वाराणसी के यूपी कॉलेज में मस्जिद किसकी जमीन पर?:मुस्लिम पक्ष ने कहा- नवाब टोंक यहीं नमाज पढ़ते थे; प्रिंसिपल बोले- ये लीज प्रॉपर्टी

वाराणसी के यूपी कॉलेज में मस्जिद किसकी जमीन पर?:मुस्लिम पक्ष ने कहा- नवाब टोंक यहीं नमाज पढ़ते थे; प्रिंसिपल बोले- ये लीज प्रॉपर्टी

पहले तीन घटनाक्रम पढ़िए… 25 नवंबर, 2024
वाराणसी में यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापना समारोह में योगी ने कहा- यूपी और बिहार के छात्रों के लिए इस कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाया जाएगा। सरकार मान्यता देगी। 26 नवंबर, 2024
मुस्लिम कम्युनिटी के बीच एक लेटर वायरल होने लगा। यह 2018 की वक्फ बोर्ड की एक नोटिस थी। इसमें यूपी कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताई गई। 29 नवंबर, 2024
करीब 500 नमाजी कॉलेज कैंपस में इकट्‌ठा हुए। जुमे की नमाज अदा की। अमूमन यहां 20 से 25 लोग ही नमाज अदा करने पहुंचते थे। इन 3 घटनाओं ने उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) और कैंपस में मौजूद मस्जिद को चर्चा में ला दिया। अब मुस्लिम कम्युनिटी पूरे कॉलेज कैंपस को ही वक्फ की संपत्ति बताने लगी है। इसका आधार 2018 में जारी वक्फ बोर्ड की नोटिस मानी जा रही है। हालांकि नोटिस का मुकम्मल जवाब उसी समय कॉलेज प्रशासन ने दिया था। इसकी पुष्टि काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने दैनिक भास्कर से की। वक्फ बोर्ड का यह लेटर यूपी काॅलेज को क्यों भेजा गया था? काॅलेज में मौजूदा मस्जिद का क्या इतिहास है? मुस्लिम पक्ष का दावा कितना पुख्ता है? इन सब विषयों पर दैनिक भास्कर ने यूपी काॅलेज के प्रिंसिपल और मुस्लिम पक्ष से जानने की कोशिश की। पढ़िए रिपोर्ट… प्रिंसिपल ने लेटर दिखाया, बोले- जमीन ट्रस्ट की
भास्कर टीम सबसे पहले कॉलेज पहुंची। यहां प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह से मुलाकात हुई। उन्होंने एक लेटर दिखाया, जो 21 दिसंबर, 2018 का है। इसमें वक्फ बोर्ड को जवाब देते हुए उस वक्त के प्राचार्य ने बताया था कि यह पहले से एक ट्रस्ट की जमीन है। ऐसे में उनका कोई अधिकार नहीं बनता। उन्होंने यह लेटर पढ़कर सुनाया। इसमें लिखा गया था कि जो लेटर आपको मिला है, इसमें छोटी नवाब टोंक, मजारत हुजरा पूरी तरह से यूपी काॅलेज के नियंत्रण में है। उसे वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में पंजीकृत कर लिया जाए। यूपी कॉलेज 1909 में स्थापित हुआ था। काॅलेज की जमीन इण्डाउमेन्ट ट्रस्ट की है। चैरिटेबल इण्डाउमेन्ट एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना स्वयं समाप्त माना जाता है। अब उस नोटिस को जानिए, जिसके वायरल होने के बाद मस्जिद और कॉलेज की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ… यह नोटिस यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक की तरफ से 2018 में जारी हुई थी। इसमें लिखा है- छोटी मस्जिद नवाब टोंक को बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत करने के लिए प्राप्त हुआ है, बोर्ड के संज्ञान में लाया गया है कि वक्फ संपत्ति आपके नियंत्रण में है। आपको सूचित किया जाता है कि 15 दिन के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। इसके बाद आपकी कोई आपत्ति नहीं सुनी जाएगी। अब जानिए मुस्लिम पक्ष से कौन सामने आया और क्या कहा… दैनिक भास्कर ने 25 नवंबर के बाद इस मुद्दे को उठाने वाले मुस्लिम पक्ष से बात करनी चाही तो सभी ने पल्ला झाड़ लिया। सिर्फ मुनव्वर अली ने बात की, वे मस्जिद में लंबे समय से नमाज पढ़ने आते हैं। मस्जिद नवाब टोंक की है…
मुनव्वर अली का दावा है कि कॉलेज की संपत्ति नवाब टोंक की थी। बंगाल जाते समय नवाब टोंक वाराणसी में इसी इलाके में लंबे समय तक ठहरे थे। नवाब टोंक के परिवार के कई सदस्यों की इस दौरान मौत हो गई, जिन्हें गिलट बाजार वाली मस्जिद के पास दफन किया गया। कालेज परिसर आज जहां हैं, वहां नवाब टोंक रहा करते थे, बीमार होने के कारण वो गिलट बाजार वाली मस्जिद नहीं जा सके तो यही पर नमाज पढ़नी शुरू कर दी। नवाब टोंक ने जब बनारस छोड़ा तो काशी नरेश को जमीन दे दी। बाद में काशी नरेश ने कुछ हिस्सा भिनगा राज परिवार के उदय प्रताप सिंह को दिया, ताकि कालेज खुल सके। हालांकि मुनव्वर अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। दावा किया कि उनके पास कुछ कागजात तो हैं, लेकिन वो उर्दू और फारसी में लिखे है, जिसका हिंदी में ट्रांस्लेशन कराया जा रहा है। अब जानिए काॅलेज परिसर कितने एकड़ में फैला है और कितना पुराना है… 100 एकड़ में कॉलेज परिसर, 1909 में बना था ट्रस्ट
वाराणसी के भोजूबीर इलाके में 100 एकड़ में उदय प्रताप कालेज का कैंपस है। इस कैंपस में 2 कॉलेज संचालित हैं। यूपी कॉलेज एक महाविद्यालय है, जबकि रानी मुरार बालिका इंटर कालेज में 12वीं तक की पढ़ाई होती है। कॉलेज के स्पोर्ट्स ग्राउंड ने देश को कई ओलंपियन दिए हैं। दावा- तीन हिस्सों में काॅलेज की जमीन
यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने बताया कि कालेज के संस्थापक राजर्षि जू देव ने 1909 में उदय प्रताप कालेज एंड हीवेट क्षत्रिय स्कूल इण्डाउमेन्ट ट्रस्ट का गठन किया। इसके बाद कालेज की स्थापना की थी। जमीन तीन हिस्सों में थी। एक हिस्सा गंगेश्वर ट्रस्ट से 99 साल की लीज पर ली गई है। दो हिस्से की रजिस्ट्री यूपी कालेज और क्षत्रिय हीवेट कालेज के नाम से है। इण्डाउमेन्ट एक्ट के तहत चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन के एक साल बाद अन्य किसी का मालिकाना हक स्वतः समाप्त हो जाता है। डेढ़ साल से कटी है बिजली, दस्तावेज होते तो ले लेते कनेक्शन प्रिंसिपल डीके सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास अगर जमीन से संबंधित कोई दस्तावेज है तो डेढ़ साल से वहां अंधेरा क्यों है? दरअसल, काॅलेज प्रशासन ने मजार पर आने वालों की समस्या को देखते हुए बिजली कनेक्शन दिया था। कैंपस में धार्मिक गतिविधियों के बढ़ने से छात्रों में नाराजगी बढ़ने लगी तो, कनेक्शन काट दिया। मुस्लिम पक्ष के लोग नया कनेक्शन लेने के लिए बिजली विभाग गए। लेकिन विभाग ने मस्जिद से संबंधित कागजात जमा करने के लिए कहा। मुस्लिम पक्ष नहीं दे पाया तो विभाग ने कनेक्शन देने से इनकार कर दिया। यूपी कॉलेज परिसर में रहने वाले सिसोदिया परिवार के बारे में जानिए, जो 20 एकड़ जमीन को लेकर कोर्ट में केस लड़ रहा है… मजार, लाइब्रेरी की जमीन का मामला कोर्ट में काॅलेज परिसर में ही महेंद्र सिंह सिसोदिया परिवार रहता है। सिसोदिया परिवार ने कोर्ट में यह दावा किया है कि कॉलेज कैंपस में मौजूद डाकखाना, मजार, लाइब्रेरी के आसपास समेत कुल 20 एकड़ जमीन उनकी है। इस दावे को लेकर जब यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने कहा- यह जमीन गंगेश्वर ट्रस्ट की थी, 99 साल की लीज पर कॉलेज प्रशासन को दिया है। उधर, सिसोदिया परिवार का कहना है कि यह जमीन उन लोगों ने ट्रस्ट से ली थी। अब पढ़िए 3 दिसंबर, 2024 को हंगामा क्यों हुआ… मस्जिद पर नमाज पढ़ने पहुंचे छात्र, तब हुआ हंगामा
मंगलवार सुबह 11 बजे काॅलेज के पूर्व छात्र गेट पर इकट्ठा होने लगे। पुलिस पहले से तैनात थी। गेट पर ही बैरिकेडिंग की गई थी, ताकि कोई भी अराजक तत्व अंदर न आ सके। लेकिन छात्र काॅलेज में घुसते हुए मस्जिद की तरफ बढ़ चले, पुलिस ने उन्हें रोका। जिसके बाद वो जमीन पर बैठे और उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया। दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक माहौल शांत हो गया था। अचानक 1 बजे कुछ अधिवक्ता, जो काॅलेज के पूर्व छात्र हैं, उन्होंने अंदर घुसने की कोशिश की। ACP कैंट और सारनाथ ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। वो वहीं बैठ गए और प्रदर्शन शुरू किया। वो भी कुछ देर बाद वहां से चले गए और माहौल शांत हो गया। ………………………………..
यह भी पढ़ें : बदायूं जामा मस्जिद में नीलकंठ मंदिर का दावा: हिंदू पक्ष बोला- सर्वे से क्यों डर रहे, मुस्लिम पक्ष का जवाब- सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश यूपी में संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद असल में नीलकंठ महादेव का मंदिर है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने सर्वे की मांग रखी तो मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया कि ये सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश है। पढ़िए पूरी खबर… पहले तीन घटनाक्रम पढ़िए… 25 नवंबर, 2024
वाराणसी में यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापना समारोह में योगी ने कहा- यूपी और बिहार के छात्रों के लिए इस कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाया जाएगा। सरकार मान्यता देगी। 26 नवंबर, 2024
मुस्लिम कम्युनिटी के बीच एक लेटर वायरल होने लगा। यह 2018 की वक्फ बोर्ड की एक नोटिस थी। इसमें यूपी कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताई गई। 29 नवंबर, 2024
करीब 500 नमाजी कॉलेज कैंपस में इकट्‌ठा हुए। जुमे की नमाज अदा की। अमूमन यहां 20 से 25 लोग ही नमाज अदा करने पहुंचते थे। इन 3 घटनाओं ने उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) और कैंपस में मौजूद मस्जिद को चर्चा में ला दिया। अब मुस्लिम कम्युनिटी पूरे कॉलेज कैंपस को ही वक्फ की संपत्ति बताने लगी है। इसका आधार 2018 में जारी वक्फ बोर्ड की नोटिस मानी जा रही है। हालांकि नोटिस का मुकम्मल जवाब उसी समय कॉलेज प्रशासन ने दिया था। इसकी पुष्टि काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने दैनिक भास्कर से की। वक्फ बोर्ड का यह लेटर यूपी काॅलेज को क्यों भेजा गया था? काॅलेज में मौजूदा मस्जिद का क्या इतिहास है? मुस्लिम पक्ष का दावा कितना पुख्ता है? इन सब विषयों पर दैनिक भास्कर ने यूपी काॅलेज के प्रिंसिपल और मुस्लिम पक्ष से जानने की कोशिश की। पढ़िए रिपोर्ट… प्रिंसिपल ने लेटर दिखाया, बोले- जमीन ट्रस्ट की
भास्कर टीम सबसे पहले कॉलेज पहुंची। यहां प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह से मुलाकात हुई। उन्होंने एक लेटर दिखाया, जो 21 दिसंबर, 2018 का है। इसमें वक्फ बोर्ड को जवाब देते हुए उस वक्त के प्राचार्य ने बताया था कि यह पहले से एक ट्रस्ट की जमीन है। ऐसे में उनका कोई अधिकार नहीं बनता। उन्होंने यह लेटर पढ़कर सुनाया। इसमें लिखा गया था कि जो लेटर आपको मिला है, इसमें छोटी नवाब टोंक, मजारत हुजरा पूरी तरह से यूपी काॅलेज के नियंत्रण में है। उसे वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में पंजीकृत कर लिया जाए। यूपी कॉलेज 1909 में स्थापित हुआ था। काॅलेज की जमीन इण्डाउमेन्ट ट्रस्ट की है। चैरिटेबल इण्डाउमेन्ट एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना स्वयं समाप्त माना जाता है। अब उस नोटिस को जानिए, जिसके वायरल होने के बाद मस्जिद और कॉलेज की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ… यह नोटिस यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक की तरफ से 2018 में जारी हुई थी। इसमें लिखा है- छोटी मस्जिद नवाब टोंक को बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत करने के लिए प्राप्त हुआ है, बोर्ड के संज्ञान में लाया गया है कि वक्फ संपत्ति आपके नियंत्रण में है। आपको सूचित किया जाता है कि 15 दिन के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। इसके बाद आपकी कोई आपत्ति नहीं सुनी जाएगी। अब जानिए मुस्लिम पक्ष से कौन सामने आया और क्या कहा… दैनिक भास्कर ने 25 नवंबर के बाद इस मुद्दे को उठाने वाले मुस्लिम पक्ष से बात करनी चाही तो सभी ने पल्ला झाड़ लिया। सिर्फ मुनव्वर अली ने बात की, वे मस्जिद में लंबे समय से नमाज पढ़ने आते हैं। मस्जिद नवाब टोंक की है…
मुनव्वर अली का दावा है कि कॉलेज की संपत्ति नवाब टोंक की थी। बंगाल जाते समय नवाब टोंक वाराणसी में इसी इलाके में लंबे समय तक ठहरे थे। नवाब टोंक के परिवार के कई सदस्यों की इस दौरान मौत हो गई, जिन्हें गिलट बाजार वाली मस्जिद के पास दफन किया गया। कालेज परिसर आज जहां हैं, वहां नवाब टोंक रहा करते थे, बीमार होने के कारण वो गिलट बाजार वाली मस्जिद नहीं जा सके तो यही पर नमाज पढ़नी शुरू कर दी। नवाब टोंक ने जब बनारस छोड़ा तो काशी नरेश को जमीन दे दी। बाद में काशी नरेश ने कुछ हिस्सा भिनगा राज परिवार के उदय प्रताप सिंह को दिया, ताकि कालेज खुल सके। हालांकि मुनव्वर अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। दावा किया कि उनके पास कुछ कागजात तो हैं, लेकिन वो उर्दू और फारसी में लिखे है, जिसका हिंदी में ट्रांस्लेशन कराया जा रहा है। अब जानिए काॅलेज परिसर कितने एकड़ में फैला है और कितना पुराना है… 100 एकड़ में कॉलेज परिसर, 1909 में बना था ट्रस्ट
वाराणसी के भोजूबीर इलाके में 100 एकड़ में उदय प्रताप कालेज का कैंपस है। इस कैंपस में 2 कॉलेज संचालित हैं। यूपी कॉलेज एक महाविद्यालय है, जबकि रानी मुरार बालिका इंटर कालेज में 12वीं तक की पढ़ाई होती है। कॉलेज के स्पोर्ट्स ग्राउंड ने देश को कई ओलंपियन दिए हैं। दावा- तीन हिस्सों में काॅलेज की जमीन
यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने बताया कि कालेज के संस्थापक राजर्षि जू देव ने 1909 में उदय प्रताप कालेज एंड हीवेट क्षत्रिय स्कूल इण्डाउमेन्ट ट्रस्ट का गठन किया। इसके बाद कालेज की स्थापना की थी। जमीन तीन हिस्सों में थी। एक हिस्सा गंगेश्वर ट्रस्ट से 99 साल की लीज पर ली गई है। दो हिस्से की रजिस्ट्री यूपी कालेज और क्षत्रिय हीवेट कालेज के नाम से है। इण्डाउमेन्ट एक्ट के तहत चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन के एक साल बाद अन्य किसी का मालिकाना हक स्वतः समाप्त हो जाता है। डेढ़ साल से कटी है बिजली, दस्तावेज होते तो ले लेते कनेक्शन प्रिंसिपल डीके सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास अगर जमीन से संबंधित कोई दस्तावेज है तो डेढ़ साल से वहां अंधेरा क्यों है? दरअसल, काॅलेज प्रशासन ने मजार पर आने वालों की समस्या को देखते हुए बिजली कनेक्शन दिया था। कैंपस में धार्मिक गतिविधियों के बढ़ने से छात्रों में नाराजगी बढ़ने लगी तो, कनेक्शन काट दिया। मुस्लिम पक्ष के लोग नया कनेक्शन लेने के लिए बिजली विभाग गए। लेकिन विभाग ने मस्जिद से संबंधित कागजात जमा करने के लिए कहा। मुस्लिम पक्ष नहीं दे पाया तो विभाग ने कनेक्शन देने से इनकार कर दिया। यूपी कॉलेज परिसर में रहने वाले सिसोदिया परिवार के बारे में जानिए, जो 20 एकड़ जमीन को लेकर कोर्ट में केस लड़ रहा है… मजार, लाइब्रेरी की जमीन का मामला कोर्ट में काॅलेज परिसर में ही महेंद्र सिंह सिसोदिया परिवार रहता है। सिसोदिया परिवार ने कोर्ट में यह दावा किया है कि कॉलेज कैंपस में मौजूद डाकखाना, मजार, लाइब्रेरी के आसपास समेत कुल 20 एकड़ जमीन उनकी है। इस दावे को लेकर जब यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने कहा- यह जमीन गंगेश्वर ट्रस्ट की थी, 99 साल की लीज पर कॉलेज प्रशासन को दिया है। उधर, सिसोदिया परिवार का कहना है कि यह जमीन उन लोगों ने ट्रस्ट से ली थी। अब पढ़िए 3 दिसंबर, 2024 को हंगामा क्यों हुआ… मस्जिद पर नमाज पढ़ने पहुंचे छात्र, तब हुआ हंगामा
मंगलवार सुबह 11 बजे काॅलेज के पूर्व छात्र गेट पर इकट्ठा होने लगे। पुलिस पहले से तैनात थी। गेट पर ही बैरिकेडिंग की गई थी, ताकि कोई भी अराजक तत्व अंदर न आ सके। लेकिन छात्र काॅलेज में घुसते हुए मस्जिद की तरफ बढ़ चले, पुलिस ने उन्हें रोका। जिसके बाद वो जमीन पर बैठे और उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया। दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक माहौल शांत हो गया था। अचानक 1 बजे कुछ अधिवक्ता, जो काॅलेज के पूर्व छात्र हैं, उन्होंने अंदर घुसने की कोशिश की। ACP कैंट और सारनाथ ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। वो वहीं बैठ गए और प्रदर्शन शुरू किया। वो भी कुछ देर बाद वहां से चले गए और माहौल शांत हो गया। ………………………………..
यह भी पढ़ें : बदायूं जामा मस्जिद में नीलकंठ मंदिर का दावा: हिंदू पक्ष बोला- सर्वे से क्यों डर रहे, मुस्लिम पक्ष का जवाब- सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश यूपी में संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद असल में नीलकंठ महादेव का मंदिर है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने सर्वे की मांग रखी तो मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया कि ये सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर