यूपी में भाजपा 25% महिलाओं-दलितों को जिलाध्यक्ष बनाएगी:हाईकमान का फरमान; पंचायत और विधानसभा चुनाव के लिए बदला समीकरण

यूपी में भाजपा 25% महिलाओं-दलितों को जिलाध्यक्ष बनाएगी:हाईकमान का फरमान; पंचायत और विधानसभा चुनाव के लिए बदला समीकरण

यूपी में भाजपा जिलाध्यक्षों की लिस्ट नए सियासी समीकरण में उलझ गई है। पंचायत चुनाव-2026 और विधानसभा चुनाव-2027 के लिए भाजपा महिलाओं और दलितों की भागीदारी बढ़ाएगी। पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने 98 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्षों में 25 फीसदी दलितों और महिलाओं को शामिल करने आदेश जारी किया है। अगड़े, पिछड़े, दलित और महिलाओं को साधने के लिए अब नए फॉर्मूले पर काम करना पड़ रहा है। यही वजह है कि जिलाध्यक्षों की सूची अटकी है। भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया, प्रदेश मुख्यालय ने करीब 70 जिलाध्यक्षों की फाइनल लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को 10 फरवरी को भेजी। लिस्ट देखने के बाद 12 फरवरी को केंद्रीय नेतृत्व ने दलित और महिलाओं की भागीदारी 4-4 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 12-13 फीसदी करने को कहा है। एससी और महिला वर्ग से कुल 25 जिलाध्यक्ष बनाने आवश्यकता जताई है। डेढ़ महीने में तैयार हुई थी 70 जिलाध्यक्षों की लिस्ट भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने करीब डेढ़ महीने की माथापच्ची के बाद 70 जिलाध्यक्षों की सूची तैयार की थी। शीर्ष नेतृत्व के फरमान के बाद चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह हर प्रदेश मुख्यालय में बैठ रहे हैं। सूची पर नए सिरे से मंथन कर रहे हैं। जिलों से आए पैनल में दलित-महिलाओं के ज्यादा नाम नहीं पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नए समीकरण से चुनाव अधिकारी महेंद्रनाथ पांडेय और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की चुनौती बढ़ गई है। जिलों से जो पैनल आए थे, उनमें महिला और दलितों के नाम ज्यादा नहीं थे। दोनों को प्रत्येक क्षेत्र में दलित और महिलाओं की संख्या बढ़ाने के साथ जातीय समीकरण भी साधने में ताकत लगानी पड़ रही है। हर क्षेत्र से योग्य दलित और महिलाओं के नाम मंगाने पड़ रहे हैं। पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसे जिलाध्यक्ष का चयन करना है, जो संगठन के कार्यक्रमों और अभियानों का संचालन करने के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी तालमेल बना सके। पहले सिर्फ 4 महिला और 4 दलित जिलाध्यक्ष थे 15 सितंबर 2023 को जारी सूची में 98 में से सिर्फ 4 जिलों में महिला जिलाध्यक्ष नियुक्त की गई थी। शाहजहांपुर महानगर में शिल्पी गुप्ता, जालौन में उर्जिता दीक्षित, प्रयागराज गंगापार कविता पटेल और मऊ में नूपुर अग्रवाल जिलाध्यक्ष हैं। महिला जिलाध्यक्षों की संख्या बढ़कर अब 10 से 12 तक हो सकती है। अनुसूचित जाति से सिर्फ चार जिलाध्यक्ष भाजपा में अभी अनुसूचित जाति से सिर्फ पांच जिलाध्यक्ष हैं। रायबरेली में बुद्धिलाल पासी, सोनभद्र में नंदलाल, सिद्धार्थनगर में कन्हैया पासवान और रामपुर में हंसराज जाटव सहित चार एससी वर्ग के जिलाध्यक्ष हैं। बीते दिनों समाज कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से मुलाकात कर कम से कम 18 जिलाध्यक्ष एससी वर्ग से बनाने का प्रस्ताव दिया था। उनका तर्क है कि 18 जिले एससी बहुल हैं, इसलिए वहां वर्ग से ही जिलाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। नए फॉर्मूले से अब दलित वर्ग के जिलाध्यक्षों की संख्या 10-13 तक हो सकती है। विधानसभा चुनाव के लिए बदला नियम राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट ने कहा, पार्टी की चिंता इसे लेकर है कि दलित वर्ग को उनकी आबादी और आरक्षण की तुलना में मंत्रिमंडल में उचित हिस्सेदारी नहीं है। ऐसे में यदि संगठन में भी दलितों को अपेक्षित अवसर नहीं दिया गया तो इससे विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि भाजपा ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद में पारित कराया है। अगले दो साल में उसे लागू भी करना है। पार्टी महिला वोट बैंक को साधने के लिए संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है। ताकि यह संदेश दिया जा सके कि सरकार ने जो एक्ट बनाया, उसे संगठन में भी लागू किया है। उनका कहना है कि दलित और महिला वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी नेतृत्व ने बीच में नियम बदला है। सपा के PDA तोड़ने में मदद मिलेगी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अखिलेश बाजपेयी का मानना है कि पार्टी में यदि दलितों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तो इसका सीधा फायदा पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव में होगा। भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह महिलाओं और दलितों को किसी भी दूसरे राजनीतिक दल की तुलना में अधिक अवसर दे रही है। 2014, 2017, 2019 और 2022 में बड़ी संख्या में दलित और महिला वोट बैंक भाजपा के साथ रहा है। लगातार भाजपा की जीत में इन दोनों वोट बैंक की भूमिका बड़ी रही है। सवा महीने बाद भी सूची का इंतजार भाजपा के जिलाध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया के लिए 5 जनवरी, 2025 को लखनऊ में कार्यशाला आयोजित हुई। 7 जनवरी से सभी पर्यवेक्षकों को नामांकन दाखिल कराने के लिए जिलों में भेजा गया। 10 जनवरी तक नामांकन दाखिल कराए जाने थे। सभी पर्यवेक्षकों को नामांकन की रिपोर्ट 11 जनवरी तक प्रदेश मुख्यालय में पेश करनी थी। 12 जनवरी से प्रदेश मुख्यालय पर जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर मंथन शुरू हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष जनवरी में लखनऊ आए थे। बीएल संतोष ने 15 जनवरी तक जिलाध्यक्षों की घोषणा करने का समय दिया था। करीब एक महीने 8 दिन का समय बीतने के बाद भी जिलाध्यक्षों की सूची का अता-पता नहीं है। भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची तैयार करने में शुरुआत से विलंब चल रहा है। जिलाध्यक्षों का पैनल 10 जनवरी तक प्रदेश नेतृत्व को मिल गया था। सूची पर प्रदेश में मंथन के लिए तीन दिन का समय निर्धारित था। उस पर मंथन करने में ही करीब एक महीने का समय लग गया। नतीजतन फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि आरक्षण को लेकर कोई पेंच नहीं फंसा है। भाजपा का संगठन सर्वव्यापी और सर्व स्पर्शी है। भाजपा समाज के सभी वर्गों में प्रतिनिधित्व है। लोकतांत्रिक तरीके से प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। फिर भी भागीदारी मिलना मुश्किल भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी का कहना है कि तमाम प्रयास के बाद भी एससी और दलितों को केंद्र की अपेक्षा अनुरूप कुल 25 फीसदी भागीदारी मिलना मुश्किल है। अब एक रास्ता निकाला जा रहा है कि दलित महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाया जाए, ताकि दलित और महिला दोनों का कोटा एक में ही पूरा हो जाए। इसके लिए दलित महिला चेहरों की तलाश की जा रही है। ऐसे में दलित विधायकों और पदाधिकारियों की लॉटरी लग सकती है। वह अपनी पत्नी, बहन, बेटी, बहू को मौका दिला सकते हैं। —————— ये खबर भी पढ़ें… आगरा पहुंचने पर अखिलेश ने योगी को याद दिलाया होमवर्क:CM बोले- टेक्नॉलॉजी से खो गए 28 हजार लोगों को घर वालों से मिलाया सीएम योगी आगरा में आयोजित यूनिकॉर्न कंपनीज के कॉन्क्लेव में पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमारे युवा जॉब क्रिएटर बनने पर फोकस करें। पहले यूपी में अवसर नहीं थे, लेकिन प्रतियोगी छात्रों ने आइडिया पर काम किया है। जो पहले टेक्नालॉजी में आगे थे, वह स्टार्टअप में भी आगे हैं। पढ़ें पूरी खबर यूपी में भाजपा जिलाध्यक्षों की लिस्ट नए सियासी समीकरण में उलझ गई है। पंचायत चुनाव-2026 और विधानसभा चुनाव-2027 के लिए भाजपा महिलाओं और दलितों की भागीदारी बढ़ाएगी। पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने 98 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्षों में 25 फीसदी दलितों और महिलाओं को शामिल करने आदेश जारी किया है। अगड़े, पिछड़े, दलित और महिलाओं को साधने के लिए अब नए फॉर्मूले पर काम करना पड़ रहा है। यही वजह है कि जिलाध्यक्षों की सूची अटकी है। भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया, प्रदेश मुख्यालय ने करीब 70 जिलाध्यक्षों की फाइनल लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को 10 फरवरी को भेजी। लिस्ट देखने के बाद 12 फरवरी को केंद्रीय नेतृत्व ने दलित और महिलाओं की भागीदारी 4-4 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 12-13 फीसदी करने को कहा है। एससी और महिला वर्ग से कुल 25 जिलाध्यक्ष बनाने आवश्यकता जताई है। डेढ़ महीने में तैयार हुई थी 70 जिलाध्यक्षों की लिस्ट भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने करीब डेढ़ महीने की माथापच्ची के बाद 70 जिलाध्यक्षों की सूची तैयार की थी। शीर्ष नेतृत्व के फरमान के बाद चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह हर प्रदेश मुख्यालय में बैठ रहे हैं। सूची पर नए सिरे से मंथन कर रहे हैं। जिलों से आए पैनल में दलित-महिलाओं के ज्यादा नाम नहीं पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नए समीकरण से चुनाव अधिकारी महेंद्रनाथ पांडेय और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की चुनौती बढ़ गई है। जिलों से जो पैनल आए थे, उनमें महिला और दलितों के नाम ज्यादा नहीं थे। दोनों को प्रत्येक क्षेत्र में दलित और महिलाओं की संख्या बढ़ाने के साथ जातीय समीकरण भी साधने में ताकत लगानी पड़ रही है। हर क्षेत्र से योग्य दलित और महिलाओं के नाम मंगाने पड़ रहे हैं। पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसे जिलाध्यक्ष का चयन करना है, जो संगठन के कार्यक्रमों और अभियानों का संचालन करने के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी तालमेल बना सके। पहले सिर्फ 4 महिला और 4 दलित जिलाध्यक्ष थे 15 सितंबर 2023 को जारी सूची में 98 में से सिर्फ 4 जिलों में महिला जिलाध्यक्ष नियुक्त की गई थी। शाहजहांपुर महानगर में शिल्पी गुप्ता, जालौन में उर्जिता दीक्षित, प्रयागराज गंगापार कविता पटेल और मऊ में नूपुर अग्रवाल जिलाध्यक्ष हैं। महिला जिलाध्यक्षों की संख्या बढ़कर अब 10 से 12 तक हो सकती है। अनुसूचित जाति से सिर्फ चार जिलाध्यक्ष भाजपा में अभी अनुसूचित जाति से सिर्फ पांच जिलाध्यक्ष हैं। रायबरेली में बुद्धिलाल पासी, सोनभद्र में नंदलाल, सिद्धार्थनगर में कन्हैया पासवान और रामपुर में हंसराज जाटव सहित चार एससी वर्ग के जिलाध्यक्ष हैं। बीते दिनों समाज कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से मुलाकात कर कम से कम 18 जिलाध्यक्ष एससी वर्ग से बनाने का प्रस्ताव दिया था। उनका तर्क है कि 18 जिले एससी बहुल हैं, इसलिए वहां वर्ग से ही जिलाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। नए फॉर्मूले से अब दलित वर्ग के जिलाध्यक्षों की संख्या 10-13 तक हो सकती है। विधानसभा चुनाव के लिए बदला नियम राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट ने कहा, पार्टी की चिंता इसे लेकर है कि दलित वर्ग को उनकी आबादी और आरक्षण की तुलना में मंत्रिमंडल में उचित हिस्सेदारी नहीं है। ऐसे में यदि संगठन में भी दलितों को अपेक्षित अवसर नहीं दिया गया तो इससे विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि भाजपा ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद में पारित कराया है। अगले दो साल में उसे लागू भी करना है। पार्टी महिला वोट बैंक को साधने के लिए संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है। ताकि यह संदेश दिया जा सके कि सरकार ने जो एक्ट बनाया, उसे संगठन में भी लागू किया है। उनका कहना है कि दलित और महिला वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी नेतृत्व ने बीच में नियम बदला है। सपा के PDA तोड़ने में मदद मिलेगी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अखिलेश बाजपेयी का मानना है कि पार्टी में यदि दलितों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तो इसका सीधा फायदा पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव में होगा। भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह महिलाओं और दलितों को किसी भी दूसरे राजनीतिक दल की तुलना में अधिक अवसर दे रही है। 2014, 2017, 2019 और 2022 में बड़ी संख्या में दलित और महिला वोट बैंक भाजपा के साथ रहा है। लगातार भाजपा की जीत में इन दोनों वोट बैंक की भूमिका बड़ी रही है। सवा महीने बाद भी सूची का इंतजार भाजपा के जिलाध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया के लिए 5 जनवरी, 2025 को लखनऊ में कार्यशाला आयोजित हुई। 7 जनवरी से सभी पर्यवेक्षकों को नामांकन दाखिल कराने के लिए जिलों में भेजा गया। 10 जनवरी तक नामांकन दाखिल कराए जाने थे। सभी पर्यवेक्षकों को नामांकन की रिपोर्ट 11 जनवरी तक प्रदेश मुख्यालय में पेश करनी थी। 12 जनवरी से प्रदेश मुख्यालय पर जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर मंथन शुरू हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष जनवरी में लखनऊ आए थे। बीएल संतोष ने 15 जनवरी तक जिलाध्यक्षों की घोषणा करने का समय दिया था। करीब एक महीने 8 दिन का समय बीतने के बाद भी जिलाध्यक्षों की सूची का अता-पता नहीं है। भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची तैयार करने में शुरुआत से विलंब चल रहा है। जिलाध्यक्षों का पैनल 10 जनवरी तक प्रदेश नेतृत्व को मिल गया था। सूची पर प्रदेश में मंथन के लिए तीन दिन का समय निर्धारित था। उस पर मंथन करने में ही करीब एक महीने का समय लग गया। नतीजतन फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि आरक्षण को लेकर कोई पेंच नहीं फंसा है। भाजपा का संगठन सर्वव्यापी और सर्व स्पर्शी है। भाजपा समाज के सभी वर्गों में प्रतिनिधित्व है। लोकतांत्रिक तरीके से प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। फिर भी भागीदारी मिलना मुश्किल भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी का कहना है कि तमाम प्रयास के बाद भी एससी और दलितों को केंद्र की अपेक्षा अनुरूप कुल 25 फीसदी भागीदारी मिलना मुश्किल है। अब एक रास्ता निकाला जा रहा है कि दलित महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाया जाए, ताकि दलित और महिला दोनों का कोटा एक में ही पूरा हो जाए। इसके लिए दलित महिला चेहरों की तलाश की जा रही है। ऐसे में दलित विधायकों और पदाधिकारियों की लॉटरी लग सकती है। वह अपनी पत्नी, बहन, बेटी, बहू को मौका दिला सकते हैं। —————— ये खबर भी पढ़ें… आगरा पहुंचने पर अखिलेश ने योगी को याद दिलाया होमवर्क:CM बोले- टेक्नॉलॉजी से खो गए 28 हजार लोगों को घर वालों से मिलाया सीएम योगी आगरा में आयोजित यूनिकॉर्न कंपनीज के कॉन्क्लेव में पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमारे युवा जॉब क्रिएटर बनने पर फोकस करें। पहले यूपी में अवसर नहीं थे, लेकिन प्रतियोगी छात्रों ने आइडिया पर काम किया है। जो पहले टेक्नालॉजी में आगे थे, वह स्टार्टअप में भी आगे हैं। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर