ग्रीन वेजिटेबल्स, नट्स, फ्रेश फ्रूट्स और हेल्दी फैट्स से भरपूर डाइट लें। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स (अखरोट, अलसी, चिया सीड्स) स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं। दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीने से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और स्किन हेल्दी बनी रहती है। योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज से स्ट्रेस लेवल कंट्रोल में रहता है, जिससे हार्मोन बैलेंस होते हैं। स्किन टाइप के अनुसार क्लींजिंग, मॉइश्चराइजिंग और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। हार्ड केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से बचें। अगर हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण स्किन प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं, तो एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करें। अगर सही लाइफस्टाइल और स्किन केयर फॉलो किया जाए, तो हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण होने वाली स्किन समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है। भास्कर न्यूज| लुधियाना। हार्मोनल इम्बैलेंस सिर्फ हेल्थ को ही नहीं, बल्कि आपकी स्किन को भी प्रभावित करता है। हार्मोन्स में बदलाव के कारण चेहरे पर एक्ने, पिगमेंटेशन, ड्राइनेस, ऑयली स्किन और प्रीमेच्योर एजिंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। खासतौर पर युवाओं, महिलाओं और मिडिल एज ग्रुप के लोगों में यह परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है। पीसीओएस, थायरॉइड, स्ट्रेस, खराब लाइफस्टाइल इसके मुख्य कारण हैं। शहर के एक प्रमुख स्किन एक्सपर्ट के मुताबिक जब शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन या कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन्स असंतुलित होते हैं, तो स्किन की ऑयल प्रोडक्शन, इलास्टिसिटी और टेक्सचर पर असर पड़ता है। कुछ लोगों को अचानक से चेहरे पर पिंपल्स की समस्या होती है, तो कुछ को त्वचा का रूखापन या रेडनेस झेलनी पड़ती है। वहीं, कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान स्किन टोन और टेक्सचर में बड़े बदलाव नजर आते हैं। अगर सही खानपान, स्किन केयर और लाइफस्टाइल में बैलेंस रखा जाए, तो हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स से राहत पाई जा सकती है। हार्मोनल बदलावों से स्किन सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। टेस्टोस्टेरोन बढ़ने से ऑयली स्किन और एक्ने की समस्या होती है, जबकि एस्ट्रोजन लेवल घटने से ड्राइनेस और एजिंग साइन्स दिखते हैं। सही स्किन केयर रूटीन अपनाना बेहद जरूरी है। ऑयली स्किन वालों को सैलिसिलिक एसिड बेस्ड क्लींजर इस्तेमाल करना चाहिए, जबकि ड्राई स्किन के लिए हाइलूरोनिक एसिड और सेरामाइड्स युक्त मॉइश्चराइजर फायदेमंद रहेगा। साथ ही, हार्मोन बैलेंस करने के लिए पर्याप्त नींद, हाइड्रेशन और सही डाइट लेना जरूरी है। हार्मोनल इम्बैलेंस का स्किन पर असर तभी कम होगा जब हम अंदरूनी कारणों को भी समझें। पीसीओएस, थायरॉइड, स्ट्रेस और इंसुलिन रेजिस्टेंस स्किन प्रॉब्लम्स को बढ़ाते हैं। खाने में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फूड्स शामिल करें। अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड, कैफीन और शुगर से बचें, क्योंकि ये हार्मोन को और असंतुलित कर सकते हैं। ग्रीन वेजिटेबल्स, नट्स, फ्रेश फ्रूट्स और हेल्दी फैट्स से भरपूर डाइट लें। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स (अखरोट, अलसी, चिया सीड्स) स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं। दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीने से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और स्किन हेल्दी बनी रहती है। योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज से स्ट्रेस लेवल कंट्रोल में रहता है, जिससे हार्मोन बैलेंस होते हैं। स्किन टाइप के अनुसार क्लींजिंग, मॉइश्चराइजिंग और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। हार्ड केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से बचें। अगर हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण स्किन प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं, तो एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करें। अगर सही लाइफस्टाइल और स्किन केयर फॉलो किया जाए, तो हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण होने वाली स्किन समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है। भास्कर न्यूज| लुधियाना। हार्मोनल इम्बैलेंस सिर्फ हेल्थ को ही नहीं, बल्कि आपकी स्किन को भी प्रभावित करता है। हार्मोन्स में बदलाव के कारण चेहरे पर एक्ने, पिगमेंटेशन, ड्राइनेस, ऑयली स्किन और प्रीमेच्योर एजिंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। खासतौर पर युवाओं, महिलाओं और मिडिल एज ग्रुप के लोगों में यह परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है। पीसीओएस, थायरॉइड, स्ट्रेस, खराब लाइफस्टाइल इसके मुख्य कारण हैं। शहर के एक प्रमुख स्किन एक्सपर्ट के मुताबिक जब शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन या कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन्स असंतुलित होते हैं, तो स्किन की ऑयल प्रोडक्शन, इलास्टिसिटी और टेक्सचर पर असर पड़ता है। कुछ लोगों को अचानक से चेहरे पर पिंपल्स की समस्या होती है, तो कुछ को त्वचा का रूखापन या रेडनेस झेलनी पड़ती है। वहीं, कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान स्किन टोन और टेक्सचर में बड़े बदलाव नजर आते हैं। अगर सही खानपान, स्किन केयर और लाइफस्टाइल में बैलेंस रखा जाए, तो हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स से राहत पाई जा सकती है। हार्मोनल बदलावों से स्किन सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। टेस्टोस्टेरोन बढ़ने से ऑयली स्किन और एक्ने की समस्या होती है, जबकि एस्ट्रोजन लेवल घटने से ड्राइनेस और एजिंग साइन्स दिखते हैं। सही स्किन केयर रूटीन अपनाना बेहद जरूरी है। ऑयली स्किन वालों को सैलिसिलिक एसिड बेस्ड क्लींजर इस्तेमाल करना चाहिए, जबकि ड्राई स्किन के लिए हाइलूरोनिक एसिड और सेरामाइड्स युक्त मॉइश्चराइजर फायदेमंद रहेगा। साथ ही, हार्मोन बैलेंस करने के लिए पर्याप्त नींद, हाइड्रेशन और सही डाइट लेना जरूरी है। हार्मोनल इम्बैलेंस का स्किन पर असर तभी कम होगा जब हम अंदरूनी कारणों को भी समझें। पीसीओएस, थायरॉइड, स्ट्रेस और इंसुलिन रेजिस्टेंस स्किन प्रॉब्लम्स को बढ़ाते हैं। खाने में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फूड्स शामिल करें। अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड, कैफीन और शुगर से बचें, क्योंकि ये हार्मोन को और असंतुलित कर सकते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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
डल्लेवाल पर सुप्रीम कोर्ट सख्त:कहा– ये कैसे किसान नेता, जो चाहते हैं वे मर जाएं; पंजाब सरकार 31 दिसंबर तक अस्पताल शिफ्ट करे
डल्लेवाल पर सुप्रीम कोर्ट सख्त:कहा– ये कैसे किसान नेता, जो चाहते हैं वे मर जाएं; पंजाब सरकार 31 दिसंबर तक अस्पताल शिफ्ट करे खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के आमरण अनशन के दौरान डॉक्टरी मदद न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त तेवर दिखाए। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि केंद्र की मदद से उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करें। पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते?। कोर्ट ने 31 दिसंबर तक डल्लेवाल को अस्पताल शिफ्ट करने को कहा। दूसरी तरफ कोर्ट ने डल्लेवाल को अस्पताल शिफ्ट करने पर किसानों के विरोध को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। वे अस्पताल में रहकर अनशन जारी रख सकते हैं। इसी बीच आज लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक भी खनौरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने यहां पर किसान नेता डल्लेवाल से मुलाकात करने के बाद कहा कि सभी लोगों को किसानों की मांगों का समर्थन करना चाहिए। वहीं पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के खिलाफ अवमानना के मामले को लेकर 31 दिसंबर को फिर सुनवाई होगी। डल्लेवाल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग को लेकर 33 दिन से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं। कल 27 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में किए गए प्रयासों को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट से LIVE सुनवाई पढ़ें… पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह: हमने 2 कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल की हैं। 2 मेडिकल टीमें बनाई गई हैं, जिनमें एम्स के डॉक्टर भी शामिल हैं। यह डल्लेवाल को मेडिकल सुविधाएं दे रहे हैं। डल्लेवाल की पहली जांच 19 दिसंबर और दूसरी 24 दिसंबर को हुई। जस्टिस सूर्यकांत: एफिडेविट का वह हिस्सा पढ़ें, जिसमें यह बताया गया है कि आपने उन्हें अस्पताल में स्थानांतरित करने के लिए क्या प्रयास किए हैं। पंजाब AG: एफिडेविट पढ़ते हुए कहा कि डल्लेवाल ने अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करना किसानों के विरोध के उद्देश्य को कम आंकना होगा। जस्टिस सूर्यकांत: आप जो पढ़ रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि आप उनकी मांग का समर्थन कर रहे हैं। हमने सभी को आश्वस्त किया है कि हम इन मुद्दों को उठाएंगे, तो यह समस्या क्यों है कि वह अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहते। पंजाब AG: एफिडेविट में कहा गया है कि अगर डल्लेवाल को वहां से हटाने की कोशिश की जाती है, तो जीवन का नुकसान हो सकता है। जस्टिस सूर्यकांत: यह स्थिति किसने होने दी? पंजाब AG: कृपया देखिए, पूरी साइट किसानों ने घेर ली है। जस्टिस सूर्यकांत: यह स्थिति किसने होने दी? जस्टिस सूर्यकांत: अगर यह आंदोलन अपनी मांगों को लोकतांत्रिक तरीके से उठाने के लिए है, तो यह समझ में आता है, लेकिन किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने के लिए आंदोलन करना कभी नहीं सुना गया। जस्टिस धूलिया: यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। जस्टिस धूलिया: पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते? जस्टिस सूर्यकांत: क्या आप चाहते हैं कि हम आपका बयान दर्ज करें कि आप असमर्थ हैं? जस्टिस सूर्यकांत: आप डरावनी स्थिति को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। हम सिर्फ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि समाधान क्या है। पंजाब डीजीपी: हमने पहले ही उन्हें अस्पताल ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अच्छे-बुरे पहलू को देख रहे हैं। उन्हें वहां से हटाने के बाद की स्थिति का आकलन करना जरूरी है। जस्टिस सूर्यकांत: अगर किसी कानूनी कार्रवाई का विरोध हो रहा है, तो आपको उसका सामना करना होगा। अगर लोग मरीज को अस्पताल ले जाने का विरोध कर रहे हैं, तो हम नहीं कहेंगे कि इसे तुरंत करें, लेकिन अगर आपको लगता है कि विरोध हो रहा है और आपको केंद्र सरकार से कोई समर्थन चाहिए, तो हम निर्देश देंगे। हमें इसकी कंप्लायंस चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत: किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। कृपया उन्हें बताएं कि वह डॉक्टरी मदद के साथ अपना अनशन जारी रख सकते हैं। पंजाब के चीफ सेक्रेटरी: उन्हें वहां से हटाने पर नुकसान हो सकता है। जस्टिस सूर्यकांत: कृपया उन्हें (डल्लेवाल को) यह बताएं कि जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। पंजाब AG: अगर उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से अस्पताल ट्रांसफर नहीं किया गया तो दोनों पक्षों को नुकसान होगा। जस्टिस सूर्यकांत: क्या आपने कभी देखा है कि किसान नेता को अस्पताल शिफ्ट करने से रोका जाए? पंजाब AG: हम उनके विरोध के हिंसक रूप से प्रभावित नहीं है। ये या तो टकराव है या सामंजस्य, हमने उनका (डल्लेवाल) पत्र रखा है, जिसमें कहा गया है कि अगर केंद्र हस्तक्षेप करता है। जस्टिस सूर्यकांत: कोई पूर्व शर्त नहीं होगी… एक बार जब वह शिफ्ट हो जाएंगे, तब हम उनकी मांगों पर विचार करेंगे/कुछ करेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (हरियाणा सरकार के लिए): उनके स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था को लेकर हर दिन स्थिति और बिगड़ेगी। जस्टिस धूलिया: केंद्र सरकार इस स्थिति को शांत करने के लिए क्या कर रही है? इस व्यक्ति के लिए समय कम हो रहा है। जस्टिस धूलिया: DGP और मुख्य सचिव के हलफनामे से बिल्कुल असंतुष्ट हूं। क्यों नहीं आप कुछ करते?” तुषार मेहता: हमारे हस्तक्षेप से स्थिति और बिगड़ सकती है। जस्टिस सूर्यकांत: हम केंद्र को लॉजिस्टिक समर्थन देने का निर्देश दे रहे हैं। पंजाब चीफ सेक्रेटरी: हम यह बताना चाहते हैं कि डल्लेवाल एक कैंसर रोगी भी हैं। तुषार मेहता: किसान नेता उनके पक्ष में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत: हमने एक समिति का गठन किया है. पंजाब AG: केंद्र सरकार हस्तक्षेप क्यों नहीं कर सकती, जो इन सभी मांगों के खिलाफ है? पंजाब AG: हमें पता है कि उन्हें शिफ्ट करना हानिकारक होगा, इसलिए हम अस्पताल को उनके पास लाए हैं। मुख्य समस्या उनकी भूख हड़ताल है, बाकी सब कुछ ठीक है। जस्टिस सूर्यकांत: क्या आपको नहीं लगता कि भूख हड़ताल गंभीर है? पंजाब AG: हमने उन्हें ड्रिप देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हमने न्यूट्रिशन पैच भी लगाया। जस्टिस सूर्यकांत: आप केवल प्रारंभिक चिकित्सा सहायता ही प्रदान कर सकते हैं। पंजाब AG: राज्य के पास विकल्प बहुत सीमित हैं, हम एक जीवन को बचा नहीं सकते और 4 खो सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत: आप कहते हैं कि वे किसान नेता हैं। किस तरह के नेता हैं। क्या आप चाहते हैं कि हम यह न्यायिक आदेशों में कहें? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाना शुरू किया… जस्टिस सूर्यकांत: हम इस मामले में पंजाब के लोगों के साथ हैं। हमारा केवल यही उद्देश्य है कि किसान नेता की जान बचाई जाए। आदेश: हम जो देखना चाहते हैं वह केवल यह है कि हम पंजाब सरकार के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करने के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। विशेष रूप से 20 दिसंबर के आदेश के संदर्भ में। इस आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम आगे की कार्रवाई के लिए और अधिक समय देने के पक्ष में हैं। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगर पंजाब को किसी सहायता की आवश्यकता हो तो हम केंद्र सरकार को लॉजिस्टिक समर्थन प्रदान करने का निर्देश देते हैं ताकि आदेश को लागू किया जा सके। जस्टिस धूलिया: हम अवमानना का मामला सुन रहे हैं, क्यों न हम इन 2 अधिकारियों (पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी) के खिलाफ आरोप तय करें? सुप्रीम कोर्ट: हम इस मामले को 31 दिसंबर को सुनेंगे। उधर, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि सरकारी एवं प्राइवेट डॉक्टरों की टीम ने डल्लेवाल के कीटोन बॉडी टेस्ट की रिपोर्ट किसान नेताओं को सौंपी है। दोनों रिपोर्ट्स में डल्लेवाल के कीटोन बॉडी रिजल्ट्स बहुत ज्यादा हैं। प्राइवेट डॉक्टरों की रिपोर्ट में 6.8 और सरकारी डॉक्टरों की रिपोर्ट में 5.8 है, जो बहुत चिंताजनक है। रिपोर्ट्स ने साफ कर दिया है कि डल्लेवाल का शरीर ही शरीर को अंदर से खा रहा है। डल्लेवाल की टेस्ट रिपोर्ट… पहले भी 3 सुनवाई में सख्त रुख दिखा चुका सुप्रीम कोर्ट 17 दिसंबर को कहा– पंजाब सरकार को हालात संभालने होंगे
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। ढिलाई नहीं बरती जा सकती। आपको हालात संभालने होंगे। 18 दिसंबर को कहा– बिना टेस्ट के कौन उन्हें ठीक बता रहा
इस सुनवाई में पंजाब सरकार ने दावा किया कि डल्लेवाल की तबीयत ठीक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है? आप कैसे कह सकते हैं डल्लेवाल ठीक हैं? जब उनकी कोई जांच नहीं हुई, ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, ECG नहीं हुई। 19 दिसंबर को कहा– अधिकारी अस्पताल में भर्ती करने पर निर्णय लें
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट में क्यों नहीं कराती है। यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिर स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है। यदि उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है तो अधिकारी निर्णय लेंगे। डल्लेवाल ने अन्न के बाद पानी भी छोड़ा, उल्टियां हो रहीं
70 साल की उम्र में जगजीत डल्लेवाल के आमरण अनशन को 33वां दिन है। उन्होंने पहले अन्न खाना छोड़ा, अब उल्टियां होने की वजह से पानी पीना भी बंद कर दिया। उनका ब्लड प्रेशर 88/59 हो चुका है। 60 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष का सामान्य ब्लड प्रेशर 133/69 सही माना जाता है। डल्लेवाल की इम्यूनिटी भी काफी कमजोर हो चुकी है। उन्हें इन्फेक्शन का खतरा है। वह खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन की स्टेज पर भी नहीं आ रहे। हिसार में कल खाप महापंचायत
हरियाणा की खाप पंचायतों ने किसानों की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने हरियाणा–पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को सही ठहराते हुए 29 दिसंबर को हिसार में खाप महापंचायत बुलाई है। 30 को पंजाब में किसान ट्रेन और बसें रोकेंगे
आंदोलन की अगुआई कर रहे किसान संगठन किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की तरफ से 30 दिसंबर को पंजाब बंद की कॉल दी गई है। इस दौरान सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बस-ट्रेनें बंद कराई जाएंगी। इस दौरान सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थान भी बंद कराए जाएंगे। *********************** ये खबर भी पढ़ें :- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- डल्लेवाल की जिंदगी हमारी प्राथमिकता, सरकार गंभीरता से ले सुप्रीम कोर्ट ने आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की सेहत को लेकर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि किसी की जिंदगी दांव पर है, पंजाब सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा। कोर्ट की पहली प्राथमिकता उनकी जिंदगी है। पढ़ें पूरी खबर

केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को सीएम मान का खत:5 पाइंट्स में रखी बात; कहा- झगड़ों में ठेकेदारों की गलती, भूमी अधिग्रहण का कार्य जारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को सीएम मान का खत:5 पाइंट्स में रखी बात; कहा- झगड़ों में ठेकेदारों की गलती, भूमी अधिग्रहण का कार्य जारी पंजाब में चल रहे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट्स को लेकर केंद्र व राज्य के बीच चल रहा विवाद बढ़ता जा रहा है। आज मंगवार सीएम भगवंत मान ने भी एक खत केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी की नाराजगी के जवाब में लिख दिया। जिसमें उन्होंने ने केंद्र को सहयोग का विश्वास दिलाते हुए स्पष्ट किया कि दो दर्ज FIR में ठेकेदारों की गलतियां सामने आई हैं। सीएम भगवंत मान ने दो पन्नों के इस खत को 5 पॉइंट्स में अपनी बात रखी। जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री गड़करी की तरफ से लगाए गए आरोपों का जवाब भी दिया और प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी के बारे में भी बता दिया। गौरतलब है कि तीन दिन पहले ही नितिन गड़करी ने मुख्यमंत्री को खत लिख कर NHAI के प्रोजेक्ट्स को लेकर नाराजगी जताई थी। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की ओर से लिखे गए इस पत्र में NHAI अफसरों और ठेकेदारों की सुरक्षा के लिए AAP सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए गए थे। गड़करी ने यह भी लिखा कि अगर पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति नहीं सुधरती और अफसरों-ठेकेदारों के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहीं तो केंद्र सरकार पंजाब में NHAI से जुड़े प्रोजेक्ट्स बंद करने को मजबूर हो जाएगा। पंजाब में इस समय NHAI के 293KM लंबे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं जिनकी लागत 14,288 करोड़ रुपए है। पढ़ें, सीएम मान ने केंद्रीय मंत्री को लिखे खत में क्या कहा- 1. सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि हम देश और राज्य दोनों के लिए एनएचएआई परियोजनाओं के महत्व को पूरी तरह से समझते हैं और हम इन परियोजनाओं के त्वरित निष्पादन के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित मामलों में एनएचएआई को सक्रिय रूप से समर्थन दे रही है। यही कारण है कि कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश एन.एच.ए.आई राज्य में परियोजनाएं पटरी पर हैं। 2. आपके द्वारा संदर्भित दोनों मामलों में, स्थानीय पुलिस ने तुरंत कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की। इसके अलावा इन दोनों मामलों में गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। हालांकि, जांच में यह पाया गया कि एक घटना एनएचएआई ठेकेदार द्वारा भूमि की अत्यधिक खुदाई का परिणाम थी। दूसरी घटना ठेकेदार द्वारा अपने उप-ठेकेदार को वित्तीय बकाया का भुगतान न करने का परिणाम थी। इस प्रकार, दोनों मामले ठेकेदार के कारण जिम्मेदार कारणों से उत्पन्न हुए। विशेष DGP (कानून एवं व्यवस्था) की विस्तृत रिपोर्ट इसके साथ संलग्न है। इन सबके बावजूद, पंजाब पुलिस बेहतरीन बलों में से एक होने के नाते एनएचएआई की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय पुलिस को कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्र में गश्ती दल तैनात करने का निर्देश दिया गया है। 3. जहां तक भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों का सवाल है, तो आपको ऐसा करना ही होगा। इस बात की सराहना करें कि राज्य के किसान अपनी भूमि से गहराई से जुड़े हुए हैं, क्योंकि यह उनकी बेशकीमती संपत्ति है और उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। इसके अलावा, पंजाब में जमीन की कीमतें ऊंचे स्तर पर हैं। यदि हमारे किसानों को लगता है कि मुआवजा पर्याप्त नहीं है तो वे अपनी जमीनें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें किसान मध्यस्थों द्वारा दिए गए पैसों से संतुष्ट थे और निर्धारित दरों पर अपनी जमीन का कब्जा एनएचएआई को सौंपने को तैयार थे। हालाँकि, एनएचएआई मध्यस्थ के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया या फैसले को स्वीकार करने में अत्यधिक लंबा समय लिया। इससे अधिग्रहण प्रक्रिया में देरी हुई। इसी तरह, ऐसे कई मामले हैं जिनमें जमीन का कब्जा एनएचएआई को दे दिया गया, लेकिन एनएचएआई के ठेकेदारों ने अपनी मशीनरी जुटाने और काम शुरू करने में काफी समय लगा दिया। बीच में किसान फिर से जमीन पर खेती करने लगे। एक बार जब राज्य के अधिकारियों ने भूमि का कब्ज़ा एनएचएआई को दे दिया है, तो कब्ज़ा बनाए रखना एनएचएआई या उसके ठेकेदारों का कर्तव्य है। 4. मेरे निर्देश पर, मुख्य सचिव पहले से ही एनएचएआई के सामने आने वाली बाधाओं को हल करने के लिए उपायुक्तों और आरओ एनएचएआई के साथ नियमित समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। इसके अलावा, मैं व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर किसानों के साथ जुड़ने की योजना बना रहा हूं। 5. अंत में, मैं फिर से यह उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारी सरकार एनएचएआई को उसके प्रयासों में समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है और हम देश और राज्य की प्रगति के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं। मुख्यमंत्री मान की तरफ से भेजा गया लैटर- बीते दिन ही गवर्नर ने NHAI अधिकारियों से की थी बात ये मामला तब बढ़ा जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ पंजाब के नए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने मुलाकात की। उन्होंने फिलहाल पंजाब सरकार को तो इन मामलों में कुछ नहीं कहा, लेकिन स्पष्ट किया कि हर तीन महीने में वे इस तरह की बैठकें करेंगे। जिसमें वे पंजाब में चल रहे केंद्र के प्रोजेक्ट्स की विस्तृत जानकारियां हासिल करेंगे। जानें क्या कहा था केंद्रीय मंत्री ने नितिन गडकरी ने गडकरी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र में लिख कर राज्य में चल रहे प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था- मुझे दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट पर हाल में हुई दो अलग-अलग घटनाओं के बारे में पता चला। इस प्रोजेक्ट का जो हिस्सा जालंधर जिले में आता है, वहां काम कर रहे एक ठेकेदार के इंजीनियर को बेरहमी से पीटा गया। मैं इससे जुड़ी तस्वीर भी भेज रहा हूं। इस घटना के संबंध में FIR दर्ज की गई लेकिन अपराधियों पर सख्त एक्शन नहीं लिया गया। गडकरी ने अपने पत्र में जिस दूसरी घटना का जिक्र किया है, वह लुधियाना जिले में हुई थी। यहां दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट के ठेकेदार के कैंप पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने कैंप में मौजूद इंजीनियरों-कर्मचारियों को जिंदा जलाने की धमकी दी। इस मामले में NHAI के अधिकारियों ने लिखित शिकायत दी मगर पुलिस ने न तो FIR दर्ज नहीं की और न हमला करने वाले बदमाशों को पकड़ा। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री ने इन मामलों में तुरंत कार्रवाई का अनुरोध किया था। प्रोजेक्ट बंद करने का अल्टीमेटम गडकरी ने अपने लेटर में लिखा- मेरी जानकारी में आया है कि पंजाब में स्थिति और खराब हो रही है। सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई इसलिए कई ठेकेदार काम करने से इनकार कर रहे हैं। इसी तरह की घटनाओं के चलते केंद्र को पंजाब में पहले भी 104 किलोमीटर के प्रोजेक्ट बंद करने पड़े थे। उन प्रोजेक्ट की कुल लागत 3263 करोड़ थी। अगर अभी भी पंजाब सरकार की ओर से NHAI के काम में अड़चने खड़ी कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो राज्य में 293KM लंबे प्रोजेक्ट्स बन करने पड़ेंगे। दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट 14288 करोड़ का है। अगर इसे बंद करना पड़ा तो यह कॉरिडोर किसी काम का नहीं रहेगा।
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अमेरिका से डिपोर्ट पर AAP ने केंद्र को घेरा:मंत्री अमन अरोड़ा बोले- 33 गुजरात के नागरिक, प्लेन अमृतसर में क्यों उतारा
अमेरिका से डिपोर्ट पर AAP ने केंद्र को घेरा:मंत्री अमन अरोड़ा बोले- 33 गुजरात के नागरिक, प्लेन अमृतसर में क्यों उतारा अमेरिका द्वारा 104 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट कर मंगलवार को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतारा गया। डिपोर्ट किए गए इन नागरिकों में पंजाब से 31, हरियाणा 35, गुजरात से 33, यूपी-3 और महाराष्ट्र से 2 लोग शामिल थे। इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया कि जब डिपोर्ट किए गए लोग पूरे देश से थे, तो विमान को सिर्फ अमृतसर में ही क्यों उतारा गया। पार्टी के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हमेशा पंजाब के साथ भेदभाव किया है और इस विमान को अमृतसर में उतार कर पंजाबियों की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। मंत्री अमन अरोड़ा ने यह भी कहा कि अगर यह विमान दिल्ली या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतारा जाता, तो यह केंद्र सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बनता, क्योंकि सरकार अमेरिका के साथ अपने अच्छे संबंधों का दावा करती है। उन्होंने कहा कि अमृतसर को चुनकर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि पंजाब के लोग ही मुख्य रूप से अवैध इमिग्रेशन में शामिल हैं, जिससे राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पंजाब के खिलाफ नेरेटिव तैयार करने का आरोप अरोड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पंजाब के खिलाफ एक नकारात्मक नेरेटिव तैयार करने की कोशिश कर रही है। यह सिर्फ एक विमान उतरने का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है, जिसमें पंजाब को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। अगर सरकार के इरादे साफ होते तो यह विमान दिल्ली, मुंबई या किसी अन्य प्रमुख हवाई अड्डे पर भी उतर सकता था। केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार फिलहाल, केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लैंडिंग फैसले अक्सर लॉजिस्टिक्स और एयर ट्रैफिक के आधार पर लिए जाते हैं, लेकिन AAP के आरोपों ने इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है। डिपोर्ट किए गए लोगों की स्थिति अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद सभी 104 भारतीय नागरिकों को इमिग्रेशन और कस्टम्स प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इनमें से कई लोगों ने बताया कि वे अमेरिका में बेहतर भविष्य की तलाश में गए थे, लेकिन वीजा संबंधी समस्याओं के कारण उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया। कुछ परिवारों ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए भारी कर्ज लिया था और अब वे गहरे संकट में हैं।