रूस सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शहीद हुए भारतीय तेजपाल सिंह के परिवार के पांच सदस्यों को स्थायी निवास (पीआर) देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सुविधा तेजपाल सिंह के परिवार को दी जा रही है, जो 12 मार्च 2024 को रूसी सेना के लिए लड़ते हुए ज़ापोरिज़िया यूक्रेन में शहीद हो गए थे। तेजपाल सिंह की पत्नी परमिंदर कौर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें स्थायी निवास प्रदान किया गया है। परमिंदर कौर ने कहा कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों, बच्चों और माता-पिता को भी रूस पहुंचने के बाद स्थायी निवास प्रदान किया जाएगा। रूसी सरकार ने उनके बच्चों सात वर्षीय अरमिंदर सिंह और चार वर्षीय गुरनाज़दीप कौर को उनकी शिक्षा और जीवन यापन के खर्च के लिए मार्च से 20,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता देना शुरू कर दिया है। इस कदम को तेजपाल सिंह के परिवार को समर्थन और सहानुभूति प्रदान करने के लिए रूस की ओर से एक प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है। चाचा की शहादत की कहानी सुनकर सेना में जाना चाहते थे तेजपाल की मां सरबजीत कौर बताती हैं कि 1992 में उनके जीजा श्रीनगर में शहीद हो गए थे। एक साल बाद तेजपाल की मौत हो गई। तेजपाल उनकी शहादत की कहानियां सुनते रहते थे। तभी से सेना में जाने का जुनून सवार हो गया था। स्कूल में एनसीसी भी ज्वाइन की। एनसीसी में ही हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली। तेजपाल ने 6-7 बार सेना में जाने की कोशिश की। फिटनेस और लिखित परीक्षा भी पास की, लेकिन हर बार उनका नाम सूची में नहीं आया। आखिरकार जब उनके दोस्तों ने उन्हें रूसी सेना में भर्ती के बारे में बताया तो वे जनवरी में यहां से रूस के लिए रवाना हो गए। परिवार को तेजपाल की मौत की जानकारी 4 महीने बाद मिली परमिंदर कौर ने बताया कि तेजपाल को रूसी सेना ने सुरक्षा सहायक के तौर पर नियुक्त किया था। जॉइनिंग से पहले एक कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया गया था। उसके कुछ पन्ने उनके पास हैं, लेकिन वे रूसी भाषा में हैं। परमिंदर कौर ने बताया कि आखिरी बार तेजपाल से उनकी बात 3 मार्च को हुई थी, लेकिन परिवार को उनकी मौत की जानकारी 9 जून को मिली। रूस सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शहीद हुए भारतीय तेजपाल सिंह के परिवार के पांच सदस्यों को स्थायी निवास (पीआर) देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सुविधा तेजपाल सिंह के परिवार को दी जा रही है, जो 12 मार्च 2024 को रूसी सेना के लिए लड़ते हुए ज़ापोरिज़िया यूक्रेन में शहीद हो गए थे। तेजपाल सिंह की पत्नी परमिंदर कौर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें स्थायी निवास प्रदान किया गया है। परमिंदर कौर ने कहा कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों, बच्चों और माता-पिता को भी रूस पहुंचने के बाद स्थायी निवास प्रदान किया जाएगा। रूसी सरकार ने उनके बच्चों सात वर्षीय अरमिंदर सिंह और चार वर्षीय गुरनाज़दीप कौर को उनकी शिक्षा और जीवन यापन के खर्च के लिए मार्च से 20,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता देना शुरू कर दिया है। इस कदम को तेजपाल सिंह के परिवार को समर्थन और सहानुभूति प्रदान करने के लिए रूस की ओर से एक प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है। चाचा की शहादत की कहानी सुनकर सेना में जाना चाहते थे तेजपाल की मां सरबजीत कौर बताती हैं कि 1992 में उनके जीजा श्रीनगर में शहीद हो गए थे। एक साल बाद तेजपाल की मौत हो गई। तेजपाल उनकी शहादत की कहानियां सुनते रहते थे। तभी से सेना में जाने का जुनून सवार हो गया था। स्कूल में एनसीसी भी ज्वाइन की। एनसीसी में ही हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली। तेजपाल ने 6-7 बार सेना में जाने की कोशिश की। फिटनेस और लिखित परीक्षा भी पास की, लेकिन हर बार उनका नाम सूची में नहीं आया। आखिरकार जब उनके दोस्तों ने उन्हें रूसी सेना में भर्ती के बारे में बताया तो वे जनवरी में यहां से रूस के लिए रवाना हो गए। परिवार को तेजपाल की मौत की जानकारी 4 महीने बाद मिली परमिंदर कौर ने बताया कि तेजपाल को रूसी सेना ने सुरक्षा सहायक के तौर पर नियुक्त किया था। जॉइनिंग से पहले एक कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया गया था। उसके कुछ पन्ने उनके पास हैं, लेकिन वे रूसी भाषा में हैं। परमिंदर कौर ने बताया कि आखिरी बार तेजपाल से उनकी बात 3 मार्च को हुई थी, लेकिन परिवार को उनकी मौत की जानकारी 9 जून को मिली। पंजाब | दैनिक भास्कर
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