यूपी में सरकारी कर्मचारी NDA से नाराज हैं। यह बात बैलेट पेपर से पड़े कुल 2 लाख 36 हजार 508 वोटों से सामने आई। इसका सीधा फायदा इंडी गठबंधन को मिला। NDA को बैलेट के 40.75 फीसदी वोट मिले, जबकि इंडी गठबंधन को 45.41 फीसदी वोट मिले। NDA 1 लाख वोट के आंकड़े को भी नहीं पार कर पाई। कुल 80 में से 45 सीटों पर NDA को इंडी गठबंधन से कम वोट मिले। यूपी के 16 लाख सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी की कई वजहें रहीं। लेकिन, सबसे ज्यादा नाराजगी पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर है। इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेना यूपी में भाजपा को सबसे ज्यादा भारी पड़ा। OPS को लेकर यूपी के सरकारी कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे। मगर, केंद्र सरकार की तरफ से बार-बार कहा गया कि पुरानी पेंशन नहीं मिलेगी। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में सुधार के लिए कमेटी बनाई गई है। यह बात कर्मचारियों को अखर गई और उन्होंने NDA के खिलाफ मतदान किया। सरकारी कर्मचारियों का झुकाव किस तरफ ज्यादा रहा, जानते हैं… पोस्टल बैलेट से वोट देने वालों में सर्विस वोटर्स के अलावा दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी शामिल रहे। पोस्टल बैलेट से सबसे ज्यादा अकबरपुर में 7 हजार 135 वोट पड़े। इसके बाद आजमगढ़ में 5572, बस्ती में 5448, बलिया में 5354, कानपुर में 5354, फतेहपुर सीकरी में 5246 और बागपत में 5145 वोट पड़े। अकबरपुर में भाजपा जीती, लेकिन पोस्टल बैलेट पर सपा को भाजपा से 145 वोट ज्यादा मिले। जीती हुई 17 सीटें, जहां भाजपा को विपक्ष से कम वोट मिले
भाजपा ने गोरखपुर में भले ही जीत दर्ज की, लेकिन पोस्टल बैलेट पर सपा से हार गई। इसी तरह भदोही, शाहजहांपुर, मिश्रिख, हरदोई, बांसगांव, बरेली, फूलपुर, पीलीभीत, देवरिया, डुमरियागंज, झांसी, गोरखपुर, गोंडा, कुशीनगर, कानपुर, उन्नाव और अकबरपुर में भी भाजपा ने जीत दर्ज की। मगर, पोस्टल बैलेट पर पार्टी पीछे रही। इंडी गठबंधन जीती हुई 13 सीटों पर NDA से पिछड़ा
चुनाव आयोग आंकड़ों में सपा-कांग्रेस गठबंधन को जीती हुई 43 सीटों में से 13 पर भाजपा से कम पोस्टल बैलेट वोट मिले। इनमें हमीरपुर सीट ऐसी रही, जहां भाजपा को 681 और सपा को 680 पोस्टल बैलेट वोट मिले। यानी अंतर सिर्फ एक वोट का रहा। इसके अलावा जिन सीटों पर पोस्टल बैलेट पर सपा-कांग्रेस माइनस में रहीं वो इटावा, कैराना, कौशांबी, जालौन, फतेहपुर, बदायूं, मुरादाबाद, मोहनलालगंज, रामपुर, संभल, सहारनपुर और हमीरपुर हैं। नगीना सीट पर जीत दर्ज करने वाले चंद्रशेखर को पोस्टल बैलेट से 740 वोट मिले, जबकि यहां भाजपा को 1328 वोट मिले। सपा को 270 और बसपा को महज 7 वोट मिले। लंबे समय से चल रहा OPS बहाली का मुद्दा
ऑल टीचर्स इम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) ने प्रदेश भर में चुनाव से पहले ‘वोट फॉर ओपीएस’ कैंपेन चलाया था। इसके जरिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग की गई। चुनाव में इसका इफेक्ट देखने को मिला। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के सोशल मीडिया राष्ट्रीय सचिव अभिनव सिंह राजपूत बताते हैं- जिसने भी पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का आश्वासन दिया, कर्मचारियों का झुकाव उनकी तरफ ज्यादा रहा। रिजल्ट वाले दिन सबसे पहले पोस्टल बैलेट वोट की काउंटिंग हुई। इसमें इंडी गठबंधन आगे रहा। अभिनव बताते हैं कि वह यूपी में अटेवा के आईटी सेल प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा- पोस्टल बैलेट से पुलिस-सेना के जवान, शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बुजुर्गों और दिव्यांगों ने वोट किया। अगर सभी शिक्षक और कर्मचारी पोस्टल बैलेट से मतदान करते, तो इंडी गठबंधन और मजबूत दिखाई देता। इंडी गठबंधन ने पुरानी पेंशन बहाल करने की बात कही थी। अभिनव कहते हैं- पुरानी पेंशन स्कीम के लिए हमने कई आंदोलन किए। कर्मचारी एकजुट रहे। इसलिए इसका चुनाव पर इफेक्ट दिखना ही था। आप 2022 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देखिए। सपा को करीब 324 सीटों पर NDA से ज्यादा पोस्टल बैलेट वोट मिले थे। इस बार चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को EDC (इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट) के जरिए मतदान कराया गया। उसमें किसे, कितने वोट मिले, यह सार्वजनिक नहीं हुआ। यह बात भी है कि सभी कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट और EDC से मतदान नहीं किया। सभी की ड्यूटी चुनाव में नहीं लगी। अगर लगी भी तो उनके क्षेत्र में ही बूथ थे, जहां उन्होंने वोट किया। हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया
हरदोई में भाजपा जीती। मगर, यहां पोस्टल बैलेट से भाजपा प्रत्याशी को 1053, जबकि सपा प्रत्याशी को 1389 वोट मिले। यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के जिलाध्यक्ष सुधीर गंगवार कहते हैं- सिर्फ हरदोई में ही नहीं, प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग करता रहा है। बैलेट पोस्टल से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अब सरकार को हमारी मांगें पूरी करनी चाहिएं। OPS को प्राथमिकता से लागू करना चाहिए। UP में NOTA ने 570 कैंडिडेट को हराया:भाजपा, सपा-कांग्रेस को 3-3 सीटों का नुकसान, वाराणसी में 4 प्रत्याशी हारे; 681 की जमानत जब्त UP में लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट चौंकाने वाला रहा। इन सबके बीच NOTA का वोट बैंक भी पीछे नहीं रहा। UP में नोटा ने 570 कैंडिडेट को हरा दिया। इसके अलावा, नोटा की वजह से भाजपा, सपा और कांग्रेस को 6 सीटों का नुकसान हुआ। इन सीटों पर जीत का अंतर नोटा को मिले वोट से बहुत कम है। पढ़ें पूरी खबर… UP में चुनाव की सबसे रोचक-चौंकाने वाली बातें: सबसे छोटी हार, जहां हुड़दंग, संघमित्रा रोईं वहां के नतीजे, भाजपा के 5 बड़े चेहरे जो हारे लोकसभा चुनाव में UP में सपा लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी है। देश में अखिलेश यादव की पार्टी तीसरे नंबर पर है। UP में भाजपा को 29 सीटों का बड़ा नुकसान हुआ है। पार्टी 62 से सिमटकर 33 सीटों पर आ गई है। वोट शेयर भी 8.63% घटकर 41.37% हो गया है। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में सरकारी कर्मचारी NDA से नाराज हैं। यह बात बैलेट पेपर से पड़े कुल 2 लाख 36 हजार 508 वोटों से सामने आई। इसका सीधा फायदा इंडी गठबंधन को मिला। NDA को बैलेट के 40.75 फीसदी वोट मिले, जबकि इंडी गठबंधन को 45.41 फीसदी वोट मिले। NDA 1 लाख वोट के आंकड़े को भी नहीं पार कर पाई। कुल 80 में से 45 सीटों पर NDA को इंडी गठबंधन से कम वोट मिले। यूपी के 16 लाख सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी की कई वजहें रहीं। लेकिन, सबसे ज्यादा नाराजगी पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर है। इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेना यूपी में भाजपा को सबसे ज्यादा भारी पड़ा। OPS को लेकर यूपी के सरकारी कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे। मगर, केंद्र सरकार की तरफ से बार-बार कहा गया कि पुरानी पेंशन नहीं मिलेगी। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में सुधार के लिए कमेटी बनाई गई है। यह बात कर्मचारियों को अखर गई और उन्होंने NDA के खिलाफ मतदान किया। सरकारी कर्मचारियों का झुकाव किस तरफ ज्यादा रहा, जानते हैं… पोस्टल बैलेट से वोट देने वालों में सर्विस वोटर्स के अलावा दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी शामिल रहे। पोस्टल बैलेट से सबसे ज्यादा अकबरपुर में 7 हजार 135 वोट पड़े। इसके बाद आजमगढ़ में 5572, बस्ती में 5448, बलिया में 5354, कानपुर में 5354, फतेहपुर सीकरी में 5246 और बागपत में 5145 वोट पड़े। अकबरपुर में भाजपा जीती, लेकिन पोस्टल बैलेट पर सपा को भाजपा से 145 वोट ज्यादा मिले। जीती हुई 17 सीटें, जहां भाजपा को विपक्ष से कम वोट मिले
भाजपा ने गोरखपुर में भले ही जीत दर्ज की, लेकिन पोस्टल बैलेट पर सपा से हार गई। इसी तरह भदोही, शाहजहांपुर, मिश्रिख, हरदोई, बांसगांव, बरेली, फूलपुर, पीलीभीत, देवरिया, डुमरियागंज, झांसी, गोरखपुर, गोंडा, कुशीनगर, कानपुर, उन्नाव और अकबरपुर में भी भाजपा ने जीत दर्ज की। मगर, पोस्टल बैलेट पर पार्टी पीछे रही। इंडी गठबंधन जीती हुई 13 सीटों पर NDA से पिछड़ा
चुनाव आयोग आंकड़ों में सपा-कांग्रेस गठबंधन को जीती हुई 43 सीटों में से 13 पर भाजपा से कम पोस्टल बैलेट वोट मिले। इनमें हमीरपुर सीट ऐसी रही, जहां भाजपा को 681 और सपा को 680 पोस्टल बैलेट वोट मिले। यानी अंतर सिर्फ एक वोट का रहा। इसके अलावा जिन सीटों पर पोस्टल बैलेट पर सपा-कांग्रेस माइनस में रहीं वो इटावा, कैराना, कौशांबी, जालौन, फतेहपुर, बदायूं, मुरादाबाद, मोहनलालगंज, रामपुर, संभल, सहारनपुर और हमीरपुर हैं। नगीना सीट पर जीत दर्ज करने वाले चंद्रशेखर को पोस्टल बैलेट से 740 वोट मिले, जबकि यहां भाजपा को 1328 वोट मिले। सपा को 270 और बसपा को महज 7 वोट मिले। लंबे समय से चल रहा OPS बहाली का मुद्दा
ऑल टीचर्स इम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) ने प्रदेश भर में चुनाव से पहले ‘वोट फॉर ओपीएस’ कैंपेन चलाया था। इसके जरिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग की गई। चुनाव में इसका इफेक्ट देखने को मिला। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के सोशल मीडिया राष्ट्रीय सचिव अभिनव सिंह राजपूत बताते हैं- जिसने भी पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का आश्वासन दिया, कर्मचारियों का झुकाव उनकी तरफ ज्यादा रहा। रिजल्ट वाले दिन सबसे पहले पोस्टल बैलेट वोट की काउंटिंग हुई। इसमें इंडी गठबंधन आगे रहा। अभिनव बताते हैं कि वह यूपी में अटेवा के आईटी सेल प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा- पोस्टल बैलेट से पुलिस-सेना के जवान, शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बुजुर्गों और दिव्यांगों ने वोट किया। अगर सभी शिक्षक और कर्मचारी पोस्टल बैलेट से मतदान करते, तो इंडी गठबंधन और मजबूत दिखाई देता। इंडी गठबंधन ने पुरानी पेंशन बहाल करने की बात कही थी। अभिनव कहते हैं- पुरानी पेंशन स्कीम के लिए हमने कई आंदोलन किए। कर्मचारी एकजुट रहे। इसलिए इसका चुनाव पर इफेक्ट दिखना ही था। आप 2022 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देखिए। सपा को करीब 324 सीटों पर NDA से ज्यादा पोस्टल बैलेट वोट मिले थे। इस बार चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को EDC (इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट) के जरिए मतदान कराया गया। उसमें किसे, कितने वोट मिले, यह सार्वजनिक नहीं हुआ। यह बात भी है कि सभी कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट और EDC से मतदान नहीं किया। सभी की ड्यूटी चुनाव में नहीं लगी। अगर लगी भी तो उनके क्षेत्र में ही बूथ थे, जहां उन्होंने वोट किया। हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया
हरदोई में भाजपा जीती। मगर, यहां पोस्टल बैलेट से भाजपा प्रत्याशी को 1053, जबकि सपा प्रत्याशी को 1389 वोट मिले। यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के जिलाध्यक्ष सुधीर गंगवार कहते हैं- सिर्फ हरदोई में ही नहीं, प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग करता रहा है। बैलेट पोस्टल से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अब सरकार को हमारी मांगें पूरी करनी चाहिएं। OPS को प्राथमिकता से लागू करना चाहिए। UP में NOTA ने 570 कैंडिडेट को हराया:भाजपा, सपा-कांग्रेस को 3-3 सीटों का नुकसान, वाराणसी में 4 प्रत्याशी हारे; 681 की जमानत जब्त UP में लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट चौंकाने वाला रहा। इन सबके बीच NOTA का वोट बैंक भी पीछे नहीं रहा। UP में नोटा ने 570 कैंडिडेट को हरा दिया। इसके अलावा, नोटा की वजह से भाजपा, सपा और कांग्रेस को 6 सीटों का नुकसान हुआ। इन सीटों पर जीत का अंतर नोटा को मिले वोट से बहुत कम है। पढ़ें पूरी खबर… UP में चुनाव की सबसे रोचक-चौंकाने वाली बातें: सबसे छोटी हार, जहां हुड़दंग, संघमित्रा रोईं वहां के नतीजे, भाजपा के 5 बड़े चेहरे जो हारे लोकसभा चुनाव में UP में सपा लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी है। देश में अखिलेश यादव की पार्टी तीसरे नंबर पर है। UP में भाजपा को 29 सीटों का बड़ा नुकसान हुआ है। पार्टी 62 से सिमटकर 33 सीटों पर आ गई है। वोट शेयर भी 8.63% घटकर 41.37% हो गया है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर