<p style=”text-align: justify;”><strong>Vanshidhar Brajwasi News:</strong> जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर के लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद तिरहुत स्नातक से एमएलसी की सीट खाली हो गई थी. इस सीट से सत्तारूढ़ जेडीयू की ओर से अभिषेक झा को मौका दिया गया था. आरजेडी ने भी अपने उम्मीदवार के तौर पर गोपी किशन को मैदान में उतारा था. हालांकि दोनों दिग्गज पार्टियों का जादू नहीं चल सका. मंगलवार (10 दिसंबर) को करीब 10,195 वोटों से निर्दलीय प्रत्याशी वंशीधर ब्रजवासी की जीत हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जन सुराज से डॉ. विनायक गौतम मैदान में थे और वे दूसरे नंबर पर रहे. कुल 18 उम्मीदवार इस चुनावी रण में उतरे थे. सभी बड़ी पार्टियों को पटखनी देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी ने धूल चटा दी. पहले राउंड से ही ब्रजवासी आगे चल रहे थे. अंत में भी उनकी ही जीत हुई. जानिए कौन हैं वंशीधर ब्रजवासी जिन्होंने इतिहास रच दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रक्सा प्रखंड के रहने वाले हैं वंशीधर ब्रजवासी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वंशीधर ब्रजवासी मुजफ्फरपुर जिले के रक्सा प्रखंड के रहने वाले नंदकिशोर साहनी के बेटे हैं. पंचायत शिक्षक के रूप में 2005 में इन्होंने 1500 से अपने जीवन की शुरुआत की थी. इन्होंने शिक्षकों के हित के लिए परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ को बनाया. शिक्षकों के अधिकार की लड़ाई लड़ी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केके पाठक का खुलकर किया था विरोध</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वंशीधर ब्रजवासी ने सीधे तौर पर शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक का खुलकर विरोध किया था. इसका खामियाजा भुगतना पड़ा कि इन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वंशीधर पर इस साल मार्च में एक्शन लिया गया था. उनके साथ अन्य 19 शिक्षकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके बाद इस बार वंशीधर ब्रजवासी ने तिरहुत स्नातक क्षेत्र से अपना पर्चा भरा और शिक्षकों से चंदा लेकर चुनाव लड़ा. शिक्षकों ने भी साथ दिया और नतीजा हुआ कि वह जीत गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि करीब 22 साल से यहां जेडीयू का कब्जा था. माना जा रहा था कि जेडीयू के प्रत्याशी अभिषेक झा की जीत निश्चित है लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी के प्रत्याशी भारी मतों से हार गए. एमएलसी चुनाव में लगभग 70 हजार वोट पड़े थे. ब्रजवासी को 27,774 वोट मिले हैं जबकि जन सुराज के डॉ. गौतम को 16,829 वोट मिले हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- </strong><a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/split-in-grand-alliance-bihar-before-2025-elections-rjd-attack-on-congress-shahnawaz-alam-ann-2839688″><strong>2025 के चुनाव से पहले महागठबंधन में फूट! बड़े-छोटे भाई का मुद्दा गरमाया, RJD ने बताई कांग्रेस की हैसियत</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Vanshidhar Brajwasi News:</strong> जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर के लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद तिरहुत स्नातक से एमएलसी की सीट खाली हो गई थी. इस सीट से सत्तारूढ़ जेडीयू की ओर से अभिषेक झा को मौका दिया गया था. आरजेडी ने भी अपने उम्मीदवार के तौर पर गोपी किशन को मैदान में उतारा था. हालांकि दोनों दिग्गज पार्टियों का जादू नहीं चल सका. मंगलवार (10 दिसंबर) को करीब 10,195 वोटों से निर्दलीय प्रत्याशी वंशीधर ब्रजवासी की जीत हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जन सुराज से डॉ. विनायक गौतम मैदान में थे और वे दूसरे नंबर पर रहे. कुल 18 उम्मीदवार इस चुनावी रण में उतरे थे. सभी बड़ी पार्टियों को पटखनी देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी ने धूल चटा दी. पहले राउंड से ही ब्रजवासी आगे चल रहे थे. अंत में भी उनकी ही जीत हुई. जानिए कौन हैं वंशीधर ब्रजवासी जिन्होंने इतिहास रच दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रक्सा प्रखंड के रहने वाले हैं वंशीधर ब्रजवासी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वंशीधर ब्रजवासी मुजफ्फरपुर जिले के रक्सा प्रखंड के रहने वाले नंदकिशोर साहनी के बेटे हैं. पंचायत शिक्षक के रूप में 2005 में इन्होंने 1500 से अपने जीवन की शुरुआत की थी. इन्होंने शिक्षकों के हित के लिए परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ को बनाया. शिक्षकों के अधिकार की लड़ाई लड़ी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केके पाठक का खुलकर किया था विरोध</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वंशीधर ब्रजवासी ने सीधे तौर पर शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक का खुलकर विरोध किया था. इसका खामियाजा भुगतना पड़ा कि इन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वंशीधर पर इस साल मार्च में एक्शन लिया गया था. उनके साथ अन्य 19 शिक्षकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके बाद इस बार वंशीधर ब्रजवासी ने तिरहुत स्नातक क्षेत्र से अपना पर्चा भरा और शिक्षकों से चंदा लेकर चुनाव लड़ा. शिक्षकों ने भी साथ दिया और नतीजा हुआ कि वह जीत गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि करीब 22 साल से यहां जेडीयू का कब्जा था. माना जा रहा था कि जेडीयू के प्रत्याशी अभिषेक झा की जीत निश्चित है लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी के प्रत्याशी भारी मतों से हार गए. एमएलसी चुनाव में लगभग 70 हजार वोट पड़े थे. ब्रजवासी को 27,774 वोट मिले हैं जबकि जन सुराज के डॉ. गौतम को 16,829 वोट मिले हैं.</p>
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