हरियाणा के चर्चित कंडेला कांड में जान गंवाने वाले 13 साल के शहीद किसान का स्टैच्यू बनाया जाएगा। युवा किसान राजेश शर्मा की घुड़सवार पुलिसकर्मियों की लाठियों में जान गई थी। कल यानी 25 मई को किसान की 23वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन की तरफ से जींद के कंडेला गांव में प्रसिद्ध सांड के मंदिर के नजदीक ही राजेश शर्मा की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। किसानों ने 2002 में चौटाला सरकार के खिलाफ बिजली बिलों को लेकर प्रदर्शन किया था। इसमें 9 किसानों की मौत हुई थी। इनमें राजेश शर्मा सबसे कम उम्र के जाने गंवाने वाले किसान थे। 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजेश शर्मा की मां को परिवहन विभाग में नौकरी मिली थी। अब समझिए क्या है कंडेला कांड और कैसे राजेश शर्मा की जान गई… चौटाला कंडेला के रास्ते से नहीं निकले
2000 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला जींद जिला के ही नरवाना विधानसभा से विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे में उनका जींद में काफी आना-जाना रहता था। कंडेला गांव जींद-चंडीगढ़ मार्ग पर पड़ता है, लेकिन कंडेला कांड के बाद मुख्यमंत्री रहते हुए भी चौटाला कभी सीधे कंडेला के रास्ते नहीं निकले। 2 किसानों की प्रतिमा बन चुकी
गुलकनी और रामराय के जान गंवाने वाले किसानों की प्रतिमा बना दी गई, लेकिन राजेश शर्मा का स्टैच्यू अभी तक नहीं बना था। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जोगेंद्र नैन की अगुआई में भाकियू ने प्रदेशभर में घूम-घूमकर किसानों का सहयोग और सहमति मांगी। परिवार बोला- प्रतिमा बनने से हम खुश
राजेश शर्मा की मां का नाम बिसनो देवी और पिता का नाम ईश्वर है। बिसनो देवी कुरुक्षेत्र में रोडवेज विभाग से रिटायर हो चुकी हैं। राजेश के तीन भाई-बहन हैं, जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का है। उनका छोटा भाई मनीष चौथे नंबर का है और खेती करता है। जिस समय राजेश की मौत हुई, वह नौवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। राजेश शर्मा के माता-पिता का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी है कि किसान यूनियन द्वारा उनके बेटे की प्रतिमा बनवाई जा रही है। आंदोलन में पुलिस को खदेड़ने वाले सांड का मंदिर बनवाया
कंडेला कांड के दौरान एक सांड ने किसानों का साथ दिया। जब किसान बिजली बिल माफी के लिए आंदोलन कर रहे थे, तब यह सांड पुलिस को देखकर बिगड़ जाता था और उन्हें खदेड़ देता था। यहां तक कि उसने घोड़े पर सवार पुलिसकर्मियों को भी भगा दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस ने किसानों पर गोलियां चलाईं, तो सांड ने आगे बढ़कर पुलिस को खदेड़ा, जिससे कई किसानों की जान बच गई। इस घटना के बाद सांड का सम्मान बढ़ गया और उसकी मौत के बाद ग्रामीणों ने उसका मंदिर बनवा दिया, जहां आज भी लोग उसकी पूजा करते हैं। हरियाणा के चर्चित कंडेला कांड में जान गंवाने वाले 13 साल के शहीद किसान का स्टैच्यू बनाया जाएगा। युवा किसान राजेश शर्मा की घुड़सवार पुलिसकर्मियों की लाठियों में जान गई थी। कल यानी 25 मई को किसान की 23वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन की तरफ से जींद के कंडेला गांव में प्रसिद्ध सांड के मंदिर के नजदीक ही राजेश शर्मा की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। किसानों ने 2002 में चौटाला सरकार के खिलाफ बिजली बिलों को लेकर प्रदर्शन किया था। इसमें 9 किसानों की मौत हुई थी। इनमें राजेश शर्मा सबसे कम उम्र के जाने गंवाने वाले किसान थे। 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजेश शर्मा की मां को परिवहन विभाग में नौकरी मिली थी। अब समझिए क्या है कंडेला कांड और कैसे राजेश शर्मा की जान गई… चौटाला कंडेला के रास्ते से नहीं निकले
2000 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला जींद जिला के ही नरवाना विधानसभा से विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे में उनका जींद में काफी आना-जाना रहता था। कंडेला गांव जींद-चंडीगढ़ मार्ग पर पड़ता है, लेकिन कंडेला कांड के बाद मुख्यमंत्री रहते हुए भी चौटाला कभी सीधे कंडेला के रास्ते नहीं निकले। 2 किसानों की प्रतिमा बन चुकी
गुलकनी और रामराय के जान गंवाने वाले किसानों की प्रतिमा बना दी गई, लेकिन राजेश शर्मा का स्टैच्यू अभी तक नहीं बना था। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जोगेंद्र नैन की अगुआई में भाकियू ने प्रदेशभर में घूम-घूमकर किसानों का सहयोग और सहमति मांगी। परिवार बोला- प्रतिमा बनने से हम खुश
राजेश शर्मा की मां का नाम बिसनो देवी और पिता का नाम ईश्वर है। बिसनो देवी कुरुक्षेत्र में रोडवेज विभाग से रिटायर हो चुकी हैं। राजेश के तीन भाई-बहन हैं, जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का है। उनका छोटा भाई मनीष चौथे नंबर का है और खेती करता है। जिस समय राजेश की मौत हुई, वह नौवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। राजेश शर्मा के माता-पिता का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी है कि किसान यूनियन द्वारा उनके बेटे की प्रतिमा बनवाई जा रही है। आंदोलन में पुलिस को खदेड़ने वाले सांड का मंदिर बनवाया
कंडेला कांड के दौरान एक सांड ने किसानों का साथ दिया। जब किसान बिजली बिल माफी के लिए आंदोलन कर रहे थे, तब यह सांड पुलिस को देखकर बिगड़ जाता था और उन्हें खदेड़ देता था। यहां तक कि उसने घोड़े पर सवार पुलिसकर्मियों को भी भगा दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस ने किसानों पर गोलियां चलाईं, तो सांड ने आगे बढ़कर पुलिस को खदेड़ा, जिससे कई किसानों की जान बच गई। इस घटना के बाद सांड का सम्मान बढ़ गया और उसकी मौत के बाद ग्रामीणों ने उसका मंदिर बनवा दिया, जहां आज भी लोग उसकी पूजा करते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
