एक बूढ़े मच्छर ने युवा मच्छर से कहा, ‘संघर्ष के बारे में तुम्हें क्या मालूम? आजकल तो बहुत सुविधा मिल गई है। पहले इतना खुलापन कहां था कि हम कहीं भी काट सकें।’ यही स्थिति हमारी भी है। जैसी जिंदगी बिताई है, उसे याद करते हैं तो दर्द महसूस होता है। मजे की बात यह है कि उस समय जब प्रेमी-प्रेमिका आपस में मिलते थे, तो प्रेमिका कहती थी, ‘कहीं कोई देख न ले।’ अब स्थिति बदल गई है। अब आजकल के प्रेमी कहते हैं कि, ‘प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं!’ उस दौरान पुरानी फिल्मों में भी प्यार का स्कोप बहुत अधिक नहीं होता था। पेड़ की एक टहनी को नायक पकड़ लेता था, दूसरी टहनी को नायिका पकड़ लेती थी। बस, हो गया प्यार! ज्यादा निकटता दिखाने के लिए दोनों एक ही टहनी पकड़कर गाना गा लेते थे और क्या! लेकिन अब फिल्मों का प्यार बिल्कुल बदल गया है। गाने की सिचुएशन आते ही अचानक सौ-सवा सौ नर्तक प्रकट हो जाते हैं। नायक-नायिका एक झटके में विदेश की लोकेशन पर गाना गाने लगते हैं। नायक लड़का कितना भी गरीब क्यों ना हो, लेकिन प्यार का इजहार करने के लिए विदेश की लोकेशन तो मस्ट होती है। अरे पहले तो फिल्म के परदे पर दो फूल आपस में मिल जाते थे, तो काफी होता था! आजकल तो शादियों के लिए प्री-वेडिंग शूट होते हैं। इसमें लड़के-लड़की शादी से पहले किसी रोमांटिक लोकेशन पर जाकर शूटिंग करते हैं। उनके साथ पांच-सात, छोरे-छोरियों का ग्रुप भी जाता है। फोटोशूट का बिल दो-चार लाख रुपए से कम नहीं रहता। और जो एल्बम बनती है, वह ब्याह के कुछ साल बाद एक-दूसरे को कोसने के काम आती है। हम अब बहुत आगे बढ़ गए हैं। पहले घर-परिवार में हनीमून शब्द का प्रयोग वर्जित था। वर्जित इसलिए भी होता था कि शादी के खर्च के बाद दूल्हा-दुल्हन कहीं घूमने जाने की सोच भी नहीं सकते थे। लेकिन अब हम विकसित हो गए हैं। अब साथ बैठकर नए जोड़े पारिवारिक चर्चा करते हैं कि शादी के बाद कहां जाना ठीक रहेगा। वहां की तस्वीरें खिंचती हैं ताकि समाज को पता चल सके कि हम कितने आधुनिक हैं। कहीं समाज यह न समझ ले कि ये इन दकियानूसी लोगों ने शादी तो कर ली पर वो बात नहीं है। ऐसी परिस्थिति में तस्वीरें जमाने वालों की जुबान पर लगाम लगाने का काम करेंगी। पूरा परिवार साथ बैठकर ओटीटी के हर प्रकार के ‘मनोरंजक’ कार्यक्रम देखने लगा है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर रील्स ने तो रेल बनाकर हद ही कर दी है। देख लो, समाज कितना आगे निकल गया है। एक ज्योतिषी के पास एक मां अपनी बेटी की कुंडली लेकर पहुंची। मां के चेहरे पर घोर चिंता की रेखाएं थीं। वह इस बात से परेशान थी कि उसकी बेटी 17 साल की हो गई है, और अभी तक उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। मैंने ममता के इस रूप को देखा तो मेरी आंखों से वात्सल्य के आंसू बह निकले। अब वह दिन दूर नहीं जब बगैर फटी जींस पहने बेटे को देखकर बाप शर्म से सिर गड़ा कर बोलेगा, ‘तूने तो खानदान की नाक कटवा दी।’ वह दिन हमारी संस्कृति का स्वर्णकाल होगा। एक बड़ा फिल्म निर्माता मुझे एयरपोर्ट के वीआईपी लांज में मिला। बोला, ‘शर्मा जी, आप तो कवि-सम्मेलनों में काफी कमा लेते होंगे।’ मैंने कहा, ‘भैया, कमाई तो हो ही जाती है, लेकिन क्योंकि हम साबुत जींस पहनकर समाज में उठते-बैठते हैं, इसलिए हमें हिकारत भरी नजर से देखा जाता है। कमाई तो काफी हो जाती है, लेकिन अभी तक इतनी कमाई नहीं हो पाई है कि फटी जींस खरीद सकूं।’ ———————- ये कॉलम भी पढ़ें… बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले:दुल्हन को मायका याद ना आए चाहे दूल्हे वालों को नानी याद आ जाए एक बूढ़े मच्छर ने युवा मच्छर से कहा, ‘संघर्ष के बारे में तुम्हें क्या मालूम? आजकल तो बहुत सुविधा मिल गई है। पहले इतना खुलापन कहां था कि हम कहीं भी काट सकें।’ यही स्थिति हमारी भी है। जैसी जिंदगी बिताई है, उसे याद करते हैं तो दर्द महसूस होता है। मजे की बात यह है कि उस समय जब प्रेमी-प्रेमिका आपस में मिलते थे, तो प्रेमिका कहती थी, ‘कहीं कोई देख न ले।’ अब स्थिति बदल गई है। अब आजकल के प्रेमी कहते हैं कि, ‘प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं!’ उस दौरान पुरानी फिल्मों में भी प्यार का स्कोप बहुत अधिक नहीं होता था। पेड़ की एक टहनी को नायक पकड़ लेता था, दूसरी टहनी को नायिका पकड़ लेती थी। बस, हो गया प्यार! ज्यादा निकटता दिखाने के लिए दोनों एक ही टहनी पकड़कर गाना गा लेते थे और क्या! लेकिन अब फिल्मों का प्यार बिल्कुल बदल गया है। गाने की सिचुएशन आते ही अचानक सौ-सवा सौ नर्तक प्रकट हो जाते हैं। नायक-नायिका एक झटके में विदेश की लोकेशन पर गाना गाने लगते हैं। नायक लड़का कितना भी गरीब क्यों ना हो, लेकिन प्यार का इजहार करने के लिए विदेश की लोकेशन तो मस्ट होती है। अरे पहले तो फिल्म के परदे पर दो फूल आपस में मिल जाते थे, तो काफी होता था! आजकल तो शादियों के लिए प्री-वेडिंग शूट होते हैं। इसमें लड़के-लड़की शादी से पहले किसी रोमांटिक लोकेशन पर जाकर शूटिंग करते हैं। उनके साथ पांच-सात, छोरे-छोरियों का ग्रुप भी जाता है। फोटोशूट का बिल दो-चार लाख रुपए से कम नहीं रहता। और जो एल्बम बनती है, वह ब्याह के कुछ साल बाद एक-दूसरे को कोसने के काम आती है। हम अब बहुत आगे बढ़ गए हैं। पहले घर-परिवार में हनीमून शब्द का प्रयोग वर्जित था। वर्जित इसलिए भी होता था कि शादी के खर्च के बाद दूल्हा-दुल्हन कहीं घूमने जाने की सोच भी नहीं सकते थे। लेकिन अब हम विकसित हो गए हैं। अब साथ बैठकर नए जोड़े पारिवारिक चर्चा करते हैं कि शादी के बाद कहां जाना ठीक रहेगा। वहां की तस्वीरें खिंचती हैं ताकि समाज को पता चल सके कि हम कितने आधुनिक हैं। कहीं समाज यह न समझ ले कि ये इन दकियानूसी लोगों ने शादी तो कर ली पर वो बात नहीं है। ऐसी परिस्थिति में तस्वीरें जमाने वालों की जुबान पर लगाम लगाने का काम करेंगी। पूरा परिवार साथ बैठकर ओटीटी के हर प्रकार के ‘मनोरंजक’ कार्यक्रम देखने लगा है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर रील्स ने तो रेल बनाकर हद ही कर दी है। देख लो, समाज कितना आगे निकल गया है। एक ज्योतिषी के पास एक मां अपनी बेटी की कुंडली लेकर पहुंची। मां के चेहरे पर घोर चिंता की रेखाएं थीं। वह इस बात से परेशान थी कि उसकी बेटी 17 साल की हो गई है, और अभी तक उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। मैंने ममता के इस रूप को देखा तो मेरी आंखों से वात्सल्य के आंसू बह निकले। अब वह दिन दूर नहीं जब बगैर फटी जींस पहने बेटे को देखकर बाप शर्म से सिर गड़ा कर बोलेगा, ‘तूने तो खानदान की नाक कटवा दी।’ वह दिन हमारी संस्कृति का स्वर्णकाल होगा। एक बड़ा फिल्म निर्माता मुझे एयरपोर्ट के वीआईपी लांज में मिला। बोला, ‘शर्मा जी, आप तो कवि-सम्मेलनों में काफी कमा लेते होंगे।’ मैंने कहा, ‘भैया, कमाई तो हो ही जाती है, लेकिन क्योंकि हम साबुत जींस पहनकर समाज में उठते-बैठते हैं, इसलिए हमें हिकारत भरी नजर से देखा जाता है। कमाई तो काफी हो जाती है, लेकिन अभी तक इतनी कमाई नहीं हो पाई है कि फटी जींस खरीद सकूं।’ ———————- ये कॉलम भी पढ़ें… बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले:दुल्हन को मायका याद ना आए चाहे दूल्हे वालों को नानी याद आ जाए उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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अबोहर के युवक की मलोट में मौत:कार में सवार होकर लौट रहा था घर, स्कार्पियो से हुई टक्कर, तीन अन्य घायल अबोहर निवासी एक युवक की आज तड़के मलोट के निकट हुए सड़क हादसे में मौत हो गई, जबकि कार में सवार उसका दूसरा साथी और दो अन्य लोग बुरी तरह से घायल हो गए, जिन्हें बठिंडा के एम्स में भर्ती करवाया गया है। वहीं मृतक की देह को मलोट के सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवाया गया है। अबोहर के बस स्टेडं के पीछे रहने वला 30 वर्षीय अमित बजाज उर्फ डिप्टी फाइनेंस का काम करता था। अमित आज सुबह अबोहर निवासी अपने दोस्त जोगिंदर उर्फ जोनी के साथ कार में सवार होकर बठिंडा से अबोहर आ रहा था। जब वे मलोट तहसील के निकट पहुंचे तो सामने से आ रही एक स्कार्पियो गाड़ी से उनकी जोरदार टक्कर हो गई। स्कार्पियो सवार दो घायल टक्कर इतनी भयंकर थी कि अमित बजाज की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका दोस्त और स्कार्पियों सवार मलोट निवासी राहुल और गगनदीप बुरी तरह से घायल हो गए, जिन्हें आसपास के लेागों ने बड़ी मशक्त के बाद बाहर निकालकर एम्स बठिंडा में भर्ती करवाया। मौके पर पहुंची मलोट पुलिस मामले की जांच कर रही है
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Delhi Fire: दिल्ली के वजीराबाद पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में कैसे लगी आग, क्या कहते हैं फायर अधिकारी? <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Police Wazirabad Training Centre Fire:</strong> दिल्ली में हीटवेव की वजह से आगजनी की घटनाओं में इजाफा का सिलसिला जारी है. 30 मई को दिल्ली पुलिस के वजीराबाद ट्रेनिंग सेंटर में ऐसी आग लगी कि 300 से ज्यादा वाहन धू-धूकर जल गए. अभी आग लगने की मूल वजह का पता नहीं पाया है, लेकिन दिल्ली फायर सेवा के अधिकारी प्रचंड गर्मी को इस घटना के पीछे तत्कालिक कारण मान रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वजीराबाद इलाके में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के ‘मालखाना’ में 30 मई को आग लगने से कम से कम 300 वाहन जलकर खाक हो गया. दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अधिकारियों के मुताबिक आग लगने की इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आग की इस घटना में करीब 125 चार पहिया वाहन और 175 दो पहिया वाहन जलकर खाक हुए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>डीएफएस के प्रभागीय अधिकारी अशोक कुमार जायसवाल ने कहा, ‘‘हमें अपराह्न दो बजकर 37 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली. दमकल की कुल 14 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया. इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मालखाने में खड़े थे 4 हजार वाहन </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली फायर सेवा के अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण केंद्र में 4,000 से अधिक जब्त वाहन खड़े थे. अशोक कुमार जायसवाल ने कहा, ‘‘यह इलाका पांच एकड़ से अधिक में फैला हुआ है और आग 300 से ज्यादा गाड़ियों के ढेर में लगी थी. हमारी टीमों ने तुरंत आग बुझाना शुरू कर दिया. आग की जांच के लिए कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंचे हैं.’’ </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>तो ये है आग लगने की वजह! </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ये है उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर आग लगने के दो संभावित कारण हो सकते हैं. जायसवाल ने कहा, ‘‘एक यह कि किसी ने सिगरेट या बीड़ी के टुकड़े फेंके होंगे, जिससे सूखी पत्तियां और झाड़ियां आग पकड़ ली होगी या स्वतःस्फूर्त दहन भी आग का कारण हो सकता है, जिसमें वाहन की बैटरियों से निकली चिंगारी से आग लग सकती है.’’ </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच में जुटी पुलिस </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>फायर सेवा के अफसर के मुताबिक , आग बुझाने के लिए 40 दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘‘वाहन के सीट कवर और पेंट में आग अधिक तेजी से लगती है.’’ आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है और पुलिस सभी पहलुओं की जांच कर रही है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि क्षतिग्रस्त वाहनों की सही संख्या की जांच संबंधित जिले और पुलिस थानों की सूची और रिकार्ड से की जाएगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों ने कहा, ‘‘मामले की आगे की जांच शुरू करने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों और अपराध टीम ने घटनास्थल का दौरा किया.’’ आग लगने के बाद दूर से ही घना काला धुआं उठता हुआ दिखाई दे रहा था.</p>
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अयोध्या में सांसद आरके चौधरी बोले-सपा सभी सीटें जीतेगी:भाजपाई केवल लड़ाई कराना जानते हैं, उपचुनाव में अजीत प्रसाद को जीतने की अपील की बीपी मंडल की जयंती पर मोहनलालगंज के सपा सांसद आरके चौधरी आज अयोध्या पहुंचे। उन्होंने मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिए जाने की तारीफ की। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी, जो भी हमारे साथी हैं पार्टी के कार्यकर्ता हैं, वे लग जाए और अजीत प्रसाद को चुनाव जिताएं। प्रदेश के सभी 10 सीटों पर सपा उप चुनाव जीतेगी। पीडीए के सवाल पर आरके चौधरी ने कहा, कभी इस देश में कांशीराम हुआ करते थे। उन्होंने बनाया था बहुजन समाज, जो बहुजन की बात करेगा वो दिल्ली पर राज करेगा, अब वही पीडीए बन गया है तो नारा बदल गया। जो पीडीए की बात करेगा, वो दिल्ली पर राज करेगा। बाबा तेरा मिशन अधूरा कांशीराम करेंगे पूरा। हर जातियों को बराबरी का हक दिलाना लक्ष्य उन्होंने कहा कि समाज में उच्च वर्ग की लोग तरक्की करके बहुत आगे बढ़े हैं। जिनको पिछाड़ा गया है जो कमजोर है लाचार हैं दबाया गया है उनको आगे बढ़ाना है। हर जातियां बराबरी का स्थान पाए यही लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पाने के लिए जो मिशन है बाबा अंबेडकर के नाम पर था कि पहले नारा लगता था बाबा तेरा मिशन अधूरा कांशीराम करेंगे पूरा। अब कांशीराम है नहीं तो नारा लग रहा है बाबा तेरा मिशन अधूरा अखिलेश यादव करेंगे पूरा। भदरसा गैंग रेप कांड पर आरके चौधरी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये जो बीजेपी है और आरएसएस है और जो उसके नेता हैं वह टेढ़ी-मेढ़ी बात करते हैं, इस देश में हिंदू मुसलमान हिंदू मुसलमान करते हैं। लड़ाई लड़ाने के अलावा कुछ जानते नहीं है। यह देश सबका है, बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान लिखा है इस देश के संविधान के दायरे में तमाम कानून बने हैं। बीजेपी तो यह भी कहती है संसद भवन में सेंग्योल के हिसाब से काम हो लेकिन हम चाहते हैं संविधान के हिसाब से काम हो। जातिगत जनगणना की मांग पर आरके चौधरी ने कहा कि हम भी चाहते हैं इसकी जांच हो जाए पता चल जाए कितनी किसकी संख्या है, जितनी जिनकी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।