हम बेटी की इज्जत बचाने में नाकाम रहे। इस मुद्दे को मैं लोकसभा में उठाऊंगा। न्याय नहीं मिला तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। इतिहास क्या कहेगा? हे राम! – अवधेश प्रसाद, सपा सांसद, अयोध्या, तारीख- 2 फरवरी, समय 12 बजे दलित बेटी की हत्या की घटना में सपा सांसद नौटंकी कर रहे। इस बेटी की हत्या में भी सपा का ही कोई दरिंदा शामिल होगा। ये सुधरेंगे नहीं, क्योंकि कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती। – योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, तारीख 2 फरवरी, समय 2 बजे अयोध्या में दिए गए ये दो बयान मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में सियासत की तासीर बता रहे हैं। बेटियों के मुद्दे पर अवधेश प्रसाद ने सियासी आंसू बहाकर सहानुभूति लेने की कोशिश की है। लेकिन, सीएम योगी के छह महीने में छह दौरों से BJP यहां मजबूत और बेटियों के मुद्दे पर आक्रामक दिखाई दे रही है। 5 फरवरी को मिल्कीपुर में वोटिंग है। इससे पहले यहां सियासी माहौल क्या है? जनता का मूड क्या है? हवा का रुख क्या कह रहा है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट… सबसे पहले बात मिल्कीपुर के माहौल की..। सरकार के 7 मंत्री यहां लगातार डेरा डाले हुए हैं, सपा की डिंपल यादव ने भी रोड शो करके अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद के लिए माहौल बनाने की कोशिश की है। यहां पासी वोट बैंक काफी निर्णायक है, लेकिन बिखराव होता दिख रहा है। भाजपा ब्राहम्ण, ठाकुर, ओबीसी और गैर पासी वोट बैंक को अपना कोर वोटर बता रही है। इसीलिए मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है। मायावती का वोट बैंक यहां जीत-हार तय करेगा। इन 6 पॉइंट्स में समझिए सियासी समीकरण और माहौल… 1. हम मिल्कीपुर के अलग-अलग क्षेत्रों में गए। यहां कुमारगंज, अमानीगंज, खंडासा, कुचेरा बाजार और गदुरही बाजार में भाजपा मजबूत दिखी। 2. बारून बाजार, धर्मगंज बाजार, हरनटीनगंज, आनंद नगर भटारी, रेवतीगंज में सपा मजबूत स्थिति में दिखी। मिल्कीपुर, तुरसमपुर बाजार में भाजपा-सपा में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। इन्हीं क्षेत्रों का वोट बैंक हार-जीत तय करेगा। 3. सपा-कांग्रेस गठबंधन और अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला यहां सपा प्रत्याशी को मजबूत स्थिति दे सकता है। हालांकि, आजाद समाज पार्टी यहां सपा का खेल बिगाड़ती दिख रही है। 4. 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को 46 हजार वोट मिले थे। सपा की जीत का मार्जिन 13 हजार वोट था। यानी भाजपा के लिए जहां बसपा ने वोट काटने का काम किया, मगर इस बार बसपा ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। 5. यहां जिस पार्टी ने सवर्ण और ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लिया, उसकी जीत तय मानी जाती है। यहां भाजपा का ब्राह्मण और ठाकुर मजबूत वोट बैंक माना जाता है, तो सपा का यादव-एससी और मुस्लिम। 6. पिछले 5 चुनाव में 3 बार सपा, एक बार भाजपा और एक बार बसपा ने जीत दर्ज की। पिछले तीन चुनाव में भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। अब बात करते हैं मिल्कीपुर के स्थानीय मुद्दों की हम सबसे पहले अयोध्या जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर मिल्कीपुर के करीब 14 इलाकों में गए। यहां भाजपा-सपा के जगह-जगह पोस्टर लगे मिले। हमने करीब 100 लोगों से बात की। इस बातचीत से हमें लोकल मुद्दे पता चले। मिल्कीपुर में बेटियों की सुरक्षा और बिजली सप्लाई पर लोग मुखर दिखाई दिए। किसान छुट्टा मवेशियों से परेशान हैं, ये रात-दिन अपनी फसल की रखवाली कर रहे हैं। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। लोग कहते हैं कि सांड के हमले में 10 साल में करीब 50 लोगों की मौत हुई है। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में डॉक्टरों की तैनाती न होने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। वहीं, जिन अस्पतालों में तैनाती भी है, तो डॉक्टर ही नहीं समय से आते। इससे इलाज के अभाव में मरीजों की मौत हो जाती है। इसके साथ ही महिलाओं से जुड़े अपराध भी बढ़े हैं। लूट-रेप और छेड़खानी के मामले में मिल्कीपुर जिले में टॉप पर है। इन सब मुद्दों के बावजूद लोगों को लगता है कि इस बार मिल्कीपुर लोकसभा चुनाव जैसी गलती नहीं दोहराएगा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देश भर में अयोध्यावासियों की बड़ी बदनामी हुई। मिल्कीपुर का चुनाव इस दाग को धो सकता है। यही कारण है कि माहौल बीजेपी की तरफ दिख रहा है। हां, जातीय समीकरण बड़ी चुनौती बना हुआ है। ‘लोग अब परिवारवाद पर वोट नहीं करेंगे, डेवलपमेंट यहां का मुद्दा’ सबसे पहले हमारी मुलाकात अभिषेक मिश्रा से हुई। अभिषेक मिश्रा स्थानीय कारोबारी हैं, वह कहते हैं कि डिंपल यादव के रोड शो ने थोड़ा माहौल जरूर बनाया है। लेकिन अब यहां हवा बदल गई है, लोग परिवारवाद से बदलाव देखना चाहते हैं। लोग बोले- जमीनों का मुआवजा सही नहीं मिला
इसके बाद हमारी मुलाकात राम जतन गौड़ से हुई। वह कहते हैं- अयोध्या के कई लोग ऐसे हैं, जिनकी जमीन 84 कोस परिक्रमा मार्ग में जा रही है, मगर उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। इस तकलीफ से लोग गुजर रहे हैं। क्या वोट करने से पहले यह नहीं सोचा जाएगा। किसान बोले- छुट्टा पशु ही यहां का मुद्दा, उनसे निजात मिले
योगी और डिंपल के मिल्कीपुर दौरे पर किसान जगदंबा प्रसाद यादव कहते हैं- न हम डिंपल के रोड शो में गए, न ही योगी की जनसभा में। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा छुट्टा पशुओं का है। नेता सिर्फ कहते हैं कि पशु पकड़े गए हैं…आओ हमारे साथ हम दिखाते हैं, कितनी परेशानी है। किसान रात में भी सो नहीं पा रहे हैं। यहां चुनाव इन्हीं मुद्दों के इर्द गिर्द घूम रहा है। जो इससे निजात दिलाएगा, वही वोट पाएगा। 30 साल से दौड़ रहे, आवास नहीं मिला
स्थानीय निवासी दिव्यांग जमुना प्रसाद दुबे कहते हैं- चाहे भाजपा जनसभा करे या सपा वाले रोड शो। इससे आम लोगों को क्या ही लेना देना। हम 30 साल से दौड़ रहे हैं, आवास नहीं मिल सका है। हमारे जैसे जाने कितने लोग हैं। दूसरे के घर में रहते हैं। पेंशन भी नहीं मिलती है, बताइए। क्या करें। सरकार को ऐसे लोगों को ढूंढकर घर देना चाहिए। अब पॉलिटिकल व्यू पढ़िए… भाजपा कैंडिडेट सवाल: अवधेश बेटे अजीत को चुनाव लड़ा रहे, क्या रणनीति रहेगी?
जवाब : अवधेश प्रसाद चाहे 9 बार चुनाव जीते हो, यह फिर 10 बार जीते हों, इसका असर इस चुनाव पर नहीं पड़ रहा है। मिल्कीपुर की जनता हमें जिताने का मन बनाकर बैठी है। भाजपा का कमल खिल रहा है। सवाल : लोकसभा में हार के बाद अब उपचुनाव में कितना बड़ा चैलेंज?
जवाब : मिल्कीपुर उपचुनाव में कोई चैलेंज नहीं है। पब्लिक भाजपा के साथ है। इस चुनाव में कोई चैलेंज नहीं। सवाल : सपा बाहरी का आरोप लगा रही, खुद को घर का कैसे साबित करेंगे? जवाब : मैं 10-12 साल से जनता के बीच रहा हूं, मैं यहीं का रहने वाला हूं। वह अपने आपको बताएं कि वह लोग कहां के रहने वाले हैं। मेरी पत्नी 2015 से अब तक जिला पंचायत सदस्य है, मेरे पिताजी कई बार प्रधान रह चुके है। सपा कैंडिडेट सपा कितनी मजबूती से चुनाव लड़ रही है? सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद कहते हैं- हमारे पिता अवधेश प्रसाद यहां से 9 बार विधायक रहे। पिछड़ों की आवाज उठाना हमारा धर्म रहा है। मैं गांव-गांव जा रहा हूं, हमें लोगों का सपोर्ट मिल रहा है। चुनाव एक तरफा है, भाजपा भले ही खुद को फाइट में मान रही है, लेकिन सपा के लिए मिल्कीपुर चुनाव एक तरफा रहने वाला है। कही से कोई चैलेंज जैसा नहीं है। यही पर हमारा आवास है। चंद्रभानु पासवान को साबित करना होगा कि वह कहां के रहने वाले हैं। जिलाध्यक्ष बोले- सपा हमेशा चुनाव के मूड में रहती है
मिल्कीपुर चुनाव पर सपा के जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव कहते हैं- भाजपा की सरकार है, 50 से ज्यादा विधायक-मंत्री मिल्कीपुर में डेरा डाले हैं। सपा विपक्ष की भूमिका में है। सपा किसान, छात्र और पिछड़ों-दलितों की बात उठा रही है। सपा हमेशा ही चुनाव के मूड में रहती है। मिल्कीपुर के लिए सपा कोई अलग से तैयारी नहीं कर रही है। अखिलेश यादव भी यहां आकर लोगों के बीच अपने मुद्दे रखेंगे। अब जातिगत समीकरण समझिए.. ब्राहम्ण, ठाकुर और गैर पासी पर BJP की नजर पॉलिटिकल एक्सपर्ट राम कृष्ण द्विवेदी बताते हैं- भाजपा यहां गैर पासी वोट बैंक को अपनी ओर खींचने में लगी हुई है। ब्राहम्ण, ठाकुर और गैर पासी अगर एक होकर वोट करेगा तो बीजेपी की जीत पक्की हो सकती है। उधर, पासी समाज के तीन कैंडिडेट होने के कारण पासी वोट कुछ न कुछ जरूर बंटेगा। हालांकि सपा भी मुस्लिम, यादव और पासी वोट को साधने की पूरी कोशिश कर रही है। आजाद समाज पार्टी के कैंडिडेट ने अगर पासी और कुछ मायावती के वोट काटे तो उसका फायदा भी बीजेपी को ही मिलेगा। ……. यह खबर भी पढ़िए… दलित युवती की हत्या पर फूट-फूटकर रोए अयोध्या सांसद:माथा पीटकर बोले- प्रभु राम कहां हैं, न्याय नहीं मिला तो इस्तीफा दूंगा अयोध्या में दलित युवती की हत्या पर सियासत शुरू हो गई है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद मीडिया के सामने फूट-फूटकर रोए। कहा- इस मुद्दे को लोकसभा में मोदी के सामने उठाऊंगा। न्याय नहीं मिला तो इस्तीफा दूंगा। हम बेटी की इज्जत बचाने में नाकामयाब हो रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर… हम बेटी की इज्जत बचाने में नाकाम रहे। इस मुद्दे को मैं लोकसभा में उठाऊंगा। न्याय नहीं मिला तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। इतिहास क्या कहेगा? हे राम! – अवधेश प्रसाद, सपा सांसद, अयोध्या, तारीख- 2 फरवरी, समय 12 बजे दलित बेटी की हत्या की घटना में सपा सांसद नौटंकी कर रहे। इस बेटी की हत्या में भी सपा का ही कोई दरिंदा शामिल होगा। ये सुधरेंगे नहीं, क्योंकि कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती। – योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, तारीख 2 फरवरी, समय 2 बजे अयोध्या में दिए गए ये दो बयान मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में सियासत की तासीर बता रहे हैं। बेटियों के मुद्दे पर अवधेश प्रसाद ने सियासी आंसू बहाकर सहानुभूति लेने की कोशिश की है। लेकिन, सीएम योगी के छह महीने में छह दौरों से BJP यहां मजबूत और बेटियों के मुद्दे पर आक्रामक दिखाई दे रही है। 5 फरवरी को मिल्कीपुर में वोटिंग है। इससे पहले यहां सियासी माहौल क्या है? जनता का मूड क्या है? हवा का रुख क्या कह रहा है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट… सबसे पहले बात मिल्कीपुर के माहौल की..। सरकार के 7 मंत्री यहां लगातार डेरा डाले हुए हैं, सपा की डिंपल यादव ने भी रोड शो करके अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद के लिए माहौल बनाने की कोशिश की है। यहां पासी वोट बैंक काफी निर्णायक है, लेकिन बिखराव होता दिख रहा है। भाजपा ब्राहम्ण, ठाकुर, ओबीसी और गैर पासी वोट बैंक को अपना कोर वोटर बता रही है। इसीलिए मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है। मायावती का वोट बैंक यहां जीत-हार तय करेगा। इन 6 पॉइंट्स में समझिए सियासी समीकरण और माहौल… 1. हम मिल्कीपुर के अलग-अलग क्षेत्रों में गए। यहां कुमारगंज, अमानीगंज, खंडासा, कुचेरा बाजार और गदुरही बाजार में भाजपा मजबूत दिखी। 2. बारून बाजार, धर्मगंज बाजार, हरनटीनगंज, आनंद नगर भटारी, रेवतीगंज में सपा मजबूत स्थिति में दिखी। मिल्कीपुर, तुरसमपुर बाजार में भाजपा-सपा में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। इन्हीं क्षेत्रों का वोट बैंक हार-जीत तय करेगा। 3. सपा-कांग्रेस गठबंधन और अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला यहां सपा प्रत्याशी को मजबूत स्थिति दे सकता है। हालांकि, आजाद समाज पार्टी यहां सपा का खेल बिगाड़ती दिख रही है। 4. 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को 46 हजार वोट मिले थे। सपा की जीत का मार्जिन 13 हजार वोट था। यानी भाजपा के लिए जहां बसपा ने वोट काटने का काम किया, मगर इस बार बसपा ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। 5. यहां जिस पार्टी ने सवर्ण और ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लिया, उसकी जीत तय मानी जाती है। यहां भाजपा का ब्राह्मण और ठाकुर मजबूत वोट बैंक माना जाता है, तो सपा का यादव-एससी और मुस्लिम। 6. पिछले 5 चुनाव में 3 बार सपा, एक बार भाजपा और एक बार बसपा ने जीत दर्ज की। पिछले तीन चुनाव में भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। अब बात करते हैं मिल्कीपुर के स्थानीय मुद्दों की हम सबसे पहले अयोध्या जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर मिल्कीपुर के करीब 14 इलाकों में गए। यहां भाजपा-सपा के जगह-जगह पोस्टर लगे मिले। हमने करीब 100 लोगों से बात की। इस बातचीत से हमें लोकल मुद्दे पता चले। मिल्कीपुर में बेटियों की सुरक्षा और बिजली सप्लाई पर लोग मुखर दिखाई दिए। किसान छुट्टा मवेशियों से परेशान हैं, ये रात-दिन अपनी फसल की रखवाली कर रहे हैं। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। लोग कहते हैं कि सांड के हमले में 10 साल में करीब 50 लोगों की मौत हुई है। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में डॉक्टरों की तैनाती न होने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। वहीं, जिन अस्पतालों में तैनाती भी है, तो डॉक्टर ही नहीं समय से आते। इससे इलाज के अभाव में मरीजों की मौत हो जाती है। इसके साथ ही महिलाओं से जुड़े अपराध भी बढ़े हैं। लूट-रेप और छेड़खानी के मामले में मिल्कीपुर जिले में टॉप पर है। इन सब मुद्दों के बावजूद लोगों को लगता है कि इस बार मिल्कीपुर लोकसभा चुनाव जैसी गलती नहीं दोहराएगा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देश भर में अयोध्यावासियों की बड़ी बदनामी हुई। मिल्कीपुर का चुनाव इस दाग को धो सकता है। यही कारण है कि माहौल बीजेपी की तरफ दिख रहा है। हां, जातीय समीकरण बड़ी चुनौती बना हुआ है। ‘लोग अब परिवारवाद पर वोट नहीं करेंगे, डेवलपमेंट यहां का मुद्दा’ सबसे पहले हमारी मुलाकात अभिषेक मिश्रा से हुई। अभिषेक मिश्रा स्थानीय कारोबारी हैं, वह कहते हैं कि डिंपल यादव के रोड शो ने थोड़ा माहौल जरूर बनाया है। लेकिन अब यहां हवा बदल गई है, लोग परिवारवाद से बदलाव देखना चाहते हैं। लोग बोले- जमीनों का मुआवजा सही नहीं मिला
इसके बाद हमारी मुलाकात राम जतन गौड़ से हुई। वह कहते हैं- अयोध्या के कई लोग ऐसे हैं, जिनकी जमीन 84 कोस परिक्रमा मार्ग में जा रही है, मगर उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। इस तकलीफ से लोग गुजर रहे हैं। क्या वोट करने से पहले यह नहीं सोचा जाएगा। किसान बोले- छुट्टा पशु ही यहां का मुद्दा, उनसे निजात मिले
योगी और डिंपल के मिल्कीपुर दौरे पर किसान जगदंबा प्रसाद यादव कहते हैं- न हम डिंपल के रोड शो में गए, न ही योगी की जनसभा में। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा छुट्टा पशुओं का है। नेता सिर्फ कहते हैं कि पशु पकड़े गए हैं…आओ हमारे साथ हम दिखाते हैं, कितनी परेशानी है। किसान रात में भी सो नहीं पा रहे हैं। यहां चुनाव इन्हीं मुद्दों के इर्द गिर्द घूम रहा है। जो इससे निजात दिलाएगा, वही वोट पाएगा। 30 साल से दौड़ रहे, आवास नहीं मिला
स्थानीय निवासी दिव्यांग जमुना प्रसाद दुबे कहते हैं- चाहे भाजपा जनसभा करे या सपा वाले रोड शो। इससे आम लोगों को क्या ही लेना देना। हम 30 साल से दौड़ रहे हैं, आवास नहीं मिल सका है। हमारे जैसे जाने कितने लोग हैं। दूसरे के घर में रहते हैं। पेंशन भी नहीं मिलती है, बताइए। क्या करें। सरकार को ऐसे लोगों को ढूंढकर घर देना चाहिए। अब पॉलिटिकल व्यू पढ़िए… भाजपा कैंडिडेट सवाल: अवधेश बेटे अजीत को चुनाव लड़ा रहे, क्या रणनीति रहेगी?
जवाब : अवधेश प्रसाद चाहे 9 बार चुनाव जीते हो, यह फिर 10 बार जीते हों, इसका असर इस चुनाव पर नहीं पड़ रहा है। मिल्कीपुर की जनता हमें जिताने का मन बनाकर बैठी है। भाजपा का कमल खिल रहा है। सवाल : लोकसभा में हार के बाद अब उपचुनाव में कितना बड़ा चैलेंज?
जवाब : मिल्कीपुर उपचुनाव में कोई चैलेंज नहीं है। पब्लिक भाजपा के साथ है। इस चुनाव में कोई चैलेंज नहीं। सवाल : सपा बाहरी का आरोप लगा रही, खुद को घर का कैसे साबित करेंगे? जवाब : मैं 10-12 साल से जनता के बीच रहा हूं, मैं यहीं का रहने वाला हूं। वह अपने आपको बताएं कि वह लोग कहां के रहने वाले हैं। मेरी पत्नी 2015 से अब तक जिला पंचायत सदस्य है, मेरे पिताजी कई बार प्रधान रह चुके है। सपा कैंडिडेट सपा कितनी मजबूती से चुनाव लड़ रही है? सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद कहते हैं- हमारे पिता अवधेश प्रसाद यहां से 9 बार विधायक रहे। पिछड़ों की आवाज उठाना हमारा धर्म रहा है। मैं गांव-गांव जा रहा हूं, हमें लोगों का सपोर्ट मिल रहा है। चुनाव एक तरफा है, भाजपा भले ही खुद को फाइट में मान रही है, लेकिन सपा के लिए मिल्कीपुर चुनाव एक तरफा रहने वाला है। कही से कोई चैलेंज जैसा नहीं है। यही पर हमारा आवास है। चंद्रभानु पासवान को साबित करना होगा कि वह कहां के रहने वाले हैं। जिलाध्यक्ष बोले- सपा हमेशा चुनाव के मूड में रहती है
मिल्कीपुर चुनाव पर सपा के जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव कहते हैं- भाजपा की सरकार है, 50 से ज्यादा विधायक-मंत्री मिल्कीपुर में डेरा डाले हैं। सपा विपक्ष की भूमिका में है। सपा किसान, छात्र और पिछड़ों-दलितों की बात उठा रही है। सपा हमेशा ही चुनाव के मूड में रहती है। मिल्कीपुर के लिए सपा कोई अलग से तैयारी नहीं कर रही है। अखिलेश यादव भी यहां आकर लोगों के बीच अपने मुद्दे रखेंगे। अब जातिगत समीकरण समझिए.. ब्राहम्ण, ठाकुर और गैर पासी पर BJP की नजर पॉलिटिकल एक्सपर्ट राम कृष्ण द्विवेदी बताते हैं- भाजपा यहां गैर पासी वोट बैंक को अपनी ओर खींचने में लगी हुई है। ब्राहम्ण, ठाकुर और गैर पासी अगर एक होकर वोट करेगा तो बीजेपी की जीत पक्की हो सकती है। उधर, पासी समाज के तीन कैंडिडेट होने के कारण पासी वोट कुछ न कुछ जरूर बंटेगा। हालांकि सपा भी मुस्लिम, यादव और पासी वोट को साधने की पूरी कोशिश कर रही है। आजाद समाज पार्टी के कैंडिडेट ने अगर पासी और कुछ मायावती के वोट काटे तो उसका फायदा भी बीजेपी को ही मिलेगा। ……. यह खबर भी पढ़िए… दलित युवती की हत्या पर फूट-फूटकर रोए अयोध्या सांसद:माथा पीटकर बोले- प्रभु राम कहां हैं, न्याय नहीं मिला तो इस्तीफा दूंगा अयोध्या में दलित युवती की हत्या पर सियासत शुरू हो गई है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद मीडिया के सामने फूट-फूटकर रोए। कहा- इस मुद्दे को लोकसभा में मोदी के सामने उठाऊंगा। न्याय नहीं मिला तो इस्तीफा दूंगा। हम बेटी की इज्जत बचाने में नाकामयाब हो रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर