मनाली में फागली उत्सव पर 42 दिनों के स्वर्ग प्रवास के बाद देवता गौतम ऋषि की वापसी हुई है। मकर संक्रांति पर देवता की मूर्ति पर लगाई गई मिट्टी का लेप आज हटाया गया। रविवार के दिन फागली के दौरान घाटी के हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था के इस अवसर पर मंदिर पहुंचकर देवताओं का आशीर्वाद लिया। देवता के कारदार हरि सिंह के अनुसार, मिट्टी से मिले संकेतों में कंकड़ का निकलना बाढ़ की चेतावनी है। पीले रंग की मिट्टी से धार्मिक कार्यों में वृद्धि का संकेत मिला है। मिट्टी में बाल निकलने से जान-माल की हानि की आशंका जताई गई है। मनाली घाटी के नौ गांवों के हजारों ग्रामीणों ने देवता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इन गांवों में गोशाल, कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ और मझाच शामिल हैं। देव प्रतिबंध हटने के बाद अब ग्रामीण रेडियो-टीवी चला सकेंगे और खेतों में खुदाई कर सकेंगे। क्या है मान्यता स्थानीय मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी से घाटी के देवता तपस्या में लीन हो जाते हैं। इस दौरान नौ गांवों में शोर-शराबा, गाना-बजाना और मिट्टी खोदाई पर रोक रहती है। ग्रामीण मोबाइल भी साइलेंट मोड पर रखते हैं। यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसका आज तक ग्रामीण देव प्रतिबंध में बंधते हुए पालन कर रहे हैं। क्या हैं मिट्टी के लेप के संकेत मिट्टी के लेप में अगर बाल निकलें तो जान मॉल का नुकसान होता है, अगर राख और कोयला निकले तो आगजनी की घटनाएं, फूल पत्ते निकले तो फसलें अधिक होंगी। अगर कंकड़ पत्थर निकलें तो बाढ़ की निशानी है और अगर कुमकुम और पीले रंग की मिट्टी निकले तो धार्मिक और देव कार्य ज्यादा होंगे । देवता गौतम ऋषि के कारदार के अनुसार ग्रामीण सदियों से इस परम्परा का निर्वहन करते आ रहे हैं और देवता द्वारा की गई भविष्यवाणियां हमेशा सच हुई हैं। लोगों की इसी आस्था के चलते देवताओं के स्वर्ग प्रवास के दौरान दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन यहां पहुंचते हैं। मनाली में फागली उत्सव पर 42 दिनों के स्वर्ग प्रवास के बाद देवता गौतम ऋषि की वापसी हुई है। मकर संक्रांति पर देवता की मूर्ति पर लगाई गई मिट्टी का लेप आज हटाया गया। रविवार के दिन फागली के दौरान घाटी के हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था के इस अवसर पर मंदिर पहुंचकर देवताओं का आशीर्वाद लिया। देवता के कारदार हरि सिंह के अनुसार, मिट्टी से मिले संकेतों में कंकड़ का निकलना बाढ़ की चेतावनी है। पीले रंग की मिट्टी से धार्मिक कार्यों में वृद्धि का संकेत मिला है। मिट्टी में बाल निकलने से जान-माल की हानि की आशंका जताई गई है। मनाली घाटी के नौ गांवों के हजारों ग्रामीणों ने देवता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इन गांवों में गोशाल, कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ और मझाच शामिल हैं। देव प्रतिबंध हटने के बाद अब ग्रामीण रेडियो-टीवी चला सकेंगे और खेतों में खुदाई कर सकेंगे। क्या है मान्यता स्थानीय मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी से घाटी के देवता तपस्या में लीन हो जाते हैं। इस दौरान नौ गांवों में शोर-शराबा, गाना-बजाना और मिट्टी खोदाई पर रोक रहती है। ग्रामीण मोबाइल भी साइलेंट मोड पर रखते हैं। यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसका आज तक ग्रामीण देव प्रतिबंध में बंधते हुए पालन कर रहे हैं। क्या हैं मिट्टी के लेप के संकेत मिट्टी के लेप में अगर बाल निकलें तो जान मॉल का नुकसान होता है, अगर राख और कोयला निकले तो आगजनी की घटनाएं, फूल पत्ते निकले तो फसलें अधिक होंगी। अगर कंकड़ पत्थर निकलें तो बाढ़ की निशानी है और अगर कुमकुम और पीले रंग की मिट्टी निकले तो धार्मिक और देव कार्य ज्यादा होंगे । देवता गौतम ऋषि के कारदार के अनुसार ग्रामीण सदियों से इस परम्परा का निर्वहन करते आ रहे हैं और देवता द्वारा की गई भविष्यवाणियां हमेशा सच हुई हैं। लोगों की इसी आस्था के चलते देवताओं के स्वर्ग प्रवास के दौरान दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन यहां पहुंचते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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