पंजाब अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने मांग की है कि चीफ सुखबीर बादल पर हुए हमले की जांच डीजीपी रैंक के अधिकारी को दी जाए। बिक्रम मजीठिया ने डीजीपी पंजाब गौरव यादव को 13 पन्नों का पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने एसपी हरपाल सिंह रंधावा के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार करने की भी गुहार लगाई है। उन्होंने पंजाब पुलिस कमिश्नर द्वारा की जा रही जांच को खारिज कर दिया है। वहीं सुखबीर बादल पर हुए हमले को लेकर एक एफआईआर भी सामने आई है। सुखबीर बादल पर हमला सुबह करीब 9.30 बजे हुआ। लेकिन पुलिस ने शिकायत करीब 3.30 बजे दर्ज की। इतना ही नहीं एफआईआर में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि सुखबीर बादल के आसपास कौन था और किसने सुखबीर को गोली लगने से बचाया। एफआईआर में लिखा है- मैं कानून व्यवस्था ड्यूटी के सिलसिले में प्लाजा घंटा घर अमृतसर में मौजूद था, तभी मुझे पता चला कि सुखबीर सिंह बादल घंटा घर की दर्शनी के बाहर हैं। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री वल्लो, जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर द्वारा लगाई गई धार्मिक सजा को पूरा करने के लिए घंटा घर गेट के बाहर मौजूद थे। नाम पूछने पर नारायण सिंह बताया दरबार साहिब के दर्शन करने जा रहे लोगों में से एक ने अचानक अपने बैग से पिस्तौल निकाली और उन पर हमला करना शुरू कर दिया। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उसे काबू में किया और गुथम गुथी पर पिस्तौल से हवाई फायर कर दिया। वहां मौजूद कर्मचारियों ने उसे एक तरफ ले जाकर उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम नारायण सिंह बताया। ऐसा करके उक्त व्यक्ति ने 109बीएनएस, 25/27 आर्म्स एक्ट का अपराध किया है। घटना अमृतसर पुलिस की विफलता से हुई घटना के बाद से ही बिक्रम मजीठिया लगातार पुलिस की इन्क्वायरी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि सुखबीर बादल पर हमला पंजाब पुलिस की विफलता के कारण हुआ है। अमृतसर पुलिस न केवल सुखबीर सिंह बादल की जान की सुरक्षा में लापरवाही बरती, बल्कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पाकिस्तान के ज्ञात आईएसआई एजेंट हमलावर नारायण सिंह चौड़ा के साथ मौन सांठगांठ और मिलीभगत कर रहे थे। अमृतसर पुलिस ने सच्चाई को सामने आने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर कवर-अप अभियान शुरू किया गया है। लंबे समय से चौड़ा की हिटलिस्ट में थे सुखबीर बादल डोजियर में नाम होने के बावजूद नारायण सिंह चौड़ा को 3 और 4 दिसंबर को गोल्डन टेंपल में कई बार जाने की अनुमति दी गई, जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि सुखबीर सिंह बादल श्री दरबार साहिब में सेवा करेंगे। नारायण सिंह चौड़ा को साफ़ रास्ता दिए जाने और सिविल ड्रेस में मौजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें संकेत दिए जाने के आश्चर्यजनक वीडियो-ग्राफ़िक सबूत हैं। उन्हें कई मौकों पर निर्देश मिलते और पुलिस अधीक्षक हरपाल सिंह रंधावा से बातचीत करते देखा गया है। पंजाब पुलिस ने अधिकारियों ने हत्या की साजिश में मिलाया हाथ उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अमृतसर में पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने सुखबीर सिंह बादल की हत्या की साजिश में हाथ मिला लिया था। नारायण सिंह चौड़ा के साथ मौन मिलीभगत थी, जिसे अपने प्रतिबंधित, अवैध, अत्याधुनिक अर्ध-स्वचालित हथियार के साथ कई बार गोल्डन टेंपल में जाने की अनुमति दी गई थी। उसे पूरे परिसर की टोह लेने के निर्देश दिए गए थे, खासकर उस क्षेत्र की जहां सुखबीर सिंह बादल सेवा कर रहे थे। पंजाब अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने मांग की है कि चीफ सुखबीर बादल पर हुए हमले की जांच डीजीपी रैंक के अधिकारी को दी जाए। बिक्रम मजीठिया ने डीजीपी पंजाब गौरव यादव को 13 पन्नों का पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने एसपी हरपाल सिंह रंधावा के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार करने की भी गुहार लगाई है। उन्होंने पंजाब पुलिस कमिश्नर द्वारा की जा रही जांच को खारिज कर दिया है। वहीं सुखबीर बादल पर हुए हमले को लेकर एक एफआईआर भी सामने आई है। सुखबीर बादल पर हमला सुबह करीब 9.30 बजे हुआ। लेकिन पुलिस ने शिकायत करीब 3.30 बजे दर्ज की। इतना ही नहीं एफआईआर में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि सुखबीर बादल के आसपास कौन था और किसने सुखबीर को गोली लगने से बचाया। एफआईआर में लिखा है- मैं कानून व्यवस्था ड्यूटी के सिलसिले में प्लाजा घंटा घर अमृतसर में मौजूद था, तभी मुझे पता चला कि सुखबीर सिंह बादल घंटा घर की दर्शनी के बाहर हैं। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री वल्लो, जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर द्वारा लगाई गई धार्मिक सजा को पूरा करने के लिए घंटा घर गेट के बाहर मौजूद थे। नाम पूछने पर नारायण सिंह बताया दरबार साहिब के दर्शन करने जा रहे लोगों में से एक ने अचानक अपने बैग से पिस्तौल निकाली और उन पर हमला करना शुरू कर दिया। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उसे काबू में किया और गुथम गुथी पर पिस्तौल से हवाई फायर कर दिया। वहां मौजूद कर्मचारियों ने उसे एक तरफ ले जाकर उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम नारायण सिंह बताया। ऐसा करके उक्त व्यक्ति ने 109बीएनएस, 25/27 आर्म्स एक्ट का अपराध किया है। घटना अमृतसर पुलिस की विफलता से हुई घटना के बाद से ही बिक्रम मजीठिया लगातार पुलिस की इन्क्वायरी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि सुखबीर बादल पर हमला पंजाब पुलिस की विफलता के कारण हुआ है। अमृतसर पुलिस न केवल सुखबीर सिंह बादल की जान की सुरक्षा में लापरवाही बरती, बल्कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पाकिस्तान के ज्ञात आईएसआई एजेंट हमलावर नारायण सिंह चौड़ा के साथ मौन सांठगांठ और मिलीभगत कर रहे थे। अमृतसर पुलिस ने सच्चाई को सामने आने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर कवर-अप अभियान शुरू किया गया है। लंबे समय से चौड़ा की हिटलिस्ट में थे सुखबीर बादल डोजियर में नाम होने के बावजूद नारायण सिंह चौड़ा को 3 और 4 दिसंबर को गोल्डन टेंपल में कई बार जाने की अनुमति दी गई, जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि सुखबीर सिंह बादल श्री दरबार साहिब में सेवा करेंगे। नारायण सिंह चौड़ा को साफ़ रास्ता दिए जाने और सिविल ड्रेस में मौजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें संकेत दिए जाने के आश्चर्यजनक वीडियो-ग्राफ़िक सबूत हैं। उन्हें कई मौकों पर निर्देश मिलते और पुलिस अधीक्षक हरपाल सिंह रंधावा से बातचीत करते देखा गया है। पंजाब पुलिस ने अधिकारियों ने हत्या की साजिश में मिलाया हाथ उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अमृतसर में पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने सुखबीर सिंह बादल की हत्या की साजिश में हाथ मिला लिया था। नारायण सिंह चौड़ा के साथ मौन मिलीभगत थी, जिसे अपने प्रतिबंधित, अवैध, अत्याधुनिक अर्ध-स्वचालित हथियार के साथ कई बार गोल्डन टेंपल में जाने की अनुमति दी गई थी। उसे पूरे परिसर की टोह लेने के निर्देश दिए गए थे, खासकर उस क्षेत्र की जहां सुखबीर सिंह बादल सेवा कर रहे थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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