<div id=”:ty” class=”Am aiL Al editable LW-avf tS-tW tS-tY” style=”text-align: justify;” tabindex=”1″ role=”textbox” spellcheck=”false” aria-label=”Message Body” aria-multiline=”true” aria-owns=”:wd” aria-controls=”:wd” aria-expanded=”false”><strong>Ambedkar Statue Vandalised In Amritsar:</strong> पंजाब के अमृतसर में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) को अमन-चैन को खतरे में डालने की घटना सामने आई है. कुछ युवकों ने टाउन हॉल में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को हथौड़े मारकर खंडित कर दिया. अमृतसर के एआईजी जगजीत सिंह वालिया ने इस घटना को लेकर कहा कि कुछ उपद्रवियों ने टाउन हॉल में बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने की कोशिश की.<br /><br />एआईजी जगजीत सिंह वालिया के मुताबिक पुलिस ने आरोपी युवकों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस घटना की गंभीरता से जांच के आदेश दिए गए हैं. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. इस घटना के पीछे का मकसद अभी पता नहीं चल पाया है.</div> <div id=”:ty” class=”Am aiL Al editable LW-avf tS-tW tS-tY” style=”text-align: justify;” tabindex=”1″ role=”textbox” spellcheck=”false” aria-label=”Message Body” aria-multiline=”true” aria-owns=”:wd” aria-controls=”:wd” aria-expanded=”false”><strong>Ambedkar Statue Vandalised In Amritsar:</strong> पंजाब के अमृतसर में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) को अमन-चैन को खतरे में डालने की घटना सामने आई है. कुछ युवकों ने टाउन हॉल में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को हथौड़े मारकर खंडित कर दिया. अमृतसर के एआईजी जगजीत सिंह वालिया ने इस घटना को लेकर कहा कि कुछ उपद्रवियों ने टाउन हॉल में बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने की कोशिश की.<br /><br />एआईजी जगजीत सिंह वालिया के मुताबिक पुलिस ने आरोपी युवकों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस घटना की गंभीरता से जांच के आदेश दिए गए हैं. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. इस घटना के पीछे का मकसद अभी पता नहीं चल पाया है.</div> पंजाब UCC: आज समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड, चुनावी वादा होगा पूरा
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महाराष्ट्र में चाचा Vs भतीजे की राजनीति, कौन कब किस पर रहा भारी?
महाराष्ट्र में चाचा Vs भतीजे की राजनीति, कौन कब किस पर रहा भारी? <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Assembly Election 2024:</strong> देश की राजनीति हो या महाराष्ट्र की राजनीति. चाचा की उंगली पकड़कर राजनीति के गुर सीखने के बाद राजनीति में अपने ही चाचा से बगावत और चुनौती की कहानी कोई नई बात नहीं है. भारतीय राजनीति का इतिहास भरा पड़ा है, जिसमें कभी चाचा भतीजे पर भारी पड़ा तो कभी भतीजा चाचा पर. महाराष्ट्र में भी चाचा बनाम भतीजे की यह कोई पहली लड़ाई नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल सत्ता का खेल ही ऐसा है कि हर कोई सदैव बाजी जीतना चाहता है और जीत की यही चाहत कभी परिवारों का विभाजन कराती है तो कभी पार्टियों का विभाजन होता है. सत्ता की चाहत में पल भर में घर का झगड़ा सड़कों पर आ जाता है और विरोधी दलों के साथ ही जनता भी इस राजनीतिक लड़ाई में चुटकी लेती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सभी भतीजों का DNA एक जैसा होता है- छगन भुजबल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ी हुई है. लोकसभा चुनाव में बारामती लोकसभा सीट पर भाभी सुनेत्रा पवार और ननद सुप्रिया सुले की लड़ाई में ननद भारी पड़ी. अब 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव में चाचा अजित पवार को भतीजे युगेंद्र पवार चुनौती दे रहे हैं. इस बीच छगन भुजबल ने अपने भतीजे समीर भुजबल की बगावत पर कह दिया कि सभी भतीजों का DNA एक जैसा होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र में खासकर चाचा भतीजों की राजनीतिक लड़ाई की सूची बड़ी लंबी है. चाचा भतीजों की लड़ाई ऐसी है कि किसी ने घर और पार्टी में बटवारा कराए दिया तो किसी ने सुलह कर कुर्सी हासिल की .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बालासाहेब ठाकरे और राज ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र में मराठी क्षेत्रवादी और हिंदू अतिराष्ट्रवादी शिवसेना राजनीतिक पार्टी की स्थापना 1966 में बाल ठाकरे ने की. पार्टी बनाने के बाद बालासाहेब को अपने भाई श्रीकांत ठाकरे के बाद अगली पीढ़ी बेटे उद्भव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे का साथ मिला. राज ठाकरे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना की छात्र शाखा भारतीय विद्यार्थी सेना की शुरुआत करके की थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>1990 के <a title=”महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/maharashtra-assembly-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव</a>ों के प्रचार के दौरान वे चर्चा में आए. 1990 के दशक में राज ठाकरे खुद को अपने चाचा बालासाहेब का उत्तराधिकारी मानते थे. हालांकि, बालासाहेब ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को प्राथमिकता दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाला साहेब ठाकरे के लिए काम करने वाले अन्य नेताओं द्वारा दरकिनार किए जाने के कई सालों बाद, राज ठाकरे ने 27 नवंबर 2005 को शिवसेना से इस्तीफा दे दिया और एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने के अपने इरादे की घोषणा की. बालासाहेब ठाकरे से बग़ावत कर 9 मार्च 2006 को मुंबई में ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की. इसके बाद जब 2009 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए तो राज ठाकरे बहुत कमाल नहीं कर पाए लेकिन शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का वोट काटकर हराने में कोई कसर नहीं छोड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शरद पवार बनाम अजित पवार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शरद पवार और अजित पवार के रिश्ते महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे चर्चित रहे हैं. शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की. अजित पवार, शरद पवार के भतीजे हैं और एनसीपी में एक प्रभावशाली नेता हैं. हालांकि इन दोनों के बीच कई बार राजनीतिक मतभेद हुए हैं, विशेषकर तब जब अजित पवार ने महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ गठबंधन करके उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस कदम से शरद पवार के समर्थकों में खलबली मच गई थी और यह बात स्पष्ट हो गई थी कि परिवार के भीतर सत्ता की लड़ाई गहरी हो चुकी है. इसके बावजूद दोनों ने फिर से साथ आकर काम किया, जिससे राजनीतिक समीकरणों में नया मोड़ आया. अब एनसीपी दो दल में बंट गया है. एक एनसीपी जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार है और दूसरे एनसीपी शरद चंद्र पवार गुट के प्रमुख शरद पवार हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अजित पवार बनाम युगेंद्र पवार और रोहित पवार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे युगेंद्र पवार भी राजनीतिक तौर पर चर्चा में हैं. उन्होंने अभी सक्रिय राजनीति में कदम रखा है लेकिन पिछले कई वर्षों से राजनीतिक गतिविधियों में उनकी उपस्थिति देखने को मिलती है. राज्य की बारामती विधानसभा सीट पर चाचा-भतीजे के बीच जंग होने जा रही है. पुणे जिले की बारामती सीट पर अजित पवार के खिलाफ शरद पवार ने युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया है. युगेंद्र शरद पवार गुट की ओर से चुनावी मैदान में होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अजित पवार को चुनौती उनके दूसरे भतीजे रोहित पवार भी देते हैं. <a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> में रोहित पवार ने अजित पवार के ख़िलाफ़ जमकर बयानबाज़ी की थी और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उद्धव ठाकरे और अमित ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उद्भव ठाकरे के उत्तराधिकारी आदित्य ठाकरे हैं, जो MVA की उद्भव ठाकरे सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री रहे. उद्धव ठाकरे शिवसेना UBT प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जबकि उनके बेटे आदित्य ठाकरे युवा नेता और विधायक हैं. लेकिन उनके भतीजे अमित ठाकरे, राज ठाकरे के बेटे हैं. अमित ठाकरे ने राजनीति में कदम रखा है. एमएनएस की राजनीति भले ही शिवसेना से अलग रही हो, लेकिन अमित ठाकरे के राजनीतिक करियर की तुलना आदित्य ठाकरे से की जाती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ये दोनों कजिन एक-दूसरे के विपक्ष में खड़े हैं. अमित ठाकरे मुंबई की माहिम सीट से MNS की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अमित ठाकरे के सामने अपना उम्मीदवार उतारा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज ठाकरे और आदित्य ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे और आदित्य ठाकरे भी महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे की एक अन्य दिलचस्प जोड़ी हैं. राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर एमएनएस की स्थापना की थी, जिसका असर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना पर भी पड़ा. बता दें कि महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान है जबकि 23 नवंबर को नतीजे आएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”महाराष्ट्र: शरद पवार की पार्टी ने जारी की 22 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, किसे कहां से दिया टिकट?” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/ncp-sharadchandra-pawar-candidates-list-maharashtra-assembly-election-2024-sharad-pawar-2811284″ target=”_self”>महाराष्ट्र: शरद पवार की पार्टी ने जारी की 22 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, किसे कहां से दिया टिकट?</a></strong></p>
गुरूग्राम में कांग्रेस को मजबूती देने में जुटे पंकज डाबर:टिकट कटने के बाद मिली नई जिम्मेदारी, जिला मीडिया कोआर्डिनेटर ने की प्रेसवार्ता
गुरूग्राम में कांग्रेस को मजबूती देने में जुटे पंकज डाबर:टिकट कटने के बाद मिली नई जिम्मेदारी, जिला मीडिया कोआर्डिनेटर ने की प्रेसवार्ता एक तरफ प्रदेशभर में कांग्रेस-बीजेपी की टिकट कटने पर दावेदार बागी सुर अपनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर गुरुग्राम विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार पंकज डाबर टिकट कटने के बाद भी पार्टी की नैया पार करने के अभियान में जुटे हुए हैं। पार्टी ने पंकज डाबर को गुरुग्राम जिला मीडिया कोआर्डिनेटर की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। होटल में प्रेस कांफ्रेंस कर पंकज डाबर ने पार्टी की टिकट नहीं मिलने पर जरा भी अफसोस जाहिर नहीं किया, बल्कि दावा किया कि वह जिले की चारों सीट पर कांग्रेस को विजय बनाने में जी जान लगा देंगे। उन्होंने कांग्रेस के गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी सीट के प्रत्याशियों को टिकट मिलने पर बधाई देते हुए वादा किया कि वह सभी को जिताने की हर संभव मदद करेंगे। टिकट के थे प्रबल दावेदार गुरुग्राम विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से पंजाबी चेहरा होने के नाते पंकज डाबर टिकट के प्रबल दावेदार थे। पार्टी सर्वे में भी उनका नाम शामिल था और प्रत्याशियों का जो पैनल पार्टी हाईकमान के सामने गया उसमें भी उनका नाम शामिल था। प्रदेश में 32 पर्सेंट तो गुरुग्राम सीट पर करीब 1 लाख पंजाबी वोटर्स होने के चलते पंकज आखिरी समय तक टिकट की रेस में बने रहे। हालांकि पार्टी हाईकमान ने 2019 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ कर दूसरे नंबर पर रहने वाले मोहित ग्रोवर पर एतबार किया। बावजूद पंकज डाबर इससे निराश नहीं हुए बल्कि पार्टी को मजबूती देने के अभियान में जुट गए। हाईकमान के निर्णय से निराश नहीं पार्टी के प्रति समर्पित पंकज डाबर की शायद इसी लगन को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए गुरुग्राम जिले की मीडिया कोआर्डिनेटर की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। गुरुवार को मीडिया से रुबरू होते हुए पंकज डाबर ने पार्टी के कर्तव्यनिष्ठ सिपाही की हुंकार भरते हुए दावा किया कि टिकट मांगना सभी का अधिकार है और वह भी दावेदार थे, लेकिन हाईकमान के निर्णय से वह निराश नहीं हैं। शुरू से ही एक ही पार्टी से जुड़े मीडिया कॉडिनेटर होने के नाते अब वह जिले की चारों सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने की रणनीति बनाकर धरातल पर काम करने के अभियान में जुट गए हैं। पंकज डाबर ने कहा कि वह शुरू से एक ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं और जब भी पार्टी ने उनको जो भी जिम्मेदारी सौंपी उसका उन्होंने शत प्रतिशत निर्वहन किया है। इस चुनाव में वह हर हाल में पार्टी की विजयी पताका फहराने की जिम्मेदारी निभाने का दंभ भर रहे हैं। वहीं पार्टी के एकजुट होने व गुटबाजी खत्म होने का भी दावा करते नजर आए। पार्टी एकजुट और प्रदेश में बनेगी कांग्रेस सरकार प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उनको जो जिम्मेदारी सौंपी है, वह उसका निर्वहन करने में जुट गए हैं। गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर, बादशाहपुर से वर्धन यादव, पटौदी से पर्ल वर्मा और सोहना से रोहताश खटाना को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। यह चारों ही जिताऊ प्रत्याशी हैं और इनकी हर संभव मदद कर वह उनको चुनाव जिताकर विधानसभा भेजने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। यह थे गुरुग्राम सीट के दावेदार गुरुग्राम सीट पर पंकज डाबर, मोहित ग्रोवर, सुखबीर कटारिया, कुलदीप कटारिया, कुलराज कटारिया टिकट की रेस में थे। सुखबीर कटारिया 2014 में निर्दलीय तो 2019 में कांग्रेस टिकट पर हार चुके थे इसके चलते वह शुरू से ही टिकट की रेस से बाहर थे, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के करीबी के चलते वह टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे। पंकज डाबर पार्टी के पंजाबी चेहरा थे। चुनाव में जमकर पसीना बहाया गुरुग्राम सीट पर 1 लाख वोटर पंजाबी होने के चलते वह सबसे अधिक प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। आखिरी समय में मोहित ग्रोवर की एंट्री होने एवं 2019 के चुनाव में निर्दलीय के रूप में 25 परसेंट वोट हासिल करने के चलते हाईकमान ने पंकज डाबर की जगह मोहित ग्रोवर पर विश्वास जताया। पंकज डाबर प्रदेश के नेताओं के साथ ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे राज बब्बर के भी करीबी हैं और इस चुनाव में उन्होंने जमकर पसीना बहाया था। इसी के चलते राज बब्बर भी पंकज डाबर की ही पैरवी कर रहे थे।
बेटे का रिसेप्शन करना था, वीडियो कॉल पर अंतिम-संस्कार देखा:आगरा के इंजीनियर ने अमेरिका में ट्रांसपोर्ट बिजनेस फैलाया, पिता बोले- हत्यारों को सजा दिलाकर रहूंगा
बेटे का रिसेप्शन करना था, वीडियो कॉल पर अंतिम-संस्कार देखा:आगरा के इंजीनियर ने अमेरिका में ट्रांसपोर्ट बिजनेस फैलाया, पिता बोले- हत्यारों को सजा दिलाकर रहूंगा ‘ऐसा कोई दिन नहीं जाता था, जब बेटे से दिन में दो से तीन बार वीडियो कॉल पर बात न होती हो। 16 जुलाई की सुबह ही उससे बात हुई थी। वो खुश था। मैंने सोचा भी नहीं था कि रात को मनहूस खबर सुनने को मिलेगी। मेरी बेटी ने फोन करके बताया कि भाई को गोली मार दी है। पहले तो यकीन नहीं हुआ। फिर खुद को संभाला।’ ये बताते हुए पवन कुमार की आंखों की आंसू भर आए। उन्होंने कहा- मैं उस दिन घर में अकेला था। पत्नी भी बेटे के पास अमेरिका गई थी। बेटा पिछले साल दिसंबर में घर आया था। इस बार भी दिसंबर में उसके आने की प्लानिंग थी। 15 दिन पहले उसकी शादी हुई थी। हम उसके रिसेप्शन की प्लानिंग कर रहे थे। मगर अब वह कभी नहीं आएगा। पिता बोले – मैं आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख पाया
अमेरिका में आगरा के इंजीनियर गोविन की हत्या के बाद उनके पिता पवन गमजदा हैं। बेटे की फोटो देखकर उनकी आंखों के आंसू नहीं रुक रहे हैं। जो पिता बेटे की शादी के बाद उसके रिसेप्शन की तैयारी कर रहे थे, अब वो बेटे की यादों के सहारे हैं। उनका दर्द है कि मैं अंतिम बार बेटे का चेहरा भी नहीं देख पाया। शुक्रवार को अमेरिका में गोविन का अंतिम संस्कार किया गया। पिता ने यह सब वीडियो कॉल पर देखा। पिता बोले- अमेरिका में बिजनेस खड़ा किया, दो घर और दो कार खरीदीं
आगरा के सदर इलाके की हिमाचल कॉलोनी में रहने वाले पवन बिजनेस करते हैं। उन्होंने बताया- गोविन मेरा इकलौता बेटा था। उसने आगरा के सेंट जार्जिस स्कूल से इंटर किया। इसके बाद ग्रेजुएशन किया। वो 2016 में अमेरिका गया। वहां इंडियाना में रह रहा था। मेरा बेटा अमेरिका में ही सेटल होना चाहता था। इसके लिए वहां की एक यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा किया। मेरी बेटी दीपसी भी अमेरिका में रहती है। दोनों भाई-बहन खुश थे। हम भी खुश थे कि बेटा-बेटी सेटल हो गए। लाइफ में सब सही चल रहा था। बेटे का भी ट्रांसपोर्ट का बिजनेस अच्छा चल रहा था। उन्होंने बताया – बेटे ने अपना एक ट्रक खरीद लिया था। अमेरिका में दो घर थे और दो कार भी थीं। कई ट्रक किराए पर ले रखे थे। बेटी की शादी और बेटे का रिसेप्शन करना था
पवन कुमार ने कहा – 16 दिन पहले बेटे ने अमेरिका में शादी की। उसकी पत्नी का नाम सिंथिया जमोरा है। मुझे भी अमेरिका जाना था। शादी में शामिल होना था। मगर वीजा में दिक्कत आई तो मैं नहीं जा पाया। मगर, बहू के आने से मैं खुश था। दिसंबर में बेटी दीपसी की शादी करनी थी। बेटे गोविन से कहा था कि वो भी बहू के साथ दिसंबर में आए तो एक साथ बेटी की शादी और बेटे का रिसेप्शन करेंगे। परिवार तैयारी कर रहा था। मगर, बेटे का रिसेप्शन अब सपना ही रह गया। पिता बोले – 9 दिन बाद मेरे बेटे की अस्थियां आएंगी
इतना बताते हुए पवन कुमार उदास हो गए। वह कहते हैं – मैं बेटे का अंतिम संस्कार भी नहीं कर सका। ऑनलाइन ही बेटे का अंतिम संस्कार दिखाया गया। अब 29 जुलाई को बेटे की अस्थियां आएंगी। बेटे को खोने का दर्द मैं सहन नहीं कर पा रहा हूं। उन्होंने कहा- अमेरिका पुलिस ने आरोपी को छोड़ दिया है। अब मैं बेटे के हत्यारे को सजा दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। इकलौते बेटे की मौत के बाद पिता टूट गए हैं। वो कहते हैं कि हम बहुत खुश थे। मगर, कभी सोचा नहीं था कि बेटे की शादी के दो हफ्ते बाद ही ऐसा हो जाएगा। हमारी तो दुनिया उजड़ गई। अब आपको अमेरिका में 16 जुलाई को हुई पूरी घटना सिलसिलेवार पढ़वाते हैं… ट्रक और गोविन की कार टक्कर के बाद हुआ मर्डर
पवन कुमार ने बताया- अमेरिकी समय अनुसार 16 जुलाई की रात उनका बेटा और उसकी पत्नी साथ में थे। उन्होंने साथ में पार्टी की थी। रात करीब 8.15 बजे दोनों अपने घर लौट रहे थे। रास्ते में सामने आ रहे ट्रक और मेरे बेटे की गाड़ी में टक्कर हो गई। इसको लेकर झगड़ा हो गया। विवाद में ट्रक ड्राइवर ने बीच सड़क पर बेटे को गोली मार दी। हत्या के बाद मेरी बेटी को इस बात की जानकारी हुई। वो मौके पर पहुंची। उसने ही रात में हम लोगों को सूचना दी। हत्या के बाद पत्नी बोलीं- वह इस तरह मरने के लायक नहीं
पत्नी सिंथिया जमोरा ने एक न्यूज चैनल को बताया- गोविन एक मेहनती व्यक्ति था। जो हमेशा किसी की मदद करने के लिए आगे आता था। वह इस तरह मरने के लायक नहीं था। यह बहुत दुखद है कि मेरे पति की निर्मम हत्या कर दी गई। एक दुखी विधवा के रूप में मेरा दिल टूट गया है। अब मेरी दुनिया कभी भी वैसी नहीं होगी।