हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र ने राज्य की कर्ज लेने की सीमा कम कर दी है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) भी निरंतर घट रही है। एनपीएस के बदले मिलने वाला ऋण भी बंद कर दिया है। इन सब मुद्दों को वह दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने शिमला के रिज पहुंचे मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वह आज दिल्ली जा रहे हैं। कल और परसो बेंगलुरु में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग से लौटने के बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रियों से मिलने का समय लिया जा रहा है। संघीय ढांचे में केंद्र से मदद पाना हमारा हक: CM सीएम ने कहा कि 28 और 29 दिसंबर को मंत्रियों के साथ होने वाली बैठकों में हिमाचल के मुद्दों को केंद्र के समक्ष उठाया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल सकते हैं और पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट के तहत केंद्र के पास लंबित राशि हिमाचल को देने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि हम संघीय ढांचे में रह रहे हैं। इसलिए केंद्र से मदद हमारा हक है। जीएसटी मुआवजा बहाल करने और आरडीजी बढ़ाने की मांग केंद्र से की जाएगी। केंद्र ने बजट और ऋण लेने की सीमा घटाई बता दें 14वें वित्त आयोग में RDG के तहत हिमाचल को 40624 करोड़ मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह राशि बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गई। साल 2021-22 में हिमाचल को RDG के तहत 10249 करोड़ मिले थे, जबकि 2025-26 में केवल घटकर 3257 करोड़ रुपए रह जाएंगे। GST प्रतिपूर्ति के 3000 करोड़ भी बंद इसी तरह GST प्रतिपूर्ति राशि में भी हिमाचल को 2017 से 2022 तक हर साल 2500 से 3000 करोड़ रुपए मिल रहे थे। जुलाई 2022 से यह राशि भी बंद हो गई है। एनपीएस के बदले मिलने वाला लगभग 1760 करोड़ का लोन भी बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू इन सब मुद्दों को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। केंद्रीय योजनाओं में भी कम हो रहा बजट यही नहीं विभिन्न योजनाओं के बजट में भी केंद्र ने कटौती की है। हाल ही में केंद्र ने स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेटस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत 23 राज्यों को 3296 करोड़ जारी किए हैं, लेकिन टूरिज्म स्टेट हिमाचल को एक भी रुपया स्कीम में नहीं दिया गया। आपदा में भी अतिरिक्त मदद नहीं मिल पाई बीते साल राज्य में सदी की सबसे भीषण आपदा आई। इससे 12 हजार करोड़ रुपए के ज्यादा की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो गई। मगर केंद्र से अतिरिक्त आर्थिक मदद हिमाचल को नहीं मिल पाई। राज्य सरकार के अनुसार, केंद्र से हिमाचल को वहीं मदद मिली है जो एनडीआरएफ के तहत मिलनी तय थी। केंद्रीय मदद में कमी की वजह से राज्य पर आर्थिक संकट गंभीर होता जा रहा है। लिहाजा मुख्यमंत्री सुक्खू इन सब मुद्दों को केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। बीते सप्ताह उन्होंने विधानसभा में भी कहा कि यदि केंद्र से आपदा राहत राशि नहीं मिली तो उन्हें मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र ने राज्य की कर्ज लेने की सीमा कम कर दी है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) भी निरंतर घट रही है। एनपीएस के बदले मिलने वाला ऋण भी बंद कर दिया है। इन सब मुद्दों को वह दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने शिमला के रिज पहुंचे मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वह आज दिल्ली जा रहे हैं। कल और परसो बेंगलुरु में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग से लौटने के बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रियों से मिलने का समय लिया जा रहा है। संघीय ढांचे में केंद्र से मदद पाना हमारा हक: CM सीएम ने कहा कि 28 और 29 दिसंबर को मंत्रियों के साथ होने वाली बैठकों में हिमाचल के मुद्दों को केंद्र के समक्ष उठाया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल सकते हैं और पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट के तहत केंद्र के पास लंबित राशि हिमाचल को देने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि हम संघीय ढांचे में रह रहे हैं। इसलिए केंद्र से मदद हमारा हक है। जीएसटी मुआवजा बहाल करने और आरडीजी बढ़ाने की मांग केंद्र से की जाएगी। केंद्र ने बजट और ऋण लेने की सीमा घटाई बता दें 14वें वित्त आयोग में RDG के तहत हिमाचल को 40624 करोड़ मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह राशि बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गई। साल 2021-22 में हिमाचल को RDG के तहत 10249 करोड़ मिले थे, जबकि 2025-26 में केवल घटकर 3257 करोड़ रुपए रह जाएंगे। GST प्रतिपूर्ति के 3000 करोड़ भी बंद इसी तरह GST प्रतिपूर्ति राशि में भी हिमाचल को 2017 से 2022 तक हर साल 2500 से 3000 करोड़ रुपए मिल रहे थे। जुलाई 2022 से यह राशि भी बंद हो गई है। एनपीएस के बदले मिलने वाला लगभग 1760 करोड़ का लोन भी बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू इन सब मुद्दों को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। केंद्रीय योजनाओं में भी कम हो रहा बजट यही नहीं विभिन्न योजनाओं के बजट में भी केंद्र ने कटौती की है। हाल ही में केंद्र ने स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेटस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत 23 राज्यों को 3296 करोड़ जारी किए हैं, लेकिन टूरिज्म स्टेट हिमाचल को एक भी रुपया स्कीम में नहीं दिया गया। आपदा में भी अतिरिक्त मदद नहीं मिल पाई बीते साल राज्य में सदी की सबसे भीषण आपदा आई। इससे 12 हजार करोड़ रुपए के ज्यादा की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो गई। मगर केंद्र से अतिरिक्त आर्थिक मदद हिमाचल को नहीं मिल पाई। राज्य सरकार के अनुसार, केंद्र से हिमाचल को वहीं मदद मिली है जो एनडीआरएफ के तहत मिलनी तय थी। केंद्रीय मदद में कमी की वजह से राज्य पर आर्थिक संकट गंभीर होता जा रहा है। लिहाजा मुख्यमंत्री सुक्खू इन सब मुद्दों को केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाएंगे। बीते सप्ताह उन्होंने विधानसभा में भी कहा कि यदि केंद्र से आपदा राहत राशि नहीं मिली तो उन्हें मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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लाहौल स्पीति में घेपांग घाट झील का किया मुआयना:आपदा प्रबंधन को सौंपी जाएगी एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ा दायरा लाहौल स्पीति जिले के डीसी राहुल कुमार की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम ने घेपांग घाट ग्लेशियर झील लाहौल का मुआयना किया। डीसी राहुल कुमार ने बताया कि सैटेलाइट इमेजेज के आधार पर घेपांग घाट ग्लेशियर झील का ग्लोबल वार्मिंग से दायरा बढ़ने का दावा किया गया है। जिस कारण इस झील के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से आपदा की स्थिति उत्पन्न होने की भी आशंका जाहिर की गई है। डीसी लाहुल स्पीति राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग लेक एक्सीपिडीशन में भू-गर्भ और ग्लेशियर पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम ने तीन दिवसीय दौरा किया। लिहाजा किसी आपदा से पहले आपदा रोकथाम को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने यह पहल की है और संभावित खतरे से प्रभावी तौर पर निपटने को कार्य योजना भी तैयार की जा रही है। टीम ने कई पहलुओं पर की स्टडी एक्सपीडिशन के दौरान टीम के द्वारा घेपांग झील से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर स्टडी की गई। जिसमें मुख्य रूप से झील की गहराई, बेरियर स्ट्रेंथ, मोरेन-डेम हाइट एंड बिडथ, झील में जल स्तर, क्षेत्र की जूलॉजिकल स्थिति, भू-स्खलन और एवलांच की संभावना जैसे करीब 20 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन जांच की गई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपेंगे रिपोर्ट डीसी राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग झील की बारीकी से निरीक्षण के बाद इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। ताकि समय रहते किसी भी प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए धरातल पर ठोस कदम उठाया जा सके। 24 से 26 तक अध्ययन किया डीसी ने यह भी बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने 24 से 26 जुलाई तक घेपांग लेक में जांच की। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने सभी हिमालयी राज्यों में स्थित संभावित जल ग्रहण क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की पहल की है। लिहाजा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के क्षेत्र में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की संभावनाएं तलाशने की कवायद शुरू की गई है। प्राधिकरण ने 4 विषयों पर काम शुरू किया हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 4 बुनियादी विषयों पर काम करना शुरू किया है। जैसे लीड वाई (एलटीए) उपकरण की पहचान करना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और हिमानी झील को प्राथमिकता देना, सभी उच्च जोखिम का आकलन करने के लिए क्षेत्र अभियान चलाना और हिमनदों की निगरानी में राज्यों को उनके समर्थन को सुव्यवस्थित करने में और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की भागीदारी सुनिश्चित करना है। बढ़ रहा है झील का आकार राहुल कुमार ने यह भी बताया कि घेपांग घाट झील जिला लाहौल एवं स्पीति में समुद्र तल से लगभग 4098 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और हिमालय की अन्य ग्लेशियर झीलों की तरह घेपांग घाट झील का भी क्षेत्रफल साल दर साल बढ़ता जा रहा है। लिहाज़ा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के सामने वाले क्षेत्र और मोराइन पर भी ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में 25 सदस्यों की रैकी दल को सहायक आयुक्त संकल्प गौतम और डीएफओ अनिकेत वानवे की टीम ने बैकअप दिया। इस अभियान में विभिन्न एजेंसियों के सदस्य भी शामिल रहे।
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हिमाचल सरकार ने बिमल गुप्ता को IG विजिलेंस लगाया:मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश; मार्च में ही विजिलेंस से हटाकर वेल्फेयर-एडमिनिस्ट्रेशन सौंपा था हिमाचल सरकार ने साल 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी बिमल गुप्ता के तबादला आदेश जारी किए है। बिमल गुप्ता को इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो लगाया है। इसे लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए है।बिमल गुप्ता अभी आईजी वेलफेयर एंड एडमिनिस्ट्रेशन मुख्यालय में तैनात थे। इससे पहले भी बिमल गुप्ता आईजी विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो का काम देख चुके हैं। सरकार ने बीते 4 मार्च को ही उन्हें आईजी वेल्फेयर एंड एडमिनिस्ट्रेशन पुलिस मुख्यालय शिमला लगाया था। अब दोबारा विजिलेंस का जिम्मा दिया गया है।
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हिमाचल में मस्जिद विवाद में प्रदर्शन:शिमला से सुलगी चिंगारी नेरवा पहुंची; सड़कों पर आए हिंदू संगठन और स्थानीय लोग हिमाचल प्रदेश में मस्जिद मामले में संजौली से सुलगी विरोध की चिंगारी शिमला जिला के दूर दराज क्षेत्र नेरवा तक पहुंच गई है। नेरवा में गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। स्थानीय लोगों ने एक विशेष समुदाय के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग उठाई। करणी सेना और हिंदू संगठनों के इस प्रदर्शन का आवाहन किया था। नेरवा बाजार में प्रदर्शनकारी मस्जिद की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हल्की धक्का-मुक्की हो गई। पुलिस के समझाने पर प्रदर्शनकारी शांत हुए। दरअसल, शिमला में बीते 11 सितंबर को पुलिस लाठीचार्ज से करणी सेना और हिंदू संगठन भड़क गए थे। इसलिए इन्होंने आज नेरवा में प्रदर्शन का आवाहन किया था। नेरवा में प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश में बढ़ रही बाहरी लोगों की संख्या पर अंकुश लगाने और इनकी वैरिफिकेशन की मांग की। बाहरी लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई: अमित करणी सेना के मीडिया कोऑर्डिनेटर अमित शर्मा ने बताया कि चौपाल के कुपवी क्षेत्र में बीते कुछ सालों में समुदाय विशेष के बाहरी लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उन्होंने दावा किया कि बाहर से आकर लोग अवैध रूप यहां बस गए हैं। बाहरी लोगों की संख्या में एकाएक वृद्धि से क्षेत्र में नशा, मारपीट व अपराध की घटनाएं बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि पहले से इस क्षेत्र में ही समुदाय विशेष के लोग रहते थे जो स्थानीय है वो शांतिपूर्ण तरीके व सभी आपस मे मिलकर रहते थे। लेकिन बीते कुछ सालों के दौरान बाहरी लोगों की संख्या के बढ़ने से यहां का माहौल बिगड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्र में अवैध नशे व अन्य आपराधिक घटनाओं में अधिकतर बाहरी लोग ही शामिल होते है। अब शिलाई में 21 सितंबर को प्रदर्शन शिमला के नेरवा के बाद अब सिरमौर जिला के शिलाई में भी हिंदू संघर्ष समिति ने 21 सितंबर को प्रदर्शन का आवाहन किया है। इस दौरान भारत सरकार से वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की मांग की जाएगी। अब सिलसिलेवार पढ़िए कैसे पैदा हुआ मस्जिद विवाद … बीते 31 अगस्त को शिमला के मैहली में दो गुटों के बीच लड़ाई हुई। इसके आरोपी संजौली मस्जिद में छिप गए। पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। 1 सितंबर को हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों में संजौली मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया। 5 सितंबर को संजौली और चौड़ा मैदान में फिर प्रदर्शन कर अवैध मस्जिद गिराने की मांग उठी। इसी दिन कसुम्पटी में भी अवैध मस्जिद को तोड़ने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन हुआ। पुलिस को हल्का बल प्रयोग और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बाद प्रदेशभर में व्यापारियों ने दुकानें बंद रखकर और हिंदू संगठनों ने अलग अलग शहरों में रोष रैली निकाल कर अवैध मस्जिद को तोड़ने और बाहर से आने वाले लोगों की वैरिफिकेशन की मांग की। मंडी नगर निगम कोर्ट अवैध मस्जिद गिराने के दे चुका आदेश बीते शनिवार को मंडी नगर निगम कोर्ट ने भी जेल रोड़ पर बनी अवैध मस्जिद को 30 दिन के भीतर तोड़ने के आदेश दिए। बीते कल सोलन में इसी मामले में प्रदर्शन कर रहे कुछ व्यापारी आपस में भिड़ गए। मुस्लिम समुदाय ने नारे पर जताई आपत्ति उधर, सिरमौर के पांवटा साहिब में मुस्लिम समुदाय ने कुछ दिन पहले हिंदू जागरण मंच द्वारा मस्जिद के बाहर की गई नारेबाजी पर आपत्ति जताते हुए SDM को ज्ञापन सौंपा और इस मामले में संज्ञान लेने की मांग की। सांप्रदायिकता के खिलाफ 27 को रैली निकालेगी माकपा वहीं माकपा और इसके फ्रंटल संगठनों ने 27 सितंबर को शिमला शहर में विशाल रैली करने का निर्णय लिया। कहा जा रहा है कि यह रैली अमन चैन और आपसी भाईचारा स्थापित करने को निकाली जाएगी। माकपा का आरोप है कि सुनियोजित तरीके से सांप्रदायिक घटनाओं, एक समुदाय विशेष के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा का वातावरण तैयार किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।