पानीपत के इसराना में धुंध के ट्रैक्टर बेकाबू हो गया और डिवाइडर टकराकर पराली से भरी ट्रैक्टर-ट्राॅली पलट गए। वहीं ट्रैक्टर पर सवार दो युवकों कूद कर अपनी जान बचाई। जो गोहाना से पराली लेकर पानीपत की तरफ आ रहे थे। हादसा सुबह करीब 4 बजे पानीपत -रोहतक हाईवे पर शनि मंदिर के पास हुआ है। ट्रैक्टर ट्राॅली बिना नंबर का था। पराली भरकर गोहाना से पानीपत की तरफ आ रहा था। सुबह के समय धुंध के कारण ट्रैक्टर डाइवर को डिवाइडर दिखाई नहीं दिया। झटका लगते ही पलटी ट्राॅली जिससे ट्रॉली डिवाइडर से टकरा गई। ट्रॉली टकराने से झटका लगते ही ट्राली पलट गई। ट्रैक्टर चक्कर खाकर गोहाना की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। ट्रैक्टर पर सवार दो युवकों ने कूद कर अपनी जान बचाई। दूसरा ट्रैक्टर लाकर भरी पराली जीटी रोड पर ट्रैक्टर ट्राली पलटने से ट्रैफिक जाम हो गया। ग़नीमत कि जीटी रोड पर आसपास कोई ट्रैफिक नहीं थी। इसके बाद ट्रैक्टर पर सवार दोनों युवकों ने मिलकर एक साइड से पराली को हटाना शुरू किया और रास्ता चालू किया। इसके बाद दूसरा ट्रैक्टर ला करके पराली को भरा गया। पानीपत के इसराना में धुंध के ट्रैक्टर बेकाबू हो गया और डिवाइडर टकराकर पराली से भरी ट्रैक्टर-ट्राॅली पलट गए। वहीं ट्रैक्टर पर सवार दो युवकों कूद कर अपनी जान बचाई। जो गोहाना से पराली लेकर पानीपत की तरफ आ रहे थे। हादसा सुबह करीब 4 बजे पानीपत -रोहतक हाईवे पर शनि मंदिर के पास हुआ है। ट्रैक्टर ट्राॅली बिना नंबर का था। पराली भरकर गोहाना से पानीपत की तरफ आ रहा था। सुबह के समय धुंध के कारण ट्रैक्टर डाइवर को डिवाइडर दिखाई नहीं दिया। झटका लगते ही पलटी ट्राॅली जिससे ट्रॉली डिवाइडर से टकरा गई। ट्रॉली टकराने से झटका लगते ही ट्राली पलट गई। ट्रैक्टर चक्कर खाकर गोहाना की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। ट्रैक्टर पर सवार दो युवकों ने कूद कर अपनी जान बचाई। दूसरा ट्रैक्टर लाकर भरी पराली जीटी रोड पर ट्रैक्टर ट्राली पलटने से ट्रैफिक जाम हो गया। ग़नीमत कि जीटी रोड पर आसपास कोई ट्रैफिक नहीं थी। इसके बाद ट्रैक्टर पर सवार दोनों युवकों ने मिलकर एक साइड से पराली को हटाना शुरू किया और रास्ता चालू किया। इसके बाद दूसरा ट्रैक्टर ला करके पराली को भरा गया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर की कहानी:साढ़े 5 साल की उम्र में पैर गंवाया; थाइलैंड में 100 मीटर दौड़कर गोल्ड मेडल जीता
हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर की कहानी:साढ़े 5 साल की उम्र में पैर गंवाया; थाइलैंड में 100 मीटर दौड़कर गोल्ड मेडल जीता तारीख: 7 दिसंबर 2024 थाईलैंड में हरियाणा का बेटा दिलबाग ऐसा दौड़ा कि हर कोई देखता रह गया। हिसार के गांव कालवास के ब्लेड रनर दिलबाग ने थाइलैंड के नाखोन रत्चासिमा में वर्ल्ड एबिलिटी स्पोर्ट्स यूथ गेम्स में 17.57 सेकेंड में 100 मीटर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल जीता। दिलबाग ने दौड़ने का जो सपना देखा था, वह न केवल पूरा किया बल्कि ऐसे दौड़ा कि विदेशी भी हैरान रह गए। दिलबाग रोजाना कई घंटे गांव से हिसार के गिरी सेंटर में प्रैक्टिस करने आते हैं। दिलबाग का सपना अब पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। दिलबाग की उम्र अभी महज 18 साल है। उन्होंने 2021 में ब्लेड लगाकर दौड़ना शुरू किया। दिलबाग को किसी परिचित ने अमेरिका से यह ब्लेड मंगवाकर दिया। दिलबाग ने 2013 में एक टांग से दौड़ना शुरू किया था। लगातार कई सालों तक प्रैक्टिस भी की, मगर दिलबाग का सपना दोनों टांगों पर दौड़ना था। दिलबाग ने 4 साल के करियर में एक गोल्ड सहित 2 मेडल जीते हैं। अपने पहले इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर दिलबाग ने हर किसी को अपना कायल बना लिया है। दिलबाग को एक पैर क्यों गंवाना पड़ा, इस पर वह कहते हैं… जब मेरी साढ़े 5 साल उम्र थी मैं अपने ताऊ की बेटी रिंकू के साथ खेत की ढाणी से अपने गांव कालवास पैदल जा रहा था। इस दौरान पीछे से टाटा 407 ने टक्कर मारी दी। हादसे में एक पैर गंवाना पड़ा। मैं दूसरों को दौड़ते देखता तो मुझे लगता था मैं भी दौडू़ं। पहले एक पैर से दौड़ना शुरू किया। 2021 में अमेरिका से ब्लेड मंगवाया और दौड़ना शुरू किया। पिता ने बेटे के लिए छोड़ दिया काम
दिलबाग रोजाना सुबह-शाम अपने पिता लीलूराम के साथ गिरी सेंटर में अभ्यास करने जाते हैं। पिता लीलूराम बताते हैं कि पहले वह फर्नीचर का काम करते थे। कई साल से उन्होंने बेटे के लिए काम छोड़ दिया। रोजाना गिरी सेंटर में बेटे को लाना-ले जाना होता है। लीलूराम का कहना है कि बेटे को ओलिंपिक में खेलते देखना उनका सपना है। पिता ने बताया कि दिलबाग ने 2013 में स्कूली स्तर पर दिलबाग ने ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर और शॉटपुट खेलना शुरू किया। स्टेट लेवल पर स्वर्ण पदक भी जीता। रोजाना 5 घंटे कड़ी मेहनत करता है दिलबाग
ब्लेड रनर दिलबाग रोजाना सुबह ढाई घंटे और शाम को ढाई घंटे प्रैक्टिस करते हैं। दिलबाग ने बताया कि अमेरिका से 5 लाख रुपए में ब्लेड मंगवाया है। इस ब्लेड की खासियत है कि इसमें लाइनर और शॉकेट लगा होता है जो प्रेशर को ऑब्जर्व करता है। दिलबाग ने बताया कि उसका सारा खर्च उसके पिता उठाते हैं। उसके घर में माता-पिता और दादी के अलावा एक छोटा भाई और है। दौड़ने के साथ लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहा
बता दें कि दिलबाग हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर हैं। दिलबाग और उसके कोच पैरालिंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दिलबाग ने बताया कि वह दौड़ने के अलावा लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहे हैं। वह मैदान पर दौड़ने के अलावा हफ्ते में दो दिन जिम में प्रैक्टिस भी करते हैं।
हरियाणा में क्लासरूम में घुसा बंदर:छात्राओं पर हमला करने लगा; टीचरों ने बचने के लिए कमरे में बंद किया
हरियाणा में क्लासरूम में घुसा बंदर:छात्राओं पर हमला करने लगा; टीचरों ने बचने के लिए कमरे में बंद किया हरियाणा में फतेहाबाद जिले के टोहाना में बुधवार (6 नवंबर) को सरकारी स्कूल में एक बंदर ने जमकर उत्पात मचाया। बंदर एक क्लासरूम में घुस गया और छात्राओं पर हमला करने की कोशिश की। क्लासरूम में छात्राओं ने शोर मचा दिया। इसके बाद छात्राएं और टीचर तुरंत बाहर आ गए और बंदर को क्लासरूम में ही बंद कर दिया। इसके बाद वन्य जीव रक्षक नवजोत ढिल्लों की टीम को सूचना दी गई। टीम ने मौके पर पहुंचकर एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बंदर को पिंजरे में पकड़ा। इसके बाद उसे जंगल में छोड़ दिया गया। डर का माहौल बना रहा
टोहाना की नेहरू मार्केट में स्थित राजकीय सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल में आज दोपहर एक उत्पाती बंदर घुस आया। पहले वह प्रिंसिपल के कमरे में गया और वहां से वह टीचरों व छात्राओं का पीछा करते-करते एक क्लासरूम में घुस गया। इस तरह काफी देर तक वह एक के बाद एक क्लास में जाता रहा। स्कूल में छात्राओं में डर का माहौल बन गया। डरकर बिल्डिंगों में घुस रहे बंदर
बाद में वन्य जीव रक्षक टीम के नवजोत ढिल्लों अपनी टीम के साथ पिंजरा लेकर पहुंचे और कमरे को खोल कर बंदर की तलाश शुरू की। बंदर टीम से बचने के लिए बैंच के नीचे दौड़ता रहा। आखिरकार उसे काबू कर लिया गया और पिंजरे में डाला गया। नवजोत ढिल्लों ने बताया कि बंदर बहुत हट्टा कट्टा और बड़ा था, जो किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता था। बंदर को चोट लगी हुई थी। टीम उसका इलाज करेगी। शहर में नगर पालिका ने बंदर पकड़ने का टेंडर दिया हुआ है। पकड़े जाने के डर से वह बिल्डिंगों में घुस रहे हैं।
हरियाणा के 500 करोड़ रिएल एस्टेट फ्रॉड में बड़ा खुलासा:ED ने ओरिस ग्रुप के अकाउंट फ्रीज किए; घर से मर्सिडीज, पोर्श, बीएमडब्ल्यू कारें मिलीं
हरियाणा के 500 करोड़ रिएल एस्टेट फ्रॉड में बड़ा खुलासा:ED ने ओरिस ग्रुप के अकाउंट फ्रीज किए; घर से मर्सिडीज, पोर्श, बीएमडब्ल्यू कारें मिलीं हरियाणा में 500 करोड़ के रियल एस्टेट फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। 25 नवंबर को ED ने दिल्ली-NCR की 14 जगहों पर रेड की थी। उस रेड में जब्त किए सामान के बारे में खुलासा करते हुए ED ने बताया है कि ओरिस ग्रुप के मालिकों के घर और ऑफिस से कई दस्तावेज मिले हैं जो अपराध की ओर इशारा करते हैं। साथ ही रेड के दौरान कुछ संपत्ति के दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस मिले थे। इसके अलावा ED ने ओरिस ग्रुप ऑफ कंपनीज के नाम पर 31.22 करोड़ रुपए के फिक्स डिपॉजिट (FD) और बैंक गारंटी को भी फ्रीज और जब्त किया। ED ने कंपनी के प्रमोटरों से संबंधित बैंक खाते और लॉकर फ्रीज कर दिए हैं, और ओरिस ग्रुप के एक डायरेक्टर और प्रमोटर के घर से लग्जरी कारों का जखीरा पकड़ा है। ED ने उसके घर से मर्सिडीज, पोर्श, BMW सहित 4 लग्जरी कारें पकड़ी हैं, जिन्हें जब्त कर लिया है। ED की ओर से सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट… 14 जगह हुई थी रेड
बता दें कि गुरुग्राम ED ने 25 नवंबर को NCR के 14 ठिकानों पर रेड की थी। इनमें मेसर्स ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशक, प्रमोटर विजय गुप्ता, अमित गुप्ता, मेसर्स थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, इसके प्रमोटर, निदेशक निर्मल सिंह उप्पल व विधुर भारद्वाज, आदि के ऑफिस और घर शामिल थे। ED ने दिल्ली-NCR में यह कार्रवाई पीएमएलए, 2002 के तहत की थी। दिल्ली और हरियाणा पुलिस कर रही कार्रवाई
धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई ED की इस कार्रवाई की जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और गुरुग्राम पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी। FIR पर संज्ञान लेने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि ये शिकायतें कुछ घर खरीदारों ने कीं, जिन्होंने इन कंपनियों की परियोजनाओं में निवेश किया था। यह है पूरा मामला
सूत्रों के अनुसार, ED इन कंपनियों के प्रमोटरों, शेयरधारकों और निदेशकों को 500 करोड़ रुपए से अधिक के रियल एस्टेट धोखाधड़ी, दुरुपयोग और गलत लाभ के लिए धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच कर रही है। इन पर आरोप है कि कंपनियों ने 1,000 करोड़ रुपए से अधिक एकत्र किए, लेकिन वास्तविक परियोजनाओं पर केवल 500 करोड़ रुपए खर्च किए, जो मंजूरी के बिना लाइसेंस प्राप्त भूमि के एक हिस्से की धोखाधड़ी बिक्री, आगे के निवेश के लिए धन के डायवर्जन के कारण रुक गए।