महज 19 वर्ष की आयु से अध्यात्म की राह पर चल निकले फुलसंदे वाले बाबा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आधुनिक बाबाओं की चकाचौंध की तरह न तो उनकी लग्जरी लाइफ स्टाइल है, न विदेशी भक्तों का दिखावा और न ही आश्रमों की श्रखंला। चकाचौंध से दूर धरातल पर बेहद सादगी से अपने भक्तों के बीच सत्संग कर उनकी आध्यामिक उन्नति के मिशन में जुटे बाबा का सामाजिक सरोकारों से भी करीबी नाता है। बेसहारा बेटियों के विवाह से लेकर युवाओं में नशे की लत छुड़ाने तक बाबा कई मोर्चों पर सामाजिक जिम्मेदारियों का बोझ भी अपने कंधों पर उठाए हैं।
मुरादाबाद में तीन दिन के सत्संग में आए फुलसंदे वाले बाबा से दैनिक भास्कर ने खास बातचीत की। इस दौरान बाबा ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के रोमांचक अनुभवों से लेकर पुनर्जन्म पर अपने अनुभवों व विचारों को दैनिक भास्कर से बेबाकी से साझा किया। संभल में हरिहर मंदिर और जामा मस्जिद के विवाद पर भी उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी। इसके साथ ही ये भी कहा कि योगी और मोदी ईश्वर द्वारा इस धरती पर भेजी गई देव आत्माएं हैं। संभल हिंसा पर बाबा ने कहा कि मुगलों ने जो बोया वही फल रहा है। कर्मों का फल हर किसी को भुगतना ही पड़ता है, फिर चाहे वो सामान्य मनुष्य हो या देव आत्माएं। आइए, पढ़िए सतपुरुष बाबा फुलसंदे वालों का पूरा इंटरव्यू प्रश्न- आपकी आध्यात्मिक यात्रा को कितने वर्ष हुए और अभी तक की यात्रा से आप कितने संतुष्ट हैं ?
उत्तर- देखिए मुझे तो ईश्वर की कृपा से पिछले जन्मों का भी आभास हुआ है। वो प्रभु पिछले बहुत जन्मों से मेरे साथ -साथ है। आपके भी साथ है। हम सभी के साथ हैं। बहुत सारी चीजें स्मृतियां मुझे बचपन से आती रहती थीं। 19 वर्ष की अवस्था में मृत्यु के देवता मुझे परलोक में ले गए। देवताओं से सिद्धों से महान हस्तियों से मिलवाया। मैं तो बहुत संतुष्ट हूं। रही यहां की हम लोगों की मनुष्य की बातें तो लड़ाई झगड़े हैं। पाप आचरण हैं और कहीं कहीं पुण्य भी हैं। ईश्वर की आराधनाएं भी हैं। सबकुछ हैं। प्रश्न- आध्यात्मिक उत्थान के जरिए आप देश को विश्व के शिखर पर ले जाना चाहते हैं। अभी तक कितनी सफलता नजर आती है!
उत्तर- जीवन बहुत छोटा है और व्यवधान बहुत ज्यादा हैं। लेकिन फिर भी हमें आशान्वित रहना चाहिए। धीरे-धीरे हरेक आत्मा विकास की तरफ बढ़ती है। हम भी विकास की तरफ अंदर की तरफ अमृत की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रश्न:-युवाओं के लिए आपका क्या संदेश है ?
उत्तर- युवाओं में नशे की लत तेजी से लग रही है। उनसे हमारा कहना है कि वो नशे को छोड़ दें। परिवार की तरफ भी ध्यान दें। युवा एक तरह से आत्मकेंद्रित होते चले जा रहे हैं। घर के जो बुजुर्ग सदस्य हैं, पैरेंट्स हैं या फिर भाई बहन हैं, उन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमारा कहना है कि अपने पैरेंट्स पर अपने परिवार पर ध्यान दें। प्रश्न- आजकल बाबाओं की भीड़ है, कई पर आरोप लगते हैं। आपकी इमेज इन सभी से अलग है। आप इतनी सुचिता को कैसे मेंटेन कर पाते हैं ?
उत्तर- सुचिता पवित्रता ईश्वर की देन है। मैं तो पूरे विश्व को परिवार समझता हूं। सभी के लिए प्रार्थना भी करता हूं। सभी से आग्रह भी करता हूं। मैं सभी से कहता हूं कि अपने चिंतन को पवित्र रखें। अपनी वाणी को और अपने चरित्र को पवित्र रखें। प्रश्न- आजकल मंदिर-मस्जिद को लेकर देश में बहुत विवाद उठे हैं। आपकी दृष्टि में ये क्या है?
उत्तर -देखिए पहले कभी जो हुआ है उसका कभी परिणाम भी आता है। ये सब जो हो रहा हे ये वही चीजें हैं। योगी-मोदी ईश्वर के द्वारा प्रदत्त ये देव आत्माएं हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसा समझता हूं। वो केवल सनातन धर्म के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रश्न- मंदिर-मस्जिद के इन विवादों का क्या परिणाम होगा ?
उत्तर- ये जो आप देख रहे हैं ये परिणाम ही है। कहीं हमने वर्षों पहले कुछ बीज बोए वो अब फलित हो रहे हैं। कर्म तो फलित होते हैं। चाहे वो मेरा हो आपको हो, चाहे जो राजाओं (मुगल बादशाहों ) का हो। विदेशी आक्रांताओं ने कभी भारत वर्ष में जो एक दूषित वातावरण किया, तो कहीं न कहीं उसकी स्वच्छता की आवश्यकता तो जरूर पड़ेगी। प्रश्न- धर्म परिवर्तन को आप किस तरह देखते हैं?
उत्तर- धर्म को लेकर मेरा दृष्टिकोण अलग है। मैं हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म..इन्हें धर्म नहीं मानता। मेरा व्यक्तिगत चिंतन ये है कि धर्म के सिद्धांत सभी मनुष्यों के लिए एक जैसे हैं। हम अपने जीवन में सत्य का आचरण करें, हिंसा से बचें। दूसरों काे कष्ट पहुंचाने से बचें। फिर चाहे वह मनुष्य हों या पशु पक्षी हों अथवा वृक्ष हैं। उनको कष्ट न पहुंचाएं। चरित्र की उच्चता पूरी मनुष्य जाति के लिए जरूरी है। फिर वह चाहे किसी भी देश में रहते हों या फिर किसी भी विचारधारा के हों। प्रश्न-आपके जीवन का सबसे अद्भुत क्षण आप किसे मानते हैं ?
उत्तर- 19 वर्ष की अवस्था में मृत्यु के देवता भगवान यम जब मुझे परलोक में ले गए तो उन्होंने मुझे एक पहाड़ दिखाया। जहां बहुत शरीर रखे थे। या यूं कहिए कि बहुत सारे योगी ध्यान में बैठे थे। इतने कि उन्हें गिनना संभव नहीं था…असंख्य थे। मृत्यु के देवता बोले, तुम्हें पता है ये लोग कौन हैं। मैंने कहा प्रभु मुझे नहीं पता। कहा- ये तुम्हारे पिछले जन्मों के वो शरीर हैं, जिन शरीरों में तुमने प्रभु को याद किया। वो रोमांच का समय था मेरे लिए। मैं सभी से कहता हूं कि हम सभी लोगों के बार-बार जन्म होते हैं। बहुत सारे लोग इसे नकार देते हैं सिरे से। ऐसे लोग तर्क देते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथ में तो है ही नहीं। मैं पूछता हूं कि धर्म ग्रंथ में मोबाइल कहां हैं। बहुत ऐसा समय है जो बदलता रहता है। प्राचीन समय है। तथ्य ओर सत्य तो हमेशा बने रहेंगे। प्रश्न: यूथ तो सत्संग में भी नहीं आता। उसे कैसे लाएंगे ?
उत्तर- सत्संग से और आश्रम से तो युवाओं को कोई खास मतलब नहीं है। इसलिए हमारे एजुकेशन सिस्टम में नैतिकता को लाना होगा। गेम्स, योगा प्रैक्टिकल की तरह हैं। इन्हें बढ़ाना होगा। नर्सरी से लेकर इंटर तक प्रार्थना होती है। उसमें दो मिनट के ध्यान में बच्चों को परमात्मा की अनुभति के विषय में बताएं। उस परमात्मा को महसूस करें जो हमारे शरीर में है जो बाहर है पूरे ब्रह्मांड में है। उससे हमारी सात्विक वृत्ति बढ़ेगी और उज्जवलता बढ़ेगी। कौन हैं बाबा फुलसंदे वाले, पढ़िए…
बाबा फुलसंदे वालों को जन्म 19 अगस्त 1957 को बिजनौर के फुलसंदा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि सामान्य बालकों से हटकर आध्यात्मक की तरफ थी। उन्हें बचपन से ही दिव्य प्रकाश की अनुभूति होती थी। जिससे उनके माता-पिता विचलित रहते थे। माता पिता ने उन्हें सांसारिक वस्तुओं की तरफ खींचना चाहा लेकिन 19 वर्ष की आयु आते-आते वो पूरी तरह से आध्यात्म की राह पर चल निकले। अब उनके लाखों भक्त उन्हें सतपुरुष बाबा फुलसन्दे वाले और गुरूजी के नाम से पुकारते हैं। बाबा के पैतृक गांव फुलसंदे में अब उनका एक आश्रम है। बाबा समाज में एकता के भाव की बात करते हैं। समाज के उत्थान के लिए अपने अनुयायियों को प्रेरित करते हैं और खुद भी काम करते हैं। बाबा चाहते हैं कि देश में सभी लोग वैदिक ऋषियों के सदियों पुराने ज्ञान का पालन करें। फुलसंदे वाले बाबा एक संत, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, सुधारक, दार्शनिक और लेखक हैं। “एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा” उनका मंत्र है, जिसका उनके अनुयायी जप करते हैं। महज 19 वर्ष की आयु से अध्यात्म की राह पर चल निकले फुलसंदे वाले बाबा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आधुनिक बाबाओं की चकाचौंध की तरह न तो उनकी लग्जरी लाइफ स्टाइल है, न विदेशी भक्तों का दिखावा और न ही आश्रमों की श्रखंला। चकाचौंध से दूर धरातल पर बेहद सादगी से अपने भक्तों के बीच सत्संग कर उनकी आध्यामिक उन्नति के मिशन में जुटे बाबा का सामाजिक सरोकारों से भी करीबी नाता है। बेसहारा बेटियों के विवाह से लेकर युवाओं में नशे की लत छुड़ाने तक बाबा कई मोर्चों पर सामाजिक जिम्मेदारियों का बोझ भी अपने कंधों पर उठाए हैं।
मुरादाबाद में तीन दिन के सत्संग में आए फुलसंदे वाले बाबा से दैनिक भास्कर ने खास बातचीत की। इस दौरान बाबा ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के रोमांचक अनुभवों से लेकर पुनर्जन्म पर अपने अनुभवों व विचारों को दैनिक भास्कर से बेबाकी से साझा किया। संभल में हरिहर मंदिर और जामा मस्जिद के विवाद पर भी उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी। इसके साथ ही ये भी कहा कि योगी और मोदी ईश्वर द्वारा इस धरती पर भेजी गई देव आत्माएं हैं। संभल हिंसा पर बाबा ने कहा कि मुगलों ने जो बोया वही फल रहा है। कर्मों का फल हर किसी को भुगतना ही पड़ता है, फिर चाहे वो सामान्य मनुष्य हो या देव आत्माएं। आइए, पढ़िए सतपुरुष बाबा फुलसंदे वालों का पूरा इंटरव्यू प्रश्न- आपकी आध्यात्मिक यात्रा को कितने वर्ष हुए और अभी तक की यात्रा से आप कितने संतुष्ट हैं ?
उत्तर- देखिए मुझे तो ईश्वर की कृपा से पिछले जन्मों का भी आभास हुआ है। वो प्रभु पिछले बहुत जन्मों से मेरे साथ -साथ है। आपके भी साथ है। हम सभी के साथ हैं। बहुत सारी चीजें स्मृतियां मुझे बचपन से आती रहती थीं। 19 वर्ष की अवस्था में मृत्यु के देवता मुझे परलोक में ले गए। देवताओं से सिद्धों से महान हस्तियों से मिलवाया। मैं तो बहुत संतुष्ट हूं। रही यहां की हम लोगों की मनुष्य की बातें तो लड़ाई झगड़े हैं। पाप आचरण हैं और कहीं कहीं पुण्य भी हैं। ईश्वर की आराधनाएं भी हैं। सबकुछ हैं। प्रश्न- आध्यात्मिक उत्थान के जरिए आप देश को विश्व के शिखर पर ले जाना चाहते हैं। अभी तक कितनी सफलता नजर आती है!
उत्तर- जीवन बहुत छोटा है और व्यवधान बहुत ज्यादा हैं। लेकिन फिर भी हमें आशान्वित रहना चाहिए। धीरे-धीरे हरेक आत्मा विकास की तरफ बढ़ती है। हम भी विकास की तरफ अंदर की तरफ अमृत की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रश्न:-युवाओं के लिए आपका क्या संदेश है ?
उत्तर- युवाओं में नशे की लत तेजी से लग रही है। उनसे हमारा कहना है कि वो नशे को छोड़ दें। परिवार की तरफ भी ध्यान दें। युवा एक तरह से आत्मकेंद्रित होते चले जा रहे हैं। घर के जो बुजुर्ग सदस्य हैं, पैरेंट्स हैं या फिर भाई बहन हैं, उन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमारा कहना है कि अपने पैरेंट्स पर अपने परिवार पर ध्यान दें। प्रश्न- आजकल बाबाओं की भीड़ है, कई पर आरोप लगते हैं। आपकी इमेज इन सभी से अलग है। आप इतनी सुचिता को कैसे मेंटेन कर पाते हैं ?
उत्तर- सुचिता पवित्रता ईश्वर की देन है। मैं तो पूरे विश्व को परिवार समझता हूं। सभी के लिए प्रार्थना भी करता हूं। सभी से आग्रह भी करता हूं। मैं सभी से कहता हूं कि अपने चिंतन को पवित्र रखें। अपनी वाणी को और अपने चरित्र को पवित्र रखें। प्रश्न- आजकल मंदिर-मस्जिद को लेकर देश में बहुत विवाद उठे हैं। आपकी दृष्टि में ये क्या है?
उत्तर -देखिए पहले कभी जो हुआ है उसका कभी परिणाम भी आता है। ये सब जो हो रहा हे ये वही चीजें हैं। योगी-मोदी ईश्वर के द्वारा प्रदत्त ये देव आत्माएं हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसा समझता हूं। वो केवल सनातन धर्म के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रश्न- मंदिर-मस्जिद के इन विवादों का क्या परिणाम होगा ?
उत्तर- ये जो आप देख रहे हैं ये परिणाम ही है। कहीं हमने वर्षों पहले कुछ बीज बोए वो अब फलित हो रहे हैं। कर्म तो फलित होते हैं। चाहे वो मेरा हो आपको हो, चाहे जो राजाओं (मुगल बादशाहों ) का हो। विदेशी आक्रांताओं ने कभी भारत वर्ष में जो एक दूषित वातावरण किया, तो कहीं न कहीं उसकी स्वच्छता की आवश्यकता तो जरूर पड़ेगी। प्रश्न- धर्म परिवर्तन को आप किस तरह देखते हैं?
उत्तर- धर्म को लेकर मेरा दृष्टिकोण अलग है। मैं हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म..इन्हें धर्म नहीं मानता। मेरा व्यक्तिगत चिंतन ये है कि धर्म के सिद्धांत सभी मनुष्यों के लिए एक जैसे हैं। हम अपने जीवन में सत्य का आचरण करें, हिंसा से बचें। दूसरों काे कष्ट पहुंचाने से बचें। फिर चाहे वह मनुष्य हों या पशु पक्षी हों अथवा वृक्ष हैं। उनको कष्ट न पहुंचाएं। चरित्र की उच्चता पूरी मनुष्य जाति के लिए जरूरी है। फिर वह चाहे किसी भी देश में रहते हों या फिर किसी भी विचारधारा के हों। प्रश्न-आपके जीवन का सबसे अद्भुत क्षण आप किसे मानते हैं ?
उत्तर- 19 वर्ष की अवस्था में मृत्यु के देवता भगवान यम जब मुझे परलोक में ले गए तो उन्होंने मुझे एक पहाड़ दिखाया। जहां बहुत शरीर रखे थे। या यूं कहिए कि बहुत सारे योगी ध्यान में बैठे थे। इतने कि उन्हें गिनना संभव नहीं था…असंख्य थे। मृत्यु के देवता बोले, तुम्हें पता है ये लोग कौन हैं। मैंने कहा प्रभु मुझे नहीं पता। कहा- ये तुम्हारे पिछले जन्मों के वो शरीर हैं, जिन शरीरों में तुमने प्रभु को याद किया। वो रोमांच का समय था मेरे लिए। मैं सभी से कहता हूं कि हम सभी लोगों के बार-बार जन्म होते हैं। बहुत सारे लोग इसे नकार देते हैं सिरे से। ऐसे लोग तर्क देते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथ में तो है ही नहीं। मैं पूछता हूं कि धर्म ग्रंथ में मोबाइल कहां हैं। बहुत ऐसा समय है जो बदलता रहता है। प्राचीन समय है। तथ्य ओर सत्य तो हमेशा बने रहेंगे। प्रश्न: यूथ तो सत्संग में भी नहीं आता। उसे कैसे लाएंगे ?
उत्तर- सत्संग से और आश्रम से तो युवाओं को कोई खास मतलब नहीं है। इसलिए हमारे एजुकेशन सिस्टम में नैतिकता को लाना होगा। गेम्स, योगा प्रैक्टिकल की तरह हैं। इन्हें बढ़ाना होगा। नर्सरी से लेकर इंटर तक प्रार्थना होती है। उसमें दो मिनट के ध्यान में बच्चों को परमात्मा की अनुभति के विषय में बताएं। उस परमात्मा को महसूस करें जो हमारे शरीर में है जो बाहर है पूरे ब्रह्मांड में है। उससे हमारी सात्विक वृत्ति बढ़ेगी और उज्जवलता बढ़ेगी। कौन हैं बाबा फुलसंदे वाले, पढ़िए…
बाबा फुलसंदे वालों को जन्म 19 अगस्त 1957 को बिजनौर के फुलसंदा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि सामान्य बालकों से हटकर आध्यात्मक की तरफ थी। उन्हें बचपन से ही दिव्य प्रकाश की अनुभूति होती थी। जिससे उनके माता-पिता विचलित रहते थे। माता पिता ने उन्हें सांसारिक वस्तुओं की तरफ खींचना चाहा लेकिन 19 वर्ष की आयु आते-आते वो पूरी तरह से आध्यात्म की राह पर चल निकले। अब उनके लाखों भक्त उन्हें सतपुरुष बाबा फुलसन्दे वाले और गुरूजी के नाम से पुकारते हैं। बाबा के पैतृक गांव फुलसंदे में अब उनका एक आश्रम है। बाबा समाज में एकता के भाव की बात करते हैं। समाज के उत्थान के लिए अपने अनुयायियों को प्रेरित करते हैं और खुद भी काम करते हैं। बाबा चाहते हैं कि देश में सभी लोग वैदिक ऋषियों के सदियों पुराने ज्ञान का पालन करें। फुलसंदे वाले बाबा एक संत, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, सुधारक, दार्शनिक और लेखक हैं। “एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा” उनका मंत्र है, जिसका उनके अनुयायी जप करते हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर