीं है. हम किसानों की समस्याओं की मांग करते हैं. महायुति ने जो वादे किए थे वो पूरे करें उन्होंने महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा किया था वो भी दें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि इससे पहले <a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> से पहले एकनाथ खडसे की बीजेपी में वापसी की खबरें भी खूब सुर्खियां बनी थी. उससे कुछ सप्ताह पहले खडसे ने खुद कहा था कि बीजेपी की ओर से उन्हें राज्यपाल बनाने का आश्वासन दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”‘महायुति को भारी जीत मिलने के बाद भी जनता…’, शरद पवार ने सत्ता पक्ष को घेरा” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/sharad-pawar-ncp-sp-maha-vikas-aghadi-said-no-enthusiasm-among-people-after-bjp-led-mahayuti-massive-victory-2838253″ target=”_blank” rel=”noopener”>’महायुति को भारी जीत मिलने के बाद भी जनता…’, शरद पवार ने सत्ता पक्ष को घेरा</a></strong></p>