यूपी के युवाओं के सामने रोजगार का सबसे बड़ा जरिया रोजगार मेले और आउटसोर्स ही रहेंगे। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से सरकारी महकमों के लिए ज्यादा भर्तियां नहीं निकल रही हैं। जो भर्तियां निकल रही हैं, उन्हें पूरी होने में कई साल का समय लग रहा है। वहीं, बेरोजगार युवाओं की संख्या में हर साल 40 से 50 लाख का इजाफा हो रहा है। हालांकि, सरकार ने सदन और सदन के बाहर साफ कर दिया कि सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री ने विधानसभा के बजट सत्र में एक नहीं दो-तीन बार यह बात साफ की। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रोजगार मेले, विदेशों में रोजगार, करियर काउंसिलिंग और आउटसोर्सिंग ही बड़ा जरिया है। 41 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बेरोजगार
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा के विधायक डॉ. आरके वर्मा ने सवाल किया- श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बताएंगे कि प्रदेश में वर्तमान में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या कितनी है? पंजीकृत बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने जवाब दिया- पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 41 लाख 60 हजार 825 है। सेवायोजन विभाग रोजगार के कैंडिडेट्स के लिए रोजगार मेलों के आयोजन कर रहा है। विदेशों में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। उनकी कॅरियर काउंसलिंग की जाती है। आउटसोर्सिंग के जरिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं। सपा के एक अन्य विधायक ने भी सदन में सवाल किया कि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बताएंगे कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर क्या है? मंत्री ने जवाब दिया कि रोजगार एवं बेरोजगारी पर डेटा भारत सरकार की ओर से जारी किया जाता है। उन्होंने एक और सवाल किया कि क्या सरकार स्नातक, स्नातकोत्तर, तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कॅरियर समिट कराने पर विचार करेगी। सरकार ने जवाब दिया- जी नहीं। 83 फीसदी को रोजगार दिया
सपा विधायक प्रभु नारायण यादव के एक सवाल के जवाब में सरकार ने सदन में बड़ा दावा किया। कहा- वित्त वर्ष 2022-2023 और 2023-2024 में सेवायोजन कार्यालय में इंटर, बीए, एमए, डिप्लोमा, बीटेक, एमटेक और पीएचडी डिग्री प्राप्त 5 लाख 68 हजार 62 युवा रजिस्टर्ड हुए हैं। इनमें से 4 लाख 75 हजार 510 रोजगार के लिए सेलेक्ट हुए हैं। यानी करीब 83 फीसदी लोगों को रोजगार दिया। 8 साल में 11 हजार रोजगार मेले में 14 लाख युवाओं को रोजगार दिया
श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर बताते हैं- योगी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में प्रदेश के सभी जिलों में कुल 11 हजार रोजगार मेले लगाए गए हैं। रोजगार मेलों में 14 लाख से अधिक युवाओं को नेशनल और मल्टीनेशनल कंपनियों में रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इनमें सामान्य इंटर पास युवा से लेकर आईटी और बिजनेस प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े युवा शामिल हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में ऐसा कोई सिस्टम तैयार नहीं है, जिससे यह पता चल सके कि उनमें से कितने युवाओं ने कंपनी में कब तक काम किया। विभाग के स्तर से विरोधाभास क्यों
सीएम योगी 20 फरवरी को बजट के बाद मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने की घोषणा की थी। सीएम ने आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक निगम बनाने की घोषणा की थी। 28 फरवरी को सपा विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव के सवाल के जवाब में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश और केंद्र सरकार के विभिन्न शासनादेश के तहत जेम पोर्टल के जरिए आउटसोर्सिंग भर्ती की जाती है। सपा विधायक डॉ. संग्राम यादव के न्यूनतम वेतन के सवाल के जवाब में मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि न्यूनतम मानदेय या वेतन तय नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि सरकार इस पर विचार भी नहीं करेगी। न्यूनतम मानदेय का निर्धारण संबंधित विभाग करता है। अखिलेश सरकार की तुलना में साढ़े पांच गुना सरकारी नौकरी दी
योगी सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल में अखिलेश और मायावती सरकार से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी हैं। अखिलेश सरकार से साढ़े पांच गुना, जबकि मायावती से 10 गुना ज्यादा सरकारी नौकरी दी है। अगर अखिलेश और मायावती सरकार के समय की दी गई कुल सरकारी नौकरियों को जोड़ लिया जाए तो, उससे 5 लाख 37 हजार ज्यादा नौकरियां योगी सरकार ने 8 साल में दी। विधानसभा चुनाव में भी मुद्दा बनेगी बेरोजगारी
लोकसभा चुनाव- 2024 में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना था। बेरोजगारी की समस्या से परेशान युवाओं ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पंचायत चुनाव- 2026 और विधानसभा चुनाव- 2027 में बेरोजगारी को मुद्दा बनाएंगे। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई कहते हैं- युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है। सरकारी नौकरियां निकल नहीं रही हैं। जो निकली हैं, वो पेपर लीक के कारण हो नहीं रही है। उनका कहना है कि आगामी चुनावों में सपा युवाओं के बीच जाकर बेरोजगारी का मुद्दा बनाएगी। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में अब आउटसोर्स से ही भर्ती
ऊर्जा विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, सूचना विभाग, ग्राम्य विकास विभाग में सबसे अधिक आउटसोर्सिंग नौकरियां देते हैं। प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि अब सभी विभागों में आउटसोर्स के जरिए ही भर्ती हो रही है। समूह- ग और घ के जितने पद रिक्त होते हैं। उनमें सीधी भर्ती की जगह आउटसोर्स कर्मचारी ही भर्ती किए जा रहे हैं। चपरासी, माली, सफाई कर्मचारी, चौकीदार, लिफ्ट मैन सहित चतुर्थ श्रेणी के अन्य पदों पर तो भर्ती नहीं हो रही है। सरकारी नौकरी की जगह आउटसोर्स पर ज्यादा जोर क्यों
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो.एमके अग्रवाल कहते हैं- सरकारी की क्षमता उतनी नहीं कि सभी रोजगारों को सरकारी नौकरी मिल सके। लेकिन जो निवेश बढ़ा है, उससे रोजगार सृजन तो हो रहा है। सरकार रोजगार मेले और आउटसोर्स के कारण भर्ती ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा पा रही है। आउटसोर्स कर्मचारी के कारण सरकार पर दबाव नहीं है कि उन्हें हमेशा वेतन, भत्ता और सुविधाएं दे रहे हैं। वहीं, पूर्व मुख्य सचिव आरके तिवारी कहते हैं- रोजगार मेले के जरिए विभाग और सरकार की सक्रियता दिखाता है। युवाओं को मौका मिलता है, रोजगार पाने का। रोजगार देने वाली कंपनियां भी चाहती हैं कि उन्हें अच्छे काम करने वाले लोग मिल जाएं। आउटसोर्स भर्ती में सरकार ने नीति बनाई है, जिनसे कामों को आउटसोर्स कर्मचारी से बेहतर कराया जा सकता है। ——————————- यह खबर भी पढ़ें यूपी में 5600 करोड़ के स्टांप रद्दी होंगे, गेहूं का रेट 150 रुपए बढ़ाया, बलिया में मेडिकल कॉलेज; योगी कैबिनेट में 17 प्रस्ताव पास योगी कैबिनेट की बैठक में 17 प्रस्ताव पास हुए। कैबिनेट ने होली से पहले किसानों को तोहफा दिया है। गेहूं का रेट 150 रुपए बढ़ा दिया है। पिछली बार 2275 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदे जा रहे थे। इसे बढ़ाकर 2425 रुपए कर दिया है। यहां पढ़ें पूरी खबर यूपी के युवाओं के सामने रोजगार का सबसे बड़ा जरिया रोजगार मेले और आउटसोर्स ही रहेंगे। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से सरकारी महकमों के लिए ज्यादा भर्तियां नहीं निकल रही हैं। जो भर्तियां निकल रही हैं, उन्हें पूरी होने में कई साल का समय लग रहा है। वहीं, बेरोजगार युवाओं की संख्या में हर साल 40 से 50 लाख का इजाफा हो रहा है। हालांकि, सरकार ने सदन और सदन के बाहर साफ कर दिया कि सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री ने विधानसभा के बजट सत्र में एक नहीं दो-तीन बार यह बात साफ की। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रोजगार मेले, विदेशों में रोजगार, करियर काउंसिलिंग और आउटसोर्सिंग ही बड़ा जरिया है। 41 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बेरोजगार
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा के विधायक डॉ. आरके वर्मा ने सवाल किया- श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बताएंगे कि प्रदेश में वर्तमान में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या कितनी है? पंजीकृत बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने जवाब दिया- पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 41 लाख 60 हजार 825 है। सेवायोजन विभाग रोजगार के कैंडिडेट्स के लिए रोजगार मेलों के आयोजन कर रहा है। विदेशों में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। उनकी कॅरियर काउंसलिंग की जाती है। आउटसोर्सिंग के जरिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं। सपा के एक अन्य विधायक ने भी सदन में सवाल किया कि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बताएंगे कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर क्या है? मंत्री ने जवाब दिया कि रोजगार एवं बेरोजगारी पर डेटा भारत सरकार की ओर से जारी किया जाता है। उन्होंने एक और सवाल किया कि क्या सरकार स्नातक, स्नातकोत्तर, तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कॅरियर समिट कराने पर विचार करेगी। सरकार ने जवाब दिया- जी नहीं। 83 फीसदी को रोजगार दिया
सपा विधायक प्रभु नारायण यादव के एक सवाल के जवाब में सरकार ने सदन में बड़ा दावा किया। कहा- वित्त वर्ष 2022-2023 और 2023-2024 में सेवायोजन कार्यालय में इंटर, बीए, एमए, डिप्लोमा, बीटेक, एमटेक और पीएचडी डिग्री प्राप्त 5 लाख 68 हजार 62 युवा रजिस्टर्ड हुए हैं। इनमें से 4 लाख 75 हजार 510 रोजगार के लिए सेलेक्ट हुए हैं। यानी करीब 83 फीसदी लोगों को रोजगार दिया। 8 साल में 11 हजार रोजगार मेले में 14 लाख युवाओं को रोजगार दिया
श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर बताते हैं- योगी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में प्रदेश के सभी जिलों में कुल 11 हजार रोजगार मेले लगाए गए हैं। रोजगार मेलों में 14 लाख से अधिक युवाओं को नेशनल और मल्टीनेशनल कंपनियों में रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इनमें सामान्य इंटर पास युवा से लेकर आईटी और बिजनेस प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े युवा शामिल हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में ऐसा कोई सिस्टम तैयार नहीं है, जिससे यह पता चल सके कि उनमें से कितने युवाओं ने कंपनी में कब तक काम किया। विभाग के स्तर से विरोधाभास क्यों
सीएम योगी 20 फरवरी को बजट के बाद मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने की घोषणा की थी। सीएम ने आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक निगम बनाने की घोषणा की थी। 28 फरवरी को सपा विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव के सवाल के जवाब में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश और केंद्र सरकार के विभिन्न शासनादेश के तहत जेम पोर्टल के जरिए आउटसोर्सिंग भर्ती की जाती है। सपा विधायक डॉ. संग्राम यादव के न्यूनतम वेतन के सवाल के जवाब में मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि न्यूनतम मानदेय या वेतन तय नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि सरकार इस पर विचार भी नहीं करेगी। न्यूनतम मानदेय का निर्धारण संबंधित विभाग करता है। अखिलेश सरकार की तुलना में साढ़े पांच गुना सरकारी नौकरी दी
योगी सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल में अखिलेश और मायावती सरकार से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी हैं। अखिलेश सरकार से साढ़े पांच गुना, जबकि मायावती से 10 गुना ज्यादा सरकारी नौकरी दी है। अगर अखिलेश और मायावती सरकार के समय की दी गई कुल सरकारी नौकरियों को जोड़ लिया जाए तो, उससे 5 लाख 37 हजार ज्यादा नौकरियां योगी सरकार ने 8 साल में दी। विधानसभा चुनाव में भी मुद्दा बनेगी बेरोजगारी
लोकसभा चुनाव- 2024 में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना था। बेरोजगारी की समस्या से परेशान युवाओं ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पंचायत चुनाव- 2026 और विधानसभा चुनाव- 2027 में बेरोजगारी को मुद्दा बनाएंगे। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई कहते हैं- युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है। सरकारी नौकरियां निकल नहीं रही हैं। जो निकली हैं, वो पेपर लीक के कारण हो नहीं रही है। उनका कहना है कि आगामी चुनावों में सपा युवाओं के बीच जाकर बेरोजगारी का मुद्दा बनाएगी। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में अब आउटसोर्स से ही भर्ती
ऊर्जा विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, सूचना विभाग, ग्राम्य विकास विभाग में सबसे अधिक आउटसोर्सिंग नौकरियां देते हैं। प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि अब सभी विभागों में आउटसोर्स के जरिए ही भर्ती हो रही है। समूह- ग और घ के जितने पद रिक्त होते हैं। उनमें सीधी भर्ती की जगह आउटसोर्स कर्मचारी ही भर्ती किए जा रहे हैं। चपरासी, माली, सफाई कर्मचारी, चौकीदार, लिफ्ट मैन सहित चतुर्थ श्रेणी के अन्य पदों पर तो भर्ती नहीं हो रही है। सरकारी नौकरी की जगह आउटसोर्स पर ज्यादा जोर क्यों
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो.एमके अग्रवाल कहते हैं- सरकारी की क्षमता उतनी नहीं कि सभी रोजगारों को सरकारी नौकरी मिल सके। लेकिन जो निवेश बढ़ा है, उससे रोजगार सृजन तो हो रहा है। सरकार रोजगार मेले और आउटसोर्स के कारण भर्ती ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा पा रही है। आउटसोर्स कर्मचारी के कारण सरकार पर दबाव नहीं है कि उन्हें हमेशा वेतन, भत्ता और सुविधाएं दे रहे हैं। वहीं, पूर्व मुख्य सचिव आरके तिवारी कहते हैं- रोजगार मेले के जरिए विभाग और सरकार की सक्रियता दिखाता है। युवाओं को मौका मिलता है, रोजगार पाने का। रोजगार देने वाली कंपनियां भी चाहती हैं कि उन्हें अच्छे काम करने वाले लोग मिल जाएं। आउटसोर्स भर्ती में सरकार ने नीति बनाई है, जिनसे कामों को आउटसोर्स कर्मचारी से बेहतर कराया जा सकता है। ——————————- यह खबर भी पढ़ें यूपी में 5600 करोड़ के स्टांप रद्दी होंगे, गेहूं का रेट 150 रुपए बढ़ाया, बलिया में मेडिकल कॉलेज; योगी कैबिनेट में 17 प्रस्ताव पास योगी कैबिनेट की बैठक में 17 प्रस्ताव पास हुए। कैबिनेट ने होली से पहले किसानों को तोहफा दिया है। गेहूं का रेट 150 रुपए बढ़ा दिया है। पिछली बार 2275 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदे जा रहे थे। इसे बढ़ाकर 2425 रुपए कर दिया है। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी में रोजगार मेले, आउटसोर्स से ही मिलेगी नौकरी:सरकार का दावा- 8 साल में 7.5 लाख को नौकरी दी, यह सपा-बसपा से 5 लाख ज्यादा
