मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट से राहत, LG वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि मामले में आदेश

मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट से राहत, LG वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि मामले में आदेश

<p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar vs VK Saxena:</strong> दिल्ली के साकेत सेशंस कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को बड़ी राहत दी है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा 2001 में दायर किए गए आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर को दोषी करार दिए जाने के बाद, कोर्ट ने उन्हें जेल नहीं भेजते हुए एक साल की परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मेधा पाटकर को उनके अच्छे आचरण के आधार पर एक साल की प्रोविजन पीरियड पर रखने का आदेश दिया. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दी गई तीन महीने की जेल की सजा को इस आदेश ने पलट दिया. इतना ही नहीं, 10 लाख रुपये का जुर्माना भी घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत ने क्यों दिखाई नरमी ?</strong><br />सेशंस कोर्ट ने माना कि मेधा पाटकर की उम्र, सामाजिक सेवा में योगदान और पूर्व में किसी भी आपराधिक रिकॉर्ड का न होना उन्हें राहत देने के लिए पर्याप्त आधार हैं. दरअसल 1 जुलाई 2024 को जब मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था, तब भी यह कहा गया था कि सजा पांच महीने की रखी जा रही है क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहानी की जड़ें दो दशक पुरानी</strong><br />यह मुकदमा साल 2000 में दिए गए एक बयान से जुड़ा है. 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने एक प्रेस बयान में वी. के. सक्सेना पर हवाला लेन-देन के आरोप लगाए थे और उन्हें &lsquo;कायर&rsquo; कह दिया था. इस बयान को सक्सेना की प्रतिष्ठा पर हमला मानते हुए उन्होंने 2001 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. उस समय वी. के. सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली की अदालत में पहुंचा अहमदाबाद का केस</strong><br />यह केस पहले गुजरात में चला लेकिन 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. 2011 में मेधा पाटकर ने ट्रायल का सामना करने का फैसला किया. मुकदमा 24 साल तक चला, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मेधा पाटकर का पलटवार</strong><br />कोर्ट में मेधा पाटकर ने दावा किया कि वी. के. सक्सेना खुद भी 2000 से उनके खिलाफ गलत और मानहानिकारक बयान देते आए हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि 2002 में सक्सेना ने उन पर शारीरिक हमला किया था और इसकी FIR अहमदाबाद में दर्ज हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या होता है प्रोबेशन पर किसी को रिहा करना</strong><br />प्रोबेशन का मतलब यह होता है कि अपराधी का कोर्ट द्वारा तय किए गए समय तक आचरण देखा जाएगा.अगर उस समय तक उनका आचरण ठीक रहता है तो मामला खत्म भी कर दिया जाता है. वही ऐसे मामले में &nbsp;अपराधी का आचरण कोर्ट ऑफिसर के द्वारा ऑब्जर्व किया जाता है. इसी पूरी प्रक्रिया को ही प्रोबेशन कहा जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”राउज एवेन्यू कोर्ट में कपिल मिश्रा ने 2020 के एक्स पोस्ट पर दी सफाई, कहा- ‘मैंने…'” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/kapil-mishra-clarifiction-stand-on-2020-x-post-in-rouse-avenue-court-delhi-2921299″ target=”_self”>राउज एवेन्यू कोर्ट में कपिल मिश्रा ने 2020 के एक्स पोस्ट पर दी सफाई, कहा- ‘मैंने…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar vs VK Saxena:</strong> दिल्ली के साकेत सेशंस कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को बड़ी राहत दी है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा 2001 में दायर किए गए आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर को दोषी करार दिए जाने के बाद, कोर्ट ने उन्हें जेल नहीं भेजते हुए एक साल की परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मेधा पाटकर को उनके अच्छे आचरण के आधार पर एक साल की प्रोविजन पीरियड पर रखने का आदेश दिया. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दी गई तीन महीने की जेल की सजा को इस आदेश ने पलट दिया. इतना ही नहीं, 10 लाख रुपये का जुर्माना भी घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत ने क्यों दिखाई नरमी ?</strong><br />सेशंस कोर्ट ने माना कि मेधा पाटकर की उम्र, सामाजिक सेवा में योगदान और पूर्व में किसी भी आपराधिक रिकॉर्ड का न होना उन्हें राहत देने के लिए पर्याप्त आधार हैं. दरअसल 1 जुलाई 2024 को जब मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था, तब भी यह कहा गया था कि सजा पांच महीने की रखी जा रही है क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहानी की जड़ें दो दशक पुरानी</strong><br />यह मुकदमा साल 2000 में दिए गए एक बयान से जुड़ा है. 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने एक प्रेस बयान में वी. के. सक्सेना पर हवाला लेन-देन के आरोप लगाए थे और उन्हें &lsquo;कायर&rsquo; कह दिया था. इस बयान को सक्सेना की प्रतिष्ठा पर हमला मानते हुए उन्होंने 2001 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. उस समय वी. के. सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली की अदालत में पहुंचा अहमदाबाद का केस</strong><br />यह केस पहले गुजरात में चला लेकिन 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. 2011 में मेधा पाटकर ने ट्रायल का सामना करने का फैसला किया. मुकदमा 24 साल तक चला, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मेधा पाटकर का पलटवार</strong><br />कोर्ट में मेधा पाटकर ने दावा किया कि वी. के. सक्सेना खुद भी 2000 से उनके खिलाफ गलत और मानहानिकारक बयान देते आए हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि 2002 में सक्सेना ने उन पर शारीरिक हमला किया था और इसकी FIR अहमदाबाद में दर्ज हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या होता है प्रोबेशन पर किसी को रिहा करना</strong><br />प्रोबेशन का मतलब यह होता है कि अपराधी का कोर्ट द्वारा तय किए गए समय तक आचरण देखा जाएगा.अगर उस समय तक उनका आचरण ठीक रहता है तो मामला खत्म भी कर दिया जाता है. वही ऐसे मामले में &nbsp;अपराधी का आचरण कोर्ट ऑफिसर के द्वारा ऑब्जर्व किया जाता है. इसी पूरी प्रक्रिया को ही प्रोबेशन कहा जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”राउज एवेन्यू कोर्ट में कपिल मिश्रा ने 2020 के एक्स पोस्ट पर दी सफाई, कहा- ‘मैंने…'” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/kapil-mishra-clarifiction-stand-on-2020-x-post-in-rouse-avenue-court-delhi-2921299″ target=”_self”>राउज एवेन्यू कोर्ट में कपिल मिश्रा ने 2020 के एक्स पोस्ट पर दी सफाई, कहा- ‘मैंने…'</a></strong></p>  दिल्ली NCR BJP पर अरविंद केजरीवाल का निशाना, ‘ये बौखलाहट दिखाता है…’