हरियाणा में सरकारी स्कूलों के छात्र पंजाब और हिमाचल प्रदेश से पढ़ने में कमजोर हैं। इसका खुलासा वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में दिया गया है कि ग्रामीण सरकारी स्कूलों में कक्षा 8 के केवल 43.1% छात्र ही गणित में भाग कर सकते हैं। यह 2022 में 49.5% की तुलना में 6.4 प्रतिशत अंकों की गिरावट है। इसकी तुलना में पंजाब 58% के साथ सबसे आगे हैं, उसके बाद हिमाचल प्रदेश (HP) 44% के साथ दूसरे स्थान पर हैं। विभाजन टेस्ट में एक से तीन-अंक संख्या को एक-अंक संख्या से विभाजित करके हल करना शामिल था। कक्षा 5 के 29.4% बच्चे ही कर सकते हैं भाग हरियाणा में कक्षा 5 के केवल 29.4% छात्र ही भाग कर सकते हैं, जो 2022 से बेहतर है, लेकिन अभी भी हिमाचल प्रदेश (44%) और पंजाब (46.3%) से बहुत पीछे हैं। इसी तरह, हरियाणा में कक्षा 3 के 33.1% छात्र माइनस कर सकते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश (46.7%) और पंजाब (43.9%) राज्य से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पढ़ने में बच्चे फिसड्डी रिपोर्ट में पढ़ने के कौशल का भी मूल्यांकन किया गया है। हरियाणा में कक्षा 5 के 53.9% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, जो 7.1 अंकों का सुधार दर्शाता है, पंजाब (60.8%) और हिमाचल प्रदेश (65.8%) अभी भी आगे हैं। कक्षा 3 के छात्रों में, हरियाणा में केवल 32.1% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश (46.6%) और पंजाब (29.7%) दूसरे स्थान पर हैं। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों का नामांकन 2022 में 51.9% से घटकर 2024 में 46% हो गया। पड़ोसी राज्यों में भी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन हिमाचल प्रदेश (58.6%) और पंजाब (58%) में नामांकन दर काफी अधिक है। 14% स्कूलों में नहीं है पीने का पानी हरियाणा के स्कूलों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई चुनौतियां हैं, जिनमें 20.8% स्कूलों में शौचालय अनुपयोगी हैं, 14% में पीने के पानी की सुविधा नहीं हैं। 3.1% में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं; जो उपलब्ध हैं उनमें से 20% अनुपयोगी हैं। इसके अलावा, 13.6% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं हैं, और 27.2% स्कूलों में छात्र ASER के दौरे के दौरान पुस्तकालय की पुस्तकों का उपयोग नहीं कर रहे थे। 71.5% स्कूलों में कंप्यूटर नहीं थे, जबकि 15.8% स्कूलों में कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया गया था। डिजिटल साक्षरता में मिली बेहतर स्थिति रिपोर्ट में ग्रामीण हरियाणा में 14-16 आयु वर्ग के बीच डिजिटल साक्षरता में लैंगिक असमानता पाई गई। 60.5% लड़कियां सोशल मीडिया प्रोफाइल को निजी बना सकती हैं, जबकि 72.9% लड़के ऐसा कर सकते हैं। 61.2% लड़कियां पासवर्ड बदल सकती हैं, जबकि 75.7% लड़के पासवर्ड बदल सकते हैं। 14 साल की लड़कियों में से सिर्फ़ 68.6% ही डिजिटल काम पूरा करने के लिए स्मार्टफोन ला सकती हैं, जबकि 74.4% लड़के ऐसा कर सकते हैं।लड़कों ने अलार्म सेट करने, जानकारी ब्राउज करने और ऑनलाइन वीडियो साझा करने जैसे कार्यों में भी लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन किया। हरियाणा में सरकारी स्कूलों के छात्र पंजाब और हिमाचल प्रदेश से पढ़ने में कमजोर हैं। इसका खुलासा वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में दिया गया है कि ग्रामीण सरकारी स्कूलों में कक्षा 8 के केवल 43.1% छात्र ही गणित में भाग कर सकते हैं। यह 2022 में 49.5% की तुलना में 6.4 प्रतिशत अंकों की गिरावट है। इसकी तुलना में पंजाब 58% के साथ सबसे आगे हैं, उसके बाद हिमाचल प्रदेश (HP) 44% के साथ दूसरे स्थान पर हैं। विभाजन टेस्ट में एक से तीन-अंक संख्या को एक-अंक संख्या से विभाजित करके हल करना शामिल था। कक्षा 5 के 29.4% बच्चे ही कर सकते हैं भाग हरियाणा में कक्षा 5 के केवल 29.4% छात्र ही भाग कर सकते हैं, जो 2022 से बेहतर है, लेकिन अभी भी हिमाचल प्रदेश (44%) और पंजाब (46.3%) से बहुत पीछे हैं। इसी तरह, हरियाणा में कक्षा 3 के 33.1% छात्र माइनस कर सकते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश (46.7%) और पंजाब (43.9%) राज्य से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पढ़ने में बच्चे फिसड्डी रिपोर्ट में पढ़ने के कौशल का भी मूल्यांकन किया गया है। हरियाणा में कक्षा 5 के 53.9% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, जो 7.1 अंकों का सुधार दर्शाता है, पंजाब (60.8%) और हिमाचल प्रदेश (65.8%) अभी भी आगे हैं। कक्षा 3 के छात्रों में, हरियाणा में केवल 32.1% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश (46.6%) और पंजाब (29.7%) दूसरे स्थान पर हैं। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों का नामांकन 2022 में 51.9% से घटकर 2024 में 46% हो गया। पड़ोसी राज्यों में भी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन हिमाचल प्रदेश (58.6%) और पंजाब (58%) में नामांकन दर काफी अधिक है। 14% स्कूलों में नहीं है पीने का पानी हरियाणा के स्कूलों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई चुनौतियां हैं, जिनमें 20.8% स्कूलों में शौचालय अनुपयोगी हैं, 14% में पीने के पानी की सुविधा नहीं हैं। 3.1% में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं; जो उपलब्ध हैं उनमें से 20% अनुपयोगी हैं। इसके अलावा, 13.6% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं हैं, और 27.2% स्कूलों में छात्र ASER के दौरे के दौरान पुस्तकालय की पुस्तकों का उपयोग नहीं कर रहे थे। 71.5% स्कूलों में कंप्यूटर नहीं थे, जबकि 15.8% स्कूलों में कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया गया था। डिजिटल साक्षरता में मिली बेहतर स्थिति रिपोर्ट में ग्रामीण हरियाणा में 14-16 आयु वर्ग के बीच डिजिटल साक्षरता में लैंगिक असमानता पाई गई। 60.5% लड़कियां सोशल मीडिया प्रोफाइल को निजी बना सकती हैं, जबकि 72.9% लड़के ऐसा कर सकते हैं। 61.2% लड़कियां पासवर्ड बदल सकती हैं, जबकि 75.7% लड़के पासवर्ड बदल सकते हैं। 14 साल की लड़कियों में से सिर्फ़ 68.6% ही डिजिटल काम पूरा करने के लिए स्मार्टफोन ला सकती हैं, जबकि 74.4% लड़के ऐसा कर सकते हैं।लड़कों ने अलार्म सेट करने, जानकारी ब्राउज करने और ऑनलाइन वीडियो साझा करने जैसे कार्यों में भी लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन किया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में नशे के पीछे पाकिस्तान का हाथ:राज्यपाल बोले – युवाओं को कमजोर किया जा रहा है, बगावत की हो रही कोशिश पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने नशे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान हमसे सीधा लड़ाई नहीं कर सकता है] इसलिए उसने नशे का रास्ता निकाला है। हमारे युवाओं को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, ताकि यहां बगावत का माहौल तैयार हो । यह बात उन्होंने आज (24 जनवरी) को पंजाब यूनिवर्सिटी में मीडिया से बातचीत में कहीं। इस प्रोग्राम में राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन विजया किशोर राहतकरभी मौजूद थी। राज्यपाल ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से पहले बड़े ड्रोन आते थे, जो गिरा दिए जाते थे। मगर, अब पाकिस्तान की तरफ से छोटे ड्रोन भेजे जा रहे हैं। हालांकि एंटी ड्रोन सिस्टम लगाए जा रहे हैं। पिछली बार गृहमंत्री ने आठ एंटी ड्रोन सिस्टम दिए थे, अब इनकी संख्या 26 कर दी गई हैं। लेकिन अभी 100 प्रतिशत नशा खत्म नहीं हुआ है। पंजाब की कानून व्यवस्था की प्रशंसा की
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PU सीनेट चुनाव के लिए केंद्र को लिखा पत्र:बठिंडा सांसद बोली- तत्काल जारी हों आदेश, डेढ़ माह पहले खत्म हो चुका कार्यकाल पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव में हो रही देरी के मामले को लेकर बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। मांग की है कि चुनाव तत्काल करवाने के आदेश जारी किए जाए। उन्होंने चुनाव के लिए एक एक स्पष्ट समय सीमा की घोषणा करने की मांग की है। 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल हुआ था पूरा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में सांसद ने पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पंजाब के लोगों को यूनिवर्सिर्टी के कार्यों में भाग लेने से बाहर रखने के लिए जानबूझकर ऐसी कोशिश की जा रही है। पंजाब करता है चालीस फीसदी फंडिंग पंजाब यूनिवर्सिटी में पंजाब की भूमिका के बारे में बताते हुए सांसद ने कहा कि मौजूदा में पंजाब के 201 कॉलेज यूनिवर्सिटी से संबंद्ध हैं और 40 फीसदी फंडिग के साथ परीक्षा शुल्क में सालाना 200 करोड़ रूपए का योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, शेष 60 फीसदी फंडिग केंद्र सरकार से आती है, जो पंजाब से इकट्ठे किए गए करों (टैक्स) से काफी हद तक प्राप्त होता है। उन्होंने कहा इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और आर्थिक योगदानों के बावजूद, सीनेट चुनावों में देरी और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नियंत्रण को केंद्रीकृत करने के प्रयास यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता और विरासत को खतरा है। सभी दल एक मंच पर आ गए हैं इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव के मामले सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। साथ ही सभी दलों के नेताओं ने इस मामले स्टूडेंट्स के साथ खड़े होने की बात कहीं थी। वहीं, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने यह मामला संसद में भी उठाया था।