यूपी DGP के लिए पहली बार महिला IPS बड़ी दावेदार:राजीव कृष्ण- बीके मौर्य भी रेस में; प्रशांत कुमार को मिल सकती है नई जिम्मेदारी

यूपी DGP के लिए पहली बार महिला IPS बड़ी दावेदार:राजीव कृष्ण- बीके मौर्य भी रेस में; प्रशांत कुमार को मिल सकती है नई जिम्मेदारी

प्रदेश में नए डीजीपी को लेकर एक बार फिर जद्दोजहद शुरू हो गई है। मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार 60 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं और इसी 31 मई को रिटायर हो रहे हैं। चर्चा उनके सेवा विस्तार की भी हो रही है, लेकिन इसे लेकर फिलहाल गृह विभाग में कोई हलचल नहीं है। ऐसे में प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा? यह सवाल न केवल पुलिस महकमे और नौकरशाही में, बल्कि राजनीतिक गलियारों और आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं कि अगला डीजीपी कौन हो सकता है, चयन प्रक्रिया क्या है और प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार की संभावनाएं कितनी मजबूत हैं? 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार 1 फरवरी, 2024 से उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में काम कर रहे हैं। बिहार में सीवान जिले के मूल निवासी प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी और भरोसेमंद अफसर माना जाता है। प्रशांत कुमार 2017-18 में कांवड़ यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा कराकर योगी सरकार में पहली बार चर्चा में आए थे। मेरठ जोन के एडीजी रहते हुए प्रशांत कुमार ने कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिसमें अपराधियों का सफाया प्रमुख था। उन्हें चार बार गैलेंट्री अवॉर्ड और कई प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं। डीजीपी की कुर्सी संभालने के बाद प्रशांत कुमार कई बार विपक्ष के निशाने पर भी रहे। क्या प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है?
प्रशांत कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अफसरों में से एक हैं। हाल ही में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन की सफलता और यूपी पुलिस की सराहना ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार के लिए प्रदेश सरकार तभी केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी, जब वहां से सहमति बन जाए। इन दो डीजीपी को मिला था सेवा विस्तार उत्तर प्रदेश में बीते 10–12 वर्षों में केवल दो अफसरों को ही सेवा विस्तार मिला है। इसमें अखिलेश सरकार के दौरान डीजीपी रहे अरविंद कुमार जैन और योगी सरकार में सुलखान सिंह का नाम शामिल है। दोनों को तीन–तीन महीने का सेवा विस्तार मिला था। प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर काम कर रहे हैं। अभी तक किसी कार्यवाहक डीजीपी को सेवा विस्तार नहीं मिला है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि अगर प्रशांत को सेवा विस्तार नहीं मिलता है तो भी उन्हें रिटायरमेंट के बाद कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि सेवा विस्तार किसी को भी मिल सकता है। एसपी से लेकर डीजीपी तक को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया जा सकता है। चीफ सेक्रेटरी के लिए यह नियम 6 महीने का होता है। सुलखान सिंह कहते हैं कि सेवा विस्तार के लिए वजह बतानी पड़ती है कि किस वजह से वह संबंधित अफसर काे सेवा विस्तार देना चाहते हैं। क्या है डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया? उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति के लिए 6 माह पहले नियमावली बनाई गई थी। हालांकि कैबिनेट से पास इस नियमावली को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस नियमावली के तहत एक छह सदस्यीय समिति डीजीपी की नियुक्ति करेगी। इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, और इसमें मुख्य सचिव, यूपीएससी का एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या उनका नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव (गृह), और एक पूर्व डीजीपी शामिल होंगे। यह कमेटी सेवा रिकॉर्ड, अनुभव, और न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा अवधि जैसे मानदंडों के आधार पर डीजीपी का चयन करेगी। डीजीपी की नियुक्ति दो वर्ष या रिटायरमेंट की अवधि तक इसमें जो पहले हो, की जा सकती है। साथ ही असंतोषजनक प्रदर्शन की स्थिति में सरकार उन्हें हटा भी सकती है। पहले की प्रक्रिया में, राज्य सरकार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजती थी, जो तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का पैनल तैयार करता था। केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) और गृह मंत्रालय की सलाह के बाद अंतिम चयन होता था। अब जानिए, रेस में कौन-कौन? प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम डीजीपी पद की दौड़ में शामिल हैं। ​​​​​​तीन साल से नहीं है स्थायी डीजीपी उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं हुई है। 11 मई 2022 को मुकुल गोयल के हटने के बाद से लगातार कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी समेत कई राज्यों को नोटिस जारी किया था। —————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में 27 डिप्टी एसपी के तबादले:भ्रष्टाचार में दोषी रहीं दीपशिखा का इटावा ट्रांसफर, अमित पांडेय को वाराणसी से जालौन भेजा गया यूपी में शुक्रवार को 27 डिप्टी एसपी के तबादले हुए हैं। इनमें भ्रष्टाचार में दोषी रहीं दीपशिखा अहिबरन का नाम भी शामिल है। उनका गोंडा से इटावा ट्रांसफर किया गया है। वहीं, मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात अशोक कुमार सिंह चतुर्थ को मुरादाबाद में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर भेजा गया है। वे ढाई साल से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात थे। पढ़ें पूरी खबर प्रदेश में नए डीजीपी को लेकर एक बार फिर जद्दोजहद शुरू हो गई है। मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार 60 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं और इसी 31 मई को रिटायर हो रहे हैं। चर्चा उनके सेवा विस्तार की भी हो रही है, लेकिन इसे लेकर फिलहाल गृह विभाग में कोई हलचल नहीं है। ऐसे में प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा? यह सवाल न केवल पुलिस महकमे और नौकरशाही में, बल्कि राजनीतिक गलियारों और आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं कि अगला डीजीपी कौन हो सकता है, चयन प्रक्रिया क्या है और प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार की संभावनाएं कितनी मजबूत हैं? 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार 1 फरवरी, 2024 से उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में काम कर रहे हैं। बिहार में सीवान जिले के मूल निवासी प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी और भरोसेमंद अफसर माना जाता है। प्रशांत कुमार 2017-18 में कांवड़ यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा कराकर योगी सरकार में पहली बार चर्चा में आए थे। मेरठ जोन के एडीजी रहते हुए प्रशांत कुमार ने कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिसमें अपराधियों का सफाया प्रमुख था। उन्हें चार बार गैलेंट्री अवॉर्ड और कई प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं। डीजीपी की कुर्सी संभालने के बाद प्रशांत कुमार कई बार विपक्ष के निशाने पर भी रहे। क्या प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है?
प्रशांत कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अफसरों में से एक हैं। हाल ही में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन की सफलता और यूपी पुलिस की सराहना ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार के लिए प्रदेश सरकार तभी केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी, जब वहां से सहमति बन जाए। इन दो डीजीपी को मिला था सेवा विस्तार उत्तर प्रदेश में बीते 10–12 वर्षों में केवल दो अफसरों को ही सेवा विस्तार मिला है। इसमें अखिलेश सरकार के दौरान डीजीपी रहे अरविंद कुमार जैन और योगी सरकार में सुलखान सिंह का नाम शामिल है। दोनों को तीन–तीन महीने का सेवा विस्तार मिला था। प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर काम कर रहे हैं। अभी तक किसी कार्यवाहक डीजीपी को सेवा विस्तार नहीं मिला है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि अगर प्रशांत को सेवा विस्तार नहीं मिलता है तो भी उन्हें रिटायरमेंट के बाद कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि सेवा विस्तार किसी को भी मिल सकता है। एसपी से लेकर डीजीपी तक को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया जा सकता है। चीफ सेक्रेटरी के लिए यह नियम 6 महीने का होता है। सुलखान सिंह कहते हैं कि सेवा विस्तार के लिए वजह बतानी पड़ती है कि किस वजह से वह संबंधित अफसर काे सेवा विस्तार देना चाहते हैं। क्या है डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया? उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति के लिए 6 माह पहले नियमावली बनाई गई थी। हालांकि कैबिनेट से पास इस नियमावली को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस नियमावली के तहत एक छह सदस्यीय समिति डीजीपी की नियुक्ति करेगी। इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, और इसमें मुख्य सचिव, यूपीएससी का एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या उनका नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव (गृह), और एक पूर्व डीजीपी शामिल होंगे। यह कमेटी सेवा रिकॉर्ड, अनुभव, और न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा अवधि जैसे मानदंडों के आधार पर डीजीपी का चयन करेगी। डीजीपी की नियुक्ति दो वर्ष या रिटायरमेंट की अवधि तक इसमें जो पहले हो, की जा सकती है। साथ ही असंतोषजनक प्रदर्शन की स्थिति में सरकार उन्हें हटा भी सकती है। पहले की प्रक्रिया में, राज्य सरकार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजती थी, जो तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का पैनल तैयार करता था। केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) और गृह मंत्रालय की सलाह के बाद अंतिम चयन होता था। अब जानिए, रेस में कौन-कौन? प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम डीजीपी पद की दौड़ में शामिल हैं। ​​​​​​तीन साल से नहीं है स्थायी डीजीपी उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं हुई है। 11 मई 2022 को मुकुल गोयल के हटने के बाद से लगातार कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी समेत कई राज्यों को नोटिस जारी किया था। —————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में 27 डिप्टी एसपी के तबादले:भ्रष्टाचार में दोषी रहीं दीपशिखा का इटावा ट्रांसफर, अमित पांडेय को वाराणसी से जालौन भेजा गया यूपी में शुक्रवार को 27 डिप्टी एसपी के तबादले हुए हैं। इनमें भ्रष्टाचार में दोषी रहीं दीपशिखा अहिबरन का नाम भी शामिल है। उनका गोंडा से इटावा ट्रांसफर किया गया है। वहीं, मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात अशोक कुमार सिंह चतुर्थ को मुरादाबाद में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर भेजा गया है। वे ढाई साल से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात थे। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर