कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां में म्लां-बड़ोह-रानीताल राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होने जा रहा है। 435 करोड़ रुपए की इस महत्वपूर्ण परियोजना से क्षेत्र के विकास को नई गति मिलेगी। कुल 39 किलोमीटर लंबे इस हाईवे में से 18 किलोमीटर टू-लेन सड़क का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। शेष 26 किलोमीटर सड़क के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इस परियोजना में नौ छोटे-बड़े पुलों का निर्माण भी शामिल है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक्सीएन दीपक सुराली के अनुसार, यह परियोजना क्षेत्रीय विकास और यातायात सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। हाईवे को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिससे यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आर.एस. बाली ने बताया कि यह हाईवे स्वर्गीय जीएस बाली की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। जनवरी 2017 में नगरोटा के तत्कालीन विधायक जीएस बाली ने इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग की मंजूरी दिलवाई थी। यह मार्ग म्लां, मस्सल, सरोत्री, बड़ोह और रानीताल को जोड़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों के बीच की दूरी 4.7 किलोमीटर कम हो जाएगी। भूमि अधिग्रहण का कार्य अंतिम चरण में है और इस परियोजना से स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों में नई आशा जगी है। कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां में म्लां-बड़ोह-रानीताल राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होने जा रहा है। 435 करोड़ रुपए की इस महत्वपूर्ण परियोजना से क्षेत्र के विकास को नई गति मिलेगी। कुल 39 किलोमीटर लंबे इस हाईवे में से 18 किलोमीटर टू-लेन सड़क का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। शेष 26 किलोमीटर सड़क के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इस परियोजना में नौ छोटे-बड़े पुलों का निर्माण भी शामिल है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक्सीएन दीपक सुराली के अनुसार, यह परियोजना क्षेत्रीय विकास और यातायात सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। हाईवे को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिससे यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आर.एस. बाली ने बताया कि यह हाईवे स्वर्गीय जीएस बाली की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। जनवरी 2017 में नगरोटा के तत्कालीन विधायक जीएस बाली ने इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग की मंजूरी दिलवाई थी। यह मार्ग म्लां, मस्सल, सरोत्री, बड़ोह और रानीताल को जोड़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों के बीच की दूरी 4.7 किलोमीटर कम हो जाएगी। भूमि अधिग्रहण का कार्य अंतिम चरण में है और इस परियोजना से स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों में नई आशा जगी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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