हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में कुछ देर बाद सचिवालय में कैबिनेट मीटिंग शुरू होगी। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं। कैबिनेट में BPL परिवारों के चयन को लेकर नए मापदंड तय किए जा सकते हैं। इसके बाद ग्राम सभाओं की बैठकों में पात्र परिवारों का चयन किया जाएगा। आय की सीमा में सरकार इजाफा कर सकती है। CM की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट में करुणामूलकों को नौकरी देने का फैसला हो सकता है। CM सुक्खू ने बीते माह अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद संकेत दिए थे कि जिन कर्मचारियों की मौत हो गई थी, उनके आश्रितों को नौकरी देने के मामले एकमुश्त निपटाए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को पॉलिसी तैयार करने को कहा था। करुणामूलक को नौकरी का मामला विधानसभा के शीत सत्र और मानसून सत्र में भी इनके रोजगार का मसला उठा था। लिहाजा आज की कैबिनेट में विभाग यह जानकारी रख सकते हैं कि प्रदेश में कितने मामले करुणामूलक नौकरी से लटके हुए हैं। राजस्व फीस बढ़ा सकती है सरकार कैबिनेट मीटिंग में आज राजस्व फीस में बढ़ौतरी पर भी मुहर लग सकती है। राज्य सरकार आय बढ़ाने के लिए राजस्व में होने वाली रजिस्टरियों के रेट बढ़ा सकती है। इसी तरह कैबिनेट में विभिन्न विभागों में भर्तियों से जुड़े मसलों को मंजूरी मिल सकती है। नई पंचायतें बनाने पर हो सकती है चर्चा प्रदेश में इसी साल पंचायत चुनाव होने है। इससे पहले सरकार नई पंचायतें बनाने पर फैसला कर सकती है। इसलिए भी कैबिनेट में मापदंड तय किए जा सकते हैं। लटके रिजल्ट के इंतजार में अभ्यर्थी कैबिनेट में विभिन्न पोस्ट कोड के लटके हुए रिजल्ट को लेकर भी चर्चा हो सकती है। मगर कार्मिक विभाग की सचिव एम सुधा देवी के अवकाश परक होने से शायद आज कार्मिक विभाग के मसले कैबिनेट में चर्चा को न लाए। इससे रिजल्ट के लिए विभिन्न पोस्ट कोड के अभयर्थियों को इंतजार करना पड़ सकता है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में कुछ देर बाद सचिवालय में कैबिनेट मीटिंग शुरू होगी। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं। कैबिनेट में BPL परिवारों के चयन को लेकर नए मापदंड तय किए जा सकते हैं। इसके बाद ग्राम सभाओं की बैठकों में पात्र परिवारों का चयन किया जाएगा। आय की सीमा में सरकार इजाफा कर सकती है। CM की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट में करुणामूलकों को नौकरी देने का फैसला हो सकता है। CM सुक्खू ने बीते माह अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद संकेत दिए थे कि जिन कर्मचारियों की मौत हो गई थी, उनके आश्रितों को नौकरी देने के मामले एकमुश्त निपटाए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को पॉलिसी तैयार करने को कहा था। करुणामूलक को नौकरी का मामला विधानसभा के शीत सत्र और मानसून सत्र में भी इनके रोजगार का मसला उठा था। लिहाजा आज की कैबिनेट में विभाग यह जानकारी रख सकते हैं कि प्रदेश में कितने मामले करुणामूलक नौकरी से लटके हुए हैं। राजस्व फीस बढ़ा सकती है सरकार कैबिनेट मीटिंग में आज राजस्व फीस में बढ़ौतरी पर भी मुहर लग सकती है। राज्य सरकार आय बढ़ाने के लिए राजस्व में होने वाली रजिस्टरियों के रेट बढ़ा सकती है। इसी तरह कैबिनेट में विभिन्न विभागों में भर्तियों से जुड़े मसलों को मंजूरी मिल सकती है। नई पंचायतें बनाने पर हो सकती है चर्चा प्रदेश में इसी साल पंचायत चुनाव होने है। इससे पहले सरकार नई पंचायतें बनाने पर फैसला कर सकती है। इसलिए भी कैबिनेट में मापदंड तय किए जा सकते हैं। लटके रिजल्ट के इंतजार में अभ्यर्थी कैबिनेट में विभिन्न पोस्ट कोड के लटके हुए रिजल्ट को लेकर भी चर्चा हो सकती है। मगर कार्मिक विभाग की सचिव एम सुधा देवी के अवकाश परक होने से शायद आज कार्मिक विभाग के मसले कैबिनेट में चर्चा को न लाए। इससे रिजल्ट के लिए विभिन्न पोस्ट कोड के अभयर्थियों को इंतजार करना पड़ सकता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल भाजपा अध्यक्ष ने सुक्खू सरकार को घेरा:खरगे के बयान का लिया सहारा, डॉ. राजीव बिंदल बोले- झूठी गारंटियों का हुआ भंडाफोड़
हिमाचल भाजपा अध्यक्ष ने सुक्खू सरकार को घेरा:खरगे के बयान का लिया सहारा, डॉ. राजीव बिंदल बोले- झूठी गारंटियों का हुआ भंडाफोड़ हिमाचल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जोरदार हमला बोला है। बिंदल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान के सहारे प्रदेश की सुखविंदर सिंह सूक्खु सरकार को जमकर घेरा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस शासित सरकार की झूठी गारंटियों का देश में भंडाफोड़ हो गया है। पूरे देश को इस बात का पता लग गया है कि हिमाचल में सत्ता प्राप्त करने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश की जनता को ठगा है और कांग्रेस के नेताओं को कांग्रेस के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अच्छी नसीहत दी है। खड़गे ने राहुल,सोनिया को दी नसीहत भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोनिया, राहुल गांधी समेत सभी मुख्यमंत्री व राज्य में नेताओं को नसीहत दी है कि नेता उतनी ही गारंटी दें जितनी पूरी की जा सकें । उन्होंने आगे और भी बड़ा दावा किया है कि खड़गे ने तो यहां तक कह दिया है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का बेड़ागर्क हो गया है और अब और सरकारों का बेड़ागर्क न करें। ना ऐसे कभी पहले हुआ ना आगे होगा बिंदल ने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह हिमाचल प्रदेश में जनता को ठगा है, ऐसा न कभी पहले हुआ है ना भविष्य में होगा। उन्होंने कहा कि 22 महीने की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार सबसे निक्कमी सरकार साबित हुई है। कांग्रेस ने झूठी गारंटियां दी है जो पूरी नहीं हुई है। कांग्रेस ने झूठी गारंटियों का पहाड़ खड़ा करके लोगों से वोट प्राप्त किए और अब वो झूठी गारंटियां एक-एक करके धराशाही हो रही है। बिंदल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को अच्छी दी है। क्या कहा था कांग्रेस अध्यक्ष…? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़ने ने पार्टी नेताओं को चेताया और कहा, यदि आप बजट पर विचार किए बिना वादे करते हैं तो यह दिवालियापन की ओर ले जाएगा। सड़कों पर रेत डालने के भी पैसे नहीं होंगे। अगर यह सरकार असफल हुई तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। दरअसल, खड़गे महाराष्ट्र चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा किए जाने वाले घोषणा पत्रों पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कर्नाटक में पांच गारंटी का वादा किया था। जिसको देखते हुए महाराष्ट्र में भी पांच गारंटी का वादा किया जा रहा है, लेकिन आज आपने बताया कि एक गारंटी हम रद्द कर देंगे। लगता है आप लोग अखबार नहीं पढ़ते हैं। पीएम मोदी भी गारंटियों पर बोला था हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि, कांग्रेस पार्टी को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल और नामुमकिन है. वे लगातार प्रचार अभियान के दौरान लोगों से ऐसे वादे करते रहते हैं, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर पाते। अब वे लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। आज कांग्रेस की सरकार वाले किसी भी राज्य को देख लीजिए- हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना. विकास की गति और वित्तीय स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उनकी तथाकथित गारंटियां अधूरी हैं, जो इन राज्यों के लोगों के साथ एक भयानक धोखा है। ऐसी राजनीति का शिकार गरीब, युवा, किसान और महिलाएं हैं, जिन्हें न केवल इन वादों के लाभों से वंचित किया जाता है, बल्कि उनकी मौजूदा योजनाओं को भी कमजोर किया जाता है।
हरियाणा में पिता के बाद मां का शरीर दान किया:महिला की नेचुरल डेथ हुई, बिलासपुर AIIMS भेजा; बॉडी पर रिसर्च करेगी डॉक्टरों की टीम
हरियाणा में पिता के बाद मां का शरीर दान किया:महिला की नेचुरल डेथ हुई, बिलासपुर AIIMS भेजा; बॉडी पर रिसर्च करेगी डॉक्टरों की टीम हरियाणा में करनाल के सेक्टर-13 में रह रहे परिवार ने 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला का पार्थिव शरीर बिलासपुर AIIMS को दान कर दिया। महिला की नेचुरल डेथ हुई थी। करनाल में अपना आशियाना की टीम सोमवार को महिला की बॉडी लेने के लिए पहुंची। अपना आशियाना की टीम ने परिवार के संकल्प की सराहना की है और अन्य लोगों से भी समाज कल्याण के कार्य में आगे आने का आह्वान किया है। बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल ने मां मिथिलेश रानी से पहले पिता गोपाल राय का पार्थिव शरीर भी बिलासपुर AIIMS को दान किया था। AIIMS में डॉक्टरों की टीम बॉडी को रिसर्च करने में यूज करती है। अंतिम इच्छा को बेटे ने किया पूरा मुकेश अग्रवाल ने बताया कि उनके माता-पिता हमेशा समाज कल्याण को सर्वोपरि मानते थे। पिता जी और माता ने अपने मरने से पहले ही नेत्रदान व देह दान का फैसला ले लिया था। अक्टूबर 2023 में पिता की मृत्यु हो गई थी। उनकी इच्छा के अनुसार पहले नेत्रदान किया गया था और फिर देह दान किया। रविवार रात मेरी माता मिथिलेश अग्रवाल की मृत्यु हो गई। उनकी भी इच्छा थी कि जहां पर पति का शरीर दान किया गया, वहीं मेरा भी शरीर दान किया जाए। इसलिए पहले नेत्रदान करवाया गया। जिसके लिए करनाल सिविल अस्पताल की टीम पहुंची और उसके बाद अपना आशियाना की टीम को पार्थिव शरीर सौंप दिया गया। टीम शव को बिलासपुर AIIMS लेकर गई है। देह दान सबसे बड़ा दान अपना आशियाना जनसेवा दल के सेवादार राजकुमार ने बताया कि बिलासपुर AIIMS में शरीर को डोनेट करने के लिए ले जाया जा रहा है। इनके बेटे ने संकल्प लिया कि माता-पिता के पार्थिव शरीर को मानव कल्याण के लिए दान किया जाए। देह दान सबसे बड़ा दान है और यह कार्य करने के लिए दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। इस परिवार से अन्य लोगों काे भी प्रेरणा लें। करनाल में 250 लोग कर चुके शरीर दान राजकुमार ने बताया कि बिलासपुर AIIMS की तरफ से परिवार को प्रशस्ति पत्र और डेथ सर्टिफिकेट इशू किया जाएगा। AIIMS में पार्थिव शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों को निकाल लिया जाएगा। बॉडी के प्रत्येक अंग पर मेडिकल स्टूडेंट्स द्वारा रिसर्च की जाती है। जो भी महत्वपूर्ण अंग होते हैं, उनको किसी दूसरे जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। स्टूडेंट्स को मानव शरीर की संरचना, उसके अंदर के अंग और उनकी वर्किंग के विषय में बताया जाता है। करनाल जिला में ऐसे 250 लोग है, जिन्होंने अपने शरीर का दान किया और समाज के काम आए। अगर कोई व्यक्ति देह दान करना चाहता है, तो वह अपना आशियाना के हेल्पलाइन नंबर 94161 10073 पर कॉल कर सकता है।
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।