ठग को कैसे ठगा, कानपुर के भूपेंद्र ने सुनाई कहानी:शुरू में घबराया…फिर पत्नी को मां और दोस्त को पिता बनाकर प्लान बनाया

ठग को कैसे ठगा, कानपुर के भूपेंद्र ने सुनाई कहानी:शुरू में घबराया…फिर पत्नी को मां और दोस्त को पिता बनाकर प्लान बनाया

कानपुर में प्राइवेट जॉब करने वाले भूपेंद्र सिंह ने साइबर ठग से ही 10 हजार रुपए ट्रांसफर करवा लिए। एक तरह से कहें तो साइबर ठग को ही ठग लिया। अब ठग गिड़गिड़ा रहा है कि मेरी नौकरी चली जाएगी, मुझे पैसे वापस कर दो। 6 मार्च, 2025 से साइबर ठग से भूपेंद्र की बातचीत हो रही है। कभी भूपेंद्र ने चेन गिरवी रखने का बहाना बनाया, कभी गोल्ड लोन और ब्याज की समस्या बताकर साइबर ठग से और रुपए मांगे। अभी भी साइबर ठग से बातचीत जारी है। दैनिक भास्कर के ऑफिस आए भूपेंद्र सिंह ने कहा- मुझे यकीन नहीं था कि साइबर ठग मुझे रुपए देगा, कॉल आई तो मैं घबरा गया। फिर मुझे साइबर जालसाजी के ऐड याद आने लगे। मैं थोड़ा थमा, सोचा और फिर कहानी गढ़नी शुरू कर दी। जालसाज खुद जाल में कैसे फंसता चला गया, किन बहानों से जालसाज को ट्रैप में लिया, कैसे कहानी बढ़ती गई? इसको सिलसिलेवार पढ़िए… दोपहर 1 बजे मैं घर पर कुछ पढ़ रहा था। अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया। स्क्रीन पर पुलिस वाले की DP (डिसप्ले फोटो) लगी हुई थी। फोन उठाया तो भारी-भरकम आवाज में उसने कहा- तुम्हारे खिलाफ FIR हुई है। तुम पोर्न कंटेंट देखते हो। तुम्हारे मोबाइल के IMEI नंबर पर ट्रेस हुआ है। जिन वेबसाइट को देख रहे हो, वो बैन हैं। मैंने डर कर फोन काट दिया। फोन दोबारा बजने लगा, मैंने फिर कॉल काट दी। फिर कॉल आई तो मैंने फोन उठाया, लेकिन एक मिनट तक चुप रहा। सोचा कि अब करना क्या है? फिर बातचीत शुरू की। मैंने ठग से कहा– सर, प्लीज…मैं आपके हाथ जोड़ता हूं। मुझे जेल मत भेजिए। बस यही से हमारे बीच बातचीत शुरू हो गई। उसने कहा- ठीक है, तुम स्टूडेंट हो, इसलिए तुम्हें सीधे अरेस्ट नहीं कर रहे हैं। मगर पेनल्टी तो भरनी पड़ेगी। 16000 रुपए, एक नंबर भेज रहा हूं, उसपर ट्रांसफर कर दो। मैंने कहा- थोड़ा समय दीजिए। अभी इतने पैसे नहीं हैं। फिर वो मेरे बारे में बातचीत करता रहा, कुछ देर के बाद कॉल कट गई। सुबह करीब 11 बजे एक बार फिर जालसाज का कॉल आया। भूपेंद्र ने कहा- मैंने कहानी गढ़ना शुरू कर दी कि मेरे पास सोने की चेन है, वह एक सुनार के पास गिरवी है। उसे छुड़ाने के लिए 3 हजार रुपए की जरूरत है। मैं इस चेन को बेच दूं तो आपको पैसा मिल जाएगा। मुझे 3 हजार रुपए की जरूरत है। ये व्यवस्था आप कर दो, तो चेन को बेचकर 40 हजार रुपए मिल जाएंगे। मैं आपको रुपए भेज दूंगा। इसके बाद ठग मुझे काफी देर तक धमकाता रहा, मगर मैं अपनी समस्याएं बताता रहा। इसके बाद साइबर ठग ने मेरे मोबाइल नंबर पर 3 हजार रुपए भेजे। करीब 2 घंटे बाद मैंने साइबर ठग के नंबर पर कॉल किया। बताया कि मैं सुनार के पास गया था। मगर वह कहता है कि तुम्हारे 3 हजार रुपए पर अब 500 रुपए का ब्याज भी चढ़ गया है। बिना वो चुकाए चेन वापस नहीं मिलेगी। इसके बाद साइबर ठग मेरे ऊपर झल्लाता रहा। भूपेंद्र ने कहा- मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वो रुपए देगा। मगर 20 मिनट के बाद मेरे नंबर पर 500 रुपए और ट्रांसफर हो गए। अब मेरा कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ गया। मुझे लगा कि ये जालसाज मेरी कहानी में फंसता जा रहा है। अब इस कहानी को सही साबित करने के लिए मैंने अपने दोस्त शिवम विश्वकर्मा और अपनी पत्नी रिया सिंह को भी शामिल किया। रिया से कहा कि साइबर ठग के लिए मैं एक स्टूडेंट हूं। तो तुम मां बनकर उससे बात करो। कहो कि मेरे बेटे को छोड़ दो। कुछ ऐसा करिए कि वो जेल न जाए। वहीं शिवम से कहा कि तुम मेरे पिता बनकर बात करो। भूपेंद्र ने कहा- मेरे माता–पिता का देहांत हो चुका है। मैंने पत्नी और दोस्त को माता-पिता बनाकर बात कराई। ये दोनों लोग भी बारी-बारी से साइबर ठग के सामने गिड़गिड़ाते रहे, ताकि पूरी कहानी उसे सच्ची लगे। मां बनी रिया ने साइबर ठग से कहा- ये पढ़ने वाला बच्चा है। इसके एग्जाम भी चल रहे हैं। प्लीज इसको जेल मत भेजिएगा। इस तरह से पूरा दिन बातों में फंसाए रहे। भूपेंद्र ने कहा- अब मेरी चेन वाली कहानी हल्की पड़ने लगी थी। साइबर ठग मेरे ऊपर रुपए ट्रांसफर करने का दबाव बनाने लगा। क्योंकि अब उसके रुपए भी फंस चुके थे। तब मैंने नई कहानी गढ़ी। मैंने ठग से कहा कि आप चेन छोड़िए, वो सुनार बहुत नोटंकी बता रहा है। मैंने मां-पापा से छिपाकर सेफ से एक सोने का हार निकाल लिया है। जिसे मैं अपने दोस्त के जरिए गिरवी रखने जा रहा हूं। मैं 1.10 लाख रुपए का गोल्ड लोन लूंगा। ये पूरा पैसा आपको भेज दूंगा। अब ठग ने पूछा कि तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं? मैंने कहा- वो प्रॉपर्टी डीलर हैं। बड़ी-बड़ी प्रॉपर्टियां बेचते और खरीदते हैं। वो महीने का 10 से 15 लाख कमा लेते हैं। इसके बाद जालसाज को लगने लगा कि ज्यादा बड़ी रकम मिल सकती है। भूपेंद्र ने यहां तक कह दिया कि सारे पैसा आपको दे दूंगा। आप तो पुलिस के अफसर हैं। फिर जब मुझे जरूरत होगी, तब मैं आपसे हजार, दो हजार लेता रहूंगा। फिर से भूपेंद्र के पास साइबर ठग का फोन आया कि मेरे रुपए ट्रांसफर कर दो। तब मैंने गोल्ड लोन को लेकर एक बार फिर कहानी बनानी शुरू की। कहा कि मैं गोल्ड लोन लेने गया था। मगर बैंक में बैठे अधिकारियों ने मुझसे 3450 रुपए का फाइल चार्ज मांगे। मगर मेरे पास तो इतने रुपए नहीं थे। मैं बैंक से खाली हाथ लौट आया हूं। अब ठग को लगा कि इस तरह से हाथ से 1.10 लाख रुपए जा रहे हैं। उसने 4 हजार रुपए भेजे। ताकि मैं फाइल चार्ज डिपॉजिट कर सकूं। भूपेंद्र की कहानी समझने के बाद उनके दोस्त शिवम के बारे में भी पढ़िए… शिवम बोले- मैं सुनार बनकर बात करता रहा
भास्कर ऑफिस आए भूपेंद्र के दोस्त शिवम कहते हैं- मैं एक कपड़े की दुकान पर काम करता हूं। भूपेंद्र के कहने पर पहले पिता बनकर जालसाज से बात की। कुल मिलाकर हम लोगों को लग रहा था कि वो हमारी बातों में फंस रहा है, तो पूरा फंसाया जाए। बाद में जब ब्याज के रुपए और चेन की बात फंसी तो मैंने सुनार बनकर भी बात की। मैंने सुनार बनकर ठग से कहा- हार का सौदा कर लीजिए। यह 1.20 लाख रुपए का है। मगर इससे पहले हमारे 4 हजार रुपए तो दिला दो। तब वो मुझे सुनार समझते हुए जेल भेजने की धमकी देने लगा। बोला- कहां है आपकी ज्वैलर्स की दुकान…अभी टीम भेजता हूं। कल तक सलाखों के पीछे होगे। भूपेंद्र का दावा- 2 हजार रुपए और ले सकता हूं
भूपेन्द्र सिंह कहते हैं- साइबर ठग से अभी बातचीत चल रही है। शायद उसने मीडिया कवरेज नहीं पढ़ी है। मुझे उम्मीद है कि गोल्ड लोन के 1.20 रुपए के लिए वह अभी और रुपए भेज सकता है। मैं उससे 2 हजार रुपए और मांग रहा हूं। ताकि बैंक का पेपर वर्क पूरा करवा सकूं। भूपेंद्र और साइबर ठग का 7.27 मिनट का ऑडियो भी सामने आया है। चलिए हूबहू पढ़ते हैं… ठग: हैलो भूपेंद्र: हैलो ठग: बेटा, तुम फोन नहीं उठा रहे। भूपेंद्र: सर, हम इसलिए फोन नहीं उठा रहे थे कि आप डांटेंगे। पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाई है। ठग: हमें भी डांट मिल रही है। मेरी नौकरी चली जाएगी। बेवकूफ समझ रहे हो? भूपेंद्र: नहीं सर, मैं आपको बेवकूफ नहीं समझ रहा हूं। ठग: हम आपको बेटा कह रहे हैं। आप मेरे सिर पर चढ़ रहे हो। भूपेंद्र: नहीं सर, हम पैसे की ही व्यवस्था में लगे हैं। ठग: किसी से उधार ले लो भाई। तुम्हारे चक्कर में हम फंस गए हैं। भूपेंद्र: सर, हम इतना परेशान कभी नहीं हुए, जितना अब हो रहे हैं। ठग: तुम्हारे दोस्त के पास भी बैलेंस नहीं है क्या? भूपेंद्र: नहीं सर, उसके पास बैलेंस नहीं है। होता तो हमें दे देता। ठग: फर्जी बात मत करो। भूपेंद्र: सर, व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ठग: तुमने 3 हजार रुपए मांगे, मैंने दे दिए। दोबारा मांगा, तब भी भेज दिया। क्या मेरे दिमाग पर बेवकूफ लिखा था? भूपेंद्र: आपने मेरी मदद की है, सर। ठग: मदद की है तो इस तरह करोगे मेरे साथ? तुमने मेरा गला ही काट दिया। भूपेंद्र: सर, हम कई लोगों से मांग चुके हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं हो पा रही। ठग: क्या मेरे पास नोट छापने की मशीन है? भूपेंद्र: नहीं सर, ऐसी बात नहीं है। ठग: मेरा फोन रिसीव नहीं करोगे तो तुम्हारे दरवाजे पर आ जाऊंगा। भूपेंद्र: सर, व्यवस्था कर रहे हैं। ठग: तुम्हारी वजह से मैं पत्नी से नजर नहीं मिला पा रहा हूं। भूपेंद्र: सर, प्लीज। एक बार और मेरी व्यवस्था करा दीजिए। हम आधे घंटे में सब रिफंड कर देंगे। ठग: बेटा, हमारे पास एक रुपया नहीं है। मेरे पास जितना रुपया था, तुम्हारे ऊपर लगा दिया है। भूपेंद्र: सर, हम बहुत लोगों से पैसा ले चुके थे। सोचा था कि चेन बिक जाएगी तो सबका चुका देंगे। ठग: बेटा, तुम कुछ भी करो, मेरा पैसा लौटा दो। तुम समझ नहीं रहे हो, हमारा अधिकारी हड़काता है। कहता है कि तुम हैंडल नहीं कर पा रहे हो। भाई, मुझे मेरा ही पैसा लौटा दो। मेरे बच्चों की होली है, मुझे उनके लिए पिचकारी लेनी है। ———————————- ये भी पढ़ें: चुनाव के लिए अगड़ों पर ही भाजपा का भरोसा:यूपी में 70 में से 39 जिलाध्यक्ष सामान्य वर्ग से, ताकि वोट बैंक में न लगे सेंध यूपी में भाजपा ने 98 में से 70 जिलों में अपने ‘सेनापति’ मैदान में उतार दिए हैं। काफी समय से अटकी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भाजपा ने पहले चरण में अगड़ों पर ज्यादा भरोसा जताया है। 70 में 39 जिलाध्यक्ष भाजपा के कोर वोट बैंक यानी सामान्य जाति के हैं। भाजपा ने पंचायत चुनाव-2026 और विधानसभा चुनाव-2027 को देखते हुए जातीय समीकरण का ध्यान रखा है। (पढ़ें पूरी खबर) कानपुर में प्राइवेट जॉब करने वाले भूपेंद्र सिंह ने साइबर ठग से ही 10 हजार रुपए ट्रांसफर करवा लिए। एक तरह से कहें तो साइबर ठग को ही ठग लिया। अब ठग गिड़गिड़ा रहा है कि मेरी नौकरी चली जाएगी, मुझे पैसे वापस कर दो। 6 मार्च, 2025 से साइबर ठग से भूपेंद्र की बातचीत हो रही है। कभी भूपेंद्र ने चेन गिरवी रखने का बहाना बनाया, कभी गोल्ड लोन और ब्याज की समस्या बताकर साइबर ठग से और रुपए मांगे। अभी भी साइबर ठग से बातचीत जारी है। दैनिक भास्कर के ऑफिस आए भूपेंद्र सिंह ने कहा- मुझे यकीन नहीं था कि साइबर ठग मुझे रुपए देगा, कॉल आई तो मैं घबरा गया। फिर मुझे साइबर जालसाजी के ऐड याद आने लगे। मैं थोड़ा थमा, सोचा और फिर कहानी गढ़नी शुरू कर दी। जालसाज खुद जाल में कैसे फंसता चला गया, किन बहानों से जालसाज को ट्रैप में लिया, कैसे कहानी बढ़ती गई? इसको सिलसिलेवार पढ़िए… दोपहर 1 बजे मैं घर पर कुछ पढ़ रहा था। अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया। स्क्रीन पर पुलिस वाले की DP (डिसप्ले फोटो) लगी हुई थी। फोन उठाया तो भारी-भरकम आवाज में उसने कहा- तुम्हारे खिलाफ FIR हुई है। तुम पोर्न कंटेंट देखते हो। तुम्हारे मोबाइल के IMEI नंबर पर ट्रेस हुआ है। जिन वेबसाइट को देख रहे हो, वो बैन हैं। मैंने डर कर फोन काट दिया। फोन दोबारा बजने लगा, मैंने फिर कॉल काट दी। फिर कॉल आई तो मैंने फोन उठाया, लेकिन एक मिनट तक चुप रहा। सोचा कि अब करना क्या है? फिर बातचीत शुरू की। मैंने ठग से कहा– सर, प्लीज…मैं आपके हाथ जोड़ता हूं। मुझे जेल मत भेजिए। बस यही से हमारे बीच बातचीत शुरू हो गई। उसने कहा- ठीक है, तुम स्टूडेंट हो, इसलिए तुम्हें सीधे अरेस्ट नहीं कर रहे हैं। मगर पेनल्टी तो भरनी पड़ेगी। 16000 रुपए, एक नंबर भेज रहा हूं, उसपर ट्रांसफर कर दो। मैंने कहा- थोड़ा समय दीजिए। अभी इतने पैसे नहीं हैं। फिर वो मेरे बारे में बातचीत करता रहा, कुछ देर के बाद कॉल कट गई। सुबह करीब 11 बजे एक बार फिर जालसाज का कॉल आया। भूपेंद्र ने कहा- मैंने कहानी गढ़ना शुरू कर दी कि मेरे पास सोने की चेन है, वह एक सुनार के पास गिरवी है। उसे छुड़ाने के लिए 3 हजार रुपए की जरूरत है। मैं इस चेन को बेच दूं तो आपको पैसा मिल जाएगा। मुझे 3 हजार रुपए की जरूरत है। ये व्यवस्था आप कर दो, तो चेन को बेचकर 40 हजार रुपए मिल जाएंगे। मैं आपको रुपए भेज दूंगा। इसके बाद ठग मुझे काफी देर तक धमकाता रहा, मगर मैं अपनी समस्याएं बताता रहा। इसके बाद साइबर ठग ने मेरे मोबाइल नंबर पर 3 हजार रुपए भेजे। करीब 2 घंटे बाद मैंने साइबर ठग के नंबर पर कॉल किया। बताया कि मैं सुनार के पास गया था। मगर वह कहता है कि तुम्हारे 3 हजार रुपए पर अब 500 रुपए का ब्याज भी चढ़ गया है। बिना वो चुकाए चेन वापस नहीं मिलेगी। इसके बाद साइबर ठग मेरे ऊपर झल्लाता रहा। भूपेंद्र ने कहा- मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वो रुपए देगा। मगर 20 मिनट के बाद मेरे नंबर पर 500 रुपए और ट्रांसफर हो गए। अब मेरा कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ गया। मुझे लगा कि ये जालसाज मेरी कहानी में फंसता जा रहा है। अब इस कहानी को सही साबित करने के लिए मैंने अपने दोस्त शिवम विश्वकर्मा और अपनी पत्नी रिया सिंह को भी शामिल किया। रिया से कहा कि साइबर ठग के लिए मैं एक स्टूडेंट हूं। तो तुम मां बनकर उससे बात करो। कहो कि मेरे बेटे को छोड़ दो। कुछ ऐसा करिए कि वो जेल न जाए। वहीं शिवम से कहा कि तुम मेरे पिता बनकर बात करो। भूपेंद्र ने कहा- मेरे माता–पिता का देहांत हो चुका है। मैंने पत्नी और दोस्त को माता-पिता बनाकर बात कराई। ये दोनों लोग भी बारी-बारी से साइबर ठग के सामने गिड़गिड़ाते रहे, ताकि पूरी कहानी उसे सच्ची लगे। मां बनी रिया ने साइबर ठग से कहा- ये पढ़ने वाला बच्चा है। इसके एग्जाम भी चल रहे हैं। प्लीज इसको जेल मत भेजिएगा। इस तरह से पूरा दिन बातों में फंसाए रहे। भूपेंद्र ने कहा- अब मेरी चेन वाली कहानी हल्की पड़ने लगी थी। साइबर ठग मेरे ऊपर रुपए ट्रांसफर करने का दबाव बनाने लगा। क्योंकि अब उसके रुपए भी फंस चुके थे। तब मैंने नई कहानी गढ़ी। मैंने ठग से कहा कि आप चेन छोड़िए, वो सुनार बहुत नोटंकी बता रहा है। मैंने मां-पापा से छिपाकर सेफ से एक सोने का हार निकाल लिया है। जिसे मैं अपने दोस्त के जरिए गिरवी रखने जा रहा हूं। मैं 1.10 लाख रुपए का गोल्ड लोन लूंगा। ये पूरा पैसा आपको भेज दूंगा। अब ठग ने पूछा कि तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं? मैंने कहा- वो प्रॉपर्टी डीलर हैं। बड़ी-बड़ी प्रॉपर्टियां बेचते और खरीदते हैं। वो महीने का 10 से 15 लाख कमा लेते हैं। इसके बाद जालसाज को लगने लगा कि ज्यादा बड़ी रकम मिल सकती है। भूपेंद्र ने यहां तक कह दिया कि सारे पैसा आपको दे दूंगा। आप तो पुलिस के अफसर हैं। फिर जब मुझे जरूरत होगी, तब मैं आपसे हजार, दो हजार लेता रहूंगा। फिर से भूपेंद्र के पास साइबर ठग का फोन आया कि मेरे रुपए ट्रांसफर कर दो। तब मैंने गोल्ड लोन को लेकर एक बार फिर कहानी बनानी शुरू की। कहा कि मैं गोल्ड लोन लेने गया था। मगर बैंक में बैठे अधिकारियों ने मुझसे 3450 रुपए का फाइल चार्ज मांगे। मगर मेरे पास तो इतने रुपए नहीं थे। मैं बैंक से खाली हाथ लौट आया हूं। अब ठग को लगा कि इस तरह से हाथ से 1.10 लाख रुपए जा रहे हैं। उसने 4 हजार रुपए भेजे। ताकि मैं फाइल चार्ज डिपॉजिट कर सकूं। भूपेंद्र की कहानी समझने के बाद उनके दोस्त शिवम के बारे में भी पढ़िए… शिवम बोले- मैं सुनार बनकर बात करता रहा
भास्कर ऑफिस आए भूपेंद्र के दोस्त शिवम कहते हैं- मैं एक कपड़े की दुकान पर काम करता हूं। भूपेंद्र के कहने पर पहले पिता बनकर जालसाज से बात की। कुल मिलाकर हम लोगों को लग रहा था कि वो हमारी बातों में फंस रहा है, तो पूरा फंसाया जाए। बाद में जब ब्याज के रुपए और चेन की बात फंसी तो मैंने सुनार बनकर भी बात की। मैंने सुनार बनकर ठग से कहा- हार का सौदा कर लीजिए। यह 1.20 लाख रुपए का है। मगर इससे पहले हमारे 4 हजार रुपए तो दिला दो। तब वो मुझे सुनार समझते हुए जेल भेजने की धमकी देने लगा। बोला- कहां है आपकी ज्वैलर्स की दुकान…अभी टीम भेजता हूं। कल तक सलाखों के पीछे होगे। भूपेंद्र का दावा- 2 हजार रुपए और ले सकता हूं
भूपेन्द्र सिंह कहते हैं- साइबर ठग से अभी बातचीत चल रही है। शायद उसने मीडिया कवरेज नहीं पढ़ी है। मुझे उम्मीद है कि गोल्ड लोन के 1.20 रुपए के लिए वह अभी और रुपए भेज सकता है। मैं उससे 2 हजार रुपए और मांग रहा हूं। ताकि बैंक का पेपर वर्क पूरा करवा सकूं। भूपेंद्र और साइबर ठग का 7.27 मिनट का ऑडियो भी सामने आया है। चलिए हूबहू पढ़ते हैं… ठग: हैलो भूपेंद्र: हैलो ठग: बेटा, तुम फोन नहीं उठा रहे। भूपेंद्र: सर, हम इसलिए फोन नहीं उठा रहे थे कि आप डांटेंगे। पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाई है। ठग: हमें भी डांट मिल रही है। मेरी नौकरी चली जाएगी। बेवकूफ समझ रहे हो? भूपेंद्र: नहीं सर, मैं आपको बेवकूफ नहीं समझ रहा हूं। ठग: हम आपको बेटा कह रहे हैं। आप मेरे सिर पर चढ़ रहे हो। भूपेंद्र: नहीं सर, हम पैसे की ही व्यवस्था में लगे हैं। ठग: किसी से उधार ले लो भाई। तुम्हारे चक्कर में हम फंस गए हैं। भूपेंद्र: सर, हम इतना परेशान कभी नहीं हुए, जितना अब हो रहे हैं। ठग: तुम्हारे दोस्त के पास भी बैलेंस नहीं है क्या? भूपेंद्र: नहीं सर, उसके पास बैलेंस नहीं है। होता तो हमें दे देता। ठग: फर्जी बात मत करो। भूपेंद्र: सर, व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ठग: तुमने 3 हजार रुपए मांगे, मैंने दे दिए। दोबारा मांगा, तब भी भेज दिया। क्या मेरे दिमाग पर बेवकूफ लिखा था? भूपेंद्र: आपने मेरी मदद की है, सर। ठग: मदद की है तो इस तरह करोगे मेरे साथ? तुमने मेरा गला ही काट दिया। भूपेंद्र: सर, हम कई लोगों से मांग चुके हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं हो पा रही। ठग: क्या मेरे पास नोट छापने की मशीन है? भूपेंद्र: नहीं सर, ऐसी बात नहीं है। ठग: मेरा फोन रिसीव नहीं करोगे तो तुम्हारे दरवाजे पर आ जाऊंगा। भूपेंद्र: सर, व्यवस्था कर रहे हैं। ठग: तुम्हारी वजह से मैं पत्नी से नजर नहीं मिला पा रहा हूं। भूपेंद्र: सर, प्लीज। एक बार और मेरी व्यवस्था करा दीजिए। हम आधे घंटे में सब रिफंड कर देंगे। ठग: बेटा, हमारे पास एक रुपया नहीं है। मेरे पास जितना रुपया था, तुम्हारे ऊपर लगा दिया है। भूपेंद्र: सर, हम बहुत लोगों से पैसा ले चुके थे। सोचा था कि चेन बिक जाएगी तो सबका चुका देंगे। ठग: बेटा, तुम कुछ भी करो, मेरा पैसा लौटा दो। तुम समझ नहीं रहे हो, हमारा अधिकारी हड़काता है। कहता है कि तुम हैंडल नहीं कर पा रहे हो। भाई, मुझे मेरा ही पैसा लौटा दो। मेरे बच्चों की होली है, मुझे उनके लिए पिचकारी लेनी है। ———————————- ये भी पढ़ें: चुनाव के लिए अगड़ों पर ही भाजपा का भरोसा:यूपी में 70 में से 39 जिलाध्यक्ष सामान्य वर्ग से, ताकि वोट बैंक में न लगे सेंध यूपी में भाजपा ने 98 में से 70 जिलों में अपने ‘सेनापति’ मैदान में उतार दिए हैं। काफी समय से अटकी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भाजपा ने पहले चरण में अगड़ों पर ज्यादा भरोसा जताया है। 70 में 39 जिलाध्यक्ष भाजपा के कोर वोट बैंक यानी सामान्य जाति के हैं। भाजपा ने पंचायत चुनाव-2026 और विधानसभा चुनाव-2027 को देखते हुए जातीय समीकरण का ध्यान रखा है। (पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर