पंजाब में बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा सुरक्षा को लेकर पंजाब पुलिस के उच्च अधिकारियों के साथ आज हाई लेवल मीटिंग की गई। इस साल की ये पहली बड़े स्तर की मीटिंग थी। ये मीटिंग पंजाब के जालंधर में स्थित बीएसएफ मुख्यालय में हुई। पंजाब पुलिस के साथ साथ बीएसएफ की सहयोगी एजेंसियां भी मीटिंग में मौजूद रही। जालंधर में बीएसएफ मुख्यालय में बीएसएफ और सहयोगी संगठनों के बीच एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक में पंजाब पुलिस के एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के एडीजीपी नीलाभ किशोर और पंजाब रेंज के सीमा सुरक्षा बल (BSF) आईजी डॉ. अतुल फुलजेले ने एक दूसरे के साथ जानकारी साझा की और सुरक्षा को लेकर आगे की रूप रेखा बनाई। मीटिंग में मुख्य तौर पर साल 2024 में आई दिक्कतों को का निपटारा और आने वाले दिनों में सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। ड्रग्स की रोकथाम को लेकर हुई अहम चर्चा जानकारी के अनुसार मीटिंग में मुख्य तौर पर ड्रग तस्करी पर अंकुश लगाने, ड्रोन घुसपैठ के बढ़ते खतरे को संबोधित करने, सीमा सुरक्षा तंत्र को बढ़ाने और रक्षा की सेंकेंड लाइन में गहरी और मजबूत चेकिंग करने के प्रयासों को तेज करने पर चर्चा की गई। यह सहयोगात्मक प्रयास देश की सीमाओं की सुरक्षा और ड्रग तस्करी, ड्रोन खतरों और अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए बीएसएफ और उसके सहयोगी संगठनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। पंजाब में बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा सुरक्षा को लेकर पंजाब पुलिस के उच्च अधिकारियों के साथ आज हाई लेवल मीटिंग की गई। इस साल की ये पहली बड़े स्तर की मीटिंग थी। ये मीटिंग पंजाब के जालंधर में स्थित बीएसएफ मुख्यालय में हुई। पंजाब पुलिस के साथ साथ बीएसएफ की सहयोगी एजेंसियां भी मीटिंग में मौजूद रही। जालंधर में बीएसएफ मुख्यालय में बीएसएफ और सहयोगी संगठनों के बीच एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक में पंजाब पुलिस के एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के एडीजीपी नीलाभ किशोर और पंजाब रेंज के सीमा सुरक्षा बल (BSF) आईजी डॉ. अतुल फुलजेले ने एक दूसरे के साथ जानकारी साझा की और सुरक्षा को लेकर आगे की रूप रेखा बनाई। मीटिंग में मुख्य तौर पर साल 2024 में आई दिक्कतों को का निपटारा और आने वाले दिनों में सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। ड्रग्स की रोकथाम को लेकर हुई अहम चर्चा जानकारी के अनुसार मीटिंग में मुख्य तौर पर ड्रग तस्करी पर अंकुश लगाने, ड्रोन घुसपैठ के बढ़ते खतरे को संबोधित करने, सीमा सुरक्षा तंत्र को बढ़ाने और रक्षा की सेंकेंड लाइन में गहरी और मजबूत चेकिंग करने के प्रयासों को तेज करने पर चर्चा की गई। यह सहयोगात्मक प्रयास देश की सीमाओं की सुरक्षा और ड्रग तस्करी, ड्रोन खतरों और अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए बीएसएफ और उसके सहयोगी संगठनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब उपचुनाव के लिए कांग्रेस की स्ट्रेटजी:बाल जवाहर मंच की टीम भी फील्ड में उतारी, 23 मेंबरी सोशल मीडिया टीम गठित पंजाब कांग्रेस की तरफ से 20 नवंबर को चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को फतह करने के लिए पूरी ताकत लगाई हुई है। एक तरफ पहले स्ट्रेटजी एंड प्लानिंग कमेटी गठित की गई थी। वहीं, अब चार हलकों के लिए 23 लोगों की स्पेशल सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफार्म टीम बनाई है, जो कि उक्त हलकों में आज से एक्टिव हो जाएगी। इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने प्रमुख संगठन बाल जवाहर मंच की टीम को भी उपचुनाव में उतारा है। इस टीम का टारगेट युवा वोटर रहेंगे। टीम उन्हें कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश करेगी। साथ ही देश के लिए कांग्रेस ने क्या किया, इस बारे में असल चीजों से जागरूक करेगी। इस बारे में जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर शेयर की है। स्थानीय चेहरों के सहारे चुनावी मैदान में जानकारी के मुताबिक इस समय झारखंड और मुंबई में चुनाव चल रहे हैं। वहां पर भी मतदान 20 तारीख को ही है। ऐसे में यह बात तो साफ है कि पार्टी के बड़े चेहरे यहां नहीं आ पाएंगे। इसी चीज को देखते हुए अभी तक कांग्रेस की तरफ से अपने स्टार प्रचारकों की सूची तक जारी नहीं की गई है साथ ही प्रदेश के ही नेताओं की स्ट्रेटजी प्लानिंग कमेटी बनाकर इस जंग को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है। वहीं, सारे नेताओं ने इस समय मोर्चा संभाला हुआ है। पार्टी की कोशिश यही है कि इन सीटों पर अपना वर्चस्व बनाया रखा जाए। क्योंकि इन चार सीटों में से तीन डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा पहले कांग्रेस के पास थी, जबकि बरनाला सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था। चारों सीटों पर सभी पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर भले ही इन चार सीटों के चुनावी नतीजों का असर राज्य की राजनीति में नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल इस चुनाव में नहीं उतरा है। जहां तक आप की बात है तो राज्य में उसकी सरकार हैं। ऐसे में उनकी कोशिश हर हाल में चुनाव जीतने की है। दूसरी तरफ चार सीटों में तीन पर पहले ही कांग्रेस का कब्जा रहा है। उन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकट दिए गए हैं। जबकि भाजपा ने दूसरी पार्टियों से आए बड़े मजबूत चेहरे उतारे है। पार्टी इस चुनाव को 2027 की तैयारी बता रही है। साथ ही दावा कर रही है कि हरियाणा की हवा पंजाब में भी चलने वाली है।
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पंजाब में 4 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान:सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू होगी; 45 उम्मीदवार, 2 सांसदों की पत्नियां भी मैदान में
पंजाब में 4 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान:सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू होगी; 45 उम्मीदवार, 2 सांसदों की पत्नियां भी मैदान में पंजाब में आज चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होगा। इन सीटों में बरनाला, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा सीट शामिल हैं। सुबह 7 बजे से शाम छह बजे तक मतदान की प्रक्रिया चलेगी। इस दौरान सुरक्षा पहरा मजबूत रहेगा। सात लाख के करीब मतदाता वोट डालेंगे। इसके लिए 831 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। कुल 45 उम्मीदवार मैदान में हैं। अर्धसैनिक बल की 17 कंपनियां चारों हलकों में तैनात की गई हैं। वहीं छह हजार के करीब पंजाब पुलिस के जवान भी मोर्चा संभालेंगे। सारे बूथों पर लाइव वेब कास्टिंग होगी। डेरा बाबा नानक सीट में कुल 1 लाख 93 हजार 376 मतदाता हैं। 241 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 61 संवेदनशील हैं। चब्बेवाल (SC) में कुल 1 लाख 59 हजार 432 मतदाता हैं। 205 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 50 संवेदनशील हैं। गिद्दड़बाहा में 1 लाख 66 हजार 731 मतदाता हैं। यहां 173 मतदान केंद्र हैं, जिनमें 96 संवेदनशील है। जबकि बरनाला में 1 लाख 77 हजार 426 मतदाता हैं। यहां 212 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 37 संवेदनशील हैं। अकाली दल का वोट बैंक किंग मेकर
1992 के बाद पहली बार शिरोमणि अकाली दल चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। सुखबीर बादल को श्री अकाल साहिब ने तनखैया घोषित किया हुआ है। उन्होंने प्रधान पद से भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इस चुनाव में अकाली दल का वोट बैंक किंग मेकर की भूमिका में रहेगा। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला है। 4 सीटों पर BJP, कांग्रेस और AAP के उम्मीदवार डेरा बाबा नानक- यहां से जतिंदर कौर कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वह पूर्व उपमुख्यमंत्री व गुरदासपुर के सांसद सुखजिंदर रंधावा की पत्नी हैं। जबकि गुरदीप सिंह रंधावा (AAP) के उम्मीदवार हैं। वहीं भाजपा ने पूर्व शिरोमणि अकाली दल के नेता रवि करण सिंह काहलों को मैदान में उतारा है। उनके पिता विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं। चब्बेवाल – AAP से सांसद डॉ. राजकुमार चब्बेवाल के बेटे इशांक उम्मीदवार हैं। उनके पिता पहले पहले यहां से विधायक रहे चुके हैं। कांग्रेस ने जिला बार एसोसिएशन के प्रधान रणजीत सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा के उम्मीदवार पूर्व SAD नेता व मंत्री रह चुके सोहन सिंह ठंडल हैं। बरनाला- इस सीट पर AAP से हरिंदर सिंह धालीवाल मैदान में हैं, जो कि सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के करीबी हैं। इसी तरह भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए व दो बार हलके के विधायक रह चुके केवल ढिल्लों व कांग्रेस कुलदीप सिंह काला ढिल्लों को उम्मीदवार बनाया है। गिद्दड़बाहा- कांग्रेस से पार्टी प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िग उम्मीदवार हैं। जबकि AAP के उम्मीदवार हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों हैं। वहीं पूर्व सीएम स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए हो रहा है इन सीटों पर उपचुनाव
इन चारो सीटों पर उपचुनाव इसलिए हो रहा है, क्योंकि यहां के विधायक सांसद बने हैं। उनकी तरफ से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया गया है। ऐसे में यह सीटें खाली हो गई थी। इसलिए यह चुनाव हो रहे हैं। पहले गिद्दड़बाहा से कांग्रेस के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग थे। वह अब लुधियाना के सांसद बन गए हैं। इसी तरह चब्बेवाल से डॉ. राजकुमार चब्बेवाल पहले कांग्रेस के विधायक थे, लेकिन वह AAP की टिकट पर होशियारपुर से चुनाव जीतकर सांसद बने। इसी तरह डेरा बाबा नानक से पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा विधायक थे। वह अब गुरदासपुर के सांसद हैं। इसी तरह बरनाला से पहले AAP नेता गुरमीत सिंह मीत हेयर विधायक थे। वह अब संगरूर से सांसद हैं। पार्टियों के लिए क्या चुनौतियां
AAP- राज्य की सत्ता पर ढाई साल से काबिज है। अगर इस चुनाव में पार्टी को जीत नहीं मिलती है तो विपक्षी दल उनको घेरने की कोशिश करेंगे। सरकार अपनी ढाई साल की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच गई थी। वहीं इसके बाद निकाय चुनाव हैं। ऐसे उन पर भी असर पड़ना तय है। कांग्रेस- 2022 के विधानसभा चुनाव में इन 4 सीटों में से कांग्रेस बरनाला को छोड़कर तीन पर विजयी रही थी। हालांकि बाद में राजकुमार चब्बेवाल AAP में शामिल हो गए थे। कांग्रेस को इन सीटों को बचाने की चुनौती है। भाजपा- भाजपा इसे 2027 की तैयारी मानकर चल रही है। हालांकि उसके लिए भी लोकसभा चुनाव में मिले 18 फीसदी वोट बैंक को बचाने की चुनौती है।