सोनीपत के मेजर आशीष दहिया को मिला शौर्य चक्र:मां बोलीं- ऐसे बेटे हर जन्म में मिलें, पांच बड़े ऑपरेशनों में निभाई अहम भूमिका

सोनीपत के मेजर आशीष दहिया को मिला शौर्य चक्र:मां बोलीं- ऐसे बेटे हर जन्म में मिलें, पांच बड़े ऑपरेशनों में निभाई अहम भूमिका

सोनीपत जिले के सपूत मेजर आशीष दहिया को उनके अद्वितीय साहस और नेतृत्व के लिए भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। पुलवामा में आतंकवादियों के खिलाफ एक जटिल सैन्य अभियान में निर्णायक भूमिका निभाने वाले मेजर दहिया को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान यह सम्मान घोषित किया गया। उनकी बहादुरी की खबर मिलते ही पूरे गांव में खुशी का माहौल है और उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सोनीपत के गांव ककरोई के रहने वाले आशिष दहिया के शौर्य सम्मान मिलने पर मां और परिजनों ने खुशी जाहिर की है। हर काम में अव्वल आशीष ने सोनीपत ही नहीं बल्कि हरियाणा का भी नाम रोशन किया है। मां का कहना है कि ऐसे बेटों की मां बनने का सौभाग्य उन्हें हर जन्म में मिले। उनका परिवार सेना को समर्पित रहा है। मां का कहना है कि यह पल मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा। पुलवामा ऑपरेशन में दिखाई बहादुरी, घायल जवान की बचाई जान
दो जून 2024 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों के खिलाफ एक हाई रिस्क ऑपरेशन के दौरान मेजर आशीष दहिया ने कमान संभाली। उन्होंने न सिर्फ आतंकियों की सटीक जवाबी कार्रवाई में एक खतरनाक आतंकवादी को घायल किया, बल्कि गोलीबारी के दौरान ग्रेनेड से घायल हुए एक सैनिक को जान की परवाह किए बिना बचाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। इस ऑपरेशन में उन्होंने दक्षिण कश्मीर के एक सबसे लंबे समय से सक्रिय A++ श्रेणी के आतंकी को भी ढेर किया। कई ऑपरेशनों में निभाई भूमिका
सिर्फ एक ही नहीं, बल्कि मेजर दहिया ने जून 2022 से अब तक पांच उच्च जोखिम वाले सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया। इन अभियानों में उन्होंने चार कट्टर आतंकवादियों को ढेर किया और तीन इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (IED) को निष्क्रिय कर बड़े खतरे को टाल दिया। उनके नेतृत्व, निडरता और मिशन के प्रति समर्पण ने उन्हें इस राष्ट्रीय सम्मान का हकदार बनाया। विरासत में मिली देशसेवा मेजर आशीष दहिया का परिवार भी देशसेवा की भावना से ओतप्रोत रहा है। उनके पिता स्व. अशोक दहिया सेना में लांस नायक के पद पर थे। उनके ताऊ जगबीर सिंह दिल्ली पुलिस से उप निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं। आशीष और उनके जुड़वां भाई अनीश दहिया भी सेना में मेजर हैं, जबकि आशीष की पत्नी अनुषा दहिया भी सेना में मेजर के पद पर कार्यरत हैं। छह साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया
मेजर आशीष दहिया महज छह साल के थे, जब उनके पिता स्व. अशोक दहिया का हृदयाघात से निधन हो गया। अशोक दहिया सेना में लांस नायक के पद पर तैनात थे। पिता के जाने के बाद मां सविता दहिया ने अकेले दोनों जुड़वां बेटों आशीष और अनीश की परवरिश की। आर्थिक चुनौतियों और सामाजिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने अपने बेटों को कभी हिम्मत हारने नहीं दी। देशभक्ति की भावना को जिंदा रखते हुए उन्होंने अपने दोनों बेटों को फौज में भेजा। आज एक बेटा शौर्य चक्र विजेता है और दूसरा सेना में मेजर, ये हर उस मां के लिए प्रेरणा है जो संघर्षों के बीच भी अपने बच्चों को मजबूत बनाती हैं। शुरू से थे होनहार, हर गतिविधि में आगे रहते थे
आशीष ने अपनी स्कूली शिक्षा सोनीपत के एक निजी स्कूल से नर्सरी से 12वीं तक पूरी की। परिवार के अनुसार वे बचपन से ही पढ़ाई और खेल-कूद सहित सभी गतिविधियों में अव्वल रहे। वर्ष 2010-11 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और यहीं से उनके उज्जवल भविष्य की नींव पड़ी। गांव में खुशी का माहौल, सरपंच ने किया स्वागत का ऐलान
मेजर आशीष दहिया को शौर्य चक्र मिलने की खबर से गांव ककरोई में जश्न का माहौल है। गांव के सरपंच कर्मबीर सिंह फौजी ने बताया कि जैसे ही आशीष गांव पहुंचेंगे, उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा। ग्रामीणों ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाइयां दी हैं और उनके परिवार को गौरव का प्रतीक बताया। परिवार दिल्ली में समारोह में हुआ शामिल
मेजर आशीष दहिया का परिवार दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लेने गया हुआ है। जहां आशिष को शोर्य चक्र के सम्मान से नवाजा गया है। जल्द ही उनके घर वापसी करने की उम्मीद है और पूरे परिवार में गर्व व उत्साह का माहौल है। सोनीपत जिले के सपूत मेजर आशीष दहिया को उनके अद्वितीय साहस और नेतृत्व के लिए भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। पुलवामा में आतंकवादियों के खिलाफ एक जटिल सैन्य अभियान में निर्णायक भूमिका निभाने वाले मेजर दहिया को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान यह सम्मान घोषित किया गया। उनकी बहादुरी की खबर मिलते ही पूरे गांव में खुशी का माहौल है और उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सोनीपत के गांव ककरोई के रहने वाले आशिष दहिया के शौर्य सम्मान मिलने पर मां और परिजनों ने खुशी जाहिर की है। हर काम में अव्वल आशीष ने सोनीपत ही नहीं बल्कि हरियाणा का भी नाम रोशन किया है। मां का कहना है कि ऐसे बेटों की मां बनने का सौभाग्य उन्हें हर जन्म में मिले। उनका परिवार सेना को समर्पित रहा है। मां का कहना है कि यह पल मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा। पुलवामा ऑपरेशन में दिखाई बहादुरी, घायल जवान की बचाई जान
दो जून 2024 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों के खिलाफ एक हाई रिस्क ऑपरेशन के दौरान मेजर आशीष दहिया ने कमान संभाली। उन्होंने न सिर्फ आतंकियों की सटीक जवाबी कार्रवाई में एक खतरनाक आतंकवादी को घायल किया, बल्कि गोलीबारी के दौरान ग्रेनेड से घायल हुए एक सैनिक को जान की परवाह किए बिना बचाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। इस ऑपरेशन में उन्होंने दक्षिण कश्मीर के एक सबसे लंबे समय से सक्रिय A++ श्रेणी के आतंकी को भी ढेर किया। कई ऑपरेशनों में निभाई भूमिका
सिर्फ एक ही नहीं, बल्कि मेजर दहिया ने जून 2022 से अब तक पांच उच्च जोखिम वाले सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया। इन अभियानों में उन्होंने चार कट्टर आतंकवादियों को ढेर किया और तीन इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (IED) को निष्क्रिय कर बड़े खतरे को टाल दिया। उनके नेतृत्व, निडरता और मिशन के प्रति समर्पण ने उन्हें इस राष्ट्रीय सम्मान का हकदार बनाया। विरासत में मिली देशसेवा मेजर आशीष दहिया का परिवार भी देशसेवा की भावना से ओतप्रोत रहा है। उनके पिता स्व. अशोक दहिया सेना में लांस नायक के पद पर थे। उनके ताऊ जगबीर सिंह दिल्ली पुलिस से उप निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं। आशीष और उनके जुड़वां भाई अनीश दहिया भी सेना में मेजर हैं, जबकि आशीष की पत्नी अनुषा दहिया भी सेना में मेजर के पद पर कार्यरत हैं। छह साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया
मेजर आशीष दहिया महज छह साल के थे, जब उनके पिता स्व. अशोक दहिया का हृदयाघात से निधन हो गया। अशोक दहिया सेना में लांस नायक के पद पर तैनात थे। पिता के जाने के बाद मां सविता दहिया ने अकेले दोनों जुड़वां बेटों आशीष और अनीश की परवरिश की। आर्थिक चुनौतियों और सामाजिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने अपने बेटों को कभी हिम्मत हारने नहीं दी। देशभक्ति की भावना को जिंदा रखते हुए उन्होंने अपने दोनों बेटों को फौज में भेजा। आज एक बेटा शौर्य चक्र विजेता है और दूसरा सेना में मेजर, ये हर उस मां के लिए प्रेरणा है जो संघर्षों के बीच भी अपने बच्चों को मजबूत बनाती हैं। शुरू से थे होनहार, हर गतिविधि में आगे रहते थे
आशीष ने अपनी स्कूली शिक्षा सोनीपत के एक निजी स्कूल से नर्सरी से 12वीं तक पूरी की। परिवार के अनुसार वे बचपन से ही पढ़ाई और खेल-कूद सहित सभी गतिविधियों में अव्वल रहे। वर्ष 2010-11 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और यहीं से उनके उज्जवल भविष्य की नींव पड़ी। गांव में खुशी का माहौल, सरपंच ने किया स्वागत का ऐलान
मेजर आशीष दहिया को शौर्य चक्र मिलने की खबर से गांव ककरोई में जश्न का माहौल है। गांव के सरपंच कर्मबीर सिंह फौजी ने बताया कि जैसे ही आशीष गांव पहुंचेंगे, उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा। ग्रामीणों ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाइयां दी हैं और उनके परिवार को गौरव का प्रतीक बताया। परिवार दिल्ली में समारोह में हुआ शामिल
मेजर आशीष दहिया का परिवार दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लेने गया हुआ है। जहां आशिष को शोर्य चक्र के सम्मान से नवाजा गया है। जल्द ही उनके घर वापसी करने की उम्मीद है और पूरे परिवार में गर्व व उत्साह का माहौल है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर