आगरा की श्रीराम पूड़ी…लोग लेते हैं चटखारा:सिर्फ 2 घंटे के लिए बंद होती है दुकान, छौंकी मिर्च के साथ मिलता है स्वाद बेमिसाल

आगरा की श्रीराम पूड़ी…लोग लेते हैं चटखारा:सिर्फ 2 घंटे के लिए बंद होती है दुकान, छौंकी मिर्च के साथ मिलता है स्वाद बेमिसाल

25 रुपए में 5 पूड़ी…वो भी छौंकी हुई हरी मिर्च के साथ। इतने रुपए में पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं। आलू की रसीली सब्जी के साथ पूड़ी खाने वालों का कहना है कि मन करता है कि खाए जाओ…बस खाए जाओ। जी हां, ऐसा ही श्रीराम पूड़ी वाले की पूड़ी का स्वाद। ये स्वाद 40 साल से वैसा ही बना हुआ है। तभी तो सुबह से देर रात तक पूड़ी खाने वालों की यहां लाइन लगी रहती है। जायका सीरीज में आपको लिए चलते हैं आगरा के श्रीराम पूड़ी वाले के पास, जहां का टेस्ट बेहद खास है। पूड़ी-सब्जी के बेजोड़ स्वाद को और करीब से जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम आगरा की फेमस श्रीराम पूड़ी की दुकान पर पहुंची। यहां हमारी मुलाकात प्रमोद खंडेलवाल से हुई। ​​​​​​वह बताते हैं कि हमारी दुकान बस स्टैंड के पास है। इसलिए 24 में से सिर्फ 2 घंटे के लिए ही बंद होती है। अब दुकान की 2 ब्रांच, 2 पेठे के स्टोर और 3 होटल तक पहुंच गई है। 80 के दशक में शुरू हुई थी दुकान
बात शुरू होती है 80 के दशक से। श्रीराम चंद खंडेलवाल ने बिजलीघर चौराहा पर आलू की सब्जी-पूड़ी बेचने का काम शुरू किया था। यहां पुराना बस स्टैंड होने के कारण 24 घंटे भीड़ रहती थी। तब 5 रुपए की 6 पूड़ी मिलती थी। 8 रुपए में तो पूरी थाली मिल जाती थी। इसमें 6 पूड़ी के साथ 2 सब्जी, रायता और एक मिठाई का पीस रहता था। ISBT पर भी खोली दुकान
श्रीराम चंद खंडेलवाल तो अब इस दुनिया में रहे नहीं, लेकिन उनकी तीसरी पीढ़ी ने खंडेलवाल जी के दिए स्वाद को आज भी बरकरार रखा है। श्रीराम चंद के बेटे प्रमोद खंडेलवाल बताते हैं- हमने स्वाद और क्वालिटी से कभी कोई समझौता नहीं किया। बिजलीघर चौराहे के साथ ही ISBT पर भी श्रीराम पूड़ी मिलती है। क्या है रेट
इस समय 25 रुपए की 5 पूड़ी मिलती है। वहीं, थाली 70 रुपए में मिलती है। थाली में चार पूड़ी, दो सब्जी, अचार, रायता और एक मिठाई का पीस रहता है। मगर, सबसे अधिक 25 रुपए की 5 पूड़ी खाने वालों की भीड़ रहती है। सुबह से रात तक भीड़
श्रीराम पूड़ी वाले की बिजलीघर चौराहा और ISBT दोनों ब्रांच पर सुबह से देर रात तक भीड़ रहती है। दुकान सुबह 5 बजे खुल जाती है। रात 3 बजे तक यहां पूड़ी-सब्जी का स्वाद लिया जा सकता है। 2 घंटे के लिए सिर्फ साफ-सफाई के लिए दुकान बंद होती है।
ताजी बनती रहती है सब्जी
ऐसा नहीं कि सब्जी एक बार बन गई तो दिनभर वही चलेगी। दोनों ब्रांच पर बिक्री इस कदर होती है कि एक भगौना सब्जी बमुश्किल 2 घंटे ही चल पाती है। यानी हर 2 घंटे पर बड़ा भगौना भरकर सब्जी तैयार होती है। प्रमोद खंडेलवाल बताते हैं कि सब्जी बनाने में वह भी हाथ बंटाते हैं। तीसरी पीढ़ी ने संभाला काम
27 वर्षीय आशु खंडेलवाल भी अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे भी पूरी शिद्दत से पूड़ी कारोबार में हाथ बंटाते हैं। कहते हैं, दादू ने जो पौधा रोपा था, वो आज वटवृक्ष बन चुका है। हमारे यहां शुद्धता का 100% ध्यान रखा जाता है। अब जानिए, इस जायके के बारे में लोगों ने क्या कहा… आप ‘जायका यूपी का’ सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं… 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर… 2. बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर… 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे ‘दौलत की चाट’ कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे ‘मलइयो’ नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये ‘मक्खन-मलाई’ बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर… 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर… 25 रुपए में 5 पूड़ी…वो भी छौंकी हुई हरी मिर्च के साथ। इतने रुपए में पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं। आलू की रसीली सब्जी के साथ पूड़ी खाने वालों का कहना है कि मन करता है कि खाए जाओ…बस खाए जाओ। जी हां, ऐसा ही श्रीराम पूड़ी वाले की पूड़ी का स्वाद। ये स्वाद 40 साल से वैसा ही बना हुआ है। तभी तो सुबह से देर रात तक पूड़ी खाने वालों की यहां लाइन लगी रहती है। जायका सीरीज में आपको लिए चलते हैं आगरा के श्रीराम पूड़ी वाले के पास, जहां का टेस्ट बेहद खास है। पूड़ी-सब्जी के बेजोड़ स्वाद को और करीब से जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम आगरा की फेमस श्रीराम पूड़ी की दुकान पर पहुंची। यहां हमारी मुलाकात प्रमोद खंडेलवाल से हुई। ​​​​​​वह बताते हैं कि हमारी दुकान बस स्टैंड के पास है। इसलिए 24 में से सिर्फ 2 घंटे के लिए ही बंद होती है। अब दुकान की 2 ब्रांच, 2 पेठे के स्टोर और 3 होटल तक पहुंच गई है। 80 के दशक में शुरू हुई थी दुकान
बात शुरू होती है 80 के दशक से। श्रीराम चंद खंडेलवाल ने बिजलीघर चौराहा पर आलू की सब्जी-पूड़ी बेचने का काम शुरू किया था। यहां पुराना बस स्टैंड होने के कारण 24 घंटे भीड़ रहती थी। तब 5 रुपए की 6 पूड़ी मिलती थी। 8 रुपए में तो पूरी थाली मिल जाती थी। इसमें 6 पूड़ी के साथ 2 सब्जी, रायता और एक मिठाई का पीस रहता था। ISBT पर भी खोली दुकान
श्रीराम चंद खंडेलवाल तो अब इस दुनिया में रहे नहीं, लेकिन उनकी तीसरी पीढ़ी ने खंडेलवाल जी के दिए स्वाद को आज भी बरकरार रखा है। श्रीराम चंद के बेटे प्रमोद खंडेलवाल बताते हैं- हमने स्वाद और क्वालिटी से कभी कोई समझौता नहीं किया। बिजलीघर चौराहे के साथ ही ISBT पर भी श्रीराम पूड़ी मिलती है। क्या है रेट
इस समय 25 रुपए की 5 पूड़ी मिलती है। वहीं, थाली 70 रुपए में मिलती है। थाली में चार पूड़ी, दो सब्जी, अचार, रायता और एक मिठाई का पीस रहता है। मगर, सबसे अधिक 25 रुपए की 5 पूड़ी खाने वालों की भीड़ रहती है। सुबह से रात तक भीड़
श्रीराम पूड़ी वाले की बिजलीघर चौराहा और ISBT दोनों ब्रांच पर सुबह से देर रात तक भीड़ रहती है। दुकान सुबह 5 बजे खुल जाती है। रात 3 बजे तक यहां पूड़ी-सब्जी का स्वाद लिया जा सकता है। 2 घंटे के लिए सिर्फ साफ-सफाई के लिए दुकान बंद होती है।
ताजी बनती रहती है सब्जी
ऐसा नहीं कि सब्जी एक बार बन गई तो दिनभर वही चलेगी। दोनों ब्रांच पर बिक्री इस कदर होती है कि एक भगौना सब्जी बमुश्किल 2 घंटे ही चल पाती है। यानी हर 2 घंटे पर बड़ा भगौना भरकर सब्जी तैयार होती है। प्रमोद खंडेलवाल बताते हैं कि सब्जी बनाने में वह भी हाथ बंटाते हैं। तीसरी पीढ़ी ने संभाला काम
27 वर्षीय आशु खंडेलवाल भी अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे भी पूरी शिद्दत से पूड़ी कारोबार में हाथ बंटाते हैं। कहते हैं, दादू ने जो पौधा रोपा था, वो आज वटवृक्ष बन चुका है। हमारे यहां शुद्धता का 100% ध्यान रखा जाता है। अब जानिए, इस जायके के बारे में लोगों ने क्या कहा… आप ‘जायका यूपी का’ सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं… 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर… 2. बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर… 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे ‘दौलत की चाट’ कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे ‘मलइयो’ नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये ‘मक्खन-मलाई’ बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर… 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर