पंजाब और हरियाणा के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े मामले की आज (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। दूसरी तरफ खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन 65वें दिन में दाखिल हो गया है। अब उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है। उन्हें फिलहाल ट्रॉली में रखा गया। जबकि नए कमरे का निर्माण भी चल रहा है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चे एसकेएम ने शंभू और खनौरी मोर्चे से एकता मीटिंग बुलाने की तैयारी की है। पता चला है पहले 12 फरवरी को मीटिंग बुलाई थी। लेकिन उस दिन महापंचायत है। ऐसे में इस तारीख में बदलाव हो सकता है। जब तक मांगे नहीं मानी जाती, अनशन जारी रहेगा डल्लेवाल का अनशन लगातार जारी है। उन्होंने कल जनता के नाम दिए संदेश में साफ कर दिया कि जब तक सरकार द्वारा उनकी मांगों को नहीं माना जाता है, तब तक उनका अनशन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि किसान साथियों व मोर्चे के नेताओं के कहने पर मेडिकल मदद ली थी। वहीं, 13 फरवरी को मोर्चे को एक साल होने जा रहा है। ऐसे में किसान 11 से लेकर 13 फरवरी तक तीन महापंचायत आयोजित करने जा रहे हैं। वहीं, डल्लेवाल ने 12 फरवरी को खनौरी में होने वाली महापंचायत में भारी संख्या में लोगों को शामिल होने का न्योता दिया है। 13 फरवरी को शंभू मोर्चे पर किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। सभी किसानों की जांच कर रहे हैं डॉक्टर अमेरिका से डॉ स्वेमान की टीम के कुछ और मेंबर जो कि पेशे से डॉक्टर हैं, वह भी मोर्च पर पहुंचे हुए हैं। जो कि डल्लेवाल के अन्य किसानों की देखरेख कर रहे हैं। उनको जरूरी मेडिकल सहायता मुहैया करवा रहे हैं। किसानों के बीपी और शुगर चेक किए जा रहे हैं। इसके अलावा उनको मेडिटेशन तक करवाई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक यह संघर्ष चलेगा, वह अपनी सेवाएं जारी रखेंगे। 13 फरवरी से वह लगातार उनकी टीमें यहां पर मौजूद है। अब तक किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ? पिछले साल 13 फरवरी को किसान ने फसलों की एमएसपी समेत 13 मांगों को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। क्योंकि उस समय लोकसभा चुनाव होने थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने शुरू में तत्परता दिखाई। साथ ही तत्कालीन कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा समेत सीनियर नेता चंडीगढ़ भेजे। साथ ही सेक्टर-26 में किसान नेताओं से मीटिंग की। इन मीटिंगों में पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे। यह मीटिंग देर रात दो बजे तक चलती रही थी, लेकिन जब किसानों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया था। लेकिन हरियाणा सरकार ने बैरिकेड लगाकर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया। साथ ही दलील दी कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर मॉडिफाई किए हुए हैं। अगर किसान आगे आते हैं तो राज्य का माहौल खराब होगा। इस दौरान खनौरी बॉर्डर पर पुलिस व किसानों की झड़प में युवा किसान शुभकरन सिंह की मौत हो गई। हालांकि जब किसान वहीं रुक गए तो उन दोनों रास्तों से पंजाब हरियाणा का संपर्क टूट गया। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान होने लगा। मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया। 10 जुलाई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बैरिकेड खोलने के आदेश दिए तो सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई पावर कमेटी गठित की । फिर 26 नवंबर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया। साथ ही किसी तरह की मेडिकल सुविधा न लेने का फैसला लिया। लेकिन जैसे ही संघर्ष को 50 दिन पूरे हुए तो केंद्र सरकार के अधिकारी खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को मीटिंग के लिए न्योता दिया। इसके बाद डल्लेवाल ने अनशन जारी रखने व मेडिकल सुविधा लेने का फैसला लिया। साथ ही 26 जनवरी को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाला। पंजाब और हरियाणा के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े मामले की आज (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। दूसरी तरफ खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन 65वें दिन में दाखिल हो गया है। अब उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है। उन्हें फिलहाल ट्रॉली में रखा गया। जबकि नए कमरे का निर्माण भी चल रहा है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चे एसकेएम ने शंभू और खनौरी मोर्चे से एकता मीटिंग बुलाने की तैयारी की है। पता चला है पहले 12 फरवरी को मीटिंग बुलाई थी। लेकिन उस दिन महापंचायत है। ऐसे में इस तारीख में बदलाव हो सकता है। जब तक मांगे नहीं मानी जाती, अनशन जारी रहेगा डल्लेवाल का अनशन लगातार जारी है। उन्होंने कल जनता के नाम दिए संदेश में साफ कर दिया कि जब तक सरकार द्वारा उनकी मांगों को नहीं माना जाता है, तब तक उनका अनशन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि किसान साथियों व मोर्चे के नेताओं के कहने पर मेडिकल मदद ली थी। वहीं, 13 फरवरी को मोर्चे को एक साल होने जा रहा है। ऐसे में किसान 11 से लेकर 13 फरवरी तक तीन महापंचायत आयोजित करने जा रहे हैं। वहीं, डल्लेवाल ने 12 फरवरी को खनौरी में होने वाली महापंचायत में भारी संख्या में लोगों को शामिल होने का न्योता दिया है। 13 फरवरी को शंभू मोर्चे पर किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। सभी किसानों की जांच कर रहे हैं डॉक्टर अमेरिका से डॉ स्वेमान की टीम के कुछ और मेंबर जो कि पेशे से डॉक्टर हैं, वह भी मोर्च पर पहुंचे हुए हैं। जो कि डल्लेवाल के अन्य किसानों की देखरेख कर रहे हैं। उनको जरूरी मेडिकल सहायता मुहैया करवा रहे हैं। किसानों के बीपी और शुगर चेक किए जा रहे हैं। इसके अलावा उनको मेडिटेशन तक करवाई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक यह संघर्ष चलेगा, वह अपनी सेवाएं जारी रखेंगे। 13 फरवरी से वह लगातार उनकी टीमें यहां पर मौजूद है। अब तक किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ? पिछले साल 13 फरवरी को किसान ने फसलों की एमएसपी समेत 13 मांगों को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। क्योंकि उस समय लोकसभा चुनाव होने थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने शुरू में तत्परता दिखाई। साथ ही तत्कालीन कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा समेत सीनियर नेता चंडीगढ़ भेजे। साथ ही सेक्टर-26 में किसान नेताओं से मीटिंग की। इन मीटिंगों में पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे। यह मीटिंग देर रात दो बजे तक चलती रही थी, लेकिन जब किसानों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया था। लेकिन हरियाणा सरकार ने बैरिकेड लगाकर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया। साथ ही दलील दी कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर मॉडिफाई किए हुए हैं। अगर किसान आगे आते हैं तो राज्य का माहौल खराब होगा। इस दौरान खनौरी बॉर्डर पर पुलिस व किसानों की झड़प में युवा किसान शुभकरन सिंह की मौत हो गई। हालांकि जब किसान वहीं रुक गए तो उन दोनों रास्तों से पंजाब हरियाणा का संपर्क टूट गया। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान होने लगा। मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया। 10 जुलाई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बैरिकेड खोलने के आदेश दिए तो सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई पावर कमेटी गठित की । फिर 26 नवंबर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया। साथ ही किसी तरह की मेडिकल सुविधा न लेने का फैसला लिया। लेकिन जैसे ही संघर्ष को 50 दिन पूरे हुए तो केंद्र सरकार के अधिकारी खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को मीटिंग के लिए न्योता दिया। इसके बाद डल्लेवाल ने अनशन जारी रखने व मेडिकल सुविधा लेने का फैसला लिया। साथ ही 26 जनवरी को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाला। पंजाब | दैनिक भास्कर
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स्ट्रे वैकेंसी राउंड में रिपोर्ट नहीं करने पर नीट के लिए होंगे अपात्र जालंधर| मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) नई दिल्ली ने नीट-यूजी 2024 के स्ट्रे काउंसलिंग राउंड में सीट आवंटित होने के बावजूद रिपोर्टिंग नहीं करने व प्रवेश नहीं लेने वाले स्टूडेंट्स पर सख्ती दिखाई है। एमसीसी ने ऐसे स्टूडेंट्स को नीट यूजी 2025 के लिए अपात्र घोषित करने का निर्णय लिया है। ऐसे में स्ट्रे काउंसलिंग राउंड में सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है। एमसीसी के नोटिफिकेशन के तहत ऑल इंडिया 15% कोटा एवं 85% स्टेट कोटा एमबीबीएस-बीडीएस काउंसलिंग के स्ट्रे-वैकेंसी राउंड में एमबीबीएस सीट आवंटित की जाएगी। ऐसे स्टूडेंट्स आवंटित सीट पर प्रवेश नहीं लेता है अर्थात जॉइन नहीं करता है तो ऐसे स्टूडेंट आगामी वर्ष 2025 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में सम्मिलित होने की पात्रता खो देंगे, ये स्टूडेंट नीट-यूजी 2025 में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। ऐसे स्टूडेंट्स की सिक्योरिटी-डिपॉजिट राशि भी जब्त कर ली जाएगी। ऐसे स्टूडेंट जो सेंट्रल-कोटा अथवा स्टेट-कोटा से आवंटित किसी भी एमबीबीएस-सीट पर प्रवेशित नहीं है वे सेंट्रल तथा स्टेट स्ट्रे-वैकेंसी राउंड में सम्मिलित होने के पात्र है। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में सम्मिलित होने वाले रिपीटर्स स्टूडेंट्स की संख्या अत्यधिक है। प्रवेश परीक्षा के लिए अपर एज लिमिट तथा नंबर ऑफ अटेंप्ट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसी स्थिति में स्टूडेंट लगातार प्रतिवर्ष परीक्षा में सम्मिलित होते हैं। एमसीसी नई दिल्ली का उद्देश्य है कि स्टूडेंट स्ट्रे-वैकेंसी राउंड से आवंटित एमबीबीएस-सीट पर अनिवार्यतः प्रवेश लें ताकि स्ट्रे-वैकेंसी राउंड की उपयोगिता सिद्ध हो।