हरियाणा में खाली पड़े ह्यूमन राइट्स कमीशन में बिना नेता प्रतिपक्ष के भी नियुक्तियां हो सकती हैं। केंद्रीय कानून में इसको लेकर भी व्यवस्था की गई है। कमीशन न केवल पिछले 19 महीनों से चेयरमैन (अध्यक्ष) विहीन है, बल्कि पिछले 14 महीने से इसमें कोई सदस्य भी नहीं है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट भी सरकार को इसको लेकर फटकार लगा चुका है। साथ ही नियुक्तियों को लेकर 28 नवंबर की डेडलाइन भी चुका है। सरकार की ओर से आयोग के अध्यक्ष और अन्य दोनों मेंबरों के पदों को भरने के लिए संभावित नामों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण सर्च कमेटी की मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। कारण यह कि सर्च कमेटी की बैठक में विपक्ष के नेता का होना अनिवार्य है। इसलिए अलर्ट है सरकार हरियाणा में मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन और सदस्य न होने के चलते कामकाज ठप पड़ने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट नाराजगी जाहिर कर चुका है। जिसके बाद आनन-फानन में सीएम नायब सैनी सर्च कमेटी की मीटिंग कर चुके हैं। लेकिन इस मीटिंग में कमीशन में नियुक्ति को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। यदि अगली सुनवाई यानी 28 नवंबर तक पद नहीं भरे गए तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश होकर याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपए अपनी जेब से देने होंगे। डेढ़ महीने से नेता प्रतिपक्ष का नहीं हुआ चुनाव मौजूदा 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन को करीब डेढ़ महीना बीत चुका है। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद आज तक सदन में सबसे बड़े 37 सदस्यों का विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक दल द्वारा अपना नेता नहीं चुना गया है। जिस कारण विधानसभा स्पीकर द्वारा उस चुने जाने वाले नेता को सदन के नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाना भी लंबित है। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर चंडीगढ़ में हुई बैठक में भी नेता प्रतिपक्ष पर आम राय नहीं बन पाई। अब यहां पढ़िए क्यों नहीं नेता प्रतिपक्ष की है जरूरत…. आयोग में नियुक्ति के लिए चार मेंबरी कमेटी जरूरी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है, भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सभी प्रदेशों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया जाता है। इस अधिनियम की धारा 22 (1) के अनुसार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रदेश के राज्यपाल द्वारा गठित की जाने वाली 4 मेंबरी कमेटी की सिफारिश से की जाती है। मुख्यमंत्री होते हैं कमेटी के अध्यक्ष राज्यपाल के द्वारा गठित की गई कमेटी का प्रदेश का मुख्यमंत्री अध्यक्ष होता है। जबकि कमेटी के अन्य तीन मेंबरों में राज्य विधानसभा के स्पीकर, प्रदेश के गृह मंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं। अब चूंकि हरियाणा की मौजूदा नायब सैनी सरकार में प्रदेश का गृह विभाग भी मुख्यमंत्री के पास ही है, इसलिए हरियाणा में ये कमेटी तीन सदस्यीय हो जाती है। इस नियम की वजह से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी नहीं कानूनी विश्लेषक हेमंत ने बताया कि हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष के न होने अर्थात कमेटी में उनकी अनुपस्थिति के कारण नियुक्ति पर कोई संकट नहीं है। हेमंत ने बताया कि केंद्र के अधिनियम की धारा 22(2) के स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केवल इस कारण से अविधिमान्य (गैर-कानूनी) नहीं होगी, क्योंकि कमेटी में कोई रिक्ति है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस भी बने चुके अध्यक्ष हरियाणा मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस एसके मित्तल (सेवानिवृत्त) का 5 साल का कार्यकाल 19 महीने पहले 22 अप्रैल 2023 को पूर्ण हो गया था। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत्त हुए मित्तल को अप्रैल, 2018 में आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके साथ आयोग में एक (न्यायिक) सदस्य के तौर पर नियुक्त जस्टिस केसी पुरी (सेवानिवृत्त) का 5 साल का कार्यकाल भी अप्रैल, 2023 में समाप्त हो गया था। हालांकि आयोग में एक अन्य गैर-न्यायिक पृष्ठभूमि के सदस्य नामत दीप भाटिया को 20 सितंबर 2018 को 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था, जो 11 मई 2023 तक पांच साल की अवधि के लिए इस पद पर बने रहे। इसके बाद 12 मई 2023 से 19 सितंबर 2023 तक भाटिया ने आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। हरियाणा में खाली पड़े ह्यूमन राइट्स कमीशन में बिना नेता प्रतिपक्ष के भी नियुक्तियां हो सकती हैं। केंद्रीय कानून में इसको लेकर भी व्यवस्था की गई है। कमीशन न केवल पिछले 19 महीनों से चेयरमैन (अध्यक्ष) विहीन है, बल्कि पिछले 14 महीने से इसमें कोई सदस्य भी नहीं है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट भी सरकार को इसको लेकर फटकार लगा चुका है। साथ ही नियुक्तियों को लेकर 28 नवंबर की डेडलाइन भी चुका है। सरकार की ओर से आयोग के अध्यक्ष और अन्य दोनों मेंबरों के पदों को भरने के लिए संभावित नामों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण सर्च कमेटी की मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। कारण यह कि सर्च कमेटी की बैठक में विपक्ष के नेता का होना अनिवार्य है। इसलिए अलर्ट है सरकार हरियाणा में मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन और सदस्य न होने के चलते कामकाज ठप पड़ने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट नाराजगी जाहिर कर चुका है। जिसके बाद आनन-फानन में सीएम नायब सैनी सर्च कमेटी की मीटिंग कर चुके हैं। लेकिन इस मीटिंग में कमीशन में नियुक्ति को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। यदि अगली सुनवाई यानी 28 नवंबर तक पद नहीं भरे गए तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश होकर याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपए अपनी जेब से देने होंगे। डेढ़ महीने से नेता प्रतिपक्ष का नहीं हुआ चुनाव मौजूदा 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन को करीब डेढ़ महीना बीत चुका है। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद आज तक सदन में सबसे बड़े 37 सदस्यों का विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक दल द्वारा अपना नेता नहीं चुना गया है। जिस कारण विधानसभा स्पीकर द्वारा उस चुने जाने वाले नेता को सदन के नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाना भी लंबित है। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर चंडीगढ़ में हुई बैठक में भी नेता प्रतिपक्ष पर आम राय नहीं बन पाई। अब यहां पढ़िए क्यों नहीं नेता प्रतिपक्ष की है जरूरत…. आयोग में नियुक्ति के लिए चार मेंबरी कमेटी जरूरी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है, भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सभी प्रदेशों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया जाता है। इस अधिनियम की धारा 22 (1) के अनुसार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रदेश के राज्यपाल द्वारा गठित की जाने वाली 4 मेंबरी कमेटी की सिफारिश से की जाती है। मुख्यमंत्री होते हैं कमेटी के अध्यक्ष राज्यपाल के द्वारा गठित की गई कमेटी का प्रदेश का मुख्यमंत्री अध्यक्ष होता है। जबकि कमेटी के अन्य तीन मेंबरों में राज्य विधानसभा के स्पीकर, प्रदेश के गृह मंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं। अब चूंकि हरियाणा की मौजूदा नायब सैनी सरकार में प्रदेश का गृह विभाग भी मुख्यमंत्री के पास ही है, इसलिए हरियाणा में ये कमेटी तीन सदस्यीय हो जाती है। इस नियम की वजह से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी नहीं कानूनी विश्लेषक हेमंत ने बताया कि हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष के न होने अर्थात कमेटी में उनकी अनुपस्थिति के कारण नियुक्ति पर कोई संकट नहीं है। हेमंत ने बताया कि केंद्र के अधिनियम की धारा 22(2) के स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केवल इस कारण से अविधिमान्य (गैर-कानूनी) नहीं होगी, क्योंकि कमेटी में कोई रिक्ति है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस भी बने चुके अध्यक्ष हरियाणा मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस एसके मित्तल (सेवानिवृत्त) का 5 साल का कार्यकाल 19 महीने पहले 22 अप्रैल 2023 को पूर्ण हो गया था। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत्त हुए मित्तल को अप्रैल, 2018 में आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके साथ आयोग में एक (न्यायिक) सदस्य के तौर पर नियुक्त जस्टिस केसी पुरी (सेवानिवृत्त) का 5 साल का कार्यकाल भी अप्रैल, 2023 में समाप्त हो गया था। हालांकि आयोग में एक अन्य गैर-न्यायिक पृष्ठभूमि के सदस्य नामत दीप भाटिया को 20 सितंबर 2018 को 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था, जो 11 मई 2023 तक पांच साल की अवधि के लिए इस पद पर बने रहे। इसके बाद 12 मई 2023 से 19 सितंबर 2023 तक भाटिया ने आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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विनेश फोगाट मेडल न मिलने पर इमोशनल हुईं:सोशल मीडिया पर रोते हुए फोटो डाली; गाना लगाया- मेरी बारी ते लगदे, तू रब्बा सुत्ता ही रह गया पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन से चूकीं हरियाणा की रेसलर विनेश फोगाट ने पहली प्रतिक्रिया दी है। विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर अपनी रोते हुए फोटो शेयर की है। इंस्टाग्राम पर पोस्ट फोटो में विनेश फोगाट ने फोटो के बैकग्राउंड में पंजाबी सिंगर बी प्राक का रब्बा वे गाना लगाया है। इसमें गाने के बहाने विनेश फोगाट ने अपना दुख जाहिर किया है। पंजाबी गाने के बोल है- मेरी बारी ते लगदे, तू रब्बा सुत्ता ही रह गया। जिंदगी सिद्दी कर दिंदा, सब कुझ पुट्ठा ही रेह गया। न दित्ता प्यार, न दित्ता सुकून, साडियां रगां च काला खून। दिल साड्डा टुटिया टुटिया टूट्टा ही रेह गया। (इसका हिंदी अर्थ है कि मेरी बारी आने पर भगवान सोए रह गए। जिंदगी सीधी कर देते, सब कुछ उल्टा ही रह गया। न प्यार दिया, न सुकून, हमारी रगों में काला खून। हमारा दिल टूटा ही रह गया।) इससे पहले कल विनेश फोगाट की सिल्वर मेडल देने की याचिका को कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) यानी खेल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हालांकि उनके मेडल को लेकर फैसला करने वाली ज्यूरी के 5 में से 3 मेंबर इस बात से सहमत थे कि विनेश को सिल्वर मेडल देना चाहिए। वहीं, बाकी दो सदस्यों का मानना था कि एक खिलाड़ी के लिए व्यवस्था में बदलाव का अर्थ होगा कि अन्य खिलाड़ियों को उसके लाभ से वंचित किया गया। इस बारे में विश्व कुश्ती संघ को पूछा गया लेकिन उन्होंने एक रेसलर के लिए नियम बदलने से इनकार कर दिया। हालांकि अब खेल कोर्ट नियमों में बदलाव के लिए सिफारिशी ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जिसे विश्व कुश्ती संघ को भेजा जाएगा। इस फैसले के बाद पहलवान बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया (X) पर पोस्ट डाली। उन्होंने लिखा- माना पदक छीना गया तुम्हारा इस अंधकार में, हीरे की तरह चमक रही हो आज पूरे संसार में। विश्व विजेता हिंदुस्तान की आन बान शान रूस्तम ए हिंद विनेश फोगाट आप देश के कोहिनूर हैं। पूरे विश्व में विनेश फोगाट-विनेश फोगाट हो रही है। जिनको मेडल चाहिए। खरीद लेना 15-15 रुपए में। विनेश फोगाट की हरियाणा में ग्रैंड वेलकम की तैयारी चल रही हैं। विनेश 17 अगस्त को भारत आएगी हैं। इसकी जानकारी रेसलर बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी है। विनेश के भाई हरवेंद्र बलाली ने दिल्ली एयरपोर्ट से गांव बलाली तक विनेश का रूट तैयार किया है। इसमें जगह-जगह विनेश का स्वागत किया जाएगा। विनेश फोगाट की वापसी का रूट मैप.. विनेश के ताऊ महावीर फोगाट ने कहा है कि हम विनेश का गोल्ड मेडलिस्ट की तरह की स्वागत करेंगे। जिस खिलाड़ी के साथ इतने बड़े स्तर पर ऐसा बर्ताव हो जाता है, वह खिलाड़ी संन्यास जैसा फैसला ले लेता है। पेरिस से लौटने पर विनेश को पूरा परिवार मनाएगा और 2028 के ओलिंपिक के लिए तैयारी शुरू करेंगे। विनेश फोगाट मामले में क्या-क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर
विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में मंगलवार को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वालीं पहली ही भारतीय महिला रेसलर बनीं थीं। सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के बाद उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना खिलाया गया, जिससे उनका वजन 52.700 किग्रा तक बढ़ गया। 2. विनेश का वजन 2.7 किलो ज्यादा था
भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट मिले, 100 ग्राम ज्यादा था
बुधवार सुबह दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। इसके बाद नियमानुसार सिर्फ 15 मिनट मिले, लेकिन इतने कम समय में विनेश का वजन घटाकर 50KG तक नहीं लाया जा सका। लास्ट में जब वेट किया गया तो विनेश का वजन तय सीमा से 100 ग्राम अधिक निकला। ओलिंपिक कमेटी के फैसले के बाद विनेश की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल भर्ती करवाया। 5. PM मोदी ने कहा- इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन कड़ा विरोध दर्ज करे
इस मामले में PM नरेंद्र मोदी ने IOA प्रेसिडेंट पी टी ऊषा से बात की और पूरी जानकारी ली है। इस मामले में हर विकल्प आजमाने और समाधान के प्रयास के साथ साथ PM ने पीटी ऊषा से विनेश फोगाट मामले में भारत का कड़ा विरोध दर्ज कराने को भी कहा। इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के प्रधान पीटी ऊषा विनेश से मिलीं। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने विनेश को लेकर संसद में बयान दिया। 6. खेल मंत्री बोले- कोच हमेशा साथ रहता है
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा- कोच साथ रहता है। फिजियो अश्विनी पाटिल हमेशा साथ रहते हैं। अतिरिक्त सहायक स्टाफ भी रहता है। इन्हें 70 लाख की सहायता दी गई है। स्पेन के मेड्रिड, फ्रांस में प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता दी गई है। हंगरी में 4 दिन तक इंटरनेशनल प्रशिक्षण के लिए स्टाफ को वित्तीय सहायता दी गई है। 7. डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील भी की
विनेश ने बुधवार रात अपने डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील दायर की। उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स से मांग की कि उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाए। विनेश ने पहले फाइनल खेलने की मांग भी की थी। फिर उन्होंने अपील बदली और अब संयुक्त रूप से सिल्वर दिए जाने की मांग की। 8. विनेश ने लिया संन्यास, सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट
विनेश ने गुरुवार सुबह कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने गुरुवार सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया (X) पर इसका ऐलान किया। विनेश ने 5 लाइनों की पोस्ट में लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।” 9. खेल कोर्ट में सुनवाई हुई
विनेश फोगाट की याचिका पर पेरिस स्थित खेल कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें विनेश भी वर्चुअल तरीके से शामिल हुई। विनेश ने करीब एक घंटे अपना पक्ष रखा। करीब 3 घंटे तक बहस हुई। विनेश की तरफ से भारतीय वकील हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया ने भी उनका पक्ष रखा। डॉक्टर एनाबेल बैनेट ने करीब 3 घंटे तक विनेश, युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग, इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी और IOA का पक्ष सुना। इससे पहले सभी को अपना एफिडेविट भी दाखिल करने को कहा गया था। जिसके बाद ये मौखिक बहस हुई। 10. विनेश को नहीं मिलेगा मेडल
इसके बाद 10 अगस्त को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखकर 13 अगस्त को फैसले की तारीख तय की थी, लेकिन फैसला टाल दिया गया। इसके बाद 14 अगस्त की शाम को विनेश की याचिका खारिज कर दी गई।
हरियाणा में कांग्रेस के 18 टिकट फाइनल:सिंगल नाम पैनल में हुड्डा समेत 12 विधायक, 2019 में हार चुके 4 नेता, एक नया चेहरा शामिल
हरियाणा में कांग्रेस के 18 टिकट फाइनल:सिंगल नाम पैनल में हुड्डा समेत 12 विधायक, 2019 में हार चुके 4 नेता, एक नया चेहरा शामिल कांग्रेस पार्टी ने टिकट दावेदारों की मारामारी के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 90 सीटों में से 18 पर अपनी टिकटें फाइनल कर ली हैं। इनमें 9 सिटिंग विधायक हैं। पार्टी ने जिन 14 सीटों पर सिंगल नाम का पैनल बनाया है, उनमें से 13 पर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया गया है। इन्होंने 2019 का चुनाव भी लड़ा था। एक सीट पर नए चेहरे का नाम रखा गया है। कांग्रेस के सिंगल नाम वाले हलकों में रोहतक की गढ़ी-सांपला-किलोई सीट भी है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के सत्ता में आने की सूरत में वह CM पद के सबसे बड़े दावेदार रहेंगे। कांग्रेस में इस सीट से किसी और ने आवेदन भी नहीं किया था। इन 12 विधायकों के टिकट पक्के
कांग्रेस ने जिन 17 सीटों पर सिंगल नाम के पैनल बनाए हैं, उनमें से 12 पर इस समय पार्टी के ही विधायक हैं। इनमें गढ़ी-सांपला-किलोई से भूपेंद्र हुड्डा, रोहतक सीट से बीबी बत्रा, झज्जर से गीता भुक्कल, बेरी से रघुबीर कादियान, रेवाड़ी से लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव, नूंह से आफताब अहमद, पुन्हाना से मोहम्मद इलियास, महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह और बरौदा से इंदुराज भालू का नाम पैनल में रखा गया है। अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट से मौजूदा विधायक शैली चौधरी और फरीदाबाद एनआईटी के मौजूदा एमएलए नीरज शर्मा का टिकट भी लगभग फाइनल है। इसके अलावा बादली से कुलदीप वत्स की भी टिकट तय मानी जा रही है। कुलदीप वत्स हुड्डा के करीबी हैं। हालांकि उनके सामने दावेदारी ठोकने वाले सोमबीर घसोला भी प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं। मुलाना सीट पर क्या वरुण की चलेगी?, पंचकूला से चंद्रमोहन लगभग तय
अंबाला जिले की मुलाना सीट के पूर्व विधायक और अब सांसद वरुण चौधरी ने भी यहां के उम्मीदवार पर नजर रखी हुई है। यहां वरुण चौधरी की पत्नी पूजा चौधरी या फिर उनकी बहन को टिकट मिलने की भी संभावना है। हालांकि उनके परिवार से किसी ने टिकट के लिए अप्लाई नहीं किया है। यहां वरूण की चलेगी या नहीं, इसको लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसी तरह पंचकूला विधानसभा सीट पर पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई का टिकट भी तकरीबन-तकरीबन फाइनल है। पिछला चुनाव हार चुके चार चेहरों के टिकट भी पक्के
कांग्रेस 2019 का विधानसभा चुनाव हार चुके अपने 4 नेताओं को भी इस बार फिर टिकट देने जा रही है। इनमें थानेसर सीट से अशोक अरोड़ा, पलवल से करण सिंह दलाल, फरीदाबाद से लखन सिंगला और बड़खल से चौधरी विजय प्रताप सिंह के नाम शामिल हैं। 2019 में अशोक अरोड़ा BJP के सुभाष सुधा से महज 819 वोट से हार गए थे। अशोक अरोड़ा 2014 में भी थानेसर सीट पर सुभाष सुधा से हार गए थे। हालांकि तब वह इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के टिकट पर मैदान में उतरे थे। अशोक अरोड़ा INLD के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और 2019 के चुनाव से पहले ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह थानेसर से ही 2009, 2000 और 1996 में विधायक रह चुके हैं।बड़खल सीट पर चौधरी विजय प्रताप भाजपा की सीमा त्रिखा के सामने 2545 वोट से मात खा गए थे। करण सिंह दलाल को भाजपा के दीपक मंगला और लखन सिंगला को भाजपा के ही नरेंद्र गुप्ता ने हराया था। करण सिंह दलाल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में वह फरीदाबाद सीट से पार्टी टिकट के दावेदार थे लेकिन कांग्रेस ने महेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतार दिया था। करण सिंह दलाल वर्ष 1991, 1996, 2000, 2005 और 2014 में पलवल से ही विधायक रह चुके हैं। बड़खल से चौधरी विजय प्रताप सिंह का नाम सिंगल पैनल में है। वह पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे हैं जो हाल में हुए लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद संसदीय सीट पर भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर से हार गए थे। 2019 में कांग्रेस ने महेंद्र प्रताप सिंह की जगह उनके बेटे विजय प्रताप सिंह को टिकट दिया था लेकिन वह लगभग ढाई हजार वोटों से भाजपा की सीमा त्रिखा से हार गए। कांग्रेस ने फरीदाबाद सीट से लखन सिंगला का नाम पैनल में रखा है। सिंगला वैश्य बिरादरी का बड़ा नाम है और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं। महम से इस बार दांगी के बेटे का नाम
रोहतक जिले की महम सीट से 2019 में आनंद सिंह दांगी ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। तब वह निर्दलीय कैंडिडेट बलराज कुंडू से हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने आनंद सिंह दांगी की जगह महम सीट से उनके बेटे बलराम दांगी का नाम पैनल में रखा है। दांगी फैमिली हुड्डा की कट्टर समर्थक है। बलराम दांगी ने ही कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में आवेदन किया है। आनंद सिंह दांगी भी अपने बेटे को ही उम्मीदवार बनाना चाहते हैं और इसके बारे में कई बार स्टेज से भी कह चुके हैं। महम से कांग्रेस का सबसे मजबूत उम्मीदवार इन्हें ही माना जा रहा है। हालांकि इलाके की कई पंचायतों के सरपंच दांगी फैमिली को टिकट देने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इसे लेकर कांग्रेस नेतृत्व, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा को लेटर भी लिखा है। कांग्रेस में 90 टिकटों के लिए 2556 आवेदन
कांग्रेस ने जुलाई महीने में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं से टिकट के लिए आवेदन मांगे थे। तकरीबन महीनेभर चली प्रक्रिया में पार्टी को 90 सीटों के लिए 2556 आवेदन मिले। कई सीटों पर तो 40 से ज्यादा दावेदारों ने टिकट के लिए अप्लाई किया। इसी वजह से टिकट के लिए एक या दो नाम शॉर्टलिस्ट करना पार्टी नेताओं के लिए सिरदर्दी बन गया है।
जींद में शिक्षक ने छात्रा को पीटा:नई ड्रेस पहनकर नहीं गई स्कूल; मां बोली- बीमारी के कारण नहीं ले पाई ड्रेस
जींद में शिक्षक ने छात्रा को पीटा:नई ड्रेस पहनकर नहीं गई स्कूल; मां बोली- बीमारी के कारण नहीं ले पाई ड्रेस जींद जिले के एक स्कूल में ड्रेस पहनकर नहीं पहुंचने पर शिक्षक ने 5वीं की छात्रा की पिटाई कर दी। मामला सफीदों क्षेत्र के मुआना गांव के राजकीय प्राइमरी स्कूल का है। परिजनों ने इस मामले में ब्लाक शिक्षा अधिकारी से शिकायत की है। छात्रा की मां केलो देवी ने बताया कि स्कूल में कुछ समय पहले ही ड्रेस चेंज की गई थी। करीब 2 महीने पहले उसके पति की मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद परिवार में कोई कमाने वाला नहीं रहा। वह भी काफी समय से बीमार है और ठीक से चलने फिरने की स्थिति में नहीं है। इस कारण वह अपनी बेटी की हाल ही में नई ड्रेस को सिलवा ना सकी। नई ड्रेस नहीं पहनने पर पीटा केलो ने कहा कि उसकी बेटी पहले वाली ही ड्रेस पहनकर स्कूल में जा रही थी। इसको लेकर उसकी बेटी को स्कूल में लगातार परेशान किया जा रहा था। पिछले चार दिन से उसकी बेटी को क्लास में पीटा जा रहा था। पांचवें दिन बेटी ने घर आकर रोते-रोते सारी बातें बताई। उसकी छोटी सी बेटी को हाथों पर मारा गया था और उसके हाथ लाल हुए पड़े थे। स्कूल में नहीं हैं कई सुविधाएं छात्रा के चचेरे भाई पवन ने बताया कि बच्ची के सिर से पिता का साया उठ चुका है और मां बीमार है। परिवार की माली हालत बेहद खस्ता है। ऐसे में एक बच्ची को तंग करना कहां तक न्यायोचित है। पवन ने कहा कि वह स्कूल में जाकर टीचर से मिला था, लेकिन वहां उससे भी अभद्रता की गई। पवन का आरोप ये भी है कि स्कूल में बच्चों के लिए पीने का पानी, शौचालय, स्वच्छता की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। प्रिंसिपल ने की परिजनों से बात परिवार का कहना था कि उन्होंने बीईओ सफीदों को इस संबंध में शिकायत दी थी, लेकिन वहां से कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में बीईओ सुरेश मलिक का कहना है शिकायत मिलने पर प्रिंसिपल से बात की थी। जिसके बाद प्रिंसिपल ने परिजनों को बुलाकर मामले का समाधान करके उन्हें संतुष्ट किया है।