KGMU के लारी कार्डियोलॉजी में इलाज कराना आसान नहीं है। सोमवार को मरीज का हाथ जोड़कर इलाज करने के लिए गुहार लगाने का वीडियो सामने आया था, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। यहां मरीजों का सिस्टम की लापरवाही का शिकार होने कोई नई बात नहीं है। मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन आधी रात को ऑक्सीजन के सहारे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता। लारी कार्डियॉलजी में सुबह पर्चा बनवाने के लिए लोगों को एक दिन पहले आना पड़ता है। काउंटर पर रोज महज 100 पर्चे बनते हैं। इसके लिए लोग रात में ही पहुंच जाते हैं। काउंटर के सामने ही चटाई-बिछौना बिछाकर सोते हैं, ताकि सुबह काउंटर खुलने पर पर्चा बनवा सकें। खुले में रात गुजारनी पड़ती है और कुत्ते भी वहीं घूमते रहते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लारी विभाग की असल कहानी जानने के लिए एक रात गुजारी। जहां इलाज की कमी और डॉक्टरों की संवेदनहीनता के बीच मरीजों और परिजनों को तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता है। पहले देखें ये तीन तस्वीरें… पढ़ते हैं मंगलवार रात को क्या-क्या हुआ… शिवा बोले- पिता की हालत गंभीर, डॉक्टर ने सुबह आने को कहा लखीमपुर खीरी से शिवा श्रीवास्तव अपने पिता को लेकर KGMU के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में पहुंचे। शिवा ने बताया, उनके पिता की हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि सुबह ओपीडी में दिखाना। पूरी रात उन्हें कार में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। ठंड में हम बाहर ही बैठे रहे। शिवा ने बताया- हेल्पलाइन पर मदद मांगी तो जवाब मिला कि रात में कोई सहायता नहीं हो सकती। मैंने देखा, मेरे सामने किसी डॉक्टर का फोन आया और 5 मिनट में मरीज भर्ती कर लिया गया। लेकिन हमें कहा गया कि सुबह आओ। समीर बोले- आयुष्मान कार्ड दिखावा लखीमपुर खीरी के समीर अपने पिता छोटे मियां को लेकर लारी विभाग पहुंचे। समीर की आंखों में बेबसी साफ नजर आई। समीर ने कहा- डॉक्टरों ने इलाज के लिए 70-80 हजार रुपए मांगे। मैंने कहा कि मेरे पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। थोड़ी देर के लिए भर्ती किया और फिर बाहर कर दिया। अगर पैसे होते तो शायद इलाज हो जाता। सरकार की आयुष्मान योजना गरीबों के लिए राहत होनी चाहिए थी, लेकिन लारी विभाग में यह सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आती है। अकील बोले- परिजनों की हो रही दुर्दशा सीतापुर के अकील ने बताया कि उनके मामा को भर्ती कर लिया गया है। इलाज तो चल रहा है, लेकिन परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ठंड में हम कहां जाएं? अस्पताल के बाहर गंदगी, कुत्तों की भरमार और बैठने तक की जगह नहीं है। अकील ने कहा- रातभर परिजनों को टिन शेड और खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है। ठंड से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अस्पताल के बाहर छज्जों के नीचे सोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। डॉक्टरों को पुकारो तो भी सुनते नहीं शिवा श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर मरीजों की पुकार अनसुनी कर देते हैं। डॉक्टर सुनते ही नहीं। 5-7 बार पुकारो, तो शायद जवाब देंगे। जब मैंने अपने पिता की हालत के बारे में पूछा, तो उन्होंने कुछ बताया भी नहीं। बस यह कहा कि सुबह ओपीडी में आओ। मरीजों और परिजनों के लिए नहीं कोई इंतजाम एक तीमारदार ने कहा- लारी कार्डियोलॉजी विभाग में न तो मरीजों के परिजनों के लिए ठंड से बचने की व्यवस्था है और न ही रात में इमरजेंसी इलाज की सुविधा। ओपीडी के काउंटर और टिन शेड के नीचे लोग रात गुजारने को मजबूर हैं। यहां हर जगह गंदगी है। तीमारदारों के बीच कुत्ते घूमते हैं। हमारे लिए यहां मरने जैसा हाल है। गंदगी और कुत्तों की समस्या, सरकारी लापरवाही की मिसाल एक परिजन ने कहा- लारी विभाग का परिसर गंदगी से भरा हुआ है। मरीज और उनके परिजन जहां बैठे हैं, वहां कुत्तों का डर बना रहता है। अस्पताल में सफाई का कोई ध्यान नहीं। जो जगह हमें आराम के लिए मिलती है, वहां गंदगी और कुत्ते हमारे साथ रहते हैं। क्यों बदहाल है KGMU का लारी विभाग? लारी कार्डियोलॉजी विभाग एशिया का सबसे बड़ा हृदय रोग केंद्र है। इसके बावजूद, यहां मरीजों और उनके परिजनों की दुर्दशा इस बात की गवाही देती है कि व्यवस्थाएं बदहाल हैं। प्रमुख समस्याएं जो देखने को मिली आयुष्मान योजना का क्रियान्वयन: कार्ड न होने पर मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है। आयुष्मान योजनाओं के अंतर्गत आने वाली सुविधाएं और उनके कार्ड का प्रयोग कैसे किया जाता है। इसकी भी जानकारी नहीं दी जाती है। डॉक्टरों का रवैया: मरीजों की पुकार अनसुनी कर दी जाती है। मरीज के परिजन मरीज की बीमारी को लेकर कोई बात कहते हैं। तब डॉक्टर तुरन्त सुनने की बजाय इग्नोर कर देते हैं। परिजनों के लिए कोई इंतजाम नहीं: ठंड में खुले में बैठने और सोने को मजबूर। अस्पताल परिसर में सफाई और सुरक्षा का अभाव। KGMU के लारी कार्डियोलॉजी में इलाज कराना आसान नहीं है। सोमवार को मरीज का हाथ जोड़कर इलाज करने के लिए गुहार लगाने का वीडियो सामने आया था, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। यहां मरीजों का सिस्टम की लापरवाही का शिकार होने कोई नई बात नहीं है। मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन आधी रात को ऑक्सीजन के सहारे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता। लारी कार्डियॉलजी में सुबह पर्चा बनवाने के लिए लोगों को एक दिन पहले आना पड़ता है। काउंटर पर रोज महज 100 पर्चे बनते हैं। इसके लिए लोग रात में ही पहुंच जाते हैं। काउंटर के सामने ही चटाई-बिछौना बिछाकर सोते हैं, ताकि सुबह काउंटर खुलने पर पर्चा बनवा सकें। खुले में रात गुजारनी पड़ती है और कुत्ते भी वहीं घूमते रहते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लारी विभाग की असल कहानी जानने के लिए एक रात गुजारी। जहां इलाज की कमी और डॉक्टरों की संवेदनहीनता के बीच मरीजों और परिजनों को तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता है। पहले देखें ये तीन तस्वीरें… पढ़ते हैं मंगलवार रात को क्या-क्या हुआ… शिवा बोले- पिता की हालत गंभीर, डॉक्टर ने सुबह आने को कहा लखीमपुर खीरी से शिवा श्रीवास्तव अपने पिता को लेकर KGMU के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में पहुंचे। शिवा ने बताया, उनके पिता की हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि सुबह ओपीडी में दिखाना। पूरी रात उन्हें कार में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। ठंड में हम बाहर ही बैठे रहे। शिवा ने बताया- हेल्पलाइन पर मदद मांगी तो जवाब मिला कि रात में कोई सहायता नहीं हो सकती। मैंने देखा, मेरे सामने किसी डॉक्टर का फोन आया और 5 मिनट में मरीज भर्ती कर लिया गया। लेकिन हमें कहा गया कि सुबह आओ। समीर बोले- आयुष्मान कार्ड दिखावा लखीमपुर खीरी के समीर अपने पिता छोटे मियां को लेकर लारी विभाग पहुंचे। समीर की आंखों में बेबसी साफ नजर आई। समीर ने कहा- डॉक्टरों ने इलाज के लिए 70-80 हजार रुपए मांगे। मैंने कहा कि मेरे पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। थोड़ी देर के लिए भर्ती किया और फिर बाहर कर दिया। अगर पैसे होते तो शायद इलाज हो जाता। सरकार की आयुष्मान योजना गरीबों के लिए राहत होनी चाहिए थी, लेकिन लारी विभाग में यह सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आती है। अकील बोले- परिजनों की हो रही दुर्दशा सीतापुर के अकील ने बताया कि उनके मामा को भर्ती कर लिया गया है। इलाज तो चल रहा है, लेकिन परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ठंड में हम कहां जाएं? अस्पताल के बाहर गंदगी, कुत्तों की भरमार और बैठने तक की जगह नहीं है। अकील ने कहा- रातभर परिजनों को टिन शेड और खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है। ठंड से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अस्पताल के बाहर छज्जों के नीचे सोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। डॉक्टरों को पुकारो तो भी सुनते नहीं शिवा श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर मरीजों की पुकार अनसुनी कर देते हैं। डॉक्टर सुनते ही नहीं। 5-7 बार पुकारो, तो शायद जवाब देंगे। जब मैंने अपने पिता की हालत के बारे में पूछा, तो उन्होंने कुछ बताया भी नहीं। बस यह कहा कि सुबह ओपीडी में आओ। मरीजों और परिजनों के लिए नहीं कोई इंतजाम एक तीमारदार ने कहा- लारी कार्डियोलॉजी विभाग में न तो मरीजों के परिजनों के लिए ठंड से बचने की व्यवस्था है और न ही रात में इमरजेंसी इलाज की सुविधा। ओपीडी के काउंटर और टिन शेड के नीचे लोग रात गुजारने को मजबूर हैं। यहां हर जगह गंदगी है। तीमारदारों के बीच कुत्ते घूमते हैं। हमारे लिए यहां मरने जैसा हाल है। गंदगी और कुत्तों की समस्या, सरकारी लापरवाही की मिसाल एक परिजन ने कहा- लारी विभाग का परिसर गंदगी से भरा हुआ है। मरीज और उनके परिजन जहां बैठे हैं, वहां कुत्तों का डर बना रहता है। अस्पताल में सफाई का कोई ध्यान नहीं। जो जगह हमें आराम के लिए मिलती है, वहां गंदगी और कुत्ते हमारे साथ रहते हैं। क्यों बदहाल है KGMU का लारी विभाग? लारी कार्डियोलॉजी विभाग एशिया का सबसे बड़ा हृदय रोग केंद्र है। इसके बावजूद, यहां मरीजों और उनके परिजनों की दुर्दशा इस बात की गवाही देती है कि व्यवस्थाएं बदहाल हैं। प्रमुख समस्याएं जो देखने को मिली आयुष्मान योजना का क्रियान्वयन: कार्ड न होने पर मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है। आयुष्मान योजनाओं के अंतर्गत आने वाली सुविधाएं और उनके कार्ड का प्रयोग कैसे किया जाता है। इसकी भी जानकारी नहीं दी जाती है। डॉक्टरों का रवैया: मरीजों की पुकार अनसुनी कर दी जाती है। मरीज के परिजन मरीज की बीमारी को लेकर कोई बात कहते हैं। तब डॉक्टर तुरन्त सुनने की बजाय इग्नोर कर देते हैं। परिजनों के लिए कोई इंतजाम नहीं: ठंड में खुले में बैठने और सोने को मजबूर। अस्पताल परिसर में सफाई और सुरक्षा का अभाव। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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मुंबई के JJ शूटआउट मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, फरार शूटर 32 साल बाद गिरफ्तार
मुंबई के JJ शूटआउट मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, फरार शूटर 32 साल बाद गिरफ्तार <p style=”text-align: justify;”><strong>Mumbai JJ Shootout Case:</strong> मुंबई के जेजे अस्पताल शूटआउट मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. इस मामले में करीब 32 साल बाद फरार शूटर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी शूटर का नाम त्रिभुवन सिंह उर्फ प्रधान उर्फ श्रीपति श्रीकांत राई है. इसकी उम्र करीब 62 साल है. पुलिस ने इस आरोपी शूटर को उत्तर प्रदेश से दबोचा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह शूटआउट 12 सितंबर 1992 में हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी. पुलिस सूत्रों ने बताया कि शूटर त्रिभुवन सिंह भी उस समय वहां मौजूद था, जब JJ शूटआउट हुआ था. जानकारी के मुताबिक त्रिभुवन सिंह उर्फ प्रधान ने भी AK 47 से कई गोलियां दागी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अरुण गवली गैंग के हलदनकर की हुई थी हत्या</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस शूटआउट में 500 गोलियां चलाई गईं थी और भारत मे पहली बार AK 47 का इस्तेमाल किसी भी गैंगस्टर की ओर किया गया था. यह शूटआउट अरुण गवली गैंग के मेंबर शैलेश हलदनकर को मारने के लिए किया गया था, जिसमें उसकी मौत हुई थी. इसके साथ ही दो पुलिसकर्मी जो हलदनकर की सुरक्षा में पहरा दे रहे थे, उनकी भी मौत हो गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि हलदनकर की हत्या गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी, जिसकी कुछ दिन पहले गवली गिरोह ने हत्या कर दी थी.</p>
Delhi Twin Baby Murder: बेटा न होने से था गम का माहौल, बाप ने जुड़वा बेटियों की कर दी हत्या
Delhi Twin Baby Murder: बेटा न होने से था गम का माहौल, बाप ने जुड़वा बेटियों की कर दी हत्या <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Twins Girls Murder:</strong> बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के दौर में देश की राजधानी दिल्ली को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. घटना यह है कि एक परिवार ने दो नवजात बच्चियों को सिर्फ इसलिए मार डाला कि महिला ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दे दिया. इस बात से महिला का पति और उसके घरवाले इतने नाराज हुए कि जुड़वा बच्चियों का इस दुनिया में आते ही उसकी हत्या कर दी. इतना ही नहीं, सभी मिलकर दोनों बच्चियों के शव को दफना भी दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जब पीड़ित महिला इलाज के बाद होश में आई तो उसने अपने बच्चियों के बारे ने पूछताछ की. इस पर उसके पति ने पहले तो बहाना बनाया. फिर अपनी पत्नी से झूठ बोला कि दोनों बीमार होने की मर गई. मां और उसके मायके वालों को इस पर शक हुआ. उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिस से की. </p>
<p style=”text-align: justify;”>शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई. पुलिस ने अदालत से इजाजत लेकर दफना दिए बच्चों के शव को बाहर निकाला. उसके बाद पुलिस ने मुदकमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार करने में जुटी है. पुलिस आरोपियों तक पहुंचने के लिए दबिश दे रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक नवजात बच्चियों की मां हरियाणा के रोहतक की रहने वाली है. दर्ज एफआईआर के मुताबिक महिला की शादी साल 2022 में बाहरी दिल्ली के पूठ कलां में रहने वाले एक शख्स से हुई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बच्चियों की मां के अनुसार शादी के बाद से उसे ससुराल वालों ने दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया था. ससुराल वाले चाहते थे कि वह बेटे को जन्म दे, लेकिन हुआ इसके उलट. महिला ने जुड़वा बेटी को जन्म दिया इस बात से परिवार के लोग असंतुष्ट थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>परिजन नहीं चाहते थे कि बच्चा बेटी हो</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस की एफआईआर के मुताबिक महिला के गर्भवती होने के बाद उसे लिंग परीक्षण के लिए परेशान किए जाने लगा. महिला ने हाल ही में दो लड़कियों को जन्म दिया. इसके बाद पति के परिवार के लोग बच्चियों को अपने साथ ले गए और वादा किया कि वो बच्चों का अच्छे से ध्यान रखेंगे. प्रसव का इलाज के बाद जब महिला ने नवजात शिशुओं के बारे में पूछा, तो पति ने कथित तौर पर बहाने बनाए और बाद में कहा कि वे बीमारी से मर गई, लेकिन परिवार वाले सच को छुपा नहीं सके. शक होने पर महिला ने पुलिस से शिकायत की और जांच में पता चला कि नवजात बच्चियों को हत्या कर उसके परिवार वाले उसे दफना चुके हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहता है आईपीसी की धारा 315? </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>भारतीय दंड संहिता की धारा 315 के अनुसार शिशु हत्या ( एक साल तक बच्चे की हत्या) गैर जमानती अपराध है. इसके दोषी को दस साल की सजा आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार जीरो से छह वर्ष तक के बच्चों की कुल आबादी 15.88 करोड़ है. 2001 में भारत में छह साल तक की बच्चियों की संख्या 78.8 मिलियन थी, जो 2011 में घटकर 75.8 मिलियन हो गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>
Bihar News: मधुबनी के झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर 13 नवंबर से शुरू होगा परिचालन, PM मोदी करेंगे उद्घाटन
Bihar News: मधुबनी के झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर 13 नवंबर से शुरू होगा परिचालन, PM मोदी करेंगे उद्घाटन <p style=”text-align: justify;”><strong>Jhanjharpur Laukha railway Line:</strong> मधुबनी जिले के झंझारपुर-लौकहा रेलखंड का उद्घाटन 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस लंबे समय से प्रतीक्षित रेल सेवा की शुरुआत से क्षेत्र के लोगों में उत्साह और खुशी की लहर दौड़ गई है. आठ सालों से इस परियोजना के अधूरे रहने से लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अब इस रेल खंड के शुरू होने से विद्यार्थियों, किसानों और आम लोगों में प्रसन्नता है, वहीं व्यापारियों के लिए भी राहत का समय आ गया है. इसके साथ ही घोघरडीहा स्टेशन पर सहरसा-आनंद विहार-सहरसा विशेष गाड़ी का ठहराव भी होगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>13 नवंबर से शुरू होगा परिचालन </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आगामी 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे के दौरान रिमोट के जरिए इसका उद्घाटन करेंगे. रेलवे ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक 13 नवंबर को नरेंद्र मोदी दरभंगा में एम्स का शिलान्यास करेंगे और विशाल जनसभा को संबोधित भी करेंगे. इसी कार्यक्रम के दौरान ही झंझारपुर-लौकहा रेलखंड का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोकार्पण और ट्रेन के परिचालन का उद्घाटन करेंगे. झंझारपुर-लौकहा रेलखंड के लोकार्पण और उद्घाटनके लिए कार्यक्रम स्थल झंझारपुर जंक्शन होगा. झंझारपुर के टीआई एवं सीसीआई ने शनिवार को लौकहा एवं खुटौना जाकर वंहा के कम्प्यूटर से एक-एक टिकट निकालकर टिकट काउंटर का परीक्षण भी किया. टीआई हरीश कुमार ने बताया कि ट्रेन परिचालन शुरू होने से पहले यह सब तैयारी का एक हिस्सा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहते हैं स्थानीय निवासी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>झंझारपुर-लौकहा रेल खंड के शुरू होने को लेकर स्थानीय खुटौना निवासी ने कहा कि इस रेल खंड पर जब जॉर्ज फर्नांडिस देश के रक्षा मंत्री थे, उस समय ही उनके एवं नीतीश कुमार के जरिए 2017 में इसे आमान परिवर्तन के लिए बंद किया गया था. इस रेल खंड पर मेगा ब्लॉक भी लगाया गया था. इस रेल खंड को बड़ी लाइन में बदलने और विद्युतीकरण करने के कारण, इसकी सेवा करीब 7 साल से अधिक तक बंद रही. वर्तमान समय में चीन और नेपाल से बहुत अच्छे संबंध न होने के बाबजूद इसे क्यों अभी तक अनदेखा किया गया ये समझ से परे हैं. इंडो नेपाल बॉर्डर पर अवस्थित ये रेलखंड सामरिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उद्घाटन का दिन निश्चित करने के बाद स्थानीय रेल प्रशासन के जरिए इसे टाल देने से स्थानीय निवासी काफी नाराज भी हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय सांसद और रेल विभाग मिलकर अविलंब इसको चालू करें नहीं तो जनता आंदोलन कर सकती है. उन्होंने कहा कि झंझारपुर-लौकहा रेल सेवा के 13 नवंबर को प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> के जरिए शुरू होने की बात कही जा रही है, इसका शुरू होना काफी सुखद होगा. इसको लेकर क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> विशेष गाड़ियों का होगा ठहराव</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि कुछ दिनों पूर्व ही झंझारपुर-लौकहा रेल खंड का उद्घाटन होना निश्चित हुआ था. जिसके बाद रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से गाड़ी संख्या 04031/04032 सहरसा-आनंद विहार-सहरसा विशेष गाड़ी का ठहराव झंझारपुर-निर्मली रेल खण्ड अंतर्गत घोघरडीहा स्टेशन पर प्रदान करने का निर्णय लिया. सहरसा से खुलने वालीं सहरसा-आनंद विहार विशेष गाड़ी संख्या 04031 6 नवंबर 2024 से प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, बुधवार, शुक्रवार एवं रविवार को घोघरडीहा स्टेशन पर दोपहर 2:50 बजे आगमन तथा 2:52 बजे प्रस्थान निश्चित किया गया. वहीं गाड़ी संख्या 04032 आनंद विहार-सहरसा विशेष गाड़ी 8 नवंबर 2024 से घोघरडीहा स्टेशन पर प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, बुधवार, शुक्रवार एवं रविवार को सुबह 6:45 बजे आगमन तथा 6:47 बजे प्रस्थान करेगी.</p>