शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर यूपी-बिहार बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। सड़क और ट्रेन में सख्ती बढ़ी तो तस्करों ने पानी का रास्ता अपना लिया। गंगा और घाघरा से रोजाना लाखों की शराब यूपी से बिहार पहुंचाने का सुरक्षित रास्ता बन गया है। दैनिक भास्कर की टीम ने 30 दिनों की खोजबीन में पानी के जरिए शराब की तस्करी देखी। उन तस्करों की न केवल पहचान की, बल्कि कैमरे में कैद भी किया। पुलिस और इनको संरक्षण देने वाले नेताओं के रोल को जाना। पहली बार पढ़िए नाव से शराब तस्करी का भास्कर इन्वेस्टिगेशन… पहले जानिए तस्करों के लिए क्यों आसान हो गया नदी का रास्ता
तस्करी का रूट समझने के लिए हम बलिया पहुंचे। बलिया दाे तरफ से गंगा और घाघरा नदी से घिरा है। इस एरिया को दोआबा कहते हैं। इन इलाकों में खनन और शराब तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। शहर और कस्बों से दूर इन इलाकों में शाम होते-होते सन्नाटा छा जाता है। फिर इन इलाकों में नदी किनारे बसे लोग ही दिखते हैं। जो गांव नदी किनारे हैं, उसके लोग शराब तस्करी से जुड़े हैं। बरसात के समय नदियां लबालब होती हैं, लेकिन बाकी दिनों में पानी कम होता है। शराब तस्करी उन घाटों से होती है, जहां ज्यादा आवाजाही न हो। ज्यादातर तस्करी रात में होती है। यूपी के घाट से शराब लदती है और एक से तीन किलोमीटर दूर ही बिहार का बॉर्डर आ जाता है। बिहार में 2016 में शराबबंदी हुई, तभी से सरकार ने यूपी-बिहार बॉर्डर पर सड़क मार्ग पर आबकारी विभाग का पहरा बैठा दिया। बाद में बॉर्डर पर चेकिंग के लिए स्कैनर लगा दिए। गाड़ी में छिपाई गई शराब को स्कैनर पकड़ने लगा, चाहे वह कितनी ही परतों में छिपाई गई हो। सड़क मार्ग पर जगह-जगह चेकिंग होती है। सबको मैनेज करना आसान नहीं है। पहले इस मैप से जानिए शराब की तस्करी का रूट… दोनों नदियों के उस पार बिहार का बॉर्डर
एक तरफ बिहार तो दूसरी तरफ यूपी का बलिया जिला। गंगा के उस पार बिहार का भोजपुर (आरा) जिला और घाघरा के उस पार छपरा जिला पड़ता है। यह जल सीमा 150 किलोमीटर से ज्यादा है। इसका फायदा दोनों तरफ के तस्कर उठाते हैं। बलिया के तस्कर, बिहार के तस्कर को नाव पर माल उपलब्ध कराते हैं। थाना-चौकी में हिस्सा दीजिए, जितनी चाहे शराब भेजिए
तस्करों से बातचीत से निकलकर आया कि तस्करी का एक हिस्सा पुलिस को जाता है। जिस थाने और चौकी का एरिया लगता है, उससे तस्करों को सेटिंग करनी पड़ती है। एक तस्कर महीने में थाने को 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक देता है, जबकि चौकी 10 से 15 हजार में मैनेज होती है। यूपी में सबसे बड़ा डर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) टीम का होता है। यह पूरे जिले में छापा मारती है। इसलिए तस्कर को SOG टीम को भी मैनेज करना पड़ता है। टीम को तस्कर 20 हजार रुपए तक देते हैं। तस्करों को यूपी और बिहार दोनों तरफ की पुलिस को मैनेज करना पड़ता है। बड़े तस्कर मंथली थाने को रुपए देते हैं, जबकि छोटे तस्कर पेटी के हिसाब से। हमने उन तस्करों से संपर्क किया, जो बॉर्डर से शराब बिहार पहुंचाते हैं। बलिया में हमें पता चला कि तस्करी के लिए सबसे बड़ा हब बैरिया तहसील है। हम एक पैडलर से मिले, जो कुछ दिन पहले तक डिपो से शराब की पेटियों को घाट तक पहुंचाता था। यूपी के आखिरी रेलवे स्टेशन बकुलहा पर पूर्व पैडलर से हुई मुलाकात, बोला- यहां सन्नाटा रहता है हमारे सोर्स ने पैडलर राकेश (बदला हुआ नाम) से फोन पर बातचीत की। कहा कि बिहार के शराब तस्कर आए हैं। नए लोग हैं। काम शुरू करना चाहते हैं। तुम इन्हें धंधे की जानकारी दे दो। राकेश ने हमें बैरिया से 25-30 किमी दूर बकुलहा रेलवे स्टेशन बुलाया। रिपोर्टर- शराब का कोई कोड नेम होता है या ओरिजिनल नाम से जाती है, रेट लिस्ट क्या है?
पूर्व पैडलर- ओरिजिनल नहीं, कोड नेम से तस्करी होती है। 8 PM शराब का कोड नेम – फ्रूटी (कागज) है। एक पेटी में 48 पीस होती है। रेट 5500 है। RS- शीशा-पेटी (फुल बोतल-12 पीस) 7800 रुपए में। 8000 में हाफ बोतल (24 पीस), क्वार्टर की डिमांड नहीं है। रिपोर्टर- बिहार बॉर्डर तक ले जाने में क्या रिस्क है?
पूर्व पैडलर- 5500 रुपए की एक पेटी फ्रूटी खरीद कर 6200 की घाट (नाव) पर बेचते हैं। इसके बाद की जिम्मेदारी खरीदने वाले की होती है। घाट तक पहुंचकर एक फुल बोतल का रेट 9200 से 9300 रुपए हो जाता है। रिपोर्टर- पुलिस को कैसे मैनेज करते हो?
पूर्व पैडलर- पुलिस की महीनेदारी फिक्स होती है। जिनका काम रेगुलर चलता है, उनका महीना बंधा है। बाकी लोग पेटी के अनुसार पैसा देते हैं। रिपोर्टर- माल कैसे ले जाते हैं, रोड से भी जाता है क्या?
पूर्व पैडलर- बलिया में नदी के रास्ते शराब की तस्करी होती है। सड़क मार्ग पर बिहार बॉर्डर पर चेकिंग रहती है। घाट तक माल ट्रैक्टर, बाइक, पिकअप से आता है। रिपोर्टर- यहां (बलिया) में सबसे बड़ा तस्कर कौन है?
पूर्व पैडलर- अर्जुन सिंह बड़े हैं, प्रिंस बड़ा है। अर्जुन सिंह बकुलहा के हैं, बगल में ही गोदाम है। इनके ही अंडर में सब काम होता है। अब हमें ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो शराब तस्करी के लिए तैयार हो और यूपी का माल बिहार पहुंचाने की गारंटी भी ले। तीन दिन तक लगातार बातचीत के बाद 22 साल का तस्कर सनी साहनी मिलने के लिए तैयार हुआ। रिपोर्टर- शराब बिहार ले जाते होंगे, वहां तो सेटिंग होगी ना?
तस्कर- नाव तक पहुंचाने की मेरी जिम्मेदारी है, उसके आगे की नहीं। उधर वो (बिहार ले जाने वाला तस्कर) अपना जानें। तस्कर- कितनी पेटी रोज दे सकते हो?
रिपोर्टर- 500 पेटी रोज मिल जाएगी। रिपोर्टर- माल में होलोग्राम और बार कोड रहता है?
तस्कर- माल लेते समय ही उसे हटा दिया जाता है। नोट- होलोग्राम और बार कोड पर दुकान और गोदाम का डिटेल रहता है। छापे में ये पकड़े जा सकते हैं। इसलिए तस्कर इसे हटा देते हैं। अब हम बिहार के ऐसे तस्कर की तलाश में थे, जो बल्क में माल लेता हो। हमारे सोर्स ने विकास सिंह से मुलाकात कराई। विकास अपने साथी मंटू सिंह के साथ आया। बलिया के बैरिया थाने में दीपू सिंह सिंह के खिलाफ आबकारी के मामले दर्ज हैं। पूर्व विधायक और एसआई में दीपू सिंह को लेकर बहस हुई थी। हम जानना चाहते थे कि क्या दीपू सिंह से बिहार के तस्करों का सीधा संपर्क है? एक तस्कर कितनी शराब रोजाना ले रहा है? रिपोर्टर- क्या दीपू सिंह नहीं दे रहे हैं?
तस्कर विकास- फोन आया था, हम लोग वहां से माल नहीं ले रहे। इसकी वजह बिहार में मांझी पुलिस की स्टीमर (सर्चिंग बोट) आ गई है। इसलिए रिस्क नहीं ले रहे। रिपोर्टर- जो घाट आपको सेफ लगे, बाकी हम लोग रेट तय कर लेते है, जनवरी से काम शुरू करेंगे?
तस्कर विकास- अगर हमें देंगे तो हम लोग एक दिन में कम से कम 300 से 400 पेटी खींच देंगे। रिपोर्टर- अभी ज्यादा किसकी डिमांड है?
तस्कर विकास- अभी फ्रूटी की ही डिमांड है। गर्मी के दिन आएंगे तो बीयर ज्यादा चलेगी। रिपोर्टर- बनारस और चंदौली से क्या माल ले लेंगे?
तस्कर विकास- मुगलसराय है महाराज, आप अगल-बगल में हमको कहीं भी माल दे दीजिए। मुगलसराय है, बनारस है। हम बॉर्डर अपना मैनेज कर लेंगे। रिपोर्टर- आप वहां भी तो मैनेज करते होंगे, बॉर्डर ऐसे तो क्रॉस होता नहीं होगा? वहां कितनी लेते हैं, प्रति पेटी या गाड़ी लेते हैं?
तस्कर विकास- खेप पर लेते हैं। जैसे थाने में दो-तीन दरोगा रहते हैं, लेकिन एक ही से हम बात करेंगे। उनकी जब ड्यूटी रहेगी, तभी मेरी गाड़ी पास होगी। वर्ना वो मना कर देंगे। अभी बता रहे हैं कि एक्साइज में एक पप्पू जी हैं। डोरीगंज में थे। वहां वो स्टीमर पर पैसा कमाए हैं। बॉर्डर पर पैसा देकर आए है। मेरा तो घर इधर भी है, उधर भी है। रिपोर्टर- दीपू सिंह की क्या पोजिशन है, उनका माल जा रहा है?
तस्कर विकास- माल इनका जा रहा है। अभी मेरी बात हुई थी। कोलकाता गए हुए थे। माल तो आज ही दे देंगे। सिताब दीयर में गौतम सिंह को जानते हैं, वो अपने आगे किसी को सक्सेस नहीं होने देंगे। रिपोर्टर- यहां यूपी में जिनसे आप लेते हैं, क्या उनमें दीपू सिंह सबसे बड़े सप्लायर हैं?
तस्कर विकास- वो गोदाम में पार्टनर हैं, बिहार में सप्लाई करते हैं। रिपोर्टर- यूपी में सबसे बड़े दीपू सिंह वही हैं क्या, कितना माल दे देते हैं।
तस्कर विकास- जितना हम ले लें, 500 का ऑर्डर लगाइए तो 500 (पेटी) दे देंगे। उनका (दीपू सिंह) थाना वाना सब मैनेज है। बगैर मैनेज के कुछ नहीं होगा। विकास से बातचीत के बाद यह निकल कर आया कि तस्करी में शराब ठेकेदार और गोदाम वाले शामिल हैं। इसके लिए हम अपने सोर्स के परिचित एक बीयर सेल्समैन के पास पहुंचे। पढ़िए बातचीत के अंश… सेल्समैन- क्या चाहिए, दारू या बीयर?
रिपोर्टर- दोनों चाहिए। सेल्समैन- फ्रूटी 61, 62 रुपए है। हमारे पास केवल बीयर है।
रिपोर्टर- घाट तक पहुंचा देंगे? सेल्समैन – नाव से हम माल उस पार पहुंचा देंगे, यहीं पास में घाट एक किमी बाद है। उधर से तुम ले जाना।
रिपोर्टर- यहां पर कितने में निकलेगी, घाट पर कितने में पहुंचेगी? सेल्समैन- यहां पर 33 सौ रुपए की निकलेगी। घाट पर साढ़े 34 से 35 सौ तक पड़ेगी।
रिपोर्टर- इधर पुलिस तो परेशान नहीं करेगी? सेल्समैन- इधर की तो कोई बात नहीं सब मैनेज हो जाएगा। इधर का पूरा जिम्मा हम लोग का है। रिपोर्टर- नाव वाला कितना ले लेता है?
सेल्समैन- दूरी के हिसाब से ले लेता है। एक बार में 10 पेटी ले जाएगा तो 500 रुपए लेगा। ज्यादा दूर ले जाएगा तो एक हजार हो जाएगा। रिपोर्टर- छोटी नाव रहती है या बड़ी?
सेल्समैन- वो चलेगी तूफान की तरह, नाव चलाने वाले सब नए लड़के हैं। नाव ज्यादा बड़ी भी नहीं होती है। रिपोर्टर- माल किस समय मिल जाएगा?
सेल्समैन- दिन में छोड़कर रात में जब कहेंगे, माल मिल जाएगा। रात 9 बजे के बाद से लेकर 6 बजे भोर तक चलता रहेगा। शराब की पेटी नाव पर रखते ही यूपी के तस्करों का रिस्क खत्म
शराब की पेटियां एक बार नाव पर लद गईं, तो इसके बाद का रिस्क बिहार के शराब तस्करों का होता है। वहां से बिहार में क्या सेटिंग होनी है? किसे मैनेज करना है? यह बिहार के तस्कर को देखना होता है। इसकी तस्दीक भी तस्करों से बातचीत में हुई है। आखिर शराब नाव से कैसे जाती है, इसके लिए हमने एक नाविक से भी बात की। रिपोर्टर – आप लोगों को पता तो चल ही जाता होगा?
नाविक- धंधा करने वाला इस घाट से नहीं करेगा। वह दूसरे साइड, जहां सुनसान होगा, वहीं से काम करेगा। शराब तस्करी का काम नाव से नहीं, डेंगी (छोटी नाव) से होगा। रिपोर्टर- जिनको ये सब काम करना है वो खुद की नाव रखते होंगे?
नाविक- खुद की भी रखते हैं या फिर सेटिंग भी कर लेते हैं, जो उस धंधे में हैं। शराब तस्करों और नेताओं का गठजोड़ हमारी पड़ताल में तस्करों से बातचीत में 3 शराब माफिया के नाम सामने आए। पहला- अर्जुन सिंह, दीपू सिंह और दूसरा- ब्रह्म तिवारी। दीपू सिंह के संबंध पूर्व भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ बताए गए हैं। ये पूर्व विधायक के समर्थक हैं। दीपू के खिलाफ शराब तस्करी समेत 5 केस बैरिया थाने में दर्ज हैं। 12 जनवरी को बैरिया थाने के थाना प्रभारी और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो सामने आया। जिसमें दोनों में बहस हो रही है। थाना प्रभारी कहते हैं कि आप शराब तस्कर दीपू की पैरवी करते हैं। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ शराब तस्कर दीपू की फोटो भी हमें मिली। हालांकि सुरेंद्र सिंह अपने बयानों में हमेशा शराब के खिलाफ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले को अच्छा बता चुके हैं। फिर फोन आया- विधायक जी से मिल लीजिए
पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का पक्ष जानने के बाद तुरंत हमारे पास फोन आया। सामने वाले ने हमसे पूछा कि कहां मिलेंगे? जब हमने कहा कि आप को जो कहना है, फोन पर ही बता दीजिए। इस पर उसने कहा कि विधायक जी से मिल लीजिए। ———————————————— ————————— यह खबर भी पढ़ें किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी पर हमला, आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण पर आरोप, ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के खिलाफ थीं महाकुंभ में किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी पर जानलेवा हमला हुआ। हिमांगी सखी गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर हमला करने का आरोप लगाया है। यहां पढ़ें पूरी खबर शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर यूपी-बिहार बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। सड़क और ट्रेन में सख्ती बढ़ी तो तस्करों ने पानी का रास्ता अपना लिया। गंगा और घाघरा से रोजाना लाखों की शराब यूपी से बिहार पहुंचाने का सुरक्षित रास्ता बन गया है। दैनिक भास्कर की टीम ने 30 दिनों की खोजबीन में पानी के जरिए शराब की तस्करी देखी। उन तस्करों की न केवल पहचान की, बल्कि कैमरे में कैद भी किया। पुलिस और इनको संरक्षण देने वाले नेताओं के रोल को जाना। पहली बार पढ़िए नाव से शराब तस्करी का भास्कर इन्वेस्टिगेशन… पहले जानिए तस्करों के लिए क्यों आसान हो गया नदी का रास्ता
तस्करी का रूट समझने के लिए हम बलिया पहुंचे। बलिया दाे तरफ से गंगा और घाघरा नदी से घिरा है। इस एरिया को दोआबा कहते हैं। इन इलाकों में खनन और शराब तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। शहर और कस्बों से दूर इन इलाकों में शाम होते-होते सन्नाटा छा जाता है। फिर इन इलाकों में नदी किनारे बसे लोग ही दिखते हैं। जो गांव नदी किनारे हैं, उसके लोग शराब तस्करी से जुड़े हैं। बरसात के समय नदियां लबालब होती हैं, लेकिन बाकी दिनों में पानी कम होता है। शराब तस्करी उन घाटों से होती है, जहां ज्यादा आवाजाही न हो। ज्यादातर तस्करी रात में होती है। यूपी के घाट से शराब लदती है और एक से तीन किलोमीटर दूर ही बिहार का बॉर्डर आ जाता है। बिहार में 2016 में शराबबंदी हुई, तभी से सरकार ने यूपी-बिहार बॉर्डर पर सड़क मार्ग पर आबकारी विभाग का पहरा बैठा दिया। बाद में बॉर्डर पर चेकिंग के लिए स्कैनर लगा दिए। गाड़ी में छिपाई गई शराब को स्कैनर पकड़ने लगा, चाहे वह कितनी ही परतों में छिपाई गई हो। सड़क मार्ग पर जगह-जगह चेकिंग होती है। सबको मैनेज करना आसान नहीं है। पहले इस मैप से जानिए शराब की तस्करी का रूट… दोनों नदियों के उस पार बिहार का बॉर्डर
एक तरफ बिहार तो दूसरी तरफ यूपी का बलिया जिला। गंगा के उस पार बिहार का भोजपुर (आरा) जिला और घाघरा के उस पार छपरा जिला पड़ता है। यह जल सीमा 150 किलोमीटर से ज्यादा है। इसका फायदा दोनों तरफ के तस्कर उठाते हैं। बलिया के तस्कर, बिहार के तस्कर को नाव पर माल उपलब्ध कराते हैं। थाना-चौकी में हिस्सा दीजिए, जितनी चाहे शराब भेजिए
तस्करों से बातचीत से निकलकर आया कि तस्करी का एक हिस्सा पुलिस को जाता है। जिस थाने और चौकी का एरिया लगता है, उससे तस्करों को सेटिंग करनी पड़ती है। एक तस्कर महीने में थाने को 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक देता है, जबकि चौकी 10 से 15 हजार में मैनेज होती है। यूपी में सबसे बड़ा डर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) टीम का होता है। यह पूरे जिले में छापा मारती है। इसलिए तस्कर को SOG टीम को भी मैनेज करना पड़ता है। टीम को तस्कर 20 हजार रुपए तक देते हैं। तस्करों को यूपी और बिहार दोनों तरफ की पुलिस को मैनेज करना पड़ता है। बड़े तस्कर मंथली थाने को रुपए देते हैं, जबकि छोटे तस्कर पेटी के हिसाब से। हमने उन तस्करों से संपर्क किया, जो बॉर्डर से शराब बिहार पहुंचाते हैं। बलिया में हमें पता चला कि तस्करी के लिए सबसे बड़ा हब बैरिया तहसील है। हम एक पैडलर से मिले, जो कुछ दिन पहले तक डिपो से शराब की पेटियों को घाट तक पहुंचाता था। यूपी के आखिरी रेलवे स्टेशन बकुलहा पर पूर्व पैडलर से हुई मुलाकात, बोला- यहां सन्नाटा रहता है हमारे सोर्स ने पैडलर राकेश (बदला हुआ नाम) से फोन पर बातचीत की। कहा कि बिहार के शराब तस्कर आए हैं। नए लोग हैं। काम शुरू करना चाहते हैं। तुम इन्हें धंधे की जानकारी दे दो। राकेश ने हमें बैरिया से 25-30 किमी दूर बकुलहा रेलवे स्टेशन बुलाया। रिपोर्टर- शराब का कोई कोड नेम होता है या ओरिजिनल नाम से जाती है, रेट लिस्ट क्या है?
पूर्व पैडलर- ओरिजिनल नहीं, कोड नेम से तस्करी होती है। 8 PM शराब का कोड नेम – फ्रूटी (कागज) है। एक पेटी में 48 पीस होती है। रेट 5500 है। RS- शीशा-पेटी (फुल बोतल-12 पीस) 7800 रुपए में। 8000 में हाफ बोतल (24 पीस), क्वार्टर की डिमांड नहीं है। रिपोर्टर- बिहार बॉर्डर तक ले जाने में क्या रिस्क है?
पूर्व पैडलर- 5500 रुपए की एक पेटी फ्रूटी खरीद कर 6200 की घाट (नाव) पर बेचते हैं। इसके बाद की जिम्मेदारी खरीदने वाले की होती है। घाट तक पहुंचकर एक फुल बोतल का रेट 9200 से 9300 रुपए हो जाता है। रिपोर्टर- पुलिस को कैसे मैनेज करते हो?
पूर्व पैडलर- पुलिस की महीनेदारी फिक्स होती है। जिनका काम रेगुलर चलता है, उनका महीना बंधा है। बाकी लोग पेटी के अनुसार पैसा देते हैं। रिपोर्टर- माल कैसे ले जाते हैं, रोड से भी जाता है क्या?
पूर्व पैडलर- बलिया में नदी के रास्ते शराब की तस्करी होती है। सड़क मार्ग पर बिहार बॉर्डर पर चेकिंग रहती है। घाट तक माल ट्रैक्टर, बाइक, पिकअप से आता है। रिपोर्टर- यहां (बलिया) में सबसे बड़ा तस्कर कौन है?
पूर्व पैडलर- अर्जुन सिंह बड़े हैं, प्रिंस बड़ा है। अर्जुन सिंह बकुलहा के हैं, बगल में ही गोदाम है। इनके ही अंडर में सब काम होता है। अब हमें ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो शराब तस्करी के लिए तैयार हो और यूपी का माल बिहार पहुंचाने की गारंटी भी ले। तीन दिन तक लगातार बातचीत के बाद 22 साल का तस्कर सनी साहनी मिलने के लिए तैयार हुआ। रिपोर्टर- शराब बिहार ले जाते होंगे, वहां तो सेटिंग होगी ना?
तस्कर- नाव तक पहुंचाने की मेरी जिम्मेदारी है, उसके आगे की नहीं। उधर वो (बिहार ले जाने वाला तस्कर) अपना जानें। तस्कर- कितनी पेटी रोज दे सकते हो?
रिपोर्टर- 500 पेटी रोज मिल जाएगी। रिपोर्टर- माल में होलोग्राम और बार कोड रहता है?
तस्कर- माल लेते समय ही उसे हटा दिया जाता है। नोट- होलोग्राम और बार कोड पर दुकान और गोदाम का डिटेल रहता है। छापे में ये पकड़े जा सकते हैं। इसलिए तस्कर इसे हटा देते हैं। अब हम बिहार के ऐसे तस्कर की तलाश में थे, जो बल्क में माल लेता हो। हमारे सोर्स ने विकास सिंह से मुलाकात कराई। विकास अपने साथी मंटू सिंह के साथ आया। बलिया के बैरिया थाने में दीपू सिंह सिंह के खिलाफ आबकारी के मामले दर्ज हैं। पूर्व विधायक और एसआई में दीपू सिंह को लेकर बहस हुई थी। हम जानना चाहते थे कि क्या दीपू सिंह से बिहार के तस्करों का सीधा संपर्क है? एक तस्कर कितनी शराब रोजाना ले रहा है? रिपोर्टर- क्या दीपू सिंह नहीं दे रहे हैं?
तस्कर विकास- फोन आया था, हम लोग वहां से माल नहीं ले रहे। इसकी वजह बिहार में मांझी पुलिस की स्टीमर (सर्चिंग बोट) आ गई है। इसलिए रिस्क नहीं ले रहे। रिपोर्टर- जो घाट आपको सेफ लगे, बाकी हम लोग रेट तय कर लेते है, जनवरी से काम शुरू करेंगे?
तस्कर विकास- अगर हमें देंगे तो हम लोग एक दिन में कम से कम 300 से 400 पेटी खींच देंगे। रिपोर्टर- अभी ज्यादा किसकी डिमांड है?
तस्कर विकास- अभी फ्रूटी की ही डिमांड है। गर्मी के दिन आएंगे तो बीयर ज्यादा चलेगी। रिपोर्टर- बनारस और चंदौली से क्या माल ले लेंगे?
तस्कर विकास- मुगलसराय है महाराज, आप अगल-बगल में हमको कहीं भी माल दे दीजिए। मुगलसराय है, बनारस है। हम बॉर्डर अपना मैनेज कर लेंगे। रिपोर्टर- आप वहां भी तो मैनेज करते होंगे, बॉर्डर ऐसे तो क्रॉस होता नहीं होगा? वहां कितनी लेते हैं, प्रति पेटी या गाड़ी लेते हैं?
तस्कर विकास- खेप पर लेते हैं। जैसे थाने में दो-तीन दरोगा रहते हैं, लेकिन एक ही से हम बात करेंगे। उनकी जब ड्यूटी रहेगी, तभी मेरी गाड़ी पास होगी। वर्ना वो मना कर देंगे। अभी बता रहे हैं कि एक्साइज में एक पप्पू जी हैं। डोरीगंज में थे। वहां वो स्टीमर पर पैसा कमाए हैं। बॉर्डर पर पैसा देकर आए है। मेरा तो घर इधर भी है, उधर भी है। रिपोर्टर- दीपू सिंह की क्या पोजिशन है, उनका माल जा रहा है?
तस्कर विकास- माल इनका जा रहा है। अभी मेरी बात हुई थी। कोलकाता गए हुए थे। माल तो आज ही दे देंगे। सिताब दीयर में गौतम सिंह को जानते हैं, वो अपने आगे किसी को सक्सेस नहीं होने देंगे। रिपोर्टर- यहां यूपी में जिनसे आप लेते हैं, क्या उनमें दीपू सिंह सबसे बड़े सप्लायर हैं?
तस्कर विकास- वो गोदाम में पार्टनर हैं, बिहार में सप्लाई करते हैं। रिपोर्टर- यूपी में सबसे बड़े दीपू सिंह वही हैं क्या, कितना माल दे देते हैं।
तस्कर विकास- जितना हम ले लें, 500 का ऑर्डर लगाइए तो 500 (पेटी) दे देंगे। उनका (दीपू सिंह) थाना वाना सब मैनेज है। बगैर मैनेज के कुछ नहीं होगा। विकास से बातचीत के बाद यह निकल कर आया कि तस्करी में शराब ठेकेदार और गोदाम वाले शामिल हैं। इसके लिए हम अपने सोर्स के परिचित एक बीयर सेल्समैन के पास पहुंचे। पढ़िए बातचीत के अंश… सेल्समैन- क्या चाहिए, दारू या बीयर?
रिपोर्टर- दोनों चाहिए। सेल्समैन- फ्रूटी 61, 62 रुपए है। हमारे पास केवल बीयर है।
रिपोर्टर- घाट तक पहुंचा देंगे? सेल्समैन – नाव से हम माल उस पार पहुंचा देंगे, यहीं पास में घाट एक किमी बाद है। उधर से तुम ले जाना।
रिपोर्टर- यहां पर कितने में निकलेगी, घाट पर कितने में पहुंचेगी? सेल्समैन- यहां पर 33 सौ रुपए की निकलेगी। घाट पर साढ़े 34 से 35 सौ तक पड़ेगी।
रिपोर्टर- इधर पुलिस तो परेशान नहीं करेगी? सेल्समैन- इधर की तो कोई बात नहीं सब मैनेज हो जाएगा। इधर का पूरा जिम्मा हम लोग का है। रिपोर्टर- नाव वाला कितना ले लेता है?
सेल्समैन- दूरी के हिसाब से ले लेता है। एक बार में 10 पेटी ले जाएगा तो 500 रुपए लेगा। ज्यादा दूर ले जाएगा तो एक हजार हो जाएगा। रिपोर्टर- छोटी नाव रहती है या बड़ी?
सेल्समैन- वो चलेगी तूफान की तरह, नाव चलाने वाले सब नए लड़के हैं। नाव ज्यादा बड़ी भी नहीं होती है। रिपोर्टर- माल किस समय मिल जाएगा?
सेल्समैन- दिन में छोड़कर रात में जब कहेंगे, माल मिल जाएगा। रात 9 बजे के बाद से लेकर 6 बजे भोर तक चलता रहेगा। शराब की पेटी नाव पर रखते ही यूपी के तस्करों का रिस्क खत्म
शराब की पेटियां एक बार नाव पर लद गईं, तो इसके बाद का रिस्क बिहार के शराब तस्करों का होता है। वहां से बिहार में क्या सेटिंग होनी है? किसे मैनेज करना है? यह बिहार के तस्कर को देखना होता है। इसकी तस्दीक भी तस्करों से बातचीत में हुई है। आखिर शराब नाव से कैसे जाती है, इसके लिए हमने एक नाविक से भी बात की। रिपोर्टर – आप लोगों को पता तो चल ही जाता होगा?
नाविक- धंधा करने वाला इस घाट से नहीं करेगा। वह दूसरे साइड, जहां सुनसान होगा, वहीं से काम करेगा। शराब तस्करी का काम नाव से नहीं, डेंगी (छोटी नाव) से होगा। रिपोर्टर- जिनको ये सब काम करना है वो खुद की नाव रखते होंगे?
नाविक- खुद की भी रखते हैं या फिर सेटिंग भी कर लेते हैं, जो उस धंधे में हैं। शराब तस्करों और नेताओं का गठजोड़ हमारी पड़ताल में तस्करों से बातचीत में 3 शराब माफिया के नाम सामने आए। पहला- अर्जुन सिंह, दीपू सिंह और दूसरा- ब्रह्म तिवारी। दीपू सिंह के संबंध पूर्व भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ बताए गए हैं। ये पूर्व विधायक के समर्थक हैं। दीपू के खिलाफ शराब तस्करी समेत 5 केस बैरिया थाने में दर्ज हैं। 12 जनवरी को बैरिया थाने के थाना प्रभारी और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो सामने आया। जिसमें दोनों में बहस हो रही है। थाना प्रभारी कहते हैं कि आप शराब तस्कर दीपू की पैरवी करते हैं। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ शराब तस्कर दीपू की फोटो भी हमें मिली। हालांकि सुरेंद्र सिंह अपने बयानों में हमेशा शराब के खिलाफ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले को अच्छा बता चुके हैं। फिर फोन आया- विधायक जी से मिल लीजिए
पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का पक्ष जानने के बाद तुरंत हमारे पास फोन आया। सामने वाले ने हमसे पूछा कि कहां मिलेंगे? जब हमने कहा कि आप को जो कहना है, फोन पर ही बता दीजिए। इस पर उसने कहा कि विधायक जी से मिल लीजिए। ———————————————— ————————— यह खबर भी पढ़ें किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी पर हमला, आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण पर आरोप, ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के खिलाफ थीं महाकुंभ में किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी पर जानलेवा हमला हुआ। हिमांगी सखी गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर हमला करने का आरोप लगाया है। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी में नाव से शराब तस्करी पहली बार देखिए:घाट से शराब लादते और उस पार बिहार में उतार लेते, 1 लाख में थाना सेट
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