AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन को बड़ी राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन को बड़ी राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

<p style=”text-align: justify;”><strong>Tahir Hussain Gets Parole:</strong> मुस्तफाबाद विधानसभा सीट AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. मुस्फाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल दी है. ताहिर हुसैन की ओर से अंतरिम जमान की अर्जी पेश करते हुए वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि विधानसभा चुनावों में नामांकन करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे 17 जनवरी तक पूरा करना है. इस पर कोर्ट ने मंगलवार (14 जनवरी) को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>परोल की शर्तें</strong><br />दिल्ली हाई कोर्ट ने AIMIM नेता ताहिर हुसैन को अपना नामांकन भरने के लिए कस्टडी परोल दिया गया है. वह फिलहाल, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल देते हुए कुछ शर्तें रखी हैं, जो इस प्रकार हैं-<br />1. ताहिर हुसैन नामांकन प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति से बातचीत नहीं करेंगे.<br />2. ताहिर हुसैन किसी भी मोबाइल-लैंडलाइन या इंटरनेट का इस्तेमाल नही करेंगे.<br />3. ताहिर हुसैन मीडिया से बातचीत नही करेंगे.<br />4. आरोपी (ताहिर हुसैन) के परिवार के सदस्य उपस्थित रह सकते हैं, लेकिन उन्हें नामांकन दाखिल करने की तस्वीरें खींचने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की अनुमति नहीं होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं’- दिल्ली पुलिस</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या ताहिर हुसैन को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है? इसके जवाब में ताहिर हुसैन की वकील ने कहा कि उन्हें दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा से AIMIM का टिकट मिला है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ASG चेतन शर्मा ने कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है. अगर आपके ऊपर गंभीर अपराध के आरोप हैं, तो आप नामांकन तो दाखिल कर सकते हैं लेकिन गवाहों को प्रभावित करने का भी खतरा होगा. ASG ने बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद और खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि जेल से नामांकन करने के बाद भी प्रत्याशियों ने चुनाव जीते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इंजीनियर राशिद की अंतरिम जमानत का दिया उदाहरण</strong><br />सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सवाल किया कि दिल्ली दंगे 2020 मामले के गवाह कहां रहते हैं? इस पर ASG ने कहा कि गवाह उसी मोहल्ले में रहते हैं जहां ताहिर हुसैन का घर है. ताहिर हुसैन की वकील ने भी इंजीनियर राशिद का उदाहरण दिया और कहा कि राशिद को चुनाव लड़ने और इसके लिए प्रचार करने के लिए तीन महीने की अंतरिम जमानत दी गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कस्टडी पैरोल देने की मांग</strong><br />वकील के मुताबिक, ताहिर हुसैन ने कहा, ”मेरा अपराध अभी सिद्ध नहीं हुआ है और चुनाव प्रचार 4 फरवरी को खत्म हो जाएगा. इसके तुरंत बाद मैं सरेंडर कर दूंगा. अगर मुझे कस्टडी पैरोल भी दी जाती है तो हमें स्वीकार है लेकिन हमें कैंपेन करने की इजाजत दी जाए.” हाइ कोर्ट की जज नीना बंसल ने दोनों पक्षों की दलील सुनने बाद आदेश को रिजर्व रख लिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-assembly-election-2025-shalimar-bagh-seat-fight-between-aap-congress-bjp-sahib-singh-verma-seat-2862533″>Shalimar Bagh Seat: दिल्ली की शालीमार बाग सीट पर फिर होगी कांटे की टक्कर! कौन मारेगी बाजी?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Tahir Hussain Gets Parole:</strong> मुस्तफाबाद विधानसभा सीट AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. मुस्फाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल दी है. ताहिर हुसैन की ओर से अंतरिम जमान की अर्जी पेश करते हुए वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि विधानसभा चुनावों में नामांकन करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे 17 जनवरी तक पूरा करना है. इस पर कोर्ट ने मंगलवार (14 जनवरी) को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>परोल की शर्तें</strong><br />दिल्ली हाई कोर्ट ने AIMIM नेता ताहिर हुसैन को अपना नामांकन भरने के लिए कस्टडी परोल दिया गया है. वह फिलहाल, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल देते हुए कुछ शर्तें रखी हैं, जो इस प्रकार हैं-<br />1. ताहिर हुसैन नामांकन प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति से बातचीत नहीं करेंगे.<br />2. ताहिर हुसैन किसी भी मोबाइल-लैंडलाइन या इंटरनेट का इस्तेमाल नही करेंगे.<br />3. ताहिर हुसैन मीडिया से बातचीत नही करेंगे.<br />4. आरोपी (ताहिर हुसैन) के परिवार के सदस्य उपस्थित रह सकते हैं, लेकिन उन्हें नामांकन दाखिल करने की तस्वीरें खींचने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की अनुमति नहीं होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं’- दिल्ली पुलिस</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या ताहिर हुसैन को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है? इसके जवाब में ताहिर हुसैन की वकील ने कहा कि उन्हें दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा से AIMIM का टिकट मिला है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ASG चेतन शर्मा ने कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है. अगर आपके ऊपर गंभीर अपराध के आरोप हैं, तो आप नामांकन तो दाखिल कर सकते हैं लेकिन गवाहों को प्रभावित करने का भी खतरा होगा. ASG ने बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद और खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि जेल से नामांकन करने के बाद भी प्रत्याशियों ने चुनाव जीते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इंजीनियर राशिद की अंतरिम जमानत का दिया उदाहरण</strong><br />सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सवाल किया कि दिल्ली दंगे 2020 मामले के गवाह कहां रहते हैं? इस पर ASG ने कहा कि गवाह उसी मोहल्ले में रहते हैं जहां ताहिर हुसैन का घर है. ताहिर हुसैन की वकील ने भी इंजीनियर राशिद का उदाहरण दिया और कहा कि राशिद को चुनाव लड़ने और इसके लिए प्रचार करने के लिए तीन महीने की अंतरिम जमानत दी गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कस्टडी पैरोल देने की मांग</strong><br />वकील के मुताबिक, ताहिर हुसैन ने कहा, ”मेरा अपराध अभी सिद्ध नहीं हुआ है और चुनाव प्रचार 4 फरवरी को खत्म हो जाएगा. इसके तुरंत बाद मैं सरेंडर कर दूंगा. अगर मुझे कस्टडी पैरोल भी दी जाती है तो हमें स्वीकार है लेकिन हमें कैंपेन करने की इजाजत दी जाए.” हाइ कोर्ट की जज नीना बंसल ने दोनों पक्षों की दलील सुनने बाद आदेश को रिजर्व रख लिया था.</p>
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