भास्कर न्यूज | अमृतसर टीबी की रोकथाम के िलए पंजाब सरकार ने 7 दिंसबर को टीबी एलिमिनेशन कार्यक्रम की भी शुरूआत की थी, लेकिन मरीजों की सुविधाओं को सुविधा देने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। टीबी अस्पताल में रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके अलावा लगभग 40 मरीज इमरजेंसी में आते हैं। यह मरीज आयुष्मान कार्ड पर इलाज करवाते हैं। इन मरीजों के लिए टीबी अस्पताल में आयुष्मान काउंटर की सुविधा ही नहीं हैं। इन मरीजों की सुविधा के िलए ईएनटी में काउंटर खोला गया था, लेकिन यहां कोई कर्मचारी न बैठने से उन्हें जीएनडीएच में ही धक्के खाने पड़ रहे हैं। मरीजों का कहना है कि उन्हें जीएनडीएच में घंटों आयुष्मान की लाइन में ही खड़ा होना पड़ता है। इससे कई बार मरीजों को अकेले अस्पताल में छोड़कर अटेंडेंट को मजबूरी में जाना पड़ता है। जीएनडीएच में पहले ही मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते लंबी लाइन रहती है। मरीजों को टीबी अस्पताल से 2 किलोमीटर दूर जीएनडीएच में आयुष्मान की सुविधा लेने जाना पड़ता है। रोजाना अटेंडेंट के 3-4 घंटे खराब होते हैं। जिले में अभी 4 हजार टीबी मरीज हैं। इन मरीजों को निशुल्क दवा और डाइट की व्यवस्था भी दी जानी चाहिए। सरकार का देश को 2025 तक टीबी फ्री करने का टारगेट है, लेकिन बिना सुविधाओं के यह टारगेट पूरा होना मुश्किल ही नहीं असंभव है। जिले में मरीजों को न तो दवा मिल रही है और न ही डाइट के पैसे। टीबी अस्पताल में तो मरीजों के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं हैं। पीने के पानी और अटेंडेंट के बैठने तक का कोई प्रबंध नहीं है। इसलिए लोकल मरीज एडमिट न होकर अपने घर चले जाते हैं, हालांकि दूसरे जिलों से आए मरीजों के पास रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। कमलजीत िसंह ने बताया कि उनकी पत्नी को फेफड़ों में समस्या है। इसलिए वह टीबी अस्पताल आते रहते हैं। यहां आयुष्मान काउंटर न होने के कारण उन्हें जीएनडीएच में जाना पड़ता है। वहां उनके 4 घंटे खराब हो जाते हैं। जिन मरीजों के साथ एक अटेंडेंट होता है, वह जीएनडीएच में चला जाएगा तो पेशेंट का ध्यान कौन रखेगा। उन्होंने टीबी अस्पताल में ही काउंटर खोलने की मांग की है। यदि मरीजों को समस्या आ रही है तो आयुष्मान काउंटर खोलने के िलए वह उच्च अधिकारियों से बात करेंगी। िकसी भी मरीज को समस्या नहीं आने दी जाएगी। -गुनीत शर्मा, एचओडी टीबी अस्पताल भास्कर न्यूज | अमृतसर टीबी की रोकथाम के िलए पंजाब सरकार ने 7 दिंसबर को टीबी एलिमिनेशन कार्यक्रम की भी शुरूआत की थी, लेकिन मरीजों की सुविधाओं को सुविधा देने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। टीबी अस्पताल में रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके अलावा लगभग 40 मरीज इमरजेंसी में आते हैं। यह मरीज आयुष्मान कार्ड पर इलाज करवाते हैं। इन मरीजों के लिए टीबी अस्पताल में आयुष्मान काउंटर की सुविधा ही नहीं हैं। इन मरीजों की सुविधा के िलए ईएनटी में काउंटर खोला गया था, लेकिन यहां कोई कर्मचारी न बैठने से उन्हें जीएनडीएच में ही धक्के खाने पड़ रहे हैं। मरीजों का कहना है कि उन्हें जीएनडीएच में घंटों आयुष्मान की लाइन में ही खड़ा होना पड़ता है। इससे कई बार मरीजों को अकेले अस्पताल में छोड़कर अटेंडेंट को मजबूरी में जाना पड़ता है। जीएनडीएच में पहले ही मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते लंबी लाइन रहती है। मरीजों को टीबी अस्पताल से 2 किलोमीटर दूर जीएनडीएच में आयुष्मान की सुविधा लेने जाना पड़ता है। रोजाना अटेंडेंट के 3-4 घंटे खराब होते हैं। जिले में अभी 4 हजार टीबी मरीज हैं। इन मरीजों को निशुल्क दवा और डाइट की व्यवस्था भी दी जानी चाहिए। सरकार का देश को 2025 तक टीबी फ्री करने का टारगेट है, लेकिन बिना सुविधाओं के यह टारगेट पूरा होना मुश्किल ही नहीं असंभव है। जिले में मरीजों को न तो दवा मिल रही है और न ही डाइट के पैसे। टीबी अस्पताल में तो मरीजों के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं हैं। पीने के पानी और अटेंडेंट के बैठने तक का कोई प्रबंध नहीं है। इसलिए लोकल मरीज एडमिट न होकर अपने घर चले जाते हैं, हालांकि दूसरे जिलों से आए मरीजों के पास रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। कमलजीत िसंह ने बताया कि उनकी पत्नी को फेफड़ों में समस्या है। इसलिए वह टीबी अस्पताल आते रहते हैं। यहां आयुष्मान काउंटर न होने के कारण उन्हें जीएनडीएच में जाना पड़ता है। वहां उनके 4 घंटे खराब हो जाते हैं। जिन मरीजों के साथ एक अटेंडेंट होता है, वह जीएनडीएच में चला जाएगा तो पेशेंट का ध्यान कौन रखेगा। उन्होंने टीबी अस्पताल में ही काउंटर खोलने की मांग की है। यदि मरीजों को समस्या आ रही है तो आयुष्मान काउंटर खोलने के िलए वह उच्च अधिकारियों से बात करेंगी। िकसी भी मरीज को समस्या नहीं आने दी जाएगी। -गुनीत शर्मा, एचओडी टीबी अस्पताल पंजाब | दैनिक भास्कर
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