आगरा का गुलफाम हत्याकांड-गोसेवा के नाम पर कराया मर्डर:मां बोली- नाले से गाय निकलवाने के बहाने बच्चों को ले गया, खूनी खेल खेला

आगरा का गुलफाम हत्याकांड-गोसेवा के नाम पर कराया मर्डर:मां बोली- नाले से गाय निकलवाने के बहाने बच्चों को ले गया, खूनी खेल खेला

हम गोरक्षा दल के सदस्य हैं। दो को मार दिया है। यह पहलगाम का बदला है। 26 का बदला 26 हजार से लिया जाएगा। 20 सेकेंड का यह वीडियो आगरा में गुलफाम की हत्या के बाद सामने आया। 23 अप्रैल, 2025 को शिल्पग्राम रोड पर रेस्टोरेंट में बंद कर गुलफाम को गोली मार दी गई। 28 अप्रैल को पुलिस ने शिवम बघेल और प्रशांत यादव को मुठभेड़ के बाद अरेस्ट कर लिया। पुलिस कस्टडी में सामने आया कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड पुष्पेंद्र बघेल है। इस मामले की हकीकत समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम आगरा के करभना गांव पहुंची। शिवम के परिजनों ने कहा- पुष्पेंद्र हमारे बच्चों को यह कहकर ले गया कि एक गाय नाले में गिर गई है। उसे निकालने चलना है। हमें नहीं पता था कि पुष्पेंद्र मौत का घिनौना खेल खिलवाने के लिए उन्हें लेकर जा रहा है। हमारे बच्चे सिर्फ गोसेवा करते थे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पुष्पेंद्र के घर की गली में सन्नाटा पड़ोसी बोले- वो परिवार के साथ भागा हुआ
आगरा शहर से करीब 15 km दूर गांव करभना है। गांववालों ने बताया कि गुलफाम को मौत के घाट उतारने वाले तीनों हत्यारों के घर 300 मीटर के दायरे में हैं। गांव में दाखिल होने के बाद सबसे पहले प्रियांश का घर मिला। गांव के बीचोंबीच स्थित शिवम के घर के सामने एक संकरी गली है। इसमें 200 मीटर चलने पर मुख्य आरोपी पुष्पेंद्र बघेल का घर है। वहां सन्नाटा पसरा था। इक्का-दुक्का लोग ही आ-जा रहे थे। गांववालों ने बताया कि परिवार के लोग डरे हुए हैं। वो भागे हुए हैं। बाहर की खिड़की के शीशे टूटे हैं। ऐसा लगा कि तोड़-फोड़ हुई है। दरवाजे पर ताला पड़ा था। यहां पड़ोस में रहने वाली शीला ने बताया- जिस दिन गुलफाम की हत्या हुई, उसी दिन पुष्पेंद्र के परिवार के लोग घर छोड़कर चले गए। पुष्पेंद्र की तलाश में पुलिस कई बार घर आ चुकी है। हमने शीला से पूछा- पुष्पेंद्र कैसा व्यक्ति है? इसका उन्होंने जवाब नहीं दिया। गांव के कुछ और लोगों ने बिना कैमरा पर आए बताया कि पुष्पेंद्र और उसके परिवार के लोग ठीक नहीं हैं। झगड़ालू हैं..वह किसी हिंदू संगठन से जुड़ा नहीं है। हां, इतना जरूर है कि गायों की सेवा करता है। अब शिवम के घर की बात मां बोलीं- वो हिंदू संगठन से नहीं जुड़ा, गोसेवा करता था
पुष्पेंद्र के घर के बाद दैनिक भास्कर की टीम हत्याकांड के दूसरे आरोपी शिवम बघेल के घर पहुंची। गली में सन्नाटा था। दरवाजा खटखटाया, तो उसकी मां मिथलेश बघेल बाहर निकलीं। हमने पूछा- क्या आपका बेटा किसी हिंदू संगठन से जुड़ा था? मां मिथलेश ने जवाब दिया- मेरे बेटे को धोखे से पुष्पेंद्र ले गया था। वह न तो किसी हिंदू संगठन से जुड़ा था, न ही हिंदू-मुस्लिम के बीच भेद समझता था। वह गोसेवा की वजह पुष्पेंद्र और प्रियांश से जुड़ा था। शिवम घर से चारा लेकर जाता था। गाय बीमार होने पर उसके लिए दवा भी ले जाता था। हमने पूछा- उस दिन क्या हुआ था? उन्होंने कहा- उस दिन पुष्पेंद्र मेरे बेटे को यह कह कर ले गया था कि गाय गटर में गिर गई है, उसे उठाने चलना है। शिवम को ये नहीं पता था कि पुष्पेंद्र उससे क्या काम करवाने ले जा रहा? अब प्रियांश के घर चलते हैं मां ने कहा- पुष्पेंद्र आया और बोला गाय का दवा दिलवानी है
इसके बाद हम हत्याकांड के तीसरे आरोपी प्रियांश यादव के घर पर पहुंचे। घर पर रिश्तेदारों के अलावा आसपास के लोग भी इकट्‌ठा मिले। लोग प्रियांश की मां ऊषा देवी को दिलासा दे रहे थे। ऊषा देवी ने बताया- मेरा बेटा उस दिन शाम को घर पर खाना खा रहा था। तभी पुष्पेंद्र आया और मेरे बेटे को यह कहते हुए ले गया कि गाय को दवा दिलवानी है। मैंने उसे टोका भी। इस पर वह बोला- चाची मैं आधे घंटे में प्रियांश को छोड़ जाऊंगा। फिर रात तक जब वह लोग नहीं लौटे, तब मैं पुष्पेंद्र के घर गई। वहां पूछताछ की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। मेरे बेटे ने इसी साल 12वीं के एग्जाम दिए हैं। उसको गलत फंसा दिया गया। हम वीडियो वायरल करने वाले मनोज चौधरी के गांव मलपुरा पहुंचे… लोग बोले- वो गलत कामों में रहता था, मगर गोसेवा करता था
गांव में हर कोई मनोज चौधरी को जानता है। बताया गया कि उसका घर नगला भूरिया में है। गांव के अलग-अलग लोगों से बात करके समझ आया कि मनोज को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग उसकी आपराधिक प्रवृत्ति के लिए उसको जानते हैं, जबकि कुछ लोग गोसेवा की वजह से जानते हैं। उसका घर गांव के बीच में है। घर पर माता-पिता के अलावा उसका एक भाई अजय चाहर रहता है। परिजनों का कहना है कि मनोज दिनभर गोसेवा में ही व्यस्त रहता था। उसी वीडियो वो अपनी इंस्टाग्राम पर डालता था। ग्राम सभा की जमीन के एक हिस्से में वह बीमार गायों को रखता था और उनकी सेवा करता था। पिता नारायण सिंह का कहना है कि उसने अंजाने में गुलफाम हत्याकांड का वीडियो अपलोड कर दिया था। उसे इसके बारे में जानकारी नहीं थी और न ही पुष्पेंद्र, शिवम और प्रियांश को जानता है। मनोज को जमानत मिली
पुलिस ने मनोज चाहर को वीडियो वायरल करने के आरोप में जेल भेजा था। उस पर साइबर क्राइम से जुड़े अपराध की धाराएं लगाई गई थीं, जिनमें उसे दो दिन बाद ही जमानत मिल गई। मनोज चाहर के भाई अजय चाहर ने बताया कि मनोज 12वीं पास है। जमानत मिलने के बाद वह घर आया था और दो घंटे बाद ही दिल्ली चला गया। वह अब वहीं रहेगा। उसने बताया कि मनोज ने जिन गायों को सेवा के लिए रखा था, उन्हें शास्त्रीपुरम स्थित गोशाला में छोड़ दिया है। अब पढ़िए पूरा घटनाक्रम
ताजनगरी में शाहिद अली का चिकन बिरयानी नाम से रेस्टोरेंट है। यहां पर उसके साथ चचेरे भाई मुन्ना, जीशान, सैफ अली और गुलफाम देख-रेख करते हैं। गुरुवार रात करीब 12 बजे रेस्टोरेंट पर बाइक पर 3 युवक आए। दो युवक रेस्टोरेंट पर आए। यहां पर गुलफाम ने उससे पूछा कि हां भाई क्या चाहिए? इस पर युवक ने गोली चला दी। गोली गुलफाम के सीने में लगी। वो वहीं गिर गया। इसके बाद सैफ अली ने शोर मचाया। हमलावर सैफ अली के पास आया और गोली चला दी। गोली सैफ अली को छूते हुए निकल गई। इसके बाद हमलावर अपनी एक्टिवा पर बैठकर शिल्पग्राम की ओर भाग गए। —————————
यह खबर भी पढ़ें : वो हाथ जोड़ता रहा, दरिंदों ने गोली मार दी, आगरा में रेस्टोरेंटकर्मी के पिता बोले- वह तो हंसता रहता था फिर क्यों मार डाला हमारी किसी से रंजिश नहीं है। न ही गुलफाम का किसी से विवाद हुआ। मेरे बेटे ने कभी किसी को गाली तक नहीं दी। हमेशा हंसता रहता था। पता नहीं क्यों मेरे बेटे को मार दिया? हमारे घर का सबसे हंसमुख सदस्य था। घर की रौनक ही चली गई। यह कहना है गुलफाम के 58 वर्षीय पिता इमाम बक्क्ष का। 23 अप्रैल को गुलफाम की स्कूटी सवार 3 लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पढ़िए पूरी खबर… हम गोरक्षा दल के सदस्य हैं। दो को मार दिया है। यह पहलगाम का बदला है। 26 का बदला 26 हजार से लिया जाएगा। 20 सेकेंड का यह वीडियो आगरा में गुलफाम की हत्या के बाद सामने आया। 23 अप्रैल, 2025 को शिल्पग्राम रोड पर रेस्टोरेंट में बंद कर गुलफाम को गोली मार दी गई। 28 अप्रैल को पुलिस ने शिवम बघेल और प्रशांत यादव को मुठभेड़ के बाद अरेस्ट कर लिया। पुलिस कस्टडी में सामने आया कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड पुष्पेंद्र बघेल है। इस मामले की हकीकत समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम आगरा के करभना गांव पहुंची। शिवम के परिजनों ने कहा- पुष्पेंद्र हमारे बच्चों को यह कहकर ले गया कि एक गाय नाले में गिर गई है। उसे निकालने चलना है। हमें नहीं पता था कि पुष्पेंद्र मौत का घिनौना खेल खिलवाने के लिए उन्हें लेकर जा रहा है। हमारे बच्चे सिर्फ गोसेवा करते थे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पुष्पेंद्र के घर की गली में सन्नाटा पड़ोसी बोले- वो परिवार के साथ भागा हुआ
आगरा शहर से करीब 15 km दूर गांव करभना है। गांववालों ने बताया कि गुलफाम को मौत के घाट उतारने वाले तीनों हत्यारों के घर 300 मीटर के दायरे में हैं। गांव में दाखिल होने के बाद सबसे पहले प्रियांश का घर मिला। गांव के बीचोंबीच स्थित शिवम के घर के सामने एक संकरी गली है। इसमें 200 मीटर चलने पर मुख्य आरोपी पुष्पेंद्र बघेल का घर है। वहां सन्नाटा पसरा था। इक्का-दुक्का लोग ही आ-जा रहे थे। गांववालों ने बताया कि परिवार के लोग डरे हुए हैं। वो भागे हुए हैं। बाहर की खिड़की के शीशे टूटे हैं। ऐसा लगा कि तोड़-फोड़ हुई है। दरवाजे पर ताला पड़ा था। यहां पड़ोस में रहने वाली शीला ने बताया- जिस दिन गुलफाम की हत्या हुई, उसी दिन पुष्पेंद्र के परिवार के लोग घर छोड़कर चले गए। पुष्पेंद्र की तलाश में पुलिस कई बार घर आ चुकी है। हमने शीला से पूछा- पुष्पेंद्र कैसा व्यक्ति है? इसका उन्होंने जवाब नहीं दिया। गांव के कुछ और लोगों ने बिना कैमरा पर आए बताया कि पुष्पेंद्र और उसके परिवार के लोग ठीक नहीं हैं। झगड़ालू हैं..वह किसी हिंदू संगठन से जुड़ा नहीं है। हां, इतना जरूर है कि गायों की सेवा करता है। अब शिवम के घर की बात मां बोलीं- वो हिंदू संगठन से नहीं जुड़ा, गोसेवा करता था
पुष्पेंद्र के घर के बाद दैनिक भास्कर की टीम हत्याकांड के दूसरे आरोपी शिवम बघेल के घर पहुंची। गली में सन्नाटा था। दरवाजा खटखटाया, तो उसकी मां मिथलेश बघेल बाहर निकलीं। हमने पूछा- क्या आपका बेटा किसी हिंदू संगठन से जुड़ा था? मां मिथलेश ने जवाब दिया- मेरे बेटे को धोखे से पुष्पेंद्र ले गया था। वह न तो किसी हिंदू संगठन से जुड़ा था, न ही हिंदू-मुस्लिम के बीच भेद समझता था। वह गोसेवा की वजह पुष्पेंद्र और प्रियांश से जुड़ा था। शिवम घर से चारा लेकर जाता था। गाय बीमार होने पर उसके लिए दवा भी ले जाता था। हमने पूछा- उस दिन क्या हुआ था? उन्होंने कहा- उस दिन पुष्पेंद्र मेरे बेटे को यह कह कर ले गया था कि गाय गटर में गिर गई है, उसे उठाने चलना है। शिवम को ये नहीं पता था कि पुष्पेंद्र उससे क्या काम करवाने ले जा रहा? अब प्रियांश के घर चलते हैं मां ने कहा- पुष्पेंद्र आया और बोला गाय का दवा दिलवानी है
इसके बाद हम हत्याकांड के तीसरे आरोपी प्रियांश यादव के घर पर पहुंचे। घर पर रिश्तेदारों के अलावा आसपास के लोग भी इकट्‌ठा मिले। लोग प्रियांश की मां ऊषा देवी को दिलासा दे रहे थे। ऊषा देवी ने बताया- मेरा बेटा उस दिन शाम को घर पर खाना खा रहा था। तभी पुष्पेंद्र आया और मेरे बेटे को यह कहते हुए ले गया कि गाय को दवा दिलवानी है। मैंने उसे टोका भी। इस पर वह बोला- चाची मैं आधे घंटे में प्रियांश को छोड़ जाऊंगा। फिर रात तक जब वह लोग नहीं लौटे, तब मैं पुष्पेंद्र के घर गई। वहां पूछताछ की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। मेरे बेटे ने इसी साल 12वीं के एग्जाम दिए हैं। उसको गलत फंसा दिया गया। हम वीडियो वायरल करने वाले मनोज चौधरी के गांव मलपुरा पहुंचे… लोग बोले- वो गलत कामों में रहता था, मगर गोसेवा करता था
गांव में हर कोई मनोज चौधरी को जानता है। बताया गया कि उसका घर नगला भूरिया में है। गांव के अलग-अलग लोगों से बात करके समझ आया कि मनोज को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग उसकी आपराधिक प्रवृत्ति के लिए उसको जानते हैं, जबकि कुछ लोग गोसेवा की वजह से जानते हैं। उसका घर गांव के बीच में है। घर पर माता-पिता के अलावा उसका एक भाई अजय चाहर रहता है। परिजनों का कहना है कि मनोज दिनभर गोसेवा में ही व्यस्त रहता था। उसी वीडियो वो अपनी इंस्टाग्राम पर डालता था। ग्राम सभा की जमीन के एक हिस्से में वह बीमार गायों को रखता था और उनकी सेवा करता था। पिता नारायण सिंह का कहना है कि उसने अंजाने में गुलफाम हत्याकांड का वीडियो अपलोड कर दिया था। उसे इसके बारे में जानकारी नहीं थी और न ही पुष्पेंद्र, शिवम और प्रियांश को जानता है। मनोज को जमानत मिली
पुलिस ने मनोज चाहर को वीडियो वायरल करने के आरोप में जेल भेजा था। उस पर साइबर क्राइम से जुड़े अपराध की धाराएं लगाई गई थीं, जिनमें उसे दो दिन बाद ही जमानत मिल गई। मनोज चाहर के भाई अजय चाहर ने बताया कि मनोज 12वीं पास है। जमानत मिलने के बाद वह घर आया था और दो घंटे बाद ही दिल्ली चला गया। वह अब वहीं रहेगा। उसने बताया कि मनोज ने जिन गायों को सेवा के लिए रखा था, उन्हें शास्त्रीपुरम स्थित गोशाला में छोड़ दिया है। अब पढ़िए पूरा घटनाक्रम
ताजनगरी में शाहिद अली का चिकन बिरयानी नाम से रेस्टोरेंट है। यहां पर उसके साथ चचेरे भाई मुन्ना, जीशान, सैफ अली और गुलफाम देख-रेख करते हैं। गुरुवार रात करीब 12 बजे रेस्टोरेंट पर बाइक पर 3 युवक आए। दो युवक रेस्टोरेंट पर आए। यहां पर गुलफाम ने उससे पूछा कि हां भाई क्या चाहिए? इस पर युवक ने गोली चला दी। गोली गुलफाम के सीने में लगी। वो वहीं गिर गया। इसके बाद सैफ अली ने शोर मचाया। हमलावर सैफ अली के पास आया और गोली चला दी। गोली सैफ अली को छूते हुए निकल गई। इसके बाद हमलावर अपनी एक्टिवा पर बैठकर शिल्पग्राम की ओर भाग गए। —————————
यह खबर भी पढ़ें : वो हाथ जोड़ता रहा, दरिंदों ने गोली मार दी, आगरा में रेस्टोरेंटकर्मी के पिता बोले- वह तो हंसता रहता था फिर क्यों मार डाला हमारी किसी से रंजिश नहीं है। न ही गुलफाम का किसी से विवाद हुआ। मेरे बेटे ने कभी किसी को गाली तक नहीं दी। हमेशा हंसता रहता था। पता नहीं क्यों मेरे बेटे को मार दिया? हमारे घर का सबसे हंसमुख सदस्य था। घर की रौनक ही चली गई। यह कहना है गुलफाम के 58 वर्षीय पिता इमाम बक्क्ष का। 23 अप्रैल को गुलफाम की स्कूटी सवार 3 लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर