मुजफ्फरनगर-सहारनपुर स्टेट हाईवे के करीब शनिवार सुबह 6.30 बजे अचानक विस्फोट हुआ, धमाके की आवाज 5 Km दूर तक सुनाई दी। भूकम्प जैसा झटका महसूस हुआ। सबसे पहले निहालखेड़ी गांव के लोग मौके पर पहुंचे। विस्फोट में ईगल फायर वर्क्स की इमारत ढह चुकी थी। मलबे में दबे लोगों में 3 लेबर की बॉडी के चीथड़े 500 मीटर दूर तक बिखर गए। गाजियाबाद से SDRF को बुलाना पड़ा। पुलिस ने फायर वर्क्स फैक्ट्री चलाने वाले 3 पार्टनर को अरेस्ट किया, उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई। आरोप है- ये लोग लेबर की बॉडी के टुकड़ों को बोरी में भरकर फेंकने जा रहे थे, किसानों ने उन्हें पकड़ा। अब सवाल उठता है कि आखिर पटाखे की स्टोरेज करने में किस स्तर पर लापरवाही हुई? 3 मौत के जिम्मेदार कौन लोग हैं? इनके सवाल तलाशते हुए दैनिक भास्कर ऐप की टीम ने पुलिस, CFO और गांव के लोगों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… हादसे के बाद माहौल
गांव वाले बोले- एक ही धर्म के लोग मरे, बाकी कैसे बच गए
विस्फोट और 3 मौत होने के बाद पटाखा फैक्ट्री के आसपास के एरिया में तनाव फैल गया। कुछ लोगों ने आरोप लगाए कि सिर्फ एक खास धर्म के लोगों की मौत हुई हैं। इसके बाद एरिया में पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी। ये फैक्ट्री नफीस, कासिफ और नदीम मिलकर चलाते थे। हादसे में मरने वाले विकास, राहुल उर्फ काका और विशाल के परिजन हाईवे पर रोते बिलखते रहे।उनका दर्द इसलिए भी ज्यादा था, क्योंकि उनके बच्चों की बॉडी के टुकड़े पुलिस कपड़े और पॉलिथीन में बटोरती रही। फोरेंसिक टीम ने लाश के टुकड़े पेड़ों के ऊपर से भी इकट्ठा किए। हालात इससे समझे जा सकते हैं कि फोरेंसिक को लाशों के सभी टुकड़े तक नहीं मिले। करीब 155 पैकेट तैयार हुए, इनमें लाश के टुकड़े रखे गए थे। एम्बुलेंस से इन्हें सहारनपुर के पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा गया। हादसे के बाद वीडियो सामने आया लेबर के शवों को बोरियों में भरकर फेंकने की कोशिश
पटाखा फैक्ट्री में धमाके के बाद का एक वीडियो सामने आया है। इसमें नफीस, कासिफ और नदीम खेतों के बीच भागते हुए दिख रहे हैं। खेतों में काम करने वाले सवाल पूछ रहे हैं। आरोप है कि फैक्ट्री मालिकों ने हादसे के बाद करने वाले विकास, राहुल और विशाल की लाश के टुकड़ों को जल्दी-जल्दी बोरी में भर दिया था। वे इन्हें फेंकने के लिए खेतों के रास्ते जा रहे थे। मगर किसानों ने उन्हें देख लिया। वीडियो में वे लोग कहते हुए सुने जा रहे है कि कुत्ते-बिल्ली की लाशें हैं, तब किसान उन्हें पीटते हुए लाए और पुलिस को सौंप दिया। फैक्ट्री मालिक बोले- हम बाहर वाले कमरे थे, वरना न बचते
नफीस, कासिफ और नदीम ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सुबह 4 बजे विकास, राहुल और विशाल ही फैक्ट्री में आए थे। बाकी 25 से 30 महिलाएं 8 बजे आने वाली थीं। मगर उससे पहले ही विस्फोट हो गया। उन्होंने कहा- हम लोग फैक्ट्री के बाहर वाले कमरे में बैठे थे, जब धमाका हुआ, तो कमरे की दीवारें टूट गईं। मगर छत सलामत रहीं, वरना हम भी नहीं बचते। भीड़ से बचाने के लिए फैक्ट्री मालिकों को वर्दी पहनाकर ले गई पुलिस विस्फोट के बाद फैक्ट्री के बाहर लोग इकट्ठा होने लगे। तीनों फैक्ट्री मालिकों को बचाने के लिए पुलिस ने उन्हें वर्दी पहनाई, फिर अपने बीच में लेकर गई। अब उन्हें सेफ जगह पर रखा गया है। पूछताछ की जा रही है। अब परिवार का दर्द विकास के पिता बोले- 1 साल पहले बेटे ने काम शुरू किया
ध्वस्त हो चुकी फैक्ट्री के बाहर एक पेड़ के नीचे मरने वाले विकास के पिता राजबल बैठे मिले। हमने पूछा- कैसे क्या हुआ? उन्होंने कहा- मेरा बेटा सुबह 6 बजे यहां काम करने आया था। 1 साल पहले ही तो उसने फैक्ट्री में काम करना शुरू किया था। मैं तो सुबह ही परिवार के लोगों के साथ खेतों पर चला गया था। गेहूं कट रहा था, अचानक धमका हुआ, फिर हादसे की खबर आई। ये फैक्ट्री के मालिक शव को बोरी में भरकर फेंकने जा रहे थे, ये तो कहिए कि लोगों ने पकड़ लिया। ये लोग बॉडी के टुकड़ों को रेलवे ट्रैक के पास से लेकर आए हैं। मां बोलीं- मेरा बेटा भूखा ही चला गया
विकास की मां पुष्पा हाईवे पर बैठकर चीख-चीखकर बेटे को बुला रही थीं। महिला पुलिस और गांव की महिलाएं उन्हें चुप करा रही थीं। मगर वह बिलखते हुए कहती हैं- अब मैं जीकर क्या करूंगी? उसने चाय तक नहीं पी थी। 12 बजे लंच भेजना था, मेरा बेटा भूखा ही चला गया। राहुल के पिता बोले- बेटे का चेहरा तो दिखा दो
राहुल उर्फ काका के पिता रामकुमार बेटे की मौत की खबर सुनकर अपना होश खो बैठे। वो इधर-उधर अधिकारियों और लोगों के सामने हाथ जोड़ते हुए दिखे। वो कहते रहे कि मेरे बेटे की एक बार शक्ल दिखा दो। एक बार उसके सिर पर हाथ फेर लेने दो। मगर टुकड़ों में पड़े शवों को कैसे पहचानते। हाथ जोड़ते हुए रामकुमार एक पेड़ के नीचे पहुंच गए। वहां पर अधिकारी खड़े थे। एडीएम ई.डॉ अर्चना द्विवेदी के सामने भी हाथ जोड़े और बेटे को देखने की बात कही। लेकिन पिता की गुहार को एडीएम कैसे स्वीकार करतीं। एक बाप की तड़प देखकर ADM भी फूट-फूटकर रोने लगीं और लाचार पिता को सांत्वना देने लगी। करीब छह घंटे तक एक पिता अपने बेटे को आखिरी बार देखना चाहता था, लेकिन उसकी वो इच्छा पूरी नहीं हो सकी। विशाल की दो दिन पहले हुई थी सगाई मृतक विशाल के पिता संदीप भी अपने बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद बेसुध हो गए। घटनास्थल पर उनसे मुलाकात नहीं हुई। वो थाना देवबंद में एक कुर्सी पर बैठे मिले। हमने पूछा- भाई साहब क्या हुआ। बोले- मेरा बेटा विशाल भी इस हादसे का शिकार हो गया। उसका भी शरीर नहीं मिला। बस लोथड़े मिले हैं, कैसे पहचान करें। वो कान में टॉप्स पहनता था, उससे ही पहचान करके देखेंगे। संदीप ने बताया- विशाल की दो दिन पहले ही सगाई हुई थी। बस शादी की तारीख तय होनी थी। लेकिन उससे पहले ही ये हादसा हो गया। फिर वे फूट-फूटकर रोने लगे और ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए। 15Kg स्टोरेज के लाइसेंस पर 600Kg बारूद इकट्ठा किया पटाखा फैक्ट्री का लाइसेंस नफीस के नाम पर है। 15 Kg बारुद की स्टोरेज की अनुमति थी। लेबर धूप आने से पहले पोटाश और गंधक मिलाकर मसाला तैयार करते थे। करीब 8 बजे वहां काम करने वाली 25 से 30 महिलाएं आती थीं। फैक्ट्री से 3 दिन पहले काम छोड़ चुके एक मजदूर ने बताया कि रोजाना 25 से 26 पेटी माल तैयार होता था। एक पेटी का वजन करीब 30 किलो होता है। इसमें गत्ते का भी वजन शामिल है। ………..
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सहारनपुर में पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट, 3 की मौत: शवों के उड़े चीथड़े; पॉलिथीन में बटोरकर ले गई पुलिस, धमाके से पूरी बिल्डिंग ढही यूपी के सहारनपुर के देवबंद में शनिवार सुबह एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो गया। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है। मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि घटना के वक्त फैक्ट्री के अंदर 10 से ज्यादा लोग मौजूद थे। विस्फोट इतना जोरदार था कि पूरी बिल्डिंग ढह गई। शवों के चीथड़े 100 से 150 मीटर दूर तक जा गिरे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धमाके की आवाज 2 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। विस्फोट के समय ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो। पढ़िए पूरी खबर… मुजफ्फरनगर-सहारनपुर स्टेट हाईवे के करीब शनिवार सुबह 6.30 बजे अचानक विस्फोट हुआ, धमाके की आवाज 5 Km दूर तक सुनाई दी। भूकम्प जैसा झटका महसूस हुआ। सबसे पहले निहालखेड़ी गांव के लोग मौके पर पहुंचे। विस्फोट में ईगल फायर वर्क्स की इमारत ढह चुकी थी। मलबे में दबे लोगों में 3 लेबर की बॉडी के चीथड़े 500 मीटर दूर तक बिखर गए। गाजियाबाद से SDRF को बुलाना पड़ा। पुलिस ने फायर वर्क्स फैक्ट्री चलाने वाले 3 पार्टनर को अरेस्ट किया, उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई। आरोप है- ये लोग लेबर की बॉडी के टुकड़ों को बोरी में भरकर फेंकने जा रहे थे, किसानों ने उन्हें पकड़ा। अब सवाल उठता है कि आखिर पटाखे की स्टोरेज करने में किस स्तर पर लापरवाही हुई? 3 मौत के जिम्मेदार कौन लोग हैं? इनके सवाल तलाशते हुए दैनिक भास्कर ऐप की टीम ने पुलिस, CFO और गांव के लोगों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… हादसे के बाद माहौल
गांव वाले बोले- एक ही धर्म के लोग मरे, बाकी कैसे बच गए
विस्फोट और 3 मौत होने के बाद पटाखा फैक्ट्री के आसपास के एरिया में तनाव फैल गया। कुछ लोगों ने आरोप लगाए कि सिर्फ एक खास धर्म के लोगों की मौत हुई हैं। इसके बाद एरिया में पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी। ये फैक्ट्री नफीस, कासिफ और नदीम मिलकर चलाते थे। हादसे में मरने वाले विकास, राहुल उर्फ काका और विशाल के परिजन हाईवे पर रोते बिलखते रहे।उनका दर्द इसलिए भी ज्यादा था, क्योंकि उनके बच्चों की बॉडी के टुकड़े पुलिस कपड़े और पॉलिथीन में बटोरती रही। फोरेंसिक टीम ने लाश के टुकड़े पेड़ों के ऊपर से भी इकट्ठा किए। हालात इससे समझे जा सकते हैं कि फोरेंसिक को लाशों के सभी टुकड़े तक नहीं मिले। करीब 155 पैकेट तैयार हुए, इनमें लाश के टुकड़े रखे गए थे। एम्बुलेंस से इन्हें सहारनपुर के पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा गया। हादसे के बाद वीडियो सामने आया लेबर के शवों को बोरियों में भरकर फेंकने की कोशिश
पटाखा फैक्ट्री में धमाके के बाद का एक वीडियो सामने आया है। इसमें नफीस, कासिफ और नदीम खेतों के बीच भागते हुए दिख रहे हैं। खेतों में काम करने वाले सवाल पूछ रहे हैं। आरोप है कि फैक्ट्री मालिकों ने हादसे के बाद करने वाले विकास, राहुल और विशाल की लाश के टुकड़ों को जल्दी-जल्दी बोरी में भर दिया था। वे इन्हें फेंकने के लिए खेतों के रास्ते जा रहे थे। मगर किसानों ने उन्हें देख लिया। वीडियो में वे लोग कहते हुए सुने जा रहे है कि कुत्ते-बिल्ली की लाशें हैं, तब किसान उन्हें पीटते हुए लाए और पुलिस को सौंप दिया। फैक्ट्री मालिक बोले- हम बाहर वाले कमरे थे, वरना न बचते
नफीस, कासिफ और नदीम ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सुबह 4 बजे विकास, राहुल और विशाल ही फैक्ट्री में आए थे। बाकी 25 से 30 महिलाएं 8 बजे आने वाली थीं। मगर उससे पहले ही विस्फोट हो गया। उन्होंने कहा- हम लोग फैक्ट्री के बाहर वाले कमरे में बैठे थे, जब धमाका हुआ, तो कमरे की दीवारें टूट गईं। मगर छत सलामत रहीं, वरना हम भी नहीं बचते। भीड़ से बचाने के लिए फैक्ट्री मालिकों को वर्दी पहनाकर ले गई पुलिस विस्फोट के बाद फैक्ट्री के बाहर लोग इकट्ठा होने लगे। तीनों फैक्ट्री मालिकों को बचाने के लिए पुलिस ने उन्हें वर्दी पहनाई, फिर अपने बीच में लेकर गई। अब उन्हें सेफ जगह पर रखा गया है। पूछताछ की जा रही है। अब परिवार का दर्द विकास के पिता बोले- 1 साल पहले बेटे ने काम शुरू किया
ध्वस्त हो चुकी फैक्ट्री के बाहर एक पेड़ के नीचे मरने वाले विकास के पिता राजबल बैठे मिले। हमने पूछा- कैसे क्या हुआ? उन्होंने कहा- मेरा बेटा सुबह 6 बजे यहां काम करने आया था। 1 साल पहले ही तो उसने फैक्ट्री में काम करना शुरू किया था। मैं तो सुबह ही परिवार के लोगों के साथ खेतों पर चला गया था। गेहूं कट रहा था, अचानक धमका हुआ, फिर हादसे की खबर आई। ये फैक्ट्री के मालिक शव को बोरी में भरकर फेंकने जा रहे थे, ये तो कहिए कि लोगों ने पकड़ लिया। ये लोग बॉडी के टुकड़ों को रेलवे ट्रैक के पास से लेकर आए हैं। मां बोलीं- मेरा बेटा भूखा ही चला गया
विकास की मां पुष्पा हाईवे पर बैठकर चीख-चीखकर बेटे को बुला रही थीं। महिला पुलिस और गांव की महिलाएं उन्हें चुप करा रही थीं। मगर वह बिलखते हुए कहती हैं- अब मैं जीकर क्या करूंगी? उसने चाय तक नहीं पी थी। 12 बजे लंच भेजना था, मेरा बेटा भूखा ही चला गया। राहुल के पिता बोले- बेटे का चेहरा तो दिखा दो
राहुल उर्फ काका के पिता रामकुमार बेटे की मौत की खबर सुनकर अपना होश खो बैठे। वो इधर-उधर अधिकारियों और लोगों के सामने हाथ जोड़ते हुए दिखे। वो कहते रहे कि मेरे बेटे की एक बार शक्ल दिखा दो। एक बार उसके सिर पर हाथ फेर लेने दो। मगर टुकड़ों में पड़े शवों को कैसे पहचानते। हाथ जोड़ते हुए रामकुमार एक पेड़ के नीचे पहुंच गए। वहां पर अधिकारी खड़े थे। एडीएम ई.डॉ अर्चना द्विवेदी के सामने भी हाथ जोड़े और बेटे को देखने की बात कही। लेकिन पिता की गुहार को एडीएम कैसे स्वीकार करतीं। एक बाप की तड़प देखकर ADM भी फूट-फूटकर रोने लगीं और लाचार पिता को सांत्वना देने लगी। करीब छह घंटे तक एक पिता अपने बेटे को आखिरी बार देखना चाहता था, लेकिन उसकी वो इच्छा पूरी नहीं हो सकी। विशाल की दो दिन पहले हुई थी सगाई मृतक विशाल के पिता संदीप भी अपने बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद बेसुध हो गए। घटनास्थल पर उनसे मुलाकात नहीं हुई। वो थाना देवबंद में एक कुर्सी पर बैठे मिले। हमने पूछा- भाई साहब क्या हुआ। बोले- मेरा बेटा विशाल भी इस हादसे का शिकार हो गया। उसका भी शरीर नहीं मिला। बस लोथड़े मिले हैं, कैसे पहचान करें। वो कान में टॉप्स पहनता था, उससे ही पहचान करके देखेंगे। संदीप ने बताया- विशाल की दो दिन पहले ही सगाई हुई थी। बस शादी की तारीख तय होनी थी। लेकिन उससे पहले ही ये हादसा हो गया। फिर वे फूट-फूटकर रोने लगे और ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए। 15Kg स्टोरेज के लाइसेंस पर 600Kg बारूद इकट्ठा किया पटाखा फैक्ट्री का लाइसेंस नफीस के नाम पर है। 15 Kg बारुद की स्टोरेज की अनुमति थी। लेबर धूप आने से पहले पोटाश और गंधक मिलाकर मसाला तैयार करते थे। करीब 8 बजे वहां काम करने वाली 25 से 30 महिलाएं आती थीं। फैक्ट्री से 3 दिन पहले काम छोड़ चुके एक मजदूर ने बताया कि रोजाना 25 से 26 पेटी माल तैयार होता था। एक पेटी का वजन करीब 30 किलो होता है। इसमें गत्ते का भी वजन शामिल है। ………..
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सहारनपुर ब्लास्ट- 3 लाशें 155 पैकेट में पैक कीं:चीथड़े उड़कर पेड़ में चिपके, पिता बोले- 2 दिन पहले ही सगाई हुई थी
