साध्वी प्राची ने पुरुष आयोग की मांग क्यों उठाई:महिलाओं के मुकाबले 3 गुना पुरुष देते हैं जान, पतियों की प्रताड़ना के आंकड़े क्या हैं? साध्वी प्राची ने मेरठ के सौरभ हत्याकांड को लेकर बयान दिया। इसके बाद एक बार फिर पुरुष आयोग बनाने पर बहस छिड़ गई। साध्वी प्राची मेरठ में एक कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं। जब मीडिया ने उनसे बातचीत की तो उन्होंने पतियों की हत्या की वजह रील बताई, साथ ही पुरुष आयोग बनाने की मांग दोहराई। साध्वी प्राची ने क्या कहा? पुरुष आयोग की मांग कितनी पुरानी है? इसे लेकर क्या दलीलें दी जाती हैं? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- सवाल 1- साध्वी प्राची ने पुरुष आयोग बनाने को लेकर क्या कहा? जवाब- साध्वी प्राची ने कहा कि मैं पुरुष आयोग के लिए पहल कर रही हूं। दिल्ली में इसके लिए बात कर रही हूं। जैसे सरकार वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी के लिए पहल कर रही है। इसी तरह पुरुष आयोग की पहल करेगी। यह आयोग पुरुषों को न्याय दिलाने का काम करेगा। उन्होंने कहा– पहले महिलाओं का उत्पीड़न होता था। अब स्थिति बदल गई है। लड़कों का हनन होने लगा है। पहले अच्छे लड़कों की तलाश होती थी। अब अच्छी लड़कियों को खोजना पड़ता है। उन्होंने ऐसी घटनाओं के लिए पश्चिमी संस्कृति को जिम्मेदार बताया। कहा- पश्चिमी यूपी में ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है कि पश्चिम की संस्कृति वेस्ट यूपी में पहुंच गई है। पश्चिम के संस्कार घरों में घुस रहे हैं। ये सब रील बनाने की वजह से हो रहा है। सवाल 2- अब पुरुष आयोग बनाने की मांग क्यों उठ रही? जवाब- हाल ही में यूपी में कई ऐसे मामले सामने आए, जब पुरुषों ने पत्नी पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर आत्महत्या का रास्ता चुन लिया। इटावा में इंजीनियर मोहित यादव ने होटल में फंदे से लटककर जान दे दी। सुसाइड से पहले उसने वीडियो भी बनाया। मोहित ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर परेशान करने का आरोप लगाया। मोहित ने कहा- पत्नी कहती थी मकान-जमीन मेरे नाम करो। सास ने उसका अबॉर्शन करवा दिया। जब तक यह वीडियो लोगों को मिलेगा, मैं इस दुनिया से जा चुका होऊंगा। अगर मेरी मौत के बाद भी मुझे इंसाफ न मिले, तो मेरी अस्थियां नाले में बहा देना। इसी तरह का मामला तीन दिन पहले गाजियाबाद में सामने आया था। आईटी इंजीनियर मोहित त्यागी (32) ने पत्नी से परेशान होकर जहर खाकर जान दे दी थी। मौत से पहले इंजीनियर ने अपने एक दोस्त को वॉट्सऐप पर सुसाइड नोट भेजा था। इसमें उसने पत्नी और उसके रिश्तेदारों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। सवाल 3- पुरुष आयोग बनाने की मांग कितनी पुरानी है? जवाब- पुरुष आयोग की मांग को लेकर पिछले 10 साल में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई संगठन और संस्थाएं बनाई गई हैं। ये समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन पर भी करते रहते हैं। इसमें सबसे हालिया है सेव फैमिली फाउंडेशन का 19 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर किया गया सत्याग्रह। फाउंडेशन ने मांग रखी कि जिस तरह महिलाओं, जानवरों और पेड़-पौधों के लिए आयोग है, उसी तरह पुरुषों के लिए भी आयोग बनाया जाए। पुरुष आयोग की मांग को लेकर साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। सवाल 4- पुरुष आयोग बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहा? जवाब- 3 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष आयोग बनाने को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। इसे लेकर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दिपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आप केवल एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं। क्या आप हमें शादी के तुरंत बाद जान गंवाने वाली युवतियों का आंकड़ा दे सकते हैं? कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता। यह अलग-अलग मामलों में तथ्यों पर निर्भर करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा कोई भी आयोग बनाने से पहले देश में बड़े पैमाने पर रिसर्च की जरूरत है कि यह क्यों बनाया जाए। याचिकाकर्ता वकील महेश कुमार तिवारी ने पुरुष आयोग बनाने के पक्ष में भारत में आकस्मिक मौतों पर 2021 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला दिया था। उन्होंने बताया था कि 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की थी। इसमें से 81,063 विवाहित पुरुष और 28,680 विवाहित महिलाएं शामिल हैं। सवाल 5- शादी में परेशानी आत्महत्या की वजह? NCRB के आंकड़े क्या कहते हैं? जवाब- साल 2021 और 2022 के NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, पुरुषों के आत्महत्या के मामले महिलाओं से करीब तीन गुने हैं। 2022 में 1.70 लाख सुसाइड में सबसे ज्यादा 21.7% यानी 37 हजार 587 पुरुषों की आत्महत्याओं की वजह पारिवारिक समस्याएं थीं। NCRB पारिवारिक समस्याओं को डिफाइन नहीं करता। इसमें लड़ाई-झगड़े, मानसिक उत्पीड़न, शारीरिक उत्पीड़न और विवाद जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। 2022 में महज 3.28% यानी 5,576 पुरुषों ने शादी में अनबन की वजह से सुसाइड किया। इसमें दहेज विवाद, एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स, तलाक और शारीरिक उत्पीड़न जैसी चीजें शामिल हैं। यानी पुरुषों की आत्महत्या के पीछे शादियों पर जितना हल्ला मचता है, आंकड़ों में वो उतनी बड़ी वजह नहीं है। जबकि शादी से जुड़ी परेशानियों को लेकर साल 2022 में ही 9.66% महिलाओं ने आत्महत्या की। सवाल 6- सुसाइड के मामले पुरुषों में अधिक क्यों? जवाब- मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं- पुरुषों को बचपन से ऐसे माहौल में बड़ा किया जाता है, जहां उन्हें खुद को जाहिर करने और अपने मन की बात करने की जगह नहीं दी जाती। अगर वो अपनी भावनाएं जाहिर करते हैं, तो उन पर ‘कमजोर’ होने का ठप्पा लगा दिया जाता है। उन्हें कह दिया जाएगा कि तुम मर्द नहीं हो। यह एक बड़ी वजह है कि पुरुष अगर शोषण का शिकार होते हैं, तो रिपोर्ट नहीं करना चाहते। लखनऊ फैमिली कोर्ट में एडवोकेट आंचल गुप्ता कहती हैं- अगर पुरुष घरेलू हिंसा की शिकायत लेकर पुलिस के पास जाते भी हैं, तो पुलिस ऐसे मामले दर्ज करने में आनाकानी करती है। अगर मामला दर्ज हो भी गया, तो अक्सर फैमिली कोर्ट में सुलह-समझौते को प्राथमिकता दी जाती है। फिर आखिरकार दबाव में आकर पुरुष उसे स्वीकार करता है। लेकिन, जब वह मानसिक रूप से आगे की स्थिति को झेल नहीं पाता, तब उसे सुसाइड ही रास्ता दिखता है। सवाल 7- पुरुषों की प्रताड़ना को लेकर कानून क्या कहता है? जवाब- आंचल गुप्ता इसके जवाब में कहती हैं- भारत में घरेलू हिंसा का कानून जेंडर न्यूट्रल नहीं है। इस कानून के तहत फिलहाल सिर्फ महिलाएं और बच्चे ही मामला दर्ज करा सकते हैं। किसी पुरुष के साथ घरेलू या मानसिक हिंसा हो रही हो तो उसके पास क्या कानूनी रास्ता है? इस सवाल के जवाब में आंचल गुप्ता बताती हैं- पुरुष इस तरह के मामलों में अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर शोषण का मामला दर्ज करा सकते हैं। अगर थाने पर ही पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाता, तो यहां कुछ किया जाना मुमकिन नहीं हो पाता। यहां जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। हमारी रोजाना की प्रैक्टिस में भी ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… क्या डीएम से विधायक इतना कमजोर कि पैर छूने पड़ें?, पूर्व सांसद बृजभूषण के बयान से उठे सवाल; DM-MLA में कौन पावरफुल यूपी के अफसर नेताओं की नहीं सुनते। भाजपा नेताओं का यह दर्द अक्सर सामने आता रहा है। अब भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने अपने बयान से इसे और तूल दे दिया है। बृजभूषण ने यहां तक कह डाला कि विधायकों की औकात जीरो हो गई है। काम निकलवाने के लिए डीएम के पैर छूकर नमस्ते करते हैं। बृजभूषण का पूरा बयान क्या है? उन्होंने ऐसा क्यों कहा? विधायक और डीएम के पावर क्या होते हैं? पढ़ें पूरी खबर