इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव रजनीश चंद्रा को दिन भर अदालत में बैठने की सजा दी। कहा- जब तक कोर्ट की कार्यवाही चलती रहेगी, आपको यहीं बैठना है। बाहर नहीं जा सकते हैं। इस आदेश के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने विशेष सचिव को तत्काल हिरासत में ले लिया। कोर्ट ने 2 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जस्टिस सलिल कुमार राय ने यह आदेश फतेहपुर की टीचर सुमन देवी की अवमानना याचिका पर दिया। एक दूसरी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सलिल कुमार राय ने कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारनपुर में बुलडोजर से घर गिराने के मामले में DGP प्रशांत कुमार और SSP सहारनपुर रोहित सिंह सजवाण को 27 दिसंबर को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से नाराजगी जाहिर करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। पूछा है- क्यों न सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का आदेश ना मानने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। पहले वो मामला, जिसकी अवमानना में विशेष सचिव हिरासत में रहे… फतेहपुर की सुमन सत्र लाभ के लिए गई थीं कोर्ट
फतेहपुर की सुमन देवी बीआर अंबेडकर शिक्षा सदन में सहायक अध्यापिका थीं। यह स्कूल समाज कल्याण विभाग चलाता है। सुमन के मुताबिक, उनका रिटायरमेंट 21 जनवरी, 2023 में होना चाहिए था। मगर उन्हें विभाग ने अप्रैल, 2022 में रिटायर कर दिया। इससे पहले ही वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में सत्र लाभ के लिए याचिका लगा चुकी थीं। कोर्ट में याचिका पर कोई फैसला होता, इससे पहले विभाग ने उन्हें सत्र फायदा देने का फरमान जारी कर दिया। साथ ही, स्कूल में जॉइन करने का आदेश दिया। सुमन ने 21 जनवरी, 2023 को जॉइन कर लिया। लेकिन अप्रैल, 2022 से 21 जनवरी, 2023 तक का वेतन उन्हें भुगतान नहीं किया गया। विभाग का कहना था कि चूंकि, इस दौरान उन्होंने काम नहीं किया है, इसलिए वेतन की हकदार नहीं हैं। इसके खिलाफ सुमन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने वेतन देने का आदेश दिया
सुमन के वकील अंगद यादव ने केस से जुड़े कई उदाहरण दिए। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि विभागीय गलती से अगर सुमन को जॉइन नहीं कराया गया है तो नो वर्क नो पे का सिद्धांत लागू नहीं होगा। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए याची को 1 अप्रैल, 2022 से 21 जनवरी, 2023 तक के वेतन भुगतान करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज कर गए विशेष सचिव
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद विशेष सचिव रजनीश चंद्रा ने अपना अलग आदेश पारित कर दिया। कहा- क्योंकि सुमन ने इस दौरान कोई काम नहीं किया है, इसलिए उन्हें वेतन नहीं दिया जा सकता है। इसके बाद सुमन ने इस आदेश के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट ने आदेश की अवमानना मानते हुए विशेष सचिव रजनीश चंद्रा, जिला समाज कल्याण अधिकारी फतेहपुर और जिला पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण अधिकारी प्रसून राय को तलब किया। रजनीश चंद्रा और प्रसून राय के खिलाफ अदालत ने अवमानना का केस मानते हुए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। विशेष सचिव ने कोर्ट से माफी मांगी
रजनीश चंद्रा ने अपने हलफनामा में माफी मांगते हुए बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किया गया है। सुमन को बकाया वेतन का भुगतान कर दिया गया है। कोर्ट स्पष्टीकरण से सहमत नहीं थी, इसलिए उसने रजनीश चंद्र को अदालत उठने तक हिरासत में रहने की सजा और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा, यदि यह जुर्माना 4 जनवरी तक नहीं दिया गया तो एक महीने के लिए अतिरिक्त सजा सुनाई जाएगी। जबकि प्रसून राय को अवमानना के आरोप से बरी कर दिया है। अब सहारनपुर का वो मामला पढ़िए, जिसमें DGP, SSP तलब हुए… भू-माफिया की FIR पर चार्जशीट को हाईकोर्ट में दी चुनौती
जस्टिस सलिल कुमार राय ने देहरादून में रहने वाली अलका सेठी की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। वकील अवनीश त्रिपाठी और डॉ. आस्था मिश्रा ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया कि ध्रुव सेठी और उनकी पत्नी अलका सेठी ने सहारनपुर में एक जमीन खरीदी थी। लेकिन भू-माफिया ने राजस्व विभाग और पुलिस के अधिकारियों की मदद से उनकी जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया। इसको लेकर अलग-अलग तारीखों में उन्होंने 2 एफआईआर दर्ज कराईं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी 2 बार शिकायत की। लेकिन पुलिस ने उनकी जमीन से कब्जा नहीं हटाया। इससे भू-माफिया के हौसले बढ़ गए। ध्रुव और अलका के खिलाफ ही भू-माफिया ने एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने जांच के बाद ध्रुव और अलका के खिलाफ चार्जशीट भी लगा दी। इस चार्जशीट को दंपती ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने चार्जशीट निरस्त का आदेश दिया
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद चार्जशीट को निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही यूपी के DGP को आदेश दिया कि दंपती की ओर से दर्ज दोनों FIR की जांच 4 महीने में पूरी करवा लें। यह जांच SSP सहारनपुर से करवाई जाए। दंपती ने याचिका में कहा कि इस आदेश के 6 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। भू-माफिया ने लेखपाल के साथ मिलकर घर पर बुलडोजर चलवाया
इधर, भू-माफिया और सरकारी लेखपाल ने मिलकर दंपती के घर को अवैध बताते हुए बुलडोजर से गिरवा दिया। इसकी शिकायत दंपती ने SO बिहारीगढ़ से की। कोई कार्रवाई न होने पर DGP से भी शिकायत की, यहां भी कोई राहत नहीं मिली। लेखपाल के बुलडोजर एक्शन और हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानने के मामले में दंपती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने DGP को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा। ध्रुव के मुताबिक, इन सब घटनाक्रम के बीच उनकी पत्नी अलका सेठी के गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट में इसके साक्ष्य भी रखे गए। इसके बाद कोर्ट ने DGP और SSP सहारनपुर को तलब किया। ……………………………….. ये भी पढ़ें :- बाहुबली अभय सिंह को 3 साल की जेल…बरी भी हुए:लखनऊ हाईकोर्ट के जजों का अलग-अलग फैसला; खतरे में विधायकी लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सपा के बागी विधायक अभय सिंह के खिलाफ दो अलग-अलग फैसले दिए। मामला हत्या के प्रयास का है। जस्टिस मसूदी ने अभय सिंह को 3 साल की सजा सुनाई, जबकि जस्टिस अभय श्रीवास्तव ने बरी कर दिया। अब यह मामला चीफ जस्टिस की बेंच में जाएगा, क्योंकि ऑर्डर में दोनों जजों की राय एक नहीं है। चीफ जस्टिस की बेंच ने अगर 3 साल की सजा कायम रखी तो अभय सिंह की विधायकी जा सकती है। पढ़ें पूरी खबर… इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव रजनीश चंद्रा को दिन भर अदालत में बैठने की सजा दी। कहा- जब तक कोर्ट की कार्यवाही चलती रहेगी, आपको यहीं बैठना है। बाहर नहीं जा सकते हैं। इस आदेश के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने विशेष सचिव को तत्काल हिरासत में ले लिया। कोर्ट ने 2 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जस्टिस सलिल कुमार राय ने यह आदेश फतेहपुर की टीचर सुमन देवी की अवमानना याचिका पर दिया। एक दूसरी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सलिल कुमार राय ने कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारनपुर में बुलडोजर से घर गिराने के मामले में DGP प्रशांत कुमार और SSP सहारनपुर रोहित सिंह सजवाण को 27 दिसंबर को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से नाराजगी जाहिर करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। पूछा है- क्यों न सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का आदेश ना मानने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। पहले वो मामला, जिसकी अवमानना में विशेष सचिव हिरासत में रहे… फतेहपुर की सुमन सत्र लाभ के लिए गई थीं कोर्ट
फतेहपुर की सुमन देवी बीआर अंबेडकर शिक्षा सदन में सहायक अध्यापिका थीं। यह स्कूल समाज कल्याण विभाग चलाता है। सुमन के मुताबिक, उनका रिटायरमेंट 21 जनवरी, 2023 में होना चाहिए था। मगर उन्हें विभाग ने अप्रैल, 2022 में रिटायर कर दिया। इससे पहले ही वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में सत्र लाभ के लिए याचिका लगा चुकी थीं। कोर्ट में याचिका पर कोई फैसला होता, इससे पहले विभाग ने उन्हें सत्र फायदा देने का फरमान जारी कर दिया। साथ ही, स्कूल में जॉइन करने का आदेश दिया। सुमन ने 21 जनवरी, 2023 को जॉइन कर लिया। लेकिन अप्रैल, 2022 से 21 जनवरी, 2023 तक का वेतन उन्हें भुगतान नहीं किया गया। विभाग का कहना था कि चूंकि, इस दौरान उन्होंने काम नहीं किया है, इसलिए वेतन की हकदार नहीं हैं। इसके खिलाफ सुमन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने वेतन देने का आदेश दिया
सुमन के वकील अंगद यादव ने केस से जुड़े कई उदाहरण दिए। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि विभागीय गलती से अगर सुमन को जॉइन नहीं कराया गया है तो नो वर्क नो पे का सिद्धांत लागू नहीं होगा। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए याची को 1 अप्रैल, 2022 से 21 जनवरी, 2023 तक के वेतन भुगतान करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज कर गए विशेष सचिव
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद विशेष सचिव रजनीश चंद्रा ने अपना अलग आदेश पारित कर दिया। कहा- क्योंकि सुमन ने इस दौरान कोई काम नहीं किया है, इसलिए उन्हें वेतन नहीं दिया जा सकता है। इसके बाद सुमन ने इस आदेश के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट ने आदेश की अवमानना मानते हुए विशेष सचिव रजनीश चंद्रा, जिला समाज कल्याण अधिकारी फतेहपुर और जिला पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण अधिकारी प्रसून राय को तलब किया। रजनीश चंद्रा और प्रसून राय के खिलाफ अदालत ने अवमानना का केस मानते हुए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। विशेष सचिव ने कोर्ट से माफी मांगी
रजनीश चंद्रा ने अपने हलफनामा में माफी मांगते हुए बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किया गया है। सुमन को बकाया वेतन का भुगतान कर दिया गया है। कोर्ट स्पष्टीकरण से सहमत नहीं थी, इसलिए उसने रजनीश चंद्र को अदालत उठने तक हिरासत में रहने की सजा और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा, यदि यह जुर्माना 4 जनवरी तक नहीं दिया गया तो एक महीने के लिए अतिरिक्त सजा सुनाई जाएगी। जबकि प्रसून राय को अवमानना के आरोप से बरी कर दिया है। अब सहारनपुर का वो मामला पढ़िए, जिसमें DGP, SSP तलब हुए… भू-माफिया की FIR पर चार्जशीट को हाईकोर्ट में दी चुनौती
जस्टिस सलिल कुमार राय ने देहरादून में रहने वाली अलका सेठी की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। वकील अवनीश त्रिपाठी और डॉ. आस्था मिश्रा ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया कि ध्रुव सेठी और उनकी पत्नी अलका सेठी ने सहारनपुर में एक जमीन खरीदी थी। लेकिन भू-माफिया ने राजस्व विभाग और पुलिस के अधिकारियों की मदद से उनकी जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया। इसको लेकर अलग-अलग तारीखों में उन्होंने 2 एफआईआर दर्ज कराईं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी 2 बार शिकायत की। लेकिन पुलिस ने उनकी जमीन से कब्जा नहीं हटाया। इससे भू-माफिया के हौसले बढ़ गए। ध्रुव और अलका के खिलाफ ही भू-माफिया ने एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने जांच के बाद ध्रुव और अलका के खिलाफ चार्जशीट भी लगा दी। इस चार्जशीट को दंपती ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने चार्जशीट निरस्त का आदेश दिया
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद चार्जशीट को निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही यूपी के DGP को आदेश दिया कि दंपती की ओर से दर्ज दोनों FIR की जांच 4 महीने में पूरी करवा लें। यह जांच SSP सहारनपुर से करवाई जाए। दंपती ने याचिका में कहा कि इस आदेश के 6 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। भू-माफिया ने लेखपाल के साथ मिलकर घर पर बुलडोजर चलवाया
इधर, भू-माफिया और सरकारी लेखपाल ने मिलकर दंपती के घर को अवैध बताते हुए बुलडोजर से गिरवा दिया। इसकी शिकायत दंपती ने SO बिहारीगढ़ से की। कोई कार्रवाई न होने पर DGP से भी शिकायत की, यहां भी कोई राहत नहीं मिली। लेखपाल के बुलडोजर एक्शन और हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानने के मामले में दंपती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने DGP को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा। ध्रुव के मुताबिक, इन सब घटनाक्रम के बीच उनकी पत्नी अलका सेठी के गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट में इसके साक्ष्य भी रखे गए। इसके बाद कोर्ट ने DGP और SSP सहारनपुर को तलब किया। ……………………………….. ये भी पढ़ें :- बाहुबली अभय सिंह को 3 साल की जेल…बरी भी हुए:लखनऊ हाईकोर्ट के जजों का अलग-अलग फैसला; खतरे में विधायकी लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सपा के बागी विधायक अभय सिंह के खिलाफ दो अलग-अलग फैसले दिए। मामला हत्या के प्रयास का है। जस्टिस मसूदी ने अभय सिंह को 3 साल की सजा सुनाई, जबकि जस्टिस अभय श्रीवास्तव ने बरी कर दिया। अब यह मामला चीफ जस्टिस की बेंच में जाएगा, क्योंकि ऑर्डर में दोनों जजों की राय एक नहीं है। चीफ जस्टिस की बेंच ने अगर 3 साल की सजा कायम रखी तो अभय सिंह की विधायकी जा सकती है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर