उपचुनाव में करारी हार के बाद मायावती ने अपने नेताओं के साथ लखनऊ में बसपा दफ्तर में मंथन किया। बैठक में यूपी और उत्तराखंड के 300 से ज्यादा पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह कि उनके भतीजे और पार्टी के युवा नेता आकाश आनंद नजर नहीं आए। बैठक में उनके नहीं होने पर कई तरह के राजनीतिक सवाल उठ रहे हैं। मायावती ने पार्टी में उनको नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दे रखी है। चुनाव के दौरान भी उन्होंने प्रचार-प्रसार नहीं किया था। जानकारों का कहना है कि फेल्योर से बचाने के लिए मायावती अभी आकाश को इस तरह के चुनाव से दूर रख रही हैं। यह चुनाव भी मायावती ने दलित वोट बैंक को बचाने के लिए लड़ा था। पिछले कुछ चुनावों से लगातार बीएसपी से दलित वोट बैंक दूर जा रहा है। वहीं, बैठक में आज मायावती पहली बार भाजपा पर ज्यादा हमलावर दिखीं। सपा का नाम तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि दलित और अंबेडकरवादी बहुजन को एक होना होगा। सत्ता की मास्टर चाबी पाने के लिए संघर्ष को और ज्यादा मजबूत करना होगा। कांग्रेस की तरह बीजेपी से भी बहुत लोग नाराज हैं। लेकिन, बीजेपी पूंजीपतियों के समर्थन और गरीबी के विरोध में काम कर रही है। इस वजह से लोगों में नाराजगी है। लेकिन, लोगों का ध्यान बांटने के लिए बीजेपी तरह-तरह के नए जातिवादी और सांप्रदायिक हथकंडों का इस्तेमाल करती रहती है। इसका फायदा वह चुनाव में लेती है। अब पढ़िए बैठक में मायावती की कही बड़ी बातें यूपी के लोग गरीबी-बेरोजगारी में जीने को मजबूर
मायावती ने कहा- चुनाव के समय बीजेपी जो वादा करती है, उसे चुनाव के बाद भुला देती है। यूपी सरकार संवैधानिक दायित्वों को निभाने की जगह धर्म को आड़ बनाकर अपनी राजनीति साधने में लगी है। यही वजह है, यूपी के लोग आज गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ेपन में जीने को लगातार मजबूर हैं। चुनाव पर जनता का भरोसा कम हुआ
मायावती ने कहा- चुनाव में धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। पाक-साफ चुनाव कल की तरह आज भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में आम जनता का चुनावी तंत्र पर विश्वास कम हो रहा है। यह संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। संभल और अदानी मामले की वजह से मौजूदा शीतकालीन सत्र नहीं चल पा रहा है। यह गलत है। शीतकालीन सत्र चलना चाहिए। वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही बीजेपी
मायावती ने कहा- बीजेपी वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। इससे क्या वह यूपी के लोगों को खुशी और खुशहाल जीवन दे पा रही है? भीमराव अंबेडकर मानवतावादी और कल्याणकारी संविधान की दुहाई सभी देते हैं, लेकिन संकीर्ण स्वार्थ के कारण कोई भी सरकार इस पर सही से अमल नहीं कर रही है। दलितों और अन्य बहुजनों के वास्तविक हित और कल्याण के लिए कतई तैयार नहीं है, बल्कि दिखावटी कार्य ज्यादा हैं। मायावती ने पूरे प्रदेश में 6 दिसंबर को परिनिर्माण दिवस मनाने की बात कही। इसमें लखनऊ में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटेंगे। हार के बाद मायावती ने कहा था- बसपा नहीं लड़ेगी उपचुनाव
उपचुनाव में करारी हार के बाद मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी अब किसी भी उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। मायावती ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कहा था कि फर्जी वोटिंग के जरिए परिणाम प्रभावित किए गए। जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक बसपा कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी। मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि हाल के उपचुनावों में व्यापक स्तर पर धांधली हुई है। पहले बैलेट पेपर के जरिए फर्जी वोट डाले जाते थे, अब ईवीएम का दुरुपयोग हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक है।” मायावती ने सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों को भी गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव में सत्ता पक्ष ने अनियमितताओं के जरिए जीत हासिल की है। उनका कहना था कि यह सब लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ी बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाजपार्टी मात्र दो सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी। बाकी सात सीटों पर उसके उम्मीदवार सपा और भाजपा के उम्मीदवारों के आसपास भी नजर नहीं आए। दो सीटें तो ऐसी रहीं जहां चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम से भी पीछे रही और पांचवे स्थान से उसे संतोष करना पड़ा। बसपा केवल कटेहरी और मझंवा में अपनी जमानत बचा सकी। यहां उसे तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। जबकि कुंदरकी और मीरापुर में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। कुंदरकी में बसपा को अब तक का सबसे कम वोट मात्र 1051 वोट ही हासिल हुए। वहीं मीरापुर में बसपा साढ़े तीन हजार वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यहां उसे 3248 वोट मिले। कानपुर की सीसामऊ सीट जहां सपा की नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की है, वहां बसपा को मात्र 1410 वोट ही मिले। ————————– यह खबर भी पढ़ें ब्रजेश पाठक ने ईंट से ईंट बजाकर तोड़ी:बोले- एक-एक चवन्नी वसूल करूंगा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक शनिवार को पहले वाराणसी और फिर मुगलसराय के चंदौली पहुंचे। चंदौली के महेवा में बन रहे ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करते समय ईंट की खराब क्वालिटी देखकर भड़क गए। उन्होंने दो ईंटों को आपस में टकरा कर कहा- ये कौन-सा ईंट यूज किया जा रहा है? ये बजाते ही टूट जाएगी। यहां पढ़ें पूरी खबर उपचुनाव में करारी हार के बाद मायावती ने अपने नेताओं के साथ लखनऊ में बसपा दफ्तर में मंथन किया। बैठक में यूपी और उत्तराखंड के 300 से ज्यादा पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह कि उनके भतीजे और पार्टी के युवा नेता आकाश आनंद नजर नहीं आए। बैठक में उनके नहीं होने पर कई तरह के राजनीतिक सवाल उठ रहे हैं। मायावती ने पार्टी में उनको नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दे रखी है। चुनाव के दौरान भी उन्होंने प्रचार-प्रसार नहीं किया था। जानकारों का कहना है कि फेल्योर से बचाने के लिए मायावती अभी आकाश को इस तरह के चुनाव से दूर रख रही हैं। यह चुनाव भी मायावती ने दलित वोट बैंक को बचाने के लिए लड़ा था। पिछले कुछ चुनावों से लगातार बीएसपी से दलित वोट बैंक दूर जा रहा है। वहीं, बैठक में आज मायावती पहली बार भाजपा पर ज्यादा हमलावर दिखीं। सपा का नाम तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि दलित और अंबेडकरवादी बहुजन को एक होना होगा। सत्ता की मास्टर चाबी पाने के लिए संघर्ष को और ज्यादा मजबूत करना होगा। कांग्रेस की तरह बीजेपी से भी बहुत लोग नाराज हैं। लेकिन, बीजेपी पूंजीपतियों के समर्थन और गरीबी के विरोध में काम कर रही है। इस वजह से लोगों में नाराजगी है। लेकिन, लोगों का ध्यान बांटने के लिए बीजेपी तरह-तरह के नए जातिवादी और सांप्रदायिक हथकंडों का इस्तेमाल करती रहती है। इसका फायदा वह चुनाव में लेती है। अब पढ़िए बैठक में मायावती की कही बड़ी बातें यूपी के लोग गरीबी-बेरोजगारी में जीने को मजबूर
मायावती ने कहा- चुनाव के समय बीजेपी जो वादा करती है, उसे चुनाव के बाद भुला देती है। यूपी सरकार संवैधानिक दायित्वों को निभाने की जगह धर्म को आड़ बनाकर अपनी राजनीति साधने में लगी है। यही वजह है, यूपी के लोग आज गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ेपन में जीने को लगातार मजबूर हैं। चुनाव पर जनता का भरोसा कम हुआ
मायावती ने कहा- चुनाव में धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। पाक-साफ चुनाव कल की तरह आज भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में आम जनता का चुनावी तंत्र पर विश्वास कम हो रहा है। यह संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। संभल और अदानी मामले की वजह से मौजूदा शीतकालीन सत्र नहीं चल पा रहा है। यह गलत है। शीतकालीन सत्र चलना चाहिए। वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही बीजेपी
मायावती ने कहा- बीजेपी वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। इससे क्या वह यूपी के लोगों को खुशी और खुशहाल जीवन दे पा रही है? भीमराव अंबेडकर मानवतावादी और कल्याणकारी संविधान की दुहाई सभी देते हैं, लेकिन संकीर्ण स्वार्थ के कारण कोई भी सरकार इस पर सही से अमल नहीं कर रही है। दलितों और अन्य बहुजनों के वास्तविक हित और कल्याण के लिए कतई तैयार नहीं है, बल्कि दिखावटी कार्य ज्यादा हैं। मायावती ने पूरे प्रदेश में 6 दिसंबर को परिनिर्माण दिवस मनाने की बात कही। इसमें लखनऊ में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटेंगे। हार के बाद मायावती ने कहा था- बसपा नहीं लड़ेगी उपचुनाव
उपचुनाव में करारी हार के बाद मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी अब किसी भी उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। मायावती ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कहा था कि फर्जी वोटिंग के जरिए परिणाम प्रभावित किए गए। जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक बसपा कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी। मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि हाल के उपचुनावों में व्यापक स्तर पर धांधली हुई है। पहले बैलेट पेपर के जरिए फर्जी वोट डाले जाते थे, अब ईवीएम का दुरुपयोग हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक है।” मायावती ने सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों को भी गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव में सत्ता पक्ष ने अनियमितताओं के जरिए जीत हासिल की है। उनका कहना था कि यह सब लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ी बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाजपार्टी मात्र दो सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी। बाकी सात सीटों पर उसके उम्मीदवार सपा और भाजपा के उम्मीदवारों के आसपास भी नजर नहीं आए। दो सीटें तो ऐसी रहीं जहां चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम से भी पीछे रही और पांचवे स्थान से उसे संतोष करना पड़ा। बसपा केवल कटेहरी और मझंवा में अपनी जमानत बचा सकी। यहां उसे तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। जबकि कुंदरकी और मीरापुर में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। कुंदरकी में बसपा को अब तक का सबसे कम वोट मात्र 1051 वोट ही हासिल हुए। वहीं मीरापुर में बसपा साढ़े तीन हजार वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यहां उसे 3248 वोट मिले। कानपुर की सीसामऊ सीट जहां सपा की नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की है, वहां बसपा को मात्र 1410 वोट ही मिले। ————————– यह खबर भी पढ़ें ब्रजेश पाठक ने ईंट से ईंट बजाकर तोड़ी:बोले- एक-एक चवन्नी वसूल करूंगा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक शनिवार को पहले वाराणसी और फिर मुगलसराय के चंदौली पहुंचे। चंदौली के महेवा में बन रहे ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करते समय ईंट की खराब क्वालिटी देखकर भड़क गए। उन्होंने दो ईंटों को आपस में टकरा कर कहा- ये कौन-सा ईंट यूज किया जा रहा है? ये बजाते ही टूट जाएगी। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर