हरियाणा रिजर्वेशन क्लासिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती:2024 की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग; सरकार को नोटिस जारी, अगली सुनवाई 17 फरवरी को

हरियाणा रिजर्वेशन क्लासिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती:2024 की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग; सरकार को नोटिस जारी, अगली सुनवाई 17 फरवरी को

हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (SC) श्रेणियों में आरक्षण देने के लिए वर्गीकरण करने का फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की जांच के दायरे में आ गया है, जिसने इस फैसले पर CM नायब सिंह सैनी की सरकार से जवाब मांगा है। पिछले साल 2024 नवंबर में हरियाणा सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर दो श्रेणियों, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति को अधिसूचित करके कोटे के भीतर कोटा अधिसूचित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुख्य तर्क गुणात्मक आंकड़ों पर आधारित नहीं है। चमार महासभा ने दायर की है याचिका जस्टिस अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा प्रदेश चमार महासभा द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने मामले में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।याचिकाकर्ता एसोसिएशन 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना से व्यथित हैं, जिसके माध्यम से हरियाणा राज्य द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने के लिए एससी में वर्गीकरण/उप-वर्गीकरण किया गया है। अधिसूचना 13 नवंबर, 2024 को जारी की गई थी। 16 अगस्त 2024 को HSCSC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई थी। डाटा पर उठाए गए सवाल आयोग द्वारा यह रिपोर्ट 1 अगस्त, 2024 को पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य’ शीर्षक वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई थी। याचिकाकर्ता संघ द्वारा यह तर्क दिया गया है कि आयोग द्वारा दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट किसी भी मात्रात्मक डेटा द्वारा समर्थित नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, इसमें इस बात का कोई कारण नहीं बताया गया है कि किसी विशेष जाति को वंचित अनुसूचित जाति या सामाजिक रूप से उन्नत समूह, यानी अन्य अनुसूचित जाति के रूप में क्यों चिह्नित किया गया है। नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग याचिका में आगे यह तर्क दिया गया कि उप-वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है, वह भी पुराने, अपर्याप्त और संदिग्ध आंकड़ों जैसे कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 और परिवार पहचान पत्र पर आधारित है। याचिकाकर्ता निकाय ने 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना और 16 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट को मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है। हरियाणा SC जातियां कितनी हैं.. 1. अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी वगैरह जातियां शामिल हैं। 2. वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा वगैरह जातियां शामिल हैं। हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (SC) श्रेणियों में आरक्षण देने के लिए वर्गीकरण करने का फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की जांच के दायरे में आ गया है, जिसने इस फैसले पर CM नायब सिंह सैनी की सरकार से जवाब मांगा है। पिछले साल 2024 नवंबर में हरियाणा सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर दो श्रेणियों, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति को अधिसूचित करके कोटे के भीतर कोटा अधिसूचित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुख्य तर्क गुणात्मक आंकड़ों पर आधारित नहीं है। चमार महासभा ने दायर की है याचिका जस्टिस अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा प्रदेश चमार महासभा द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने मामले में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।याचिकाकर्ता एसोसिएशन 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना से व्यथित हैं, जिसके माध्यम से हरियाणा राज्य द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने के लिए एससी में वर्गीकरण/उप-वर्गीकरण किया गया है। अधिसूचना 13 नवंबर, 2024 को जारी की गई थी। 16 अगस्त 2024 को HSCSC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई थी। डाटा पर उठाए गए सवाल आयोग द्वारा यह रिपोर्ट 1 अगस्त, 2024 को पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य’ शीर्षक वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई थी। याचिकाकर्ता संघ द्वारा यह तर्क दिया गया है कि आयोग द्वारा दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट किसी भी मात्रात्मक डेटा द्वारा समर्थित नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, इसमें इस बात का कोई कारण नहीं बताया गया है कि किसी विशेष जाति को वंचित अनुसूचित जाति या सामाजिक रूप से उन्नत समूह, यानी अन्य अनुसूचित जाति के रूप में क्यों चिह्नित किया गया है। नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग याचिका में आगे यह तर्क दिया गया कि उप-वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है, वह भी पुराने, अपर्याप्त और संदिग्ध आंकड़ों जैसे कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 और परिवार पहचान पत्र पर आधारित है। याचिकाकर्ता निकाय ने 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना और 16 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट को मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है। हरियाणा SC जातियां कितनी हैं.. 1. अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी वगैरह जातियां शामिल हैं। 2. वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा वगैरह जातियां शामिल हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर