रेडीमेड कपड़ों पर प्रस्तावित जीएसटी वृद्धि से कारोबार हो जाएगा चौपट : व्यापार मंडल

रेडीमेड कपड़ों पर प्रस्तावित जीएसटी वृद्धि से कारोबार हो जाएगा चौपट : व्यापार मंडल

भास्कर न्यूज | अमृतसर पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ एवं महामंत्री समीर जैन ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) द्वारा रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी दरों में प्रस्तावित वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि यह संशोधन रेडीमेड कपड़ा उद्योग के लिए बेहद घातक सिद्ध होगा और व्यापार, रोजगार, व निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने बताया कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने प्रस्ताव रखा है कि 1,500 से ऊपर के रेडीमेड कपड़ों पर 18% जीएसटी, 10,000 से ऊपर 28% की जाए। जबकि वर्तमान में 1,000 रुपए तक के रेडीमेड कपड़ों पर 5% और इससे ऊपर के रेडीमेड कपड़ों पर 12% जीएसटी लागू है। उन्होंने कहा कि यदि संशोधन करना है तो 1,000 रुपए तक की सीमा को बढ़ाकर 2,000 रुपए कर 5% जीएसटी लागू किया जाए। 2000 रुपए से ऊपर के कपड़ों पर 12% किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नई दरों से छोटे और मंझले दर्जी, खुदरा व्यापारी और स्थानीय बुनकर बुरी तरह प्रभावित होंगे। उनकी उत्पादन और व्यापारिक लागत बढ़ जाएगी, जिससे उनका व्यवसाय संकट में आ सकता है। भारतीय रेडीमेड कपड़ा उद्योग, जो अपनी गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा खो देगा। उच्च कर दरें निर्यात में गिरावट का कारण बनेंगी। 1,500 रुपए से ऊपर के हाथ से बने कपड़ों पर बढ़ी हुई दरें छोटे बुनकरों और स्वदेशी उद्योगों के लिए नुकसानदेह साबित होगी। भास्कर न्यूज | अमृतसर पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ एवं महामंत्री समीर जैन ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) द्वारा रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी दरों में प्रस्तावित वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि यह संशोधन रेडीमेड कपड़ा उद्योग के लिए बेहद घातक सिद्ध होगा और व्यापार, रोजगार, व निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने बताया कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने प्रस्ताव रखा है कि 1,500 से ऊपर के रेडीमेड कपड़ों पर 18% जीएसटी, 10,000 से ऊपर 28% की जाए। जबकि वर्तमान में 1,000 रुपए तक के रेडीमेड कपड़ों पर 5% और इससे ऊपर के रेडीमेड कपड़ों पर 12% जीएसटी लागू है। उन्होंने कहा कि यदि संशोधन करना है तो 1,000 रुपए तक की सीमा को बढ़ाकर 2,000 रुपए कर 5% जीएसटी लागू किया जाए। 2000 रुपए से ऊपर के कपड़ों पर 12% किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नई दरों से छोटे और मंझले दर्जी, खुदरा व्यापारी और स्थानीय बुनकर बुरी तरह प्रभावित होंगे। उनकी उत्पादन और व्यापारिक लागत बढ़ जाएगी, जिससे उनका व्यवसाय संकट में आ सकता है। भारतीय रेडीमेड कपड़ा उद्योग, जो अपनी गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा खो देगा। उच्च कर दरें निर्यात में गिरावट का कारण बनेंगी। 1,500 रुपए से ऊपर के हाथ से बने कपड़ों पर बढ़ी हुई दरें छोटे बुनकरों और स्वदेशी उद्योगों के लिए नुकसानदेह साबित होगी।   पंजाब | दैनिक भास्कर