हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (SC) श्रेणियों में आरक्षण देने के लिए वर्गीकरण करने का फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की जांच के दायरे में आ गया है, जिसने इस फैसले पर CM नायब सिंह सैनी की सरकार से जवाब मांगा है। पिछले साल 2024 नवंबर में हरियाणा सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर दो श्रेणियों, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति को अधिसूचित करके कोटे के भीतर कोटा अधिसूचित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुख्य तर्क गुणात्मक आंकड़ों पर आधारित नहीं है। चमार महासभा ने दायर की है याचिका जस्टिस अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा प्रदेश चमार महासभा द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने मामले में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।याचिकाकर्ता एसोसिएशन 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना से व्यथित हैं, जिसके माध्यम से हरियाणा राज्य द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने के लिए एससी में वर्गीकरण/उप-वर्गीकरण किया गया है। अधिसूचना 13 नवंबर, 2024 को जारी की गई थी। 16 अगस्त 2024 को HSCSC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई थी। डाटा पर उठाए गए सवाल आयोग द्वारा यह रिपोर्ट 1 अगस्त, 2024 को पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य’ शीर्षक वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई थी। याचिकाकर्ता संघ द्वारा यह तर्क दिया गया है कि आयोग द्वारा दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट किसी भी मात्रात्मक डेटा द्वारा समर्थित नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, इसमें इस बात का कोई कारण नहीं बताया गया है कि किसी विशेष जाति को वंचित अनुसूचित जाति या सामाजिक रूप से उन्नत समूह, यानी अन्य अनुसूचित जाति के रूप में क्यों चिह्नित किया गया है। नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग याचिका में आगे यह तर्क दिया गया कि उप-वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है, वह भी पुराने, अपर्याप्त और संदिग्ध आंकड़ों जैसे कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 और परिवार पहचान पत्र पर आधारित है। याचिकाकर्ता निकाय ने 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना और 16 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट को मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है। हरियाणा SC जातियां कितनी हैं.. 1. अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी वगैरह जातियां शामिल हैं। 2. वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा वगैरह जातियां शामिल हैं। हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (SC) श्रेणियों में आरक्षण देने के लिए वर्गीकरण करने का फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की जांच के दायरे में आ गया है, जिसने इस फैसले पर CM नायब सिंह सैनी की सरकार से जवाब मांगा है। पिछले साल 2024 नवंबर में हरियाणा सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर दो श्रेणियों, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति को अधिसूचित करके कोटे के भीतर कोटा अधिसूचित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुख्य तर्क गुणात्मक आंकड़ों पर आधारित नहीं है। चमार महासभा ने दायर की है याचिका जस्टिस अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा प्रदेश चमार महासभा द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने मामले में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।याचिकाकर्ता एसोसिएशन 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना से व्यथित हैं, जिसके माध्यम से हरियाणा राज्य द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने के लिए एससी में वर्गीकरण/उप-वर्गीकरण किया गया है। अधिसूचना 13 नवंबर, 2024 को जारी की गई थी। 16 अगस्त 2024 को HSCSC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई थी। डाटा पर उठाए गए सवाल आयोग द्वारा यह रिपोर्ट 1 अगस्त, 2024 को पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य’ शीर्षक वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई थी। याचिकाकर्ता संघ द्वारा यह तर्क दिया गया है कि आयोग द्वारा दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट किसी भी मात्रात्मक डेटा द्वारा समर्थित नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, इसमें इस बात का कोई कारण नहीं बताया गया है कि किसी विशेष जाति को वंचित अनुसूचित जाति या सामाजिक रूप से उन्नत समूह, यानी अन्य अनुसूचित जाति के रूप में क्यों चिह्नित किया गया है। नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग याचिका में आगे यह तर्क दिया गया कि उप-वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है, वह भी पुराने, अपर्याप्त और संदिग्ध आंकड़ों जैसे कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 और परिवार पहचान पत्र पर आधारित है। याचिकाकर्ता निकाय ने 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना और 16 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट को मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है। हरियाणा SC जातियां कितनी हैं.. 1. अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी वगैरह जातियां शामिल हैं। 2. वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा वगैरह जातियां शामिल हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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विनेश फोगाट ने खेले 3 ओलिंपिक, तीनों में वेट अलग:इस बार ट्रायल में 2 वेट कैटेगरी में लड़ीं, हंगामा भी हुआ था
विनेश फोगाट ने खेले 3 ओलिंपिक, तीनों में वेट अलग:इस बार ट्रायल में 2 वेट कैटेगरी में लड़ीं, हंगामा भी हुआ था पेरिस ओलिंपिक में केवल 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण डिस्क्वालिफाई की गईं हरियाणा की रेसलर विनेश फोगाट ट्रायल के समय वेट कैटेगरी में क्लैरिटी न होने के चलते 50 किलोग्राम कैटेगरी में लड़ी थीं। उन्होंने ट्रायल तो 53 किलोग्राम वेट कैटेगरी में भी दिया था, लेकिन वहां उन्हें सफलता नहीं मिली। जबकि 50 किलोग्राम वेट कैटेगरी में उन्हें जीत मिली थी। इसलिए उन्होंने इसी कैटेगरी में ओलिंपिक जाने का फैसला किया। इससे पहले भी विनेश फोगाट अपने करियर में कई नेट कैटेगरी में कुश्ती लड़ चुकी हैं। जब वह पेरिस ओलिंपिक में वूमेन रेसलिंग की 50 किलोग्राम कैटेगरी के फाइनल में पहुंची तो देश में दीवाली जैसा माहौल बन गया था। गोल्ड नहीं तो सिल्वर पक्का था। हालांकि, कुछ ही समय में यह खुशी उदासी में बदल गई, क्योंकि विनेश फोगाट अपनी कैटेगरी में तय वजन से 100 ग्राम अधिक पाई गईं। इंटरनेशनल रेसलिंग फेडरेशन के नियम बेहद सख्त हैं। एक ग्राम वजन भी अधिक होता है तो रेसलर को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। इसकी जानकारी विनेश को भी थी। जब उन्हें रात में ही पता चला कि उनका वजन बढ़ा है तो उन्होंने रात में ही वजन कम करने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। नियम के मुताबिक, महिलाओं की फ्रीस्टाइल रेसलिंग में 50, 53, 57, 62, 68 और 76 किलोग्राम की कैटेगरी होती हैं। मुकाबले से पहले सुबह रेसलर का वजन मापा जाता है। टूर्नामेंट के दोनों दिन रेसलर को अपने वजन के भीतर रहना होता है। यदि रेसलर फाइनल में पहुंचती है तो उसे सुबह अपना वजन कराना होता है। विनेश फोगाट मंगलवार को मुकाबले के लिए जब गईं तो उनका वजन तय मानक से अधिक था। लगातार तीसरा ओलिंपिक, तीनों अलग-अलग भार वर्ग में
विनेश फोगाट का यह तीसरा ओलिंपिक था। रियो ओलिंपिक 2016 में उन्होंने 48 किलोग्राम कैटेगरी में भाग लिया था। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में वह 53 किलोग्राम कैटेगरी में खेलीं, लेकिन पेरिस ओलिंपिक में आकर उन्होंने 50 किलोग्राम कैटेगरी में खेलना तय किया। यह सही है कि 53 किलोग्राम की कैटेगरी में खेलना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि दुनिया के बेस्ट रेसलर 53 किलोग्राम की कैटेगरी में आते हैं। पटियाला कैंप में ट्रायल के दौरान हुआ था हंगामा
पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान के हॉल में 12 मार्च 2024 को हंगामा हुआ था। पहलवान विनेश फोगाट ने 50 किलोग्राम और 53 किलोग्राम दोनों कैटेगरी में हिस्सा लेने का विकल्प चुना। इसके बाद वह 50 किलोग्राम का ट्रायल जीतीं, जबकि 53 किलोग्राम के ट्रायल में टॉप 4 में रहीं। नियमों की क्लैरिटी न होने के कारण विनेश फोगाट को यह नहीं पता था कि वह किस कैटेगरी का हिस्सा होंगी। इसलिए उन्होंने दो कैटेगरी में हिस्सा लिया। महज 5 महीने बाद विनेश फोगाट के इस फैसले ने उन्हें 2024 पेरिस ओलिंपिक में रजत या स्वर्ण पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंचा दिया। अंतिम पंघाल ने 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता
वहीं इस बीच अंतिम पंघाल ने 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इससे भारत को 53 किलोग्राम वर्ग में पेरिस ओलिंपिक का कोटा मिला। भारतीय कुश्ती महासंघ के नियमों के अनुसार, कोटा विजेता को ओलिंपिक के लिए हरी झंडी मिल गई थी। अब विनेश फोगाट असमंजस में थीं। उस समय भारत में कुश्ती का संचालन एडहॉक कमेटी कर रही थी। उन्होंने उनसे वादा किया था कि 53 किलोग्राम वर्ग के लिए ट्रायल होगा, लेकिन ऐसा शायद ही हो पाता। क्योंकि रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव हो गया था। संजय सिंह नए अध्यक्ष चुन लिए गए थे। 50 किलोग्राम वर्ग या 57 किलोग्राम का विकल्प
12 मार्च आ गया। फोगाट का मानना था कि WFI की वापसी से उन्हें 53 किलोग्राम वर्ग में ओलिंपिक में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलेगा। उनके पास 50 किलोग्राम वर्ग या 57 किलोग्राम का विकल्प था। उन्होंने 50 किलोग्राम चुना। इस वर्ग में उन्होंने आखिरी बार 2018 में हिस्सा लिया था। इसे लेकर विनेश ने कहा था, “मुझे 53 किग्रा कोटा के लिए ट्रायल को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। आमतौर पर कोटा देश को मिलता है, लेकिन उन्होंने पहले ट्रायल नहीं किए थे। उन्होंने (एडहॉक कमेटी) कहा था कि इस बार ऐसा नहीं होगा। मेरे पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। क्योंकि मुझे ओलिंपिक में हिस्सा लेना था।” इस दौरान विनेश फोगाट ने ये भी कहा था कि उन्होंने वजन में ये बदलाव इसलिए किया क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था। मैं खुश हूं कि ओलिंपिक खेलने का मौका मिल रहा है। लगातार दो दिनों तक 50 तक वजन रखना काफी मुश्किल
विनेश फोगाट का वजन आमतौर पर 55-56 किलोग्राम के आसपास होता है। लगातार दो दिनों तक 50 तक वजन रखना काफी मुश्किल है। इसीलिए, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने कहा कि यह एक किलो का मामला नहीं था बल्कि 100 ग्राम के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उन्हें पहले ही बहुत अधिक वजन कम करना पड़ा। जिसकी वजह से समस्या हुई। ये खबर भी पढ़ें… विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल की उम्मीद जगी:CAS में अब सुनवाई कल दोपहर डेढ़ बजे; ओलिंपिक से डिसक्वालिफाई होने पर संन्यास ले चुकीं पेरिस ओलिंपिक में ओवरवेट के चलते अयोग्य करार दी गईं रेसलर विनेश फोगाट की अपनी डिसक्वालीफिकेशन के खिलाफ दायर अपील पर अब 9 अगस्त (शुक्रवार) को सुनवाई होगी। कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में यह सुनवाई आज यानि गुरुवार रात साढ़े 9 बजे ही होनी थी मगर विनेश के साथ मौजूद दल ने भारतीय वकील को पेश करने के लिए समय की मांग की। इसके बाद CAS ने कल सुबह 10 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर डेढ़ बजे) तक का वक्त दे दिया। (पूरी खबर पढ़ें)
हरियाणा में 27 IAS अफसरों का ट्रांसफर:एक जिले में 2 अधिकारियों को DC लगाया, फजीहत के बाद रिवाइज लिस्ट जारी की
हरियाणा में 27 IAS अफसरों का ट्रांसफर:एक जिले में 2 अधिकारियों को DC लगाया, फजीहत के बाद रिवाइज लिस्ट जारी की हरियाणा सरकार ने दिवाली के बाद रविवार (3 नवंबर) को 27 IAS अधिकारियों के ट्रांसफर किए हैं। 10 जिलों के DC भी बदले गए हैं। हिसार के DC प्रदीप दहिया का झज्जर ट्रांसफर किया गया है। हिसार में अनीश यादव को DC लगाया गया है। इससे पहले अनीश यादव हिसार में ADC के पद पर कार्य कर चुके हैं। मानेसर नगर निगम के कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग को गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर लगाया गया है। कुरूक्षेत्र के DC राजेश जोगपाल को को-ऑपरेटिव सोसाइटी हरियाणा का रजिस्ट्रार लगाया गया है। राजेश जोगपाल इससे पहले भी यह पद संभाल चुके हैं। रोहतक के DC रहे अजय कुमार को गुरुग्राम का DC लगाया गया है। इसके अलावा झज्जर के DC शक्ति सिंह को स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर मिल का एमडी लगाया गया है। वहीं गुरुग्राम विकास प्राधिकारी के सीईओ मुनीष शर्मा को चरखी दादरी का DC लगाया गया है। इससे ऑर्डर से कुछ मिनट पहले, 28 IAS अफसरों की ट्रांसफर के ऑर्डर जारी हुए थे। जिसमें चरखी दादरी जिले में 2 अधिकारियों को DC लगाया गया था। कुछ ही देर में नई लिस्ट जारी कर दी गई। हरियाणा सरकार की ओर से जारी लिस्ट… 4 दिन पहले भी किए थे ट्रांसफर
वहीं 4 दिन पहले सरकार ने कई जिलों के IPS अधिकारियों के तबादले किए थे। सरकार ने एक साथ 36 अधिकारियों के तबादले किए। जिन अधिकारियों का तबादला हुआ है उनमें महिला पुलिसकर्मियों के यौन शोषण का आरोप झेल रहे जींद के SP भी नाम शामिल हैं। उन्हें जींद के SP पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह राजेश कुमार को जींद SP की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही 23 इंस्पेक्टरों को डीएसपी पद पर प्रमोट किया गया था।
निकाय चुनाव को लेकर हरियाणा सरकार एक्टिव:CM सैनी के निकाय अधिकारियों के साथ की बैठक, बोले-दिवाली से पहले शहरों को किया जाए जगमग
निकाय चुनाव को लेकर हरियाणा सरकार एक्टिव:CM सैनी के निकाय अधिकारियों के साथ की बैठक, बोले-दिवाली से पहले शहरों को किया जाए जगमग विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद अब भाजपा का फोकस नगर निकाय चुनाव हैं। इस चुनाव में भाजपा जीतकर ग्राउंड स्तर तक शहरों में अपनी पैठ बनाना चाहती है। इसको लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अभी से एक्टिव दिखाई दे रहे हैं।
शपथ के बाद मुख्यमंत्री ने पहली बैठक नगर निकायों की बुलाई हैं। बैठक में सीएम ने आदेश दिए हैं दिवाली से पहले शहरों को जगमग किया जाए। शहरों में सफाई व्यवस्था ठीक की जाए। किसी भी शहरी क्षेत्र में सड़कों पर बेसहारा पशु घुमते हुए नहीं दिखने चाहिए। वहीं प्रॉपर्टी आईडी को लेकर सीएम ने कहा कि समाधान शिविर में हर शिकायत का समाधान हो। अच्छे काम करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया जाएगा और लापरवाही करने वालों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। बैठक में यूएलबी मिनिस्टर विपुल गोयल भी मौजूद रहे। इस मीटिंग में 14 एजेंडों पर चर्चा हुई। पार्षदों और विधायकों तक के एजेंडों पर की गई मंत्रणा इस बैठक में 14 से अधिक विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में ज्यादा जोर शहरी साफ-सफाई, बेसहारा पशु को पकड़ने और प्रॉपर्टी टैक्स सहित कई विषयों पर चर्चा की गई। साथ ही मुख्यमंत्री ने आदेश दिए कि सभी नगर निकाय का सोशल मीडिया अकाउंट बनाया जाए। अकाउंट को रेगुलर अपडेट किया जाए। इसमें निकायों द्वारा किए जा रहे काम और पब्लिक से जुड़ी सूचनाएं अपडेट की जाएं। इन एजेंडों पर की गई चर्चा शपथ लेने के बाद सीएम सैनी ने पहली बैठक नगर निकायों की बुलाई है। एजेंडे में सफाई व्यवस्था, सड़कों की मरम्मत व इसकी सफाई, प्रॉपर्टी आईडी, लाल डोरा क्षेत्र में प्रॉपर्टी सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी बंटवारे के मामले, 22 अक्टूबर से शुरू समाधान शिविर, निकायों के सोशल मीडिया अकाउंट, 100 दिन का कार्यक्रम, विधायकों द्वारा दिए गए इंजीनियरिंग व विकास कार्य, स्वामित्व स्कीम, पीएम स्वनिधि में लोन के मामले, वैध और अवैध कॉलोनियां और नई स्वीकृत कॉलोनियों के विकास कार्य पर चर्चा की गई। नगर निकाय चुनाव से पहले माहौल बनाने में जुटी सरकार सरकार निकाय चुनाव से पहले माहौल बनाने में जुट गई है। प्रदेश में 30 से ज्यादा निकायों में चुनाव होने हैं। जिसमें 10 नगर निगम हैं। बराड़ा, बवानीखेड़ा, लोहारू, सिवानी, फरूख नगर, नारनौंद, जुलाना, बेरी, कलायत, सिवान, इंद्री, नीलोखेड़ी, मंडी अटेली, कनीना, तावड़ू, हथीन, कलानौर, खरखौदा और रादौर में चुनाव लंबित हैं। इसके अलावा 11 में से 10 नगर निगमों में चुनाव पेंडिंग हैं। पंचकूला नगर निगम का कार्यकाल 2026 तक है, बाकी निगमों में चुनाव पेंडिंग पड़े हैं।