हरियाणा में निकाय चुनाव अगले दो महीनों में होने की संभावना है। निकाय चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां स्पष्ट कर चुकी है कि चुनाव सिंबल पर होंगे। ऐसे में पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले भी मैदान में उतरने लगे है और जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बनाने में लगे हुए है। निकाय चुनावों में सबसे ज्यादा एक्टिव बीजेपी नजर आ रही है। बीजेपी अपने बूथ लेवल तक काम कर चुकी है। जबकि कांग्रेस के पास संगठन का ना होना ही अपने आप में एक बड़ा सवाल है। हालांकि कांग्रेस नेता तरलोचन सिंह, मनोज वधवा यह बात स्पष्ट कर चुके है कि वे चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। बीजेपी में इन चेहरों पर खेल सकती है दांव निकाय चुनावों में अभी सबसे आगे बीजेपी में पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता का नाम चल रहा है। रेणुबाला गुप्ता ने विधानसभा चुनावों के दौरान टिकट की इच्छा जताई थी। लेकिन टिकट न मिलने पर रेणु बाला गुप्ता ने गहरी नाराजगी भी जताई थी। उसके बाद सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल ने रेणु बाला गुप्ता के साथ मीटिंग की थी और उनकी नाराजगी दूर की थी। इसके बाद ही इनके पति को कार्यकारी जिला अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। अब भी रेणु बाला गुप्ता चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक चुकी है। वहीं कृष्ण गर्ग और संजय भठला का भी नाम भी सामने आ रहा है। संजय बठला पहले सीएम के ओएसडी रह चुके है और कृष्ण गर्ग भी पूर्व डिप्टी मेयर रह चुके है। तीनों ही नेता पूर्व सीएम मनोहर लाल और सीएम नायब सैनी के करीबी है। सभी दावेदार टिकट मिलने से पहले फिल्ड में एक्टिव दिखाई देने लगे है। कांग्रेस से भी बड़े चेहरे मैदान में अगर बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस में भी मनोज वधवा, अशोक खुराना और पराग गाबा मैदान में है। विधानसभा चुनावों के दौरान इन चेहरों ने भी टिकट की इच्छा जताई थी। मनोज वधवा की पत्नी आशा वधवा मेयर चुनाव लड़ चुकी है। जो करीब 8 हजार वोट से हारी थी। जिसके बाद मनोज वधवा ने भाजपा ज्वांइन की, लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए। मनोज वधवा 2014 में मनोहर लाल के सामने विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके है। अशोक खुराना और पराग गाबा भी कांग्रेस के अच्छे लीडरों में शामिल है। कौन सा कार्ड खेलगी बीजेपी और कांग्रेस बीजेपी के पास भी संजय बठला के रूप में पंजाबी चेहरा है और रेणु बाला व कृष्ण गर्ग बनिया समाज से आते है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट एंव DAV कॉलेज के प्राचार्य आरपी सैनी की माने तो बीजेपी बनिया समाज दांव लगा सकती है, क्योंकि करनाल से पंजाबी समाज का सांसद मनोहर लाल के रूप में है और जगमोहन आनंद विधायक है, ये भी पंजाबी समाज से है। वहीं अगर कांग्रेस की बात की जाए तो तीनों की चेहरे पंजाबी समाज से आते है। ऐसे में लाजमी है कि कांग्रेस पंजाबी कार्ड खेल सकती है, क्योंकि करनाल में सबसे ज्यादा पंजाबी वोटर है। बागियों को तवज्जो या नहीं करनाल के विधायक जगमोहन आनंद कई बार यह बात स्पष्ट कर चुके है कि विधानसभा चुनावों में बगावत करने वाले नेताओं और पार्षदों को बीजेपी में कोई एंट्री नहीं मिलेगी। ऐसे में जो बीजेपी से बागी हो चुके है वे कांग्रेस या फिर दूसरी पार्टियों का रुख करेंगे। कांग्रेस दूसरी पार्टी के नेताओं और लोगों को स्वीकार करती है या नहीं, वह आने वाला समय बताएगा। प्रशासन की तैयारी निकाय चुनावों को लेकर प्रशासन नई वार्ड बंदी कर चुका है और नई वार्ड बंदी के अनुसार 16 बूथ ओर बढ़ गए है। इससे पहले निगम में 249 बूथ फाइनल किए थे और अब यह संख्या 265 पर पहुंच चुकी है। 2018 में वोटरों ने 224 बूथों पर मतदान किया था। बूथ बढ़ाने के लिए भी क्राइटेरिया तय किया गया है, जहां पर भी 1500 से अधिक वोटर की संख्या है वहां पर बूथ बढ़ा दिए गए है। मतदाता सूची 28 जनवरी तक डीसी उत्तम सिंह के मुताबिक, नई मतदाता सूची से संबंधित दावे एवं आपत्तियां भी 13 जनवरी तक लिए जाएंगे और 17 जनवरी को रिवाइजिंग अथॉरिटी आपत्तियों का निपटान करेगी। 21 जनवरी को डीसी के समक्ष रिवाइजिंग अथॉरिटी की रिपोर्ट पहुंच जाएगी। 28 जनवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। हरियाणा में निकाय चुनाव अगले दो महीनों में होने की संभावना है। निकाय चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां स्पष्ट कर चुकी है कि चुनाव सिंबल पर होंगे। ऐसे में पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले भी मैदान में उतरने लगे है और जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बनाने में लगे हुए है। निकाय चुनावों में सबसे ज्यादा एक्टिव बीजेपी नजर आ रही है। बीजेपी अपने बूथ लेवल तक काम कर चुकी है। जबकि कांग्रेस के पास संगठन का ना होना ही अपने आप में एक बड़ा सवाल है। हालांकि कांग्रेस नेता तरलोचन सिंह, मनोज वधवा यह बात स्पष्ट कर चुके है कि वे चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। बीजेपी में इन चेहरों पर खेल सकती है दांव निकाय चुनावों में अभी सबसे आगे बीजेपी में पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता का नाम चल रहा है। रेणुबाला गुप्ता ने विधानसभा चुनावों के दौरान टिकट की इच्छा जताई थी। लेकिन टिकट न मिलने पर रेणु बाला गुप्ता ने गहरी नाराजगी भी जताई थी। उसके बाद सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल ने रेणु बाला गुप्ता के साथ मीटिंग की थी और उनकी नाराजगी दूर की थी। इसके बाद ही इनके पति को कार्यकारी जिला अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। अब भी रेणु बाला गुप्ता चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक चुकी है। वहीं कृष्ण गर्ग और संजय भठला का भी नाम भी सामने आ रहा है। संजय बठला पहले सीएम के ओएसडी रह चुके है और कृष्ण गर्ग भी पूर्व डिप्टी मेयर रह चुके है। तीनों ही नेता पूर्व सीएम मनोहर लाल और सीएम नायब सैनी के करीबी है। सभी दावेदार टिकट मिलने से पहले फिल्ड में एक्टिव दिखाई देने लगे है। कांग्रेस से भी बड़े चेहरे मैदान में अगर बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस में भी मनोज वधवा, अशोक खुराना और पराग गाबा मैदान में है। विधानसभा चुनावों के दौरान इन चेहरों ने भी टिकट की इच्छा जताई थी। मनोज वधवा की पत्नी आशा वधवा मेयर चुनाव लड़ चुकी है। जो करीब 8 हजार वोट से हारी थी। जिसके बाद मनोज वधवा ने भाजपा ज्वांइन की, लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए। मनोज वधवा 2014 में मनोहर लाल के सामने विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके है। अशोक खुराना और पराग गाबा भी कांग्रेस के अच्छे लीडरों में शामिल है। कौन सा कार्ड खेलगी बीजेपी और कांग्रेस बीजेपी के पास भी संजय बठला के रूप में पंजाबी चेहरा है और रेणु बाला व कृष्ण गर्ग बनिया समाज से आते है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट एंव DAV कॉलेज के प्राचार्य आरपी सैनी की माने तो बीजेपी बनिया समाज दांव लगा सकती है, क्योंकि करनाल से पंजाबी समाज का सांसद मनोहर लाल के रूप में है और जगमोहन आनंद विधायक है, ये भी पंजाबी समाज से है। वहीं अगर कांग्रेस की बात की जाए तो तीनों की चेहरे पंजाबी समाज से आते है। ऐसे में लाजमी है कि कांग्रेस पंजाबी कार्ड खेल सकती है, क्योंकि करनाल में सबसे ज्यादा पंजाबी वोटर है। बागियों को तवज्जो या नहीं करनाल के विधायक जगमोहन आनंद कई बार यह बात स्पष्ट कर चुके है कि विधानसभा चुनावों में बगावत करने वाले नेताओं और पार्षदों को बीजेपी में कोई एंट्री नहीं मिलेगी। ऐसे में जो बीजेपी से बागी हो चुके है वे कांग्रेस या फिर दूसरी पार्टियों का रुख करेंगे। कांग्रेस दूसरी पार्टी के नेताओं और लोगों को स्वीकार करती है या नहीं, वह आने वाला समय बताएगा। प्रशासन की तैयारी निकाय चुनावों को लेकर प्रशासन नई वार्ड बंदी कर चुका है और नई वार्ड बंदी के अनुसार 16 बूथ ओर बढ़ गए है। इससे पहले निगम में 249 बूथ फाइनल किए थे और अब यह संख्या 265 पर पहुंच चुकी है। 2018 में वोटरों ने 224 बूथों पर मतदान किया था। बूथ बढ़ाने के लिए भी क्राइटेरिया तय किया गया है, जहां पर भी 1500 से अधिक वोटर की संख्या है वहां पर बूथ बढ़ा दिए गए है। मतदाता सूची 28 जनवरी तक डीसी उत्तम सिंह के मुताबिक, नई मतदाता सूची से संबंधित दावे एवं आपत्तियां भी 13 जनवरी तक लिए जाएंगे और 17 जनवरी को रिवाइजिंग अथॉरिटी आपत्तियों का निपटान करेगी। 21 जनवरी को डीसी के समक्ष रिवाइजिंग अथॉरिटी की रिपोर्ट पहुंच जाएगी। 28 जनवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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345298 वोटों से जीते दीपेंद्र हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट पर कुल 12 लाख 48 हजार 446 वोट (EVM व बैलट पेपर के मिलाकर) पोल हुए थे। दीपेंद्र हुड्डा को कुल 783578 वोट मिले। जबकि अरविंद शर्मा को 438280 वोट प्राप्त हुए। दोनों में हार-जीत का अंतर 345298 वोटों का रहा। पूरे हरियाणा में सबसे बड़ी लीड दीपेंद्र हुड्डा की रही। कोसली भी नहीं बचा पाई भाजपा
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