लोक निर्माण विभाग में ठेका देने में अनियमितताओं के चलते भ्रष्टाचार के आरोपों में तीन अभियंताओं को पद से हटा दिया गया है। इनमें दो अधीक्षण अभियंता और एक मुख्य अभियंता शामिल हैं। इन सभी को प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। विभाग में भ्रष्टाचार का आलम तब है जब यह विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। टेंडर मैनेज करने का आरोप सूत्रों के अनुसार, देवीपाटन मंडल में लंबे समय से ठेके देने में अनियमितताएं हो रही थीं। तय दर से कम पर टेंडर डलवाकर कुछ अभियंता अपने पसंदीदा ठेकेदारों को टेंडर दिलवा रहे थे। इस मामले में बहराइच के एमएलसी पद्मसेन चौधरी ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने पहले मुख्य अभियंता अवधेश चौरसिया और अधिशासी अभियंता भगवान दास से भी बातचीत की थी, लेकिन दोनों ने शासन पर आरोप मढ़ते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई जब यह मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचा, तो उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद मुख्य अभियंता अवधेश चौरसिया, अधिशासी अभियंता भगवान दास और गोंडा वृत्त के अधीक्षण अभियंता लाल जी को पद से हटा दिया गया और प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। नए अभियंताओं की तैनाती इसके अतिरिक्त, प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध अजय भास्कर को बहराइच-श्रावस्ती सर्किल में तैनात किया गया है। मुख्य अभियंता अखिलेश कुमार को पीएमजीएसवाई मेरठ से देवीपाटन गोंडा क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है। अधीक्षण अभियंता 39वां वृत्त योगेंद्र सिंह को गोंडा वृत्त में तैनात किया गया है। अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई यह देवीपाटन मंडल में लोक निर्माण विभाग के इतिहास में भ्रष्टाचार पर की गई सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। आरोपित अभियंता ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर मैनेज कर रहे थे। शिकायत के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की गई जांच में इस अनियमितता की पुष्टि हुई, जिसके बाद कठोर कार्रवाई की गई। प्रहरी पोर्टल के जरिए खेल लोक निर्माण विभाग में दस लाख रुपए से ज्यादा के कामों के लिए ऑनलाइन टेंडर किए जाने की व्यवस्था है। दो करोड़ तक के काम के लिए निकाले जाने वाली टेंडर कमेटी के अध्यक्ष अधीक्षण अभियंता होते हैं। इससे ज्यादा रकम के कामों की टेंडर कमेटी के अध्यक्ष मुख्य अभियंता होते हैं। चहेती फर्म के इतर अन्य फर्मों को रेस से बाहर करने के लिए लोक निर्माण विभाग के प्रहरी पोर्टल का सहारा लिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक फर्मों के विरुद्ध शिकायतें करवाई जातीं और उन्हें कमेटी के अध्यक्ष की स्वीकृति मिलते ही फर्म टेंडर से बाहर हो जाती हैं। सूत्र बताते हैं कि अन्य जगहों पर टेंडर के खेल की जांच के साथ ही लोक निर्माण विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय की प्रहरी कमेटी की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है। माना जा रहा है कि इस कमेटी के एक-दो लोग भी टेंडर प्रबंधन के इस खेल में शामिल हैं। प्रहरी ऐप की शिकायत ठेकेदार संघ के अध्यक्ष शरद सिंह ने मुख्यमंत्री से प्रहरी ऐप के जरिए टेंडर मैनेजमेंट में अनियमितताओं की शिकायत की है। उन्होंने कई जिलों में टेंडर मैनेजमेंट के खेल की स्वतंत्र जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रहरी ऐप की मॉनिटरिंग करने वाली टीम अपने चहेतों को टेंडर दिलाने का काम कर रही है। रिटायर अफसर चला रहा विभाग टेंडर मैनेजमेंट के इस खेल में लोक निर्माण विभाग मुख्यालय के एक रिटायर अफसर के शामिल होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, उक्त सेवा निवृत्त अफसर खुद को प्रमुख सचिव से भी ऊपर मानता है और उसकी सलाह से ही विभाग में ट्रांसफर, पोस्टिंग और टेंडर मैनेजमेंट का काम किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, एक जिले में लगभग 100 करोड़ रुपये का काम बिना टेंडर कराए ही एक फर्म को दे दिया गया है। इस मामले की भी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। सीएम के पास है पीडब्ल्यूडी, फिर भी भ्रष्टाचार जारी उत्तर प्रदेश का लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है। बावजूद इसके विभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि राज्य मंत्री और विभागाध्यक्ष की कोई नहीं सुनता। पूरा विभाग एक सेवा निवृत्त अफसर के इशारों पर चल रहा है। विभाग में चर्चा है कि उक्त अफसर मुख्यमंत्री को अपना करीबी बताकर सभी अधिकारियों को अर्दब में लेकर विभागीय निर्णयों में हस्तक्षेप करता है। लोक निर्माण विभाग में ठेका देने में अनियमितताओं के चलते भ्रष्टाचार के आरोपों में तीन अभियंताओं को पद से हटा दिया गया है। इनमें दो अधीक्षण अभियंता और एक मुख्य अभियंता शामिल हैं। इन सभी को प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। विभाग में भ्रष्टाचार का आलम तब है जब यह विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। टेंडर मैनेज करने का आरोप सूत्रों के अनुसार, देवीपाटन मंडल में लंबे समय से ठेके देने में अनियमितताएं हो रही थीं। तय दर से कम पर टेंडर डलवाकर कुछ अभियंता अपने पसंदीदा ठेकेदारों को टेंडर दिलवा रहे थे। इस मामले में बहराइच के एमएलसी पद्मसेन चौधरी ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने पहले मुख्य अभियंता अवधेश चौरसिया और अधिशासी अभियंता भगवान दास से भी बातचीत की थी, लेकिन दोनों ने शासन पर आरोप मढ़ते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई जब यह मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचा, तो उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद मुख्य अभियंता अवधेश चौरसिया, अधिशासी अभियंता भगवान दास और गोंडा वृत्त के अधीक्षण अभियंता लाल जी को पद से हटा दिया गया और प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। नए अभियंताओं की तैनाती इसके अतिरिक्त, प्रमुख अभियंता कार्यालय से संबद्ध अजय भास्कर को बहराइच-श्रावस्ती सर्किल में तैनात किया गया है। मुख्य अभियंता अखिलेश कुमार को पीएमजीएसवाई मेरठ से देवीपाटन गोंडा क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है। अधीक्षण अभियंता 39वां वृत्त योगेंद्र सिंह को गोंडा वृत्त में तैनात किया गया है। अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई यह देवीपाटन मंडल में लोक निर्माण विभाग के इतिहास में भ्रष्टाचार पर की गई सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। आरोपित अभियंता ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर मैनेज कर रहे थे। शिकायत के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की गई जांच में इस अनियमितता की पुष्टि हुई, जिसके बाद कठोर कार्रवाई की गई। प्रहरी पोर्टल के जरिए खेल लोक निर्माण विभाग में दस लाख रुपए से ज्यादा के कामों के लिए ऑनलाइन टेंडर किए जाने की व्यवस्था है। दो करोड़ तक के काम के लिए निकाले जाने वाली टेंडर कमेटी के अध्यक्ष अधीक्षण अभियंता होते हैं। इससे ज्यादा रकम के कामों की टेंडर कमेटी के अध्यक्ष मुख्य अभियंता होते हैं। चहेती फर्म के इतर अन्य फर्मों को रेस से बाहर करने के लिए लोक निर्माण विभाग के प्रहरी पोर्टल का सहारा लिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक फर्मों के विरुद्ध शिकायतें करवाई जातीं और उन्हें कमेटी के अध्यक्ष की स्वीकृति मिलते ही फर्म टेंडर से बाहर हो जाती हैं। सूत्र बताते हैं कि अन्य जगहों पर टेंडर के खेल की जांच के साथ ही लोक निर्माण विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय की प्रहरी कमेटी की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है। माना जा रहा है कि इस कमेटी के एक-दो लोग भी टेंडर प्रबंधन के इस खेल में शामिल हैं। प्रहरी ऐप की शिकायत ठेकेदार संघ के अध्यक्ष शरद सिंह ने मुख्यमंत्री से प्रहरी ऐप के जरिए टेंडर मैनेजमेंट में अनियमितताओं की शिकायत की है। उन्होंने कई जिलों में टेंडर मैनेजमेंट के खेल की स्वतंत्र जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रहरी ऐप की मॉनिटरिंग करने वाली टीम अपने चहेतों को टेंडर दिलाने का काम कर रही है। रिटायर अफसर चला रहा विभाग टेंडर मैनेजमेंट के इस खेल में लोक निर्माण विभाग मुख्यालय के एक रिटायर अफसर के शामिल होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, उक्त सेवा निवृत्त अफसर खुद को प्रमुख सचिव से भी ऊपर मानता है और उसकी सलाह से ही विभाग में ट्रांसफर, पोस्टिंग और टेंडर मैनेजमेंट का काम किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, एक जिले में लगभग 100 करोड़ रुपये का काम बिना टेंडर कराए ही एक फर्म को दे दिया गया है। इस मामले की भी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। सीएम के पास है पीडब्ल्यूडी, फिर भी भ्रष्टाचार जारी उत्तर प्रदेश का लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है। बावजूद इसके विभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि राज्य मंत्री और विभागाध्यक्ष की कोई नहीं सुनता। पूरा विभाग एक सेवा निवृत्त अफसर के इशारों पर चल रहा है। विभाग में चर्चा है कि उक्त अफसर मुख्यमंत्री को अपना करीबी बताकर सभी अधिकारियों को अर्दब में लेकर विभागीय निर्णयों में हस्तक्षेप करता है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
PWD में तीन इंजिनियरों पर टेंडर मैनेज करने का आरोप:एमएलसी की शिकायत के बाद देवीपाटन मंडल के तीन अभियंता मुख्यालय से संबद्ध
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