अंसल API और सुशांत गोल्फ सिटी से जुड़े विवाद में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में आज फैसला आएगा। ट्रिब्यूनल ने 17 अप्रैल को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। होम बायर्स को उम्मीद है की कंपनी पर दिवालिया होने के आदेश पर स्टे मिलेगा। फैसले की तारीख नजदीक आने के साथ ही करीब 5,000 से अधिक आवंटियों और निवेशकों में राहत की उम्मीद जाग गई है। सुनवाई के दौरान सरोजनी नगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह वकील के रूप में अपनी टीम के साथ मौजूद होंगे। 300 खरीदारों की ओर से पेश की गई अपील
सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप के निवेशक गगन टंडन ने बताया कि इस मामले में लगभग 300 खरीदारों की ओर से अपील दायर की गई थी। वह और कुश अग्रवाल मामले की पैरवी के लिए दिल्ली पहुंचे थे। NCLAT में हुई सुनवाई में आवंटियों, निवेशकों, LDA और रेरा के वकीलों ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। बिना विभागों की बात सुने सुनाया गया था NCLT का फैसला
गगन टंडन ने बताया कि अंसल ग्रुप ने न केवल बंधक जमीन बेच दी, बल्कि नक्शा पास कराने का शुल्क भी जमा नहीं किया। कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस स्पष्ट रूप से इस शर्त पर दिया गया था कि अगर अंसल विकास कार्य नहीं करेगा, तो LDA खुद बंधक जमीन बेचकर विकास कार्य करवाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ एक फाइनेंस कंपनी के 83 करोड़ रुपए के बकाए को आधार बनाकर NCLT द्वारा अंसल को दिवालिया घोषित करना विभागों का पक्ष सुने बिना लिया गया फैसला है, जो न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। उम्मीद जताई कि NCLAT के फैसले से NCLT के आदेश पर रोक लगेगी। अंसल API और सुशांत गोल्फ सिटी से जुड़े विवाद में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में आज फैसला आएगा। ट्रिब्यूनल ने 17 अप्रैल को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। होम बायर्स को उम्मीद है की कंपनी पर दिवालिया होने के आदेश पर स्टे मिलेगा। फैसले की तारीख नजदीक आने के साथ ही करीब 5,000 से अधिक आवंटियों और निवेशकों में राहत की उम्मीद जाग गई है। सुनवाई के दौरान सरोजनी नगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह वकील के रूप में अपनी टीम के साथ मौजूद होंगे। 300 खरीदारों की ओर से पेश की गई अपील
सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप के निवेशक गगन टंडन ने बताया कि इस मामले में लगभग 300 खरीदारों की ओर से अपील दायर की गई थी। वह और कुश अग्रवाल मामले की पैरवी के लिए दिल्ली पहुंचे थे। NCLAT में हुई सुनवाई में आवंटियों, निवेशकों, LDA और रेरा के वकीलों ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। बिना विभागों की बात सुने सुनाया गया था NCLT का फैसला
गगन टंडन ने बताया कि अंसल ग्रुप ने न केवल बंधक जमीन बेच दी, बल्कि नक्शा पास कराने का शुल्क भी जमा नहीं किया। कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस स्पष्ट रूप से इस शर्त पर दिया गया था कि अगर अंसल विकास कार्य नहीं करेगा, तो LDA खुद बंधक जमीन बेचकर विकास कार्य करवाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ एक फाइनेंस कंपनी के 83 करोड़ रुपए के बकाए को आधार बनाकर NCLT द्वारा अंसल को दिवालिया घोषित करना विभागों का पक्ष सुने बिना लिया गया फैसला है, जो न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। उम्मीद जताई कि NCLAT के फैसले से NCLT के आदेश पर रोक लगेगी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
अंसल API पर आज आएगा फैसला:ट्रिब्यूनल कंपनी को दिवालिया घोषित करने के आदेश पर लगा सकता है स्टे
