सोनीपत के बैंयापुर में सरपंच के रहते मेयर उपचुनाव:4500 वोटर उलझन में; पहले सरपंच चुना, अब मेयर चुनने को डालेंगे वोट

सोनीपत के बैंयापुर में सरपंच के रहते मेयर उपचुनाव:4500 वोटर उलझन में; पहले सरपंच चुना, अब मेयर चुनने को डालेंगे वोट

हरियाणा के सोनीपत जिले के बैंयापुर गांव में आज मेयर उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा है, लेकिन गांव के मतदाता असमंजस में हैं। गांव में पहले से पंचायती राज प्रणाली के तहत सरपंच और पंच मौजूद हैं, फिर भी मेयर चुनाव में वोटिंग के लिए पांच बूथ बनाए गए हैं। ग्रामीणों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर उनके गांव को कब नगर निगम में शामिल किया गया। क्योंकि वर्ष 2020 में हुए मेयर चुनाव में यहां मतदान नहीं हुआ था। बैंयापुर गांव के सरकारी स्कूल में चुनाव के लिए बूथ 228 से 232 तक बनाए गए हैं। सरपंच हिमाचल पहलवान का कहना है कि गांव में लगभग 4500 मतदाता हैं, लेकिन उन्हें निगम में शामिल किए जाने की कोई सूचना नहीं मिली। उन्होंने बताया कि शनिवार शाम को अचानक चुनाव अधिकारियों ने बूथ बनाए और वोटर स्लिप बांटने को कहा। अब गांव के लोग उलझन में हैं कि उनके क्षेत्र का विकास पंचायती राज से होगा या नगर निगम से होगा। नगर निगम और पंचायत दोनों का नियंत्रण आमतौर पर नगर निगम के अधिकार क्षेत्र वाले 23 गांवों में सरपंच और पंचों का चुनाव नहीं होता। इन गांवों की देखरेख नगर निगम करता है, और यहां पार्षद व मेयर के माध्यम से प्रशासन चलता है। लेकिन बैंयापुर एक अनोखी स्थिति में है, जहां पंचायती राज प्रणाली भी लागू है और अब नगर निगम चुनाव भी हो रहा है। बता दें कि पहले बैंयापुर को नगर निगम में शामिल किया गया था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते इसे फिर से पंचायती राज प्रणाली के तहत कर दिया गया था। 2020 में जब मेयर चुनाव हुए थे, तब गांव में वोटिंग नहीं हुई थी, लेकिन अब 2024 के इस चुनाव में अचानक मतदान कराया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के एक दूसरे के विरोधी बयान नगर निगम के संयुक्त आयुक्त नरेश कुमार का कहना है कि बैंयापुर में बनाए गए बूथ लहराड़ा और अन्य क्षेत्रों के वोटरों के लिए हैं। अगर गांव के मूल निवासियों को वोटर स्लिप दी गई हैं, तो यह गलती है। वहीं, जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. मनोज कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि गांव का क्षेत्र नगर निगम के अधीन आता है और मतदाताओं के नाम निगम की वोटर लिस्ट में हैं। पिछले साल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह सूची फाइनल की गई थी, तब किसी ने आपत्ति नहीं की थी। गांव के विकास को लेकर चिंता अब ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके गांव के विकास के लिए फंड पंचायती राज से मिलेगा या नगर निगम से। जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) जितेंद्र कुमार ने कहा कि गांव पंचायती राज प्रणाली के तहत आता है और पहले की तरह यहां विकास कार्यों के लिए फंड जारी होता रहा है। नगर निगम चुनाव पर मैं कुछ नहीं कह सकता, यह निगम के अधिकारी ही बता सकते हैं। मतदान जारी, लेकिन गांव में किसकी चौधर इस भ्रम की स्थिति के बावजूद बैंयापुर में मतदान जारी है। मतदाता अपना वोट तो डाल रहे हैं, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता कि उनके गांव पर किस प्रशासनिक निकाय का नियंत्रण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के बाद प्रशासन इस स्थिति को कैसे स्पष्ट करता है और गांव के विकास की जिम्मेदारी किसके हाथ में जाएगी। हरियाणा के सोनीपत जिले के बैंयापुर गांव में आज मेयर उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा है, लेकिन गांव के मतदाता असमंजस में हैं। गांव में पहले से पंचायती राज प्रणाली के तहत सरपंच और पंच मौजूद हैं, फिर भी मेयर चुनाव में वोटिंग के लिए पांच बूथ बनाए गए हैं। ग्रामीणों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर उनके गांव को कब नगर निगम में शामिल किया गया। क्योंकि वर्ष 2020 में हुए मेयर चुनाव में यहां मतदान नहीं हुआ था। बैंयापुर गांव के सरकारी स्कूल में चुनाव के लिए बूथ 228 से 232 तक बनाए गए हैं। सरपंच हिमाचल पहलवान का कहना है कि गांव में लगभग 4500 मतदाता हैं, लेकिन उन्हें निगम में शामिल किए जाने की कोई सूचना नहीं मिली। उन्होंने बताया कि शनिवार शाम को अचानक चुनाव अधिकारियों ने बूथ बनाए और वोटर स्लिप बांटने को कहा। अब गांव के लोग उलझन में हैं कि उनके क्षेत्र का विकास पंचायती राज से होगा या नगर निगम से होगा। नगर निगम और पंचायत दोनों का नियंत्रण आमतौर पर नगर निगम के अधिकार क्षेत्र वाले 23 गांवों में सरपंच और पंचों का चुनाव नहीं होता। इन गांवों की देखरेख नगर निगम करता है, और यहां पार्षद व मेयर के माध्यम से प्रशासन चलता है। लेकिन बैंयापुर एक अनोखी स्थिति में है, जहां पंचायती राज प्रणाली भी लागू है और अब नगर निगम चुनाव भी हो रहा है। बता दें कि पहले बैंयापुर को नगर निगम में शामिल किया गया था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते इसे फिर से पंचायती राज प्रणाली के तहत कर दिया गया था। 2020 में जब मेयर चुनाव हुए थे, तब गांव में वोटिंग नहीं हुई थी, लेकिन अब 2024 के इस चुनाव में अचानक मतदान कराया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के एक दूसरे के विरोधी बयान नगर निगम के संयुक्त आयुक्त नरेश कुमार का कहना है कि बैंयापुर में बनाए गए बूथ लहराड़ा और अन्य क्षेत्रों के वोटरों के लिए हैं। अगर गांव के मूल निवासियों को वोटर स्लिप दी गई हैं, तो यह गलती है। वहीं, जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. मनोज कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि गांव का क्षेत्र नगर निगम के अधीन आता है और मतदाताओं के नाम निगम की वोटर लिस्ट में हैं। पिछले साल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह सूची फाइनल की गई थी, तब किसी ने आपत्ति नहीं की थी। गांव के विकास को लेकर चिंता अब ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके गांव के विकास के लिए फंड पंचायती राज से मिलेगा या नगर निगम से। जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) जितेंद्र कुमार ने कहा कि गांव पंचायती राज प्रणाली के तहत आता है और पहले की तरह यहां विकास कार्यों के लिए फंड जारी होता रहा है। नगर निगम चुनाव पर मैं कुछ नहीं कह सकता, यह निगम के अधिकारी ही बता सकते हैं। मतदान जारी, लेकिन गांव में किसकी चौधर इस भ्रम की स्थिति के बावजूद बैंयापुर में मतदान जारी है। मतदाता अपना वोट तो डाल रहे हैं, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता कि उनके गांव पर किस प्रशासनिक निकाय का नियंत्रण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के बाद प्रशासन इस स्थिति को कैसे स्पष्ट करता है और गांव के विकास की जिम्मेदारी किसके हाथ में जाएगी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर