हरियाणा में भर्तियों में बोनस अंक का फैसला रद्द:हाईकोर्ट ने नई मेरिट बनाने का दिया आदेश; वकील बोले- पहले मिली नौकरियों पर खतरा

हरियाणा में भर्तियों में बोनस अंक का फैसला रद्द:हाईकोर्ट ने नई मेरिट बनाने का दिया आदेश; वकील बोले- पहले मिली नौकरियों पर खतरा

हरियाणा में सामाजिक और आर्थिक आधार पर नंबर से नौकरी पाने वालों पर संकट खड़ा हो गया है। इस संबंध में गुरुवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा 11 जून 2019 को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इस अधिसूचना में सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान था। यह फैसला जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। इस अधिसूचना को अभ्यर्थी मोनिका रमन समेत अन्य ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के वकील के मुताबिक 4 भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन सभी भर्तियों में नए सिरे से मेरिट बनाने के आदेश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार को यह प्रक्रिया 4 महीने में पूरी करनी होगी। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों की नौकरी लगी है, उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा गया है। हालांकि अभी सरकारी की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। खट्‌टर सरकार ने बोनस अंक देने का फैसला किया था। ये फैसला 2021 से लागू हुआ था। हाईकोर्ट के वकील की 4 अहम बातें… 1. 2021 में महिला अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंची थी
हाईकोर्ट के वकील राजेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि 2021 में मोनिका रमन ने याचिका दायर की थी। 2019 में जारी नोटिफिकेशन में सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान किया गया था। ये लाभ उन्हीं को दिया गया कि जिनके घर में कोई भी सरकारी नौकरी पर नहीं था। सरकार के इस फैसले को चैलेंज किया गया। 92. 0 में से 90 अंक लेने पर भी सिलेक्शन नहीं हुआ था
मोनिका ने बिजली निगम में जूनियर सिस्टम इंजीनियर की भर्ती की लिखित परीक्षा में 90 में से 90 अंक प्राप्त किए, लेकिन उसका सिलेक्शन नहीं हो पाया। इस भर्ती में 146 पोस्टें थी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचीं। याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया। 27 मई 2021 को हाईकोर्ट ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये क्राइटेरिया उचित नहीं है। 3. हरियाणा पुलिस की भर्तियों में अभ्यर्थियों को बोनस अंक मिले
राजेंद्र मलिक ने बताया कि 2020-21 में 400 सब इंस्पेक्टर की भर्ती निकली थी, इसमें से सिर्फ 22 पोस्टें बिना बोनस अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मिल पाई। इसमें से 378 पदों पर सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को सिलेक्ट किया। इसी प्रकार 65 महिला सब इंस्पेक्टर के पदों पर भर्ती निकाली गई, जिनमें से बोनस अंक लेने वाले 62 अभ्यर्थी चुने गए। सिर्फ तीन ऐसे अभ्यर्थी रहे, जिन्हें बिना बोनस अंक के इस पद का लाभ मिला। इसके अलावा 1100 पदों पर पुलिस विभाग में महिला सिपाही की भर्ती निकाली गई, इसमें सामाजिक-आर्थिक आधार के तहत आने वाले अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ। 4. पहले मिली नौकरियों पर खतरा
वकील ने कहा कि इन चारों भर्तियों में जो अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए थे, उनकी भर्ती पर खतरा मंडरा गया है। अब जो नई मेरिट बनेगी, उसमें सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिले अंक नहीं जोड़े जाएंगे। बोनस अंक हटाकर नई मेरिट बनेगी। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों को बोनस अंक के आधार पर नौकरी मिली थी, उनकी नौकरी जा सकती है। 2021 में फैसला हुआ था लागू
खट्‌टर​​​ सरकार ने नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछड़े आवेदकों को 5 बोनस अंक देने का फैसला किया था। फैसला 2021 से लागू किया था। इसके तहत जिस परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो और परिवार की आमदनी सालाना 1.80 लाख रुपए से कम हो, ऐसे परिवार के युवाओं को 5 अतिरिक्त अंक का लाभ दिया। हरियाणा में सामाजिक और आर्थिक आधार पर नंबर से नौकरी पाने वालों पर संकट खड़ा हो गया है। इस संबंध में गुरुवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा 11 जून 2019 को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इस अधिसूचना में सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान था। यह फैसला जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। इस अधिसूचना को अभ्यर्थी मोनिका रमन समेत अन्य ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के वकील के मुताबिक 4 भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन सभी भर्तियों में नए सिरे से मेरिट बनाने के आदेश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार को यह प्रक्रिया 4 महीने में पूरी करनी होगी। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों की नौकरी लगी है, उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा गया है। हालांकि अभी सरकारी की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। खट्‌टर सरकार ने बोनस अंक देने का फैसला किया था। ये फैसला 2021 से लागू हुआ था। हाईकोर्ट के वकील की 4 अहम बातें… 1. 2021 में महिला अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंची थी
हाईकोर्ट के वकील राजेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि 2021 में मोनिका रमन ने याचिका दायर की थी। 2019 में जारी नोटिफिकेशन में सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान किया गया था। ये लाभ उन्हीं को दिया गया कि जिनके घर में कोई भी सरकारी नौकरी पर नहीं था। सरकार के इस फैसले को चैलेंज किया गया। 92. 0 में से 90 अंक लेने पर भी सिलेक्शन नहीं हुआ था
मोनिका ने बिजली निगम में जूनियर सिस्टम इंजीनियर की भर्ती की लिखित परीक्षा में 90 में से 90 अंक प्राप्त किए, लेकिन उसका सिलेक्शन नहीं हो पाया। इस भर्ती में 146 पोस्टें थी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचीं। याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया। 27 मई 2021 को हाईकोर्ट ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये क्राइटेरिया उचित नहीं है। 3. हरियाणा पुलिस की भर्तियों में अभ्यर्थियों को बोनस अंक मिले
राजेंद्र मलिक ने बताया कि 2020-21 में 400 सब इंस्पेक्टर की भर्ती निकली थी, इसमें से सिर्फ 22 पोस्टें बिना बोनस अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मिल पाई। इसमें से 378 पदों पर सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को सिलेक्ट किया। इसी प्रकार 65 महिला सब इंस्पेक्टर के पदों पर भर्ती निकाली गई, जिनमें से बोनस अंक लेने वाले 62 अभ्यर्थी चुने गए। सिर्फ तीन ऐसे अभ्यर्थी रहे, जिन्हें बिना बोनस अंक के इस पद का लाभ मिला। इसके अलावा 1100 पदों पर पुलिस विभाग में महिला सिपाही की भर्ती निकाली गई, इसमें सामाजिक-आर्थिक आधार के तहत आने वाले अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ। 4. पहले मिली नौकरियों पर खतरा
वकील ने कहा कि इन चारों भर्तियों में जो अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए थे, उनकी भर्ती पर खतरा मंडरा गया है। अब जो नई मेरिट बनेगी, उसमें सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिले अंक नहीं जोड़े जाएंगे। बोनस अंक हटाकर नई मेरिट बनेगी। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों को बोनस अंक के आधार पर नौकरी मिली थी, उनकी नौकरी जा सकती है। 2021 में फैसला हुआ था लागू
खट्‌टर​​​ सरकार ने नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछड़े आवेदकों को 5 बोनस अंक देने का फैसला किया था। फैसला 2021 से लागू किया था। इसके तहत जिस परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो और परिवार की आमदनी सालाना 1.80 लाख रुपए से कम हो, ऐसे परिवार के युवाओं को 5 अतिरिक्त अंक का लाभ दिया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर