KGMU के लारी कार्डियोलॉजी में इलाज कराना आसान नहीं है। सोमवार को मरीज का हाथ जोड़कर इलाज करने के लिए गुहार लगाने का वीडियो सामने आया था, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। यहां मरीजों का सिस्टम की लापरवाही का शिकार होने कोई नई बात नहीं है। मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन आधी रात को ऑक्सीजन के सहारे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता। लारी कार्डियॉलजी में सुबह पर्चा बनवाने के लिए लोगों को एक दिन पहले आना पड़ता है। काउंटर पर रोज महज 100 पर्चे बनते हैं। इसके लिए लोग रात में ही पहुंच जाते हैं। काउंटर के सामने ही चटाई-बिछौना बिछाकर सोते हैं, ताकि सुबह काउंटर खुलने पर पर्चा बनवा सकें। खुले में रात गुजारनी पड़ती है और कुत्ते भी वहीं घूमते रहते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लारी विभाग की असल कहानी जानने के लिए एक रात गुजारी। जहां इलाज की कमी और डॉक्टरों की संवेदनहीनता के बीच मरीजों और परिजनों को तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता है। पहले देखें ये तीन तस्वीरें… पढ़ते हैं मंगलवार रात को क्या-क्या हुआ… शिवा बोले- पिता की हालत गंभीर, डॉक्टर ने सुबह आने को कहा लखीमपुर खीरी से शिवा श्रीवास्तव अपने पिता को लेकर KGMU के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में पहुंचे। शिवा ने बताया, उनके पिता की हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि सुबह ओपीडी में दिखाना। पूरी रात उन्हें कार में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। ठंड में हम बाहर ही बैठे रहे। शिवा ने बताया- हेल्पलाइन पर मदद मांगी तो जवाब मिला कि रात में कोई सहायता नहीं हो सकती। मैंने देखा, मेरे सामने किसी डॉक्टर का फोन आया और 5 मिनट में मरीज भर्ती कर लिया गया। लेकिन हमें कहा गया कि सुबह आओ। समीर बोले- आयुष्मान कार्ड दिखावा लखीमपुर खीरी के समीर अपने पिता छोटे मियां को लेकर लारी विभाग पहुंचे। समीर की आंखों में बेबसी साफ नजर आई। समीर ने कहा- डॉक्टरों ने इलाज के लिए 70-80 हजार रुपए मांगे। मैंने कहा कि मेरे पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। थोड़ी देर के लिए भर्ती किया और फिर बाहर कर दिया। अगर पैसे होते तो शायद इलाज हो जाता। सरकार की आयुष्मान योजना गरीबों के लिए राहत होनी चाहिए थी, लेकिन लारी विभाग में यह सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आती है। अकील बोले- परिजनों की हो रही दुर्दशा सीतापुर के अकील ने बताया कि उनके मामा को भर्ती कर लिया गया है। इलाज तो चल रहा है, लेकिन परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ठंड में हम कहां जाएं? अस्पताल के बाहर गंदगी, कुत्तों की भरमार और बैठने तक की जगह नहीं है। अकील ने कहा- रातभर परिजनों को टिन शेड और खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है। ठंड से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अस्पताल के बाहर छज्जों के नीचे सोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। डॉक्टरों को पुकारो तो भी सुनते नहीं शिवा श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर मरीजों की पुकार अनसुनी कर देते हैं। डॉक्टर सुनते ही नहीं। 5-7 बार पुकारो, तो शायद जवाब देंगे। जब मैंने अपने पिता की हालत के बारे में पूछा, तो उन्होंने कुछ बताया भी नहीं। बस यह कहा कि सुबह ओपीडी में आओ। मरीजों और परिजनों के लिए नहीं कोई इंतजाम एक तीमारदार ने कहा- लारी कार्डियोलॉजी विभाग में न तो मरीजों के परिजनों के लिए ठंड से बचने की व्यवस्था है और न ही रात में इमरजेंसी इलाज की सुविधा। ओपीडी के काउंटर और टिन शेड के नीचे लोग रात गुजारने को मजबूर हैं। यहां हर जगह गंदगी है। तीमारदारों के बीच कुत्ते घूमते हैं। हमारे लिए यहां मरने जैसा हाल है। गंदगी और कुत्तों की समस्या, सरकारी लापरवाही की मिसाल एक परिजन ने कहा- लारी विभाग का परिसर गंदगी से भरा हुआ है। मरीज और उनके परिजन जहां बैठे हैं, वहां कुत्तों का डर बना रहता है। अस्पताल में सफाई का कोई ध्यान नहीं। जो जगह हमें आराम के लिए मिलती है, वहां गंदगी और कुत्ते हमारे साथ रहते हैं। क्यों बदहाल है KGMU का लारी विभाग? लारी कार्डियोलॉजी विभाग एशिया का सबसे बड़ा हृदय रोग केंद्र है। इसके बावजूद, यहां मरीजों और उनके परिजनों की दुर्दशा इस बात की गवाही देती है कि व्यवस्थाएं बदहाल हैं। प्रमुख समस्याएं जो देखने को मिली आयुष्मान योजना का क्रियान्वयन: कार्ड न होने पर मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है। आयुष्मान योजनाओं के अंतर्गत आने वाली सुविधाएं और उनके कार्ड का प्रयोग कैसे किया जाता है। इसकी भी जानकारी नहीं दी जाती है। डॉक्टरों का रवैया: मरीजों की पुकार अनसुनी कर दी जाती है। मरीज के परिजन मरीज की बीमारी को लेकर कोई बात कहते हैं। तब डॉक्टर तुरन्त सुनने की बजाय इग्नोर कर देते हैं। परिजनों के लिए कोई इंतजाम नहीं: ठंड में खुले में बैठने और सोने को मजबूर। अस्पताल परिसर में सफाई और सुरक्षा का अभाव। KGMU के लारी कार्डियोलॉजी में इलाज कराना आसान नहीं है। सोमवार को मरीज का हाथ जोड़कर इलाज करने के लिए गुहार लगाने का वीडियो सामने आया था, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। यहां मरीजों का सिस्टम की लापरवाही का शिकार होने कोई नई बात नहीं है। मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन आधी रात को ऑक्सीजन के सहारे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता। लारी कार्डियॉलजी में सुबह पर्चा बनवाने के लिए लोगों को एक दिन पहले आना पड़ता है। काउंटर पर रोज महज 100 पर्चे बनते हैं। इसके लिए लोग रात में ही पहुंच जाते हैं। काउंटर के सामने ही चटाई-बिछौना बिछाकर सोते हैं, ताकि सुबह काउंटर खुलने पर पर्चा बनवा सकें। खुले में रात गुजारनी पड़ती है और कुत्ते भी वहीं घूमते रहते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लारी विभाग की असल कहानी जानने के लिए एक रात गुजारी। जहां इलाज की कमी और डॉक्टरों की संवेदनहीनता के बीच मरीजों और परिजनों को तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता है। पहले देखें ये तीन तस्वीरें… पढ़ते हैं मंगलवार रात को क्या-क्या हुआ… शिवा बोले- पिता की हालत गंभीर, डॉक्टर ने सुबह आने को कहा लखीमपुर खीरी से शिवा श्रीवास्तव अपने पिता को लेकर KGMU के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में पहुंचे। शिवा ने बताया, उनके पिता की हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि सुबह ओपीडी में दिखाना। पूरी रात उन्हें कार में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। ठंड में हम बाहर ही बैठे रहे। शिवा ने बताया- हेल्पलाइन पर मदद मांगी तो जवाब मिला कि रात में कोई सहायता नहीं हो सकती। मैंने देखा, मेरे सामने किसी डॉक्टर का फोन आया और 5 मिनट में मरीज भर्ती कर लिया गया। लेकिन हमें कहा गया कि सुबह आओ। समीर बोले- आयुष्मान कार्ड दिखावा लखीमपुर खीरी के समीर अपने पिता छोटे मियां को लेकर लारी विभाग पहुंचे। समीर की आंखों में बेबसी साफ नजर आई। समीर ने कहा- डॉक्टरों ने इलाज के लिए 70-80 हजार रुपए मांगे। मैंने कहा कि मेरे पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। थोड़ी देर के लिए भर्ती किया और फिर बाहर कर दिया। अगर पैसे होते तो शायद इलाज हो जाता। सरकार की आयुष्मान योजना गरीबों के लिए राहत होनी चाहिए थी, लेकिन लारी विभाग में यह सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आती है। अकील बोले- परिजनों की हो रही दुर्दशा सीतापुर के अकील ने बताया कि उनके मामा को भर्ती कर लिया गया है। इलाज तो चल रहा है, लेकिन परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ठंड में हम कहां जाएं? अस्पताल के बाहर गंदगी, कुत्तों की भरमार और बैठने तक की जगह नहीं है। अकील ने कहा- रातभर परिजनों को टिन शेड और खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है। ठंड से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अस्पताल के बाहर छज्जों के नीचे सोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। डॉक्टरों को पुकारो तो भी सुनते नहीं शिवा श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर मरीजों की पुकार अनसुनी कर देते हैं। डॉक्टर सुनते ही नहीं। 5-7 बार पुकारो, तो शायद जवाब देंगे। जब मैंने अपने पिता की हालत के बारे में पूछा, तो उन्होंने कुछ बताया भी नहीं। बस यह कहा कि सुबह ओपीडी में आओ। मरीजों और परिजनों के लिए नहीं कोई इंतजाम एक तीमारदार ने कहा- लारी कार्डियोलॉजी विभाग में न तो मरीजों के परिजनों के लिए ठंड से बचने की व्यवस्था है और न ही रात में इमरजेंसी इलाज की सुविधा। ओपीडी के काउंटर और टिन शेड के नीचे लोग रात गुजारने को मजबूर हैं। यहां हर जगह गंदगी है। तीमारदारों के बीच कुत्ते घूमते हैं। हमारे लिए यहां मरने जैसा हाल है। गंदगी और कुत्तों की समस्या, सरकारी लापरवाही की मिसाल एक परिजन ने कहा- लारी विभाग का परिसर गंदगी से भरा हुआ है। मरीज और उनके परिजन जहां बैठे हैं, वहां कुत्तों का डर बना रहता है। अस्पताल में सफाई का कोई ध्यान नहीं। जो जगह हमें आराम के लिए मिलती है, वहां गंदगी और कुत्ते हमारे साथ रहते हैं। क्यों बदहाल है KGMU का लारी विभाग? 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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन भाषाओं में एक साथ दिया फैसला:कोर्ट ने गुजारा भत्ता के मामले में परिवार अदालत में जाने की सलाह दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन भाषाओं में एक साथ दिया फैसला:कोर्ट ने गुजारा भत्ता के मामले में परिवार अदालत में जाने की सलाह दी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली बार अंग्रेजी, हिंदी व संस्कृत तीन भाषाओं में एक साथ फैसला सुनाया। इसे कोर्ट की ऐतिहासिक पहल माना गया है। कोर्ट ने कहा कि यदि परिवार अदालत ने धारा 125 सीआरपीसी के तहत अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है तो उस पर अमल होना चाहिए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति शिवशंकर प्रसाद ने श्रीमती कंचन रावत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।याची की शादी 1 दिसंबर 2009 को विपक्षी बैजलाल रावत के साथ हुई। शादी में परिवार ने 7-8 लाख रूपये खर्च किए। किंतु दहेज को लेकर याची को ससुराल में प्रताड़ित किया जाता रहा। एक दिन मजबूर होकर उसे घर छोड़कर मायके आना पड़ा जहां पर उसे 26 नवंबर 11को एक बच्चा गौरव पैदा हुआ।उसने पति से गुजारा भत्ता मांगा। नहीं देने पर परिवार अदालत गाजीपुर में केस दर्ज किया। प्रतिमाह गुजारा भत्ता का दिया आदेश
परिवार अदालत ने धारा 125 में अंतरिम गुजारा भत्ता चार हजार रुपए प्रतिमाह देने का पति को आदेश दिया।जिसका भुगतान किया गया। किंतु बकाया 80 हजार रूपए का भुगतान नहीं किया गया। तो अदालत ने दस हजार रुपए प्रतिमाह बकाया जमा करने का आदेश दिया। जिसका पालन न करने पर भुगतान करने का आदेश जारी करने की मांग में हाईकोर्ट में धारा 482के तहत याचिका दायर की थी। विपक्षी द्वारा याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई। कहा याची को धारा 128मे राहत पाने का अधिकार है। याचिका खारिज की जाए। कोर्ट ने फैसला सुनाया और एक साथ तीन भाषाओं में फैसला सुनाकर मिसाल कायम की है।