संभल में पुलिस चौकी का नाम ‘सत्यव्रत’ क्यों:सतयुग में सत्यव्रत और त्रेयायुग में महदिगरी नाम था; मांग थी पृथ्वीराज नगर करने की

संभल में पुलिस चौकी का नाम ‘सत्यव्रत’ क्यों:सतयुग में सत्यव्रत और त्रेयायुग में महदिगरी नाम था; मांग थी पृथ्वीराज नगर करने की

यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर… यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर