वक्फ बिल का यूपी में क्या असर?:दावा- 57 हजार से ज्यादा संपत्तियां सरकारी; मुसलमानों को डर- सरकार अपने कब्जे में लेगी

वक्फ बिल का यूपी में क्या असर?:दावा- 57 हजार से ज्यादा संपत्तियां सरकारी; मुसलमानों को डर- सरकार अपने कब्जे में लेगी

वक्फ बिल संसद में पास हो गया। इस बिल से वक्फ को होने वाले नुकसान और फायदे पर मुस्लिमों में चर्चा है। सबसे ज्यादा चर्चा यूपी की वक्फ संपत्तियों को लेकर है। यूपी हाई अलर्ट पर है। 75 जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। पुलिस की छुटि्टयां रद कर दी गई हैं। संवेदनशील इलाकों में जवान फ्लैग मार्च कर रहे हैं। इस बिल का यूपी में असर क्या होगा? सरकार का रुख क्या है? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में- सवाल 1- यूपी में वक्फ बोर्ड की कितनी संपत्तियां हैं? जवाब- इसको लेकर अलग–अलग दावे हैं। वक्फ बोर्ड का रिकॉर्ड कुछ कहता है और यूपी सरकार की रिपोर्ट कुछ और कहती है। उत्तर प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड हैं। एक सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरा शिया वक्फ बोर्ड। देश में सबसे ज्यादा वक्फ बोर्ड की संपत्तियां यूपी में हैं। दोनों बोर्ड की यूपी में 1 लाख 32 हजार से ज्यादा संपत्तियां हैं। सुन्नी बोर्ड के पास 1 लाख 24 हजार और शिया वक्फ बोर्ड के पास 8 हजार संपत्तियां दर्ज हैं। बिल आने से पहले AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था- यूपी में एक लाख संपत्तियों के कागज ही नहीं हैं। वक्फ काउंसिल के मुताबिक, संपत्तियों के रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई है। वहीं, यूपी सरकार ने पिछले साल वक्फ संपत्तियों की जांच कराई थी। इसके अनुसार, यूपी में सवा दो लाख संपत्तियां रिकॉर्ड में हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 2 लाख और शिया वक्फ बोर्ड के पास 15 हजार संपत्तियां हैं। उदाहरण के तौर पर– वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में महोबा में एक भी संपत्ति नहीं है। वहीं, सोनभद्र में सिर्फ एक संपत्ति दर्ज है। जबकि सरकार की रिपोर्ट में महोबा में 245 और सोनभद्र में 171 संपत्तियां दर्ज हैं। सवाल 2- यूपी में वक्फ बोर्ड ने कितनी सरकारी संपत्तियों पर कब्जा किया? जवाब- वक्फ संशोधन विधेयक पर सुझाव लेने के लिए जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) बनाई गई थी। इसकी बैठक लखनऊ में भी हुई। बैठक में यूपी सरकार की जांच की रिपोर्ट साझा की गई थी। इसमें बताया गया कि यूपी में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड के सरकारी जमीनों पर भी कब्जे हैं। 40 जिले ऐसे हैं, जिनकी सैकड़ों संपत्तियां शिया और सुन्नी बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज हैं, लेकिन नामांतरण तहसील में नहीं किया गया है। यूपी सरकार की जांच में यह बात सामने आई है कि 57 हजार 792 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का गैरकानूनी तरीके से कब्जा है। ये संपत्तियां 11 हजार 712 एकड़ हैं। अब सवाल उठता है कि यूपी सरकार अपनी संपत्तियों को क्या फिर से अपने कब्जे में लेगी। उसके पास क्या ऑप्शन है? नए वक्फ एक्ट के तहत जो वक्फ प्रॉपर्टी हैं, वे वक्फ बनी रहेंगी, बशर्ते उन पर कोई विवाद न हो या उन्हें सरकारी प्रॉपर्टी न माना जाए। अगर कोई विवाद होता है तो वह संपत्ति सरकारी मानी जाएगी, जब तक कि राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी इस पर निर्णय न लें। इसलिए सरकार अपने इस अधिकार का उपयोग करेगी और वक्फ के कब्जे वाली सरकारी संपत्तियों को वापस ले सकती है। सवाल 3- यूपी में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के बाद सबसे ज्यादा अलर्ट क्यों? जवाब- यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। वक्फ बिल के विरोध में सबसे ज्यादा टकराव और प्रदर्शन की स्थिति यहां बनने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। पहले से भी यूपी सेंसिटिव रहा है, लिहाजा यूपी पुलिस की छुटि्टयां रद्द कर दी गई हैं। मस्जिद और मुस्लिम क्षेत्रों में अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। सवाल 4- यूपी में मुस्लिम आबादी कितनी है? जवाब- 2001 की जनगणना के मुताबिक, यूपी में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। 10 साल बाद 2011 में जनगणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में हिंदू आबादी 79.73% हो गई, जबकि मुस्लिम 19.26% हो गई। इस तरह 2001 से 2011 के 10 सालों में प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 1.4% घट गई। इस बीच राज्य में मुस्लिम आबादी 4.1% बढ़ गई। संख्या में बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इनमें करीब 15.9 करोड़ हिंदू हैं और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। जनगणना विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंदू आबादी 3.20% घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी 3.22 फीसदी बढ़ गई। बिजनौर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में यही ट्रेंड देखने को मिला। सवाल 5- यूपी सरकार ने क्या हाल ही में कोई एक्शन लिया है? जवाब- जिस दिन लोकसभा में यह बिल पास हुआ, उसके अगले दिन प्रयागराज में सीएम योगी ने कहा- ये बोर्ड क्या भूमाफिया बोर्ड हो गया है? भूमाफिया अब प्रदेश में नहीं चल सकते। माफियाओं को तो हम पहले ही प्रदेश से विदा करा चुके हैं। अब उत्तर प्रदेश में माफियागिरी नहीं चलेगी। हम प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगाकर एक अत्यंत महत्वपूर्ण अधिनियम लोकसभा में पास कराया है। सीएम की इस प्रतिक्रिया से यूपी सरकार का रुख समझा जा सकता है। योगी सरकार वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे वाली जमीनें खाली कराएगी। इसके लिए कोर्ट तक जाएगी। योगी सरकार ने लोकसभा और राज्य सभा से वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद अवैध वक्फ संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके लिए जिलाधिकारियों को इन संपत्तियों को चिह्नित कर रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। सवाल 6- क्या है वक्फ? जवाब- ‘वक्फ’ शब्द अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है- ठहरना, रोकना या निषिद्ध करना। 27 देशों के वक्फ की संपत्तियों पर काम करने वाली संस्था ‘औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड’ (AIPF) के मुताबिक, कानूनी शब्दों में ‘इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी वक्फ कर देना कहते हैं।’ फिर वो चाहे कुछ रुपए की रकम हो या बेशकीमती हीरे-जवाहरात से भरी हुई एक पूरी इमारत। अमूमन ऐसी प्रॉपर्टीज को ‘अल्लाह की संपत्ति’ कहा जाता है। अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को देने वाला इंसान ‘वकिफा’ कहलाता है। वकिफा ये शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आमदनी सिर्फ पढ़ाई पर या अस्पतालों पर ही खर्च हो। इन संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकता। धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता। पैगंबर मोहम्मद के समय खजूर के 600 पेड़ों का एक बाग वक्फ का सबसे पहला उदाहरण माना जाता है। इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की मदद की जाती थी। सवाल 7- वक्फ की संपत्तियों का कामकाज कैसे और किस कानून के तहत चलता है? जवाब- आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट बना, 1995 में कुछ संशोधनों के साथ नया वक्फ एक्ट बना। 2013 में भी कई बदलाव हुए। इसके तहत… सवाल 8- वक्फ एक्ट में क्या बदलाव हुए हैं? जवाब- संशोधन बिल लाकर वक्फ एक्ट में 14 प्रमुख बदलाव किए गए हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… मंत्री की गवाही पर सिपाही को 5 साल की जेल:10वीं में फेल था, फर्जी मार्कशीट से झांसी PAC में नौकरी पा ली थी झांसी में मंत्री असीम अरुण की गवाही से एक सिपाही को 5 साल की सजा हुई है। सिपाही राजेश कुमार उपाध्याय 10वीं की फर्जी मार्कशीट बनवा ली थी। उसी मार्कशीट से उसने पीएसी में नौकरी भी हासिल कर ली थी। 26 साल बाद इस केस में अपर सिविल जज कल्पना यादव ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है। दोषी राजेश पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। नहीं देने पर एक माह की और जेल काटनी होगी। 1999 में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। पढ़ें पूरी खबर वक्फ बिल संसद में पास हो गया। इस बिल से वक्फ को होने वाले नुकसान और फायदे पर मुस्लिमों में चर्चा है। सबसे ज्यादा चर्चा यूपी की वक्फ संपत्तियों को लेकर है। यूपी हाई अलर्ट पर है। 75 जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। पुलिस की छुटि्टयां रद कर दी गई हैं। संवेदनशील इलाकों में जवान फ्लैग मार्च कर रहे हैं। इस बिल का यूपी में असर क्या होगा? सरकार का रुख क्या है? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में- सवाल 1- यूपी में वक्फ बोर्ड की कितनी संपत्तियां हैं? जवाब- इसको लेकर अलग–अलग दावे हैं। वक्फ बोर्ड का रिकॉर्ड कुछ कहता है और यूपी सरकार की रिपोर्ट कुछ और कहती है। उत्तर प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड हैं। एक सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरा शिया वक्फ बोर्ड। देश में सबसे ज्यादा वक्फ बोर्ड की संपत्तियां यूपी में हैं। दोनों बोर्ड की यूपी में 1 लाख 32 हजार से ज्यादा संपत्तियां हैं। सुन्नी बोर्ड के पास 1 लाख 24 हजार और शिया वक्फ बोर्ड के पास 8 हजार संपत्तियां दर्ज हैं। बिल आने से पहले AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था- यूपी में एक लाख संपत्तियों के कागज ही नहीं हैं। वक्फ काउंसिल के मुताबिक, संपत्तियों के रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई है। वहीं, यूपी सरकार ने पिछले साल वक्फ संपत्तियों की जांच कराई थी। इसके अनुसार, यूपी में सवा दो लाख संपत्तियां रिकॉर्ड में हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 2 लाख और शिया वक्फ बोर्ड के पास 15 हजार संपत्तियां हैं। उदाहरण के तौर पर– वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में महोबा में एक भी संपत्ति नहीं है। वहीं, सोनभद्र में सिर्फ एक संपत्ति दर्ज है। जबकि सरकार की रिपोर्ट में महोबा में 245 और सोनभद्र में 171 संपत्तियां दर्ज हैं। सवाल 2- यूपी में वक्फ बोर्ड ने कितनी सरकारी संपत्तियों पर कब्जा किया? जवाब- वक्फ संशोधन विधेयक पर सुझाव लेने के लिए जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) बनाई गई थी। इसकी बैठक लखनऊ में भी हुई। बैठक में यूपी सरकार की जांच की रिपोर्ट साझा की गई थी। इसमें बताया गया कि यूपी में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड के सरकारी जमीनों पर भी कब्जे हैं। 40 जिले ऐसे हैं, जिनकी सैकड़ों संपत्तियां शिया और सुन्नी बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज हैं, लेकिन नामांतरण तहसील में नहीं किया गया है। यूपी सरकार की जांच में यह बात सामने आई है कि 57 हजार 792 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का गैरकानूनी तरीके से कब्जा है। ये संपत्तियां 11 हजार 712 एकड़ हैं। अब सवाल उठता है कि यूपी सरकार अपनी संपत्तियों को क्या फिर से अपने कब्जे में लेगी। उसके पास क्या ऑप्शन है? नए वक्फ एक्ट के तहत जो वक्फ प्रॉपर्टी हैं, वे वक्फ बनी रहेंगी, बशर्ते उन पर कोई विवाद न हो या उन्हें सरकारी प्रॉपर्टी न माना जाए। अगर कोई विवाद होता है तो वह संपत्ति सरकारी मानी जाएगी, जब तक कि राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी इस पर निर्णय न लें। इसलिए सरकार अपने इस अधिकार का उपयोग करेगी और वक्फ के कब्जे वाली सरकारी संपत्तियों को वापस ले सकती है। सवाल 3- यूपी में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के बाद सबसे ज्यादा अलर्ट क्यों? जवाब- यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। वक्फ बिल के विरोध में सबसे ज्यादा टकराव और प्रदर्शन की स्थिति यहां बनने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। पहले से भी यूपी सेंसिटिव रहा है, लिहाजा यूपी पुलिस की छुटि्टयां रद्द कर दी गई हैं। मस्जिद और मुस्लिम क्षेत्रों में अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। सवाल 4- यूपी में मुस्लिम आबादी कितनी है? जवाब- 2001 की जनगणना के मुताबिक, यूपी में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। 10 साल बाद 2011 में जनगणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में हिंदू आबादी 79.73% हो गई, जबकि मुस्लिम 19.26% हो गई। इस तरह 2001 से 2011 के 10 सालों में प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 1.4% घट गई। इस बीच राज्य में मुस्लिम आबादी 4.1% बढ़ गई। संख्या में बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इनमें करीब 15.9 करोड़ हिंदू हैं और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। जनगणना विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंदू आबादी 3.20% घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी 3.22 फीसदी बढ़ गई। बिजनौर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में यही ट्रेंड देखने को मिला। सवाल 5- यूपी सरकार ने क्या हाल ही में कोई एक्शन लिया है? जवाब- जिस दिन लोकसभा में यह बिल पास हुआ, उसके अगले दिन प्रयागराज में सीएम योगी ने कहा- ये बोर्ड क्या भूमाफिया बोर्ड हो गया है? भूमाफिया अब प्रदेश में नहीं चल सकते। माफियाओं को तो हम पहले ही प्रदेश से विदा करा चुके हैं। अब उत्तर प्रदेश में माफियागिरी नहीं चलेगी। हम प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगाकर एक अत्यंत महत्वपूर्ण अधिनियम लोकसभा में पास कराया है। सीएम की इस प्रतिक्रिया से यूपी सरकार का रुख समझा जा सकता है। योगी सरकार वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे वाली जमीनें खाली कराएगी। इसके लिए कोर्ट तक जाएगी। योगी सरकार ने लोकसभा और राज्य सभा से वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद अवैध वक्फ संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके लिए जिलाधिकारियों को इन संपत्तियों को चिह्नित कर रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। सवाल 6- क्या है वक्फ? जवाब- ‘वक्फ’ शब्द अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है- ठहरना, रोकना या निषिद्ध करना। 27 देशों के वक्फ की संपत्तियों पर काम करने वाली संस्था ‘औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड’ (AIPF) के मुताबिक, कानूनी शब्दों में ‘इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी वक्फ कर देना कहते हैं।’ फिर वो चाहे कुछ रुपए की रकम हो या बेशकीमती हीरे-जवाहरात से भरी हुई एक पूरी इमारत। अमूमन ऐसी प्रॉपर्टीज को ‘अल्लाह की संपत्ति’ कहा जाता है। अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को देने वाला इंसान ‘वकिफा’ कहलाता है। वकिफा ये शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आमदनी सिर्फ पढ़ाई पर या अस्पतालों पर ही खर्च हो। इन संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकता। धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता। पैगंबर मोहम्मद के समय खजूर के 600 पेड़ों का एक बाग वक्फ का सबसे पहला उदाहरण माना जाता है। इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की मदद की जाती थी। सवाल 7- वक्फ की संपत्तियों का कामकाज कैसे और किस कानून के तहत चलता है? जवाब- आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट बना, 1995 में कुछ संशोधनों के साथ नया वक्फ एक्ट बना। 2013 में भी कई बदलाव हुए। इसके तहत… सवाल 8- वक्फ एक्ट में क्या बदलाव हुए हैं? जवाब- संशोधन बिल लाकर वक्फ एक्ट में 14 प्रमुख बदलाव किए गए हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… मंत्री की गवाही पर सिपाही को 5 साल की जेल:10वीं में फेल था, फर्जी मार्कशीट से झांसी PAC में नौकरी पा ली थी झांसी में मंत्री असीम अरुण की गवाही से एक सिपाही को 5 साल की सजा हुई है। सिपाही राजेश कुमार उपाध्याय 10वीं की फर्जी मार्कशीट बनवा ली थी। उसी मार्कशीट से उसने पीएसी में नौकरी भी हासिल कर ली थी। 26 साल बाद इस केस में अपर सिविल जज कल्पना यादव ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है। दोषी राजेश पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। नहीं देने पर एक माह की और जेल काटनी होगी। 1999 में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर