चेहरे के पीछे मुखौटा, हाथों में लाठी-बल्लम, एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर से निकलना। ये किसी डकैत गिरोह की कहानी नहीं, बल्कि बिजनौर के गांवों में तेंदुए का खौफ है। दिन में भी चौक-चौराहे और रास्ते सब वीरान पड़े हैं। बच्चे घरों में और जानवर बाड़े में कैद हैं। लोग खिड़की दरवाजे तक बंद रख रहे। गांवों को लोहे के जाल से कवर कर दिया है। फिर भी शाम ढलते ही जगह-जगह आग जलाई जा रही। कई गांवों में तेंदुओं का इतना आतंक है कि वहां कुत्ते तक नहीं बचे। दर्जनों गाय, भैंस और बकरी को शिकार बना चुके हैं। ये हालात धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील के दर्जनों गांवों के हैं। यहां ग्रामीणों का हर पल डर में बीत रहा है। दैनिक भास्कर एप की टीम तेंदुआ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। लोगों से वहां के हालात जानें, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले तेंदुए के हमले और उनके कारण पढ़िए… बिजनौर में 3 साल में 27 लोगों को खा चुका है तेंदुआ
बिजनौर हमेशा से तेंदुआ प्रभावित रहा है। 3 सालों में इनका आतंक ज्यादा बढ़ गया है। जिले में 1200 गांव हैं। धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित है। 3 साल में 27 लोगों को तेंदुआ खा चुका है। 100 से ज्यादा गंभीर घायल हुए हैं, जबकि 1000 से ज्यादा लोगों को हल्की चोट आई हैं। बात पिंजरों की करें तो, वन विभाग केवल उन गांवों में पिजड़े लगवा रहा है, जहां से तेंदुआ दिखने की खबर आती है। कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक पिंजरे नहीं लगे हैं। पूरे बिजनौर में अब तक केवल 100 पिंजरे ही लगाए गए। पढ़िए वो कारण, जिस वजह से 3 सालों में ज्यादा बढ़ा तेंदुए का आतंक तेंदुआ 10 किलोमीटर एरिया पर रखता है कब्जा
वन रेंजर महेश गौतम ने बताया, लैंड एरिया कम होने पर जानवर आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ते हैं, क्योंकि उनके रहने का स्थान कम हो जाता है। जो बड़े जानवर होते हैं उन्हें रहने के लिए ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है। अगर तेंदुआ अपने परिवार के साथ रहता है तो लगभग 10 किलोमीटर एरिया अपने कब्जे में रखता है। अकेला रहने पर 4 किलोमीटर का एरिया अपने कब्जे में रखता है। उस एरिया में वो किसी की भी उपस्थिति बर्दाश्त नहीं करता है। वन रेंजर ने यह भी बताया, 3 साल में तेंदुए ज्यादा इसलिए भी बढ़ें हैं क्योंकि मादा तेंदुए ने कई बच्चे दिए हैं। क्षेत्र में कई तेंदुए के बच्चे भी देखे गए हैं। तेंदुए के आबादी क्षेत्र में आने का एक कारण और है। अगर एक बार तेंदुए के मुंह में इंसान का खून लग जाता है तो वो आदमखोर बन जाता है। उसके बाद वो इंसान की महक सूंघते हुए आबादी क्षेत्र में आ जाता है। उन पर हमला करता है। अब पढ़िए ग्रामीणों से बातचीत… भास्कर की टीम बिजनौर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर चांदपुर तहसील के चौधेड़ी गांव पहुंची। यहां पला चला कि 26 फरवरी को तेंदुआ एक महिला को खा गया। सुमन खेत पर काम करके घर लौट रही थी, तभी तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। महिला का आधा शव घरवालों को मिला था। तेंदुआ पेट, गर्दन और चेहरे का मांस खा गया था। गांव में टीम की मुलाकात महिला के बेटे योगेश से हुई। उन्होंने बताया, मैं मां को खोजते हुए खेत में पहुंचा। देखा तो तेंदुआ मां को खा रहा था। उसके मुंह में मां की गर्दन थी। वो उनके दोनों पैर खा चुका था। मुझे देखते ही तेंदुआ भाग गया। चौधेड़ी गांव की आबादी लगभग 1000 हजार है। गांव के ज्यादातर लोग खेती-किसानी और मजदूरी करते हैं। जिस महिला (सुमन) को तेंदुए ने खाया था, उसका पति जयपाल मिस्त्री है। बेटा योगेश और बेटी अभी गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। पति-पत्नी मिलकर घर का खर्चा चलाते थे, लेकिन सुमन की मौत के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। गांव में सुमन की मौत के बाद वन विभाग ने 3 पिंजरे लगाए हैं। वन विभाग सही काम नहीं कर रहा- पूर्व प्रधान
गांव के पूर्व प्रधान नैन सिंह ने बताया, गांव में तेंदुए का आतंक है। स्कूल, खेत, रास्ते सब खाली पड़े हैं। हालत ये है कि ज्यादा पैसे लेकर भी मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं। इस पूरे मामले में वन विभाग सही से काम नहीं कर रहा। बस 3 पिंजरे लगाए गए हैं। 1 पिंजरा और लगना बचा है। बहुत ज्यादा डर का माहौल है। सबकी जान को खतरा है। सबसे ज्यादा मादा तेंदुआ हैं। वही बच्चों को जन्म दे रही हैं। तभी तेंदुए की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग या तो तेंदुआ पकड़े या फिर उसको मार दे। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो जान का खतरा
चांदपुर के चौधेड़ी गांव से निकल कर हम 12 किलोमीटर दूर पिलाना गांव पहुंचे। यहां की आबादी ज्यादा नहीं है। गांव में 6 महीने पहले एक किशोरी और एक महिला की तेंदुए के हमले से मौत हो गई थी। तेंदुए के बारे में पूछने पर एक ग्रामीण बोले, हम लोगों की जिंदगी हमेशा डर के साए में रहती है। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो तेंदुए से जान जाने का डर। मेरे सामने तेंदुआ पानी पी रहा था
इसके बाद टीम की मुलाकात गांव के प्रदीप त्यागी से हुई। प्रदीप खेती-किसानी करते हैं। उन्होंने बताया, हम लोग जान हथेली पर रखकर काम करने जाते हैं। तेंदुए हर जगह हैं। 10 दिन पहले की बात है। मैं फावड़ा लेकर खेत में पानी लगाने जा रहा था। तभी रास्ते में मुझे तेंदुआ पानी पीते दिख गया। उसने मुझे देखा भी, लेकिन मैं खड़ा था शायद इसलिए उसने हमला नहीं किया। वन विभाग वाले बताए थे, तेंदुआ बैठे लोगों पर ज्यादा हमला करता है। तेंदुए ने पीछे से पकड़ ली थी महिला की गर्दन
चांदपुर तहसील का सराय रफी गांव…1 महीने पहले यहां खेत पर काम करने वाली पूनम पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। पूनम बताती हैं- मैं जंगल की ओर जा रही थी। तभी अचानक से तेंदुआ मेरे ऊपर कूद गया। उसने पीछे से मेरी गर्दन पकड़ ली। मेरी चीख सुनकर सभी लोग आ गए। मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। मैं तो बेहोश हो गई। लेकिन इतना सब होने के बाद भी वन विभाग ने हमारी कोई मदद नहीं की। तेंदुए के हमले में गंभीर घायल हो गई थी युवती
चांदपुर तहसील के बाद भास्कर टीम बिजनौर की सबसे बड़ी तहसील धामपुर पहुंची। ये तहसील जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर है। इस तहसील में लगभग 250 गांव आते हैं। 40 किलोमीटर की रेंज में सारे गांव बसे हैं। यहां पता चला कि इस तहसील के मुकरमपुर गांव में 14 फरवरी को एक किशोरी पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। जिसमें वो गंभीर घायल हो गई थी। हथियार पास में रखकर खेतों में काम कर रहे ग्रामीण
धामपुर तहसील के जेतरा गांव की आबादी 1500 के आसपास है। गांव में अभी गन्ने की कटाई का काम चल रहा है। यहां पर खेत में कुछ ग्रामीण झुंड में काम करते दिखे। उनके पास डंडे और नुकीले हथियार रखे हुए थे। खेत पर काम करने वाली एक महिला ने बताया, हम लोगों को तो आए दिन तेंदुआ दिखता रहता है। उसके पैर के निशान भी दिखते रहते हैं। तेंदुआ हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया
जेतरा गांव से 20 किलोमीटर दूर तय्यब सराय गांव में तेंदुए की चहलकदमी बहुत ज्यादा है। चलते फिरते तेंदुआ दिख जाता है। इस गांव की ज्यादा आबादी मुस्लिम है। तय्यब सराय के 70 साल के किसान शमसेद ने बताया, हम लोग आए दिन तेंदुए को टहलते देखते हैं। वो तो हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया। अब पढ़िए बिजनौर के शहरी क्षेत्र से तेंदुए की दहशत की रिपोर्ट बिजनौर मुख्यालय से सदर तहसील केवल 1 किलोमीटर दूर है। भास्कर टीम इस तहसील के झकडी बंगर गांव और फरीदपुर काजी गांव पहुंची। इन गांवों की स्थिति भी दूसरे गांवों की तरह है। झकडी बंगर गांव के नदीम अहमद ने बताया, हम लोग कहीं अकेले जा नहीं पाते हैं। लोगों के दिल में तेंदुए की दहशत है। तेंदुआ हमारी फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। फरीदपुर काजी गांव के रहने वाले शकीला ने बताया, डर की वजह से काम बंद है। प्रशासन ने कोई खास इंतजाम नहीं किए हैं। यहां कई तेंदुए हैं। हमेशा हथियार साथ रखना पड़ता है। ऐसा कभी नहीं होगा कि तेंदुआ हमेशा के लिए चला जाए- वन रेंजर
बिजनौर रेंज के रेंजर महेश गौतम ने कहा, बिजनौर में तेंदुए की उपस्थिति है। गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा। मुखौटा बांटा जा रहा है। तेंदुआ हमेशा पीछे से हमला करता है, अगर ग्रामीण फेस के पीछे मुखौटा पहने रहेंगे तो तेंदुआ हमला नहीं करेगा। क्योंकि उसको लगेगा कि उसको देखा जा रहा है। गांव में रात और दिन के समय में वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है। बाकी ग्रामीणों को पूरी सुरक्षा के साथ रहना पड़ेगा, क्योंकि ऐसा कभी नहीं हो पाएगा कि तेंदुआ यहां से हमेशा के लिए चला जाए। ———————————– ये भी पढ़ें: पालतू बिल्ली की मौत, सदमे में महिला ने जान दी:अमरोहा में 3 दिन तक शव को सीने से लगाकर रोती रही, फिर पंखे से लटक गई अमरोहा में पालतू बिल्ली की मौत से सदमे में आई 30 साल की महिला ने सुसाइड कर लिया। उसकी मां ने बताया- बेटी तीन दिनों तक बिल्ली के शव के साथ रही। वह शव को सीने से लगाकर लगातार रोती रही। हमने उसे समझाया, लेकिन उसने मेरी नहीं सुनी। मां ने बताया कि शनिवार रात 8 बजे मैं बेटी को खाना खाने के लिए बुलाने गई। देखा तो उसका शव कमरे में पंखे से लटका हुआ था। घटना हसनपुर के रहरा अड्डा गांव की है। (पढ़ें पूरी खबर) चेहरे के पीछे मुखौटा, हाथों में लाठी-बल्लम, एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर से निकलना। ये किसी डकैत गिरोह की कहानी नहीं, बल्कि बिजनौर के गांवों में तेंदुए का खौफ है। दिन में भी चौक-चौराहे और रास्ते सब वीरान पड़े हैं। बच्चे घरों में और जानवर बाड़े में कैद हैं। लोग खिड़की दरवाजे तक बंद रख रहे। गांवों को लोहे के जाल से कवर कर दिया है। फिर भी शाम ढलते ही जगह-जगह आग जलाई जा रही। कई गांवों में तेंदुओं का इतना आतंक है कि वहां कुत्ते तक नहीं बचे। दर्जनों गाय, भैंस और बकरी को शिकार बना चुके हैं। ये हालात धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील के दर्जनों गांवों के हैं। यहां ग्रामीणों का हर पल डर में बीत रहा है। दैनिक भास्कर एप की टीम तेंदुआ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। लोगों से वहां के हालात जानें, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले तेंदुए के हमले और उनके कारण पढ़िए… बिजनौर में 3 साल में 27 लोगों को खा चुका है तेंदुआ
बिजनौर हमेशा से तेंदुआ प्रभावित रहा है। 3 सालों में इनका आतंक ज्यादा बढ़ गया है। जिले में 1200 गांव हैं। धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित है। 3 साल में 27 लोगों को तेंदुआ खा चुका है। 100 से ज्यादा गंभीर घायल हुए हैं, जबकि 1000 से ज्यादा लोगों को हल्की चोट आई हैं। बात पिंजरों की करें तो, वन विभाग केवल उन गांवों में पिजड़े लगवा रहा है, जहां से तेंदुआ दिखने की खबर आती है। कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक पिंजरे नहीं लगे हैं। पूरे बिजनौर में अब तक केवल 100 पिंजरे ही लगाए गए। पढ़िए वो कारण, जिस वजह से 3 सालों में ज्यादा बढ़ा तेंदुए का आतंक तेंदुआ 10 किलोमीटर एरिया पर रखता है कब्जा
वन रेंजर महेश गौतम ने बताया, लैंड एरिया कम होने पर जानवर आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ते हैं, क्योंकि उनके रहने का स्थान कम हो जाता है। जो बड़े जानवर होते हैं उन्हें रहने के लिए ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है। अगर तेंदुआ अपने परिवार के साथ रहता है तो लगभग 10 किलोमीटर एरिया अपने कब्जे में रखता है। अकेला रहने पर 4 किलोमीटर का एरिया अपने कब्जे में रखता है। उस एरिया में वो किसी की भी उपस्थिति बर्दाश्त नहीं करता है। वन रेंजर ने यह भी बताया, 3 साल में तेंदुए ज्यादा इसलिए भी बढ़ें हैं क्योंकि मादा तेंदुए ने कई बच्चे दिए हैं। क्षेत्र में कई तेंदुए के बच्चे भी देखे गए हैं। तेंदुए के आबादी क्षेत्र में आने का एक कारण और है। अगर एक बार तेंदुए के मुंह में इंसान का खून लग जाता है तो वो आदमखोर बन जाता है। उसके बाद वो इंसान की महक सूंघते हुए आबादी क्षेत्र में आ जाता है। उन पर हमला करता है। अब पढ़िए ग्रामीणों से बातचीत… भास्कर की टीम बिजनौर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर चांदपुर तहसील के चौधेड़ी गांव पहुंची। यहां पला चला कि 26 फरवरी को तेंदुआ एक महिला को खा गया। सुमन खेत पर काम करके घर लौट रही थी, तभी तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। महिला का आधा शव घरवालों को मिला था। तेंदुआ पेट, गर्दन और चेहरे का मांस खा गया था। गांव में टीम की मुलाकात महिला के बेटे योगेश से हुई। उन्होंने बताया, मैं मां को खोजते हुए खेत में पहुंचा। देखा तो तेंदुआ मां को खा रहा था। उसके मुंह में मां की गर्दन थी। वो उनके दोनों पैर खा चुका था। मुझे देखते ही तेंदुआ भाग गया। चौधेड़ी गांव की आबादी लगभग 1000 हजार है। गांव के ज्यादातर लोग खेती-किसानी और मजदूरी करते हैं। जिस महिला (सुमन) को तेंदुए ने खाया था, उसका पति जयपाल मिस्त्री है। बेटा योगेश और बेटी अभी गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। पति-पत्नी मिलकर घर का खर्चा चलाते थे, लेकिन सुमन की मौत के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। गांव में सुमन की मौत के बाद वन विभाग ने 3 पिंजरे लगाए हैं। वन विभाग सही काम नहीं कर रहा- पूर्व प्रधान
गांव के पूर्व प्रधान नैन सिंह ने बताया, गांव में तेंदुए का आतंक है। स्कूल, खेत, रास्ते सब खाली पड़े हैं। हालत ये है कि ज्यादा पैसे लेकर भी मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं। इस पूरे मामले में वन विभाग सही से काम नहीं कर रहा। बस 3 पिंजरे लगाए गए हैं। 1 पिंजरा और लगना बचा है। बहुत ज्यादा डर का माहौल है। सबकी जान को खतरा है। सबसे ज्यादा मादा तेंदुआ हैं। वही बच्चों को जन्म दे रही हैं। तभी तेंदुए की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग या तो तेंदुआ पकड़े या फिर उसको मार दे। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो जान का खतरा
चांदपुर के चौधेड़ी गांव से निकल कर हम 12 किलोमीटर दूर पिलाना गांव पहुंचे। यहां की आबादी ज्यादा नहीं है। गांव में 6 महीने पहले एक किशोरी और एक महिला की तेंदुए के हमले से मौत हो गई थी। तेंदुए के बारे में पूछने पर एक ग्रामीण बोले, हम लोगों की जिंदगी हमेशा डर के साए में रहती है। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो तेंदुए से जान जाने का डर। मेरे सामने तेंदुआ पानी पी रहा था
इसके बाद टीम की मुलाकात गांव के प्रदीप त्यागी से हुई। प्रदीप खेती-किसानी करते हैं। उन्होंने बताया, हम लोग जान हथेली पर रखकर काम करने जाते हैं। तेंदुए हर जगह हैं। 10 दिन पहले की बात है। मैं फावड़ा लेकर खेत में पानी लगाने जा रहा था। तभी रास्ते में मुझे तेंदुआ पानी पीते दिख गया। उसने मुझे देखा भी, लेकिन मैं खड़ा था शायद इसलिए उसने हमला नहीं किया। वन विभाग वाले बताए थे, तेंदुआ बैठे लोगों पर ज्यादा हमला करता है। तेंदुए ने पीछे से पकड़ ली थी महिला की गर्दन
चांदपुर तहसील का सराय रफी गांव…1 महीने पहले यहां खेत पर काम करने वाली पूनम पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। पूनम बताती हैं- मैं जंगल की ओर जा रही थी। तभी अचानक से तेंदुआ मेरे ऊपर कूद गया। उसने पीछे से मेरी गर्दन पकड़ ली। मेरी चीख सुनकर सभी लोग आ गए। मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। मैं तो बेहोश हो गई। लेकिन इतना सब होने के बाद भी वन विभाग ने हमारी कोई मदद नहीं की। तेंदुए के हमले में गंभीर घायल हो गई थी युवती
चांदपुर तहसील के बाद भास्कर टीम बिजनौर की सबसे बड़ी तहसील धामपुर पहुंची। ये तहसील जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर है। इस तहसील में लगभग 250 गांव आते हैं। 40 किलोमीटर की रेंज में सारे गांव बसे हैं। यहां पता चला कि इस तहसील के मुकरमपुर गांव में 14 फरवरी को एक किशोरी पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। जिसमें वो गंभीर घायल हो गई थी। हथियार पास में रखकर खेतों में काम कर रहे ग्रामीण
धामपुर तहसील के जेतरा गांव की आबादी 1500 के आसपास है। गांव में अभी गन्ने की कटाई का काम चल रहा है। यहां पर खेत में कुछ ग्रामीण झुंड में काम करते दिखे। उनके पास डंडे और नुकीले हथियार रखे हुए थे। खेत पर काम करने वाली एक महिला ने बताया, हम लोगों को तो आए दिन तेंदुआ दिखता रहता है। उसके पैर के निशान भी दिखते रहते हैं। तेंदुआ हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया
जेतरा गांव से 20 किलोमीटर दूर तय्यब सराय गांव में तेंदुए की चहलकदमी बहुत ज्यादा है। चलते फिरते तेंदुआ दिख जाता है। इस गांव की ज्यादा आबादी मुस्लिम है। तय्यब सराय के 70 साल के किसान शमसेद ने बताया, हम लोग आए दिन तेंदुए को टहलते देखते हैं। वो तो हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया। अब पढ़िए बिजनौर के शहरी क्षेत्र से तेंदुए की दहशत की रिपोर्ट बिजनौर मुख्यालय से सदर तहसील केवल 1 किलोमीटर दूर है। भास्कर टीम इस तहसील के झकडी बंगर गांव और फरीदपुर काजी गांव पहुंची। इन गांवों की स्थिति भी दूसरे गांवों की तरह है। झकडी बंगर गांव के नदीम अहमद ने बताया, हम लोग कहीं अकेले जा नहीं पाते हैं। लोगों के दिल में तेंदुए की दहशत है। तेंदुआ हमारी फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। फरीदपुर काजी गांव के रहने वाले शकीला ने बताया, डर की वजह से काम बंद है। प्रशासन ने कोई खास इंतजाम नहीं किए हैं। यहां कई तेंदुए हैं। हमेशा हथियार साथ रखना पड़ता है। ऐसा कभी नहीं होगा कि तेंदुआ हमेशा के लिए चला जाए- वन रेंजर
बिजनौर रेंज के रेंजर महेश गौतम ने कहा, बिजनौर में तेंदुए की उपस्थिति है। गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा। मुखौटा बांटा जा रहा है। तेंदुआ हमेशा पीछे से हमला करता है, अगर ग्रामीण फेस के पीछे मुखौटा पहने रहेंगे तो तेंदुआ हमला नहीं करेगा। क्योंकि उसको लगेगा कि उसको देखा जा रहा है। गांव में रात और दिन के समय में वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है। बाकी ग्रामीणों को पूरी सुरक्षा के साथ रहना पड़ेगा, क्योंकि ऐसा कभी नहीं हो पाएगा कि तेंदुआ यहां से हमेशा के लिए चला जाए। ———————————– ये भी पढ़ें: पालतू बिल्ली की मौत, सदमे में महिला ने जान दी:अमरोहा में 3 दिन तक शव को सीने से लगाकर रोती रही, फिर पंखे से लटक गई अमरोहा में पालतू बिल्ली की मौत से सदमे में आई 30 साल की महिला ने सुसाइड कर लिया। उसकी मां ने बताया- बेटी तीन दिनों तक बिल्ली के शव के साथ रही। वह शव को सीने से लगाकर लगातार रोती रही। हमने उसे समझाया, लेकिन उसने मेरी नहीं सुनी। मां ने बताया कि शनिवार रात 8 बजे मैं बेटी को खाना खाने के लिए बुलाने गई। देखा तो उसका शव कमरे में पंखे से लटका हुआ था। घटना हसनपुर के रहरा अड्डा गांव की है। (पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी में मुखौटा पहनकर निकल रहे ग्रामीण:तेंदुए का ऐसा आतंक कि लोहे के जाल से गांवों को कवर किया, इंसान बन रहे निवाला
