शिमला जिला के चौपाल कुपवी की ग्राम पंचायत धनत के पोशडाह गांव में सोमवार शाम को एक रिहायशी मकान में आग लग गई। इससे मकान पूरी तरह जलकर राख हो गया और पूरा परिवार घर से बेघर हो गया है। इस घटना में लाखों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा रहा है। सूचना के अनुसार, पोशडाह में गांव में फुलदास के घर में अचानक आग भड़क गई। आग के कारणों का पता नहीं चल पाया। इस घटना में 3 कमरे, 3 गौशालाएं और एक स्टोर जल गया। इस मकान में फुलदास व उनके 2 बेटे, बहू व पोते-पोती रहते थे। ऐसे में मकान जलने के बाद कड़ाके की सर्दी में परिवार से आशियाना छिन गया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। हालांकि प्रसासन ने पीड़ित परिवार को फौरी राहत के तौर पर 10 हजार रुपए की राशि जरूर दी है। कमरे के अंदर लगी आग बताया जा रहा है कि सबसे पहले एक कमरे से आग की लपटे फैली। देखते हुए देखने आग ने पूरा मकान चपेट में ले लिया। इससे घर में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। परिवार को सामान भी बाहर निकालने का मौका नहीं मिला। शिमला जिला के चौपाल कुपवी की ग्राम पंचायत धनत के पोशडाह गांव में सोमवार शाम को एक रिहायशी मकान में आग लग गई। इससे मकान पूरी तरह जलकर राख हो गया और पूरा परिवार घर से बेघर हो गया है। इस घटना में लाखों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा रहा है। सूचना के अनुसार, पोशडाह में गांव में फुलदास के घर में अचानक आग भड़क गई। आग के कारणों का पता नहीं चल पाया। इस घटना में 3 कमरे, 3 गौशालाएं और एक स्टोर जल गया। इस मकान में फुलदास व उनके 2 बेटे, बहू व पोते-पोती रहते थे। ऐसे में मकान जलने के बाद कड़ाके की सर्दी में परिवार से आशियाना छिन गया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। हालांकि प्रसासन ने पीड़ित परिवार को फौरी राहत के तौर पर 10 हजार रुपए की राशि जरूर दी है। कमरे के अंदर लगी आग बताया जा रहा है कि सबसे पहले एक कमरे से आग की लपटे फैली। देखते हुए देखने आग ने पूरा मकान चपेट में ले लिया। इससे घर में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। परिवार को सामान भी बाहर निकालने का मौका नहीं मिला। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला में वोकेशनल टीचर्स के धरने का 7वां दिन:महिला शिक्षिका रोने लगी, बोले- सरकार से सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिमला की सर्द रातों में भी वोकेशनल टीचर्स की हड़ताल 7वें दिन भी जारी है। सरकार व शिक्षकों के बीच चल रहा गतिरोध टूटता नजर नहीं आ रहा है। शिमला में बेहद ठंडी रातों के बावजूद भी वोकेशनल शिक्षकों के हौंसले बुलंद है। शिक्षक निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग पर अड़े हुए हैं। महिला शिक्षक अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं। 7वें दिन प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एक महिला शिक्षिका रो पड़ी। शिक्षकों ने बताया कि आज सभी शिक्षकों द्वारा उस शिक्षक के बच्चे के लिए दो मिनट का मौन रखा। जो इस लड़ाई में शामिल था और उसके 17 दिन के बच्चे ने PGI में दम तोड़ दिया। शिक्षकों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दे दी है कि उनका यह धरना उस समय तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें लिखित में कोई आश्वासन नहीं मिलता। सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें सरकार के साथ वार्ता का 12 नवंबर को न्यौता मिला है, लेकिन वार्ता के लिए उन्हें अपना धरना समाप्त करना होगा। शिक्षकों को सरकार की यह शर्त कतई मंजूर नहीं है। हिमाचल प्रदेश में 2174 वोकेशनल टीचर्स हैं, जो 1100 स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के वोकेशनल टीचर्स को प्राइवेट कंपनियों के जरिए सेवाओं पर रखा गया है। ऐसे में टीचर्स अब प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनियां उन्हें शोषित कर रही है। इसलिए प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखा जाए। वोकेशनल शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि उनका धरना सात दिनों से जारी है। इस दौरान उनकी प्रदेश परियोजना अधिकारी से भी बात हुई हुई। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन सरकार ने शर्त यह है कि शिक्षकों को अपना धरना समाप्त करना होगा और उसके बाद ही शिक्षा मंत्री से बात हो सकेगी। नीरज बंसल ने कहा कि उन्हें सरकार और विभाग की यह शर्त मंजूर नहीं है। अपना वादा भूल गई सरकार : प्रदर्शनकारी उन्होंने कहा कि अब आश्वासनों से बात नहीं बनेगी। गत सरकार ने भी उन्हें आश्वासन दिए और वर्तमान सरकार ने भी उनसे सत्ता में आने से पहले वायदा किया था कि उनके लिए अवश्य कुछ न कुछ करेगी,परंतु अब सरकार अपना वायदा भूल गई है और इस धरने के माध्यम से उसे अपना वायदा हम याद करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सिर्फ एक मांग है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर रखा जाए। इन कंपनियों को बाहर किया जाए और और जो फंड केंद्र से आ रहा है उसे सीधे सरकार उन्हें प्रदान करे। बच्चों के साथ धरने पर बैठी महिलाएं
चंबा से धरने में शामिल होने आई आरती ठाकुर ने कहा कि वह 11 वर्षों से सेवाएं दे रही है। अपने अधिकार के लिए महिला होने के बावजूद वह यहां धरने पर बैठी हैं। मानसिक प्रताड़ना के कारण आंसू जरूर यहां छलके हैं लेकिन परिवार के प्यार और विश्वास के बावजूद वह अपने हक की लड़ाई के लिए धरने पर डटे हैं। इसके अलावा, सोलन से आई शिक्षिका दीपिका राणा ने कहा कि यहां दिक्कत काफी हो रही है। बावजूद इसके सरकार से एक मांग है कि इन कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा बच्चे के साथ वह आई है। बच्चे के साथ दिक्कत आती है क्योंकि बच्चे को खिलाना व सोना यहां काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन सरकार से आस है कि जल्द वह उनकी पुकार सुन ले।
हिमाचल हाईकोर्ट से सरकार को राहत:घाटे में चल रहे 9 होटलों को 31 मार्च तक खुले रहने का आदेश; सरकार ने दायर की थी याचिका
हिमाचल हाईकोर्ट से सरकार को राहत:घाटे में चल रहे 9 होटलों को 31 मार्च तक खुले रहने का आदेश; सरकार ने दायर की थी याचिका हिमाचल हाईकोर्ट से प्रदेश सरकार और हिमाचल पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को मिली बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट ने पर्यटन निगम के 9 होटलों को 31 मार्च 2025 तक खुला रखने के दिए आदेश पारित किए है। कोर्ट ने बीते शुक्रवार को 18 होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की बैंच ने शुक्रवार को होटल चायल, चंद्रभागा केलांग, खज्जियार, मेघदूत, लॉग होटल मनाली, कुंजम, भागसू, कैसल नागर और धौलाधार की खुले रखने की इजाजत दे दी है। इस दाैरान कोर्ट ने 18 में से 9 होटलों को 31 मार्च तक खुला रखने की इजाजत दे दी है। बता दें कि हाईकोर्ट ने HPTDC के पेंशनर की याचिका पर सुनवाई करते हुए घाटे में चल रहे 18 होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने को कहा था। HPTDC के MD को इन होटलों को बंद करने संबंधी आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों में संशोधन का आग्रह किया था, इस पर आज फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने बताया था सफेद हाथी कोर्ट ने घाटे में चल रहे इन होटलों को सफेद हाथी बताते हुए कहा, ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन निगम इनके रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न करें। ये होटल राज्य पर बोझ हैं। कोर्ट ने कहा, निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है। इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है और न्यायालय इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आए वित्त से जुड़े मामलों में दिन प्रतिदिन वित्तीय संकट की बात कहती रहती है। प्रदेश में HPTDC के 56 होटल प्रदेश में HPTDC के कुल 56 होटल चल रहे है। मगर ज्यादातर होटल कई सालों से घाटे में है। इससे निगम अपने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर को पेंशन नहीं दे पा रहा। पेंशनर के सेवा लाभ का मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है। इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है।