यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर… यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
खन्ना में जामुन तोड़ रहे बच्चे की मौत:30 फुट ऊंचे पेड़ से गिरा, बिना बताए निकला था घर से; सिर में गंभीर चोट
खन्ना में जामुन तोड़ रहे बच्चे की मौत:30 फुट ऊंचे पेड़ से गिरा, बिना बताए निकला था घर से; सिर में गंभीर चोट खन्ना के ललहेड़ी रोड क्षेत्र में पेड़ पर चढ़कर जामुन तोड़ रहे 12 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। करीब 30 फीट की ऊंचाई से बच्चा सीधे नीचे आ गिरा। सिर में गंभीर चोट के चलते हालत नाजुक बन गई। परिवार के लोग बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे] लेकिन डाक्टर उसे बचा नहीं सके। अस्पताल में कुछ ही मिनटों बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। मृतक की पहचान आनंद कुमार (12) निवासी दशमेश नगर ललहेड़ी रोड खन्ना के तौर पर हुई है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल घटना के बाद सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर ही परिजन विलाप करने लगे। बच्चे के माता पिता और अन्य परिजनों का हाल देखकर अन्य लोगों की आंखों से भी आंसू टपकने लगे। आनंद की मां रोते हुए यही बात दोहरा रही थीं कि मेरा बच्चा लौटा दो…..। परिजन उसे ढांढस बंधा रहे थे। उन्हें हौसला देकर चुप कराने की कोशिश कर रहे थे। परिजनों ने बताया कि उनके घर के पास खेतों में मोटर है। वहां पर जामुन का पेड़ लगा है। इस पेड़ से बच्चे जामुन तोड़ते रहते हैं। आनंद जामुन तोड़ने के लिए घर से निकला और किसी को नहीं बताया। वहां पेड़ से गिरकर मौत हो गई। बच्चे की हालत काफी नाजुक थी सिविल अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डा. अमरदीप कौर ने बताया कि जब बच्चे को अस्पताल लाया गया तो हालत काफी नाजुक थी। उन्होंने अपनी तरफ से काफी प्रयास किए, लेकिन बच्चे को बचाया नहीं जा सका। बच्चा करीब 25 से 30 फीट ऊंचाई से गिरा। जिस कारण गंभीर चोटें आईं।
सुखबीर बादल ने जूठे बर्तनों की सेवा की:गोल्डन टेंपल के गेट के बाहर बरछा पकड़कर बैठे; चंदूमाजरा-चीमा ने टॉयलेट साफ किया
सुखबीर बादल ने जूठे बर्तनों की सेवा की:गोल्डन टेंपल के गेट के बाहर बरछा पकड़कर बैठे; चंदूमाजरा-चीमा ने टॉयलेट साफ किया पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल व शिरोमणि अकाली दल की सरकार के दौरान कैबिनेट में मंत्री रहे नेता मंगलवार को अकाल सख्त की सजा भुगतने के लिए गोल्डन टेंपल पहुंचे। सुखबीर बादल सुबह 9 बजे से 12 बजे तक गोल्डन टेंपल में रहे। सबसे पहले उन्होंने एक घंटा घंटाघर के बाहर गले में तख्ती और सेवादार के कपड़े पहनकर बरछा पकड़कर सेवादार की सेवा की। इसके बाद उन्होंने कीर्तन सुना। आखिर में जूठे बर्तनों की सेवा करने के बाद वह गोल्डन टेंपल से रवाना हो गए। शाम को वह दोबारा गोल्डन टेंपल आएंगे और जूतों की सेवा करेंगे। वहीं पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया और सुखदेव सिंह ढींढसा ने जूठे बर्तनों की सेवा की। इसके अलावा, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, बिक्रम मजीठिया और महेश इंदर ग्रेवाल ने टॉयलेट साफ किया। सुखबीर बादल को भी टॉयलेट साफ करने की सजा सुनाई गई थी, लेकिन पैर में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें इससे छूट दे दी गई। एक दिन पहले सोमवार को श्री अकाल तख्त में राम रहीम मामले में 5 सिंह साहिबानों की बैठक हुई, जिसमें उन्हें और शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट सदस्यों को धार्मिक दुराचार के आरोपों के लिए सजा सुनाई गई। इस मामले में 30 अगस्त 2024 को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था। सुखबीर बादल समेत पूर्व मंत्रियों की धार्मिक सजा भुगतने के अपडेट्स पढ़ें…
पंजाब विधानसभा उपचुनाव में नामांकन का 5वां दिन:केवल ढिल्लों ने निकाला रोड शो भी निकालेंगे; मनप्रीत बादल व अमृता वड़िंग भी भरेंगे नामांकन
पंजाब विधानसभा उपचुनाव में नामांकन का 5वां दिन:केवल ढिल्लों ने निकाला रोड शो भी निकालेंगे; मनप्रीत बादल व अमृता वड़िंग भी भरेंगे नामांकन पंजाब में विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आज पांचवा दिन है। राज्य में 13 नवंबर को 4 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं। आज यानी गुरुवार को पंजाब के कई बड़े नेता नामांकन दाखिल करेंगे। पिछले 4 दिनों की बात करें तो अभी तक चुनाव आयोग के पास सिर्फ 7 हलफनामे ही पहुंचे हैं और शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। उपचुनाव के लिए आज का दिन अहम होने वाला है। पंजाब के कई बड़े नेता आज इन उपचुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं। बरनाला से केवल ढिल्लों ने नामांकन भरने से पहले रोड शो निकाला है। पंजाब की हॉट सीट बन चुकी गिद्दड़बाहा में आज पूर्व मुख्यमंत्री मनप्रीत बादल बीजेपी के टिकट पर नामांकन दाखिल करेंगे। वहीं, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की पत्नी अमृता वडिंग भी नामांकन दाखिल करेंगी।